वैश्विक शांति सूचकांक 2023

अग्निपथ आधुनिक सेनाओं में एक आजमाया हुआ मॉडल है
रक्षा बलों में अग्निवीरों की भर्ती की केंद्र की योजना के विरोध में हिंसा की मात्रा इस सेवा में भर्ती के प्रतिशत के अनुपात से कहीं अधिक है.अब इस बात के सबूत उभरकर सामने आ रहे हैं कि इस तरह की संगठित अशांति के कारण क्या हैं।
वैश्विक शांति सूचकांक की गणना के अनुसार इस तरह के आंदोलन और हिंसा के कारण भारत को 646 अरब अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ है.यह ग्रे जोन वारफेयर की कीमत है, जिससे भारत लड़ रहा है.देश को ऐसे कानून बनाने की जरूरत है जिसके द्वारा आगजनी और तोडफ़ोड़ में शामिल पाए गए लोगों के विरुद्ध आपराधिक मामलों के अलावा, किसी भी सरकारी नौकरी, सब्सिडी या विशेषाधिकार से जुड़े सभी प्रकार के लाभों से वंचित कर दिया जाए।
यह कैच-दैम-यंग और गंभीर चयन, 4 साल बाद सशस्त्र बलों के लिए मददगार तो होगा, किंतु उन लोगों के लिए नहीं जो केवल सरकारी नौकरी और भविष्य की वैश्विक शांति सूचकांक 2023 पेंशन को ध्यान में रखते हैं.आने वाले समय के युद्ध में ऐसे सैनिकों की आवश्यकता है जो बहु-कुशल हैं, सिस्टम की एक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से नेटवर्क पर काम करते हैं, और सामान्य रूप से उच्च संज्ञानात्मक क्षमता रखते हैं.यह सशस्त्र बलों की एक युवा प्रोफाइल को सक्षम करेगा।
कारगिल युद्ध और दुनिया भर में अन्य सैनिक कार्रवाइयों ने साबित कर दिया है कि 20 से 30 वर्षकी उम्र की शुरुआत में, शारीरिक क्षमता के अनुसार, जोखिम लेने की प्रवृत्ति और क्षमता सबसे अधिक होती है।
लेह में एओसी के रूप में, मैंने पीएलए (देपसांग और चुमार) के खिलाफ दो बार आमने-सामने का मुकाबला देखा और सियाचिन ग्लेशियर पर वायु सैनिकों की नियमित तैनाती देखी.एलएसी पर युवा सैनिकों ने जीत हासिल की.पुराने सैनिकों की तुलना में उनमें कहीं अधिक प्रेरणा, लचीलापन और शारीरिक क्षमता देखी जाती है।
प्रौद्योगिकी की जानकारी रखने वाले युवाओं को शामिल करना बेहतर होगा, क्योंकि इसमें लंबी अवधि के लिए कोई बंधन नहीं है जब तक कि कोई इसका विकल्प नहीं चुनता है.रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सैटेलाइट इमेजरी, लेजर-निर्देशित हथियार आदि के साथ आधुनिक युद्ध हाई-टेक हो गए हैं, जो किसी भी युद्ध-कुशल बल के शस्त्रागार का एक अच्छा हिस्सा हैं।
सेना छोडऩे वाले 75 प्रतिशत युवा राष्ट्र के लिए एक संसाधन होंगे.युवा लोगों को आत्म-अनुशासन, परिश्रम और विशेष ध्यान वाले क्षेत्र के बारे में गहरी समझ होगी और वे अन्य क्षेत्रों में योगदान करने के लिए कुशल होंगे.सेवा छोडऩे के बाद सेवा निधि के रूप में मिलने वाला धन उन्हें स्वरोजगार, कौशल के लिए उच्च शिक्षा जैसे भविष्य के उनके प्रयासों मैं मददगार होगा.अनुशासन के इस आधार को व्यापक बनाकर, कौशल-युक्त और उपयोगी मानसिकता के बल पर आने वाले समय में अपना देश अच्छी स्थिति में होगा।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राष्ट्र को समय पर रक्षा बजट से जुड़े तनाव को दूर करने में मददगार है.बजट संबंधी तनाव के कारण आधुनिक युद्ध मशीनों और उपकरणों की खरीद के लिए बहुत ही कम धनराशि बचती है.अनुमान के अनुसार, वार्षिक रक्षा परिव्यय का लगभग 60 प्रतिशत वेतन और पेंशन के एकल शीर्ष के कारण होता है, जो महंगाई सूचकांक के साथ जुड़ाव के कारण उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है।
यह कोई अजनबी मॉडल नहीं है, बल्कि दुनिया भर की सभी आधुनिक सेनाओं के साथ आजमाया और परखा गया है.लोग इस योजना पर प्रतिक्रिया के लिए सरकार की संचार रणनीति को दोषी ठहराते हैं.लेकिन यह योजना कुछ समय के लिए खुले डोमेन में थी, आंतरिक नीति-निर्माण संरचनाओं में चर्चा की गई थी, रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुखों ने स्वयं रोलआउट के दौरान प्रश्नों का उत्तर दिया, आदि आदि.ऐसा कुछ भी नहीं होता, यदि एक नापाक राजनीतिक टूलकिट की कारगुजारी नहीं होती.इसके लिए अलग तैयारी और हैंडलिंग की आवश्यकता होती है।
21st June The Current Affairs
3. किस देश ने SCO सदस्य देशों के लिए Solidarity-2023 नाम से एक संयुक्त सीमा अभियान आयोजित करने का प्रस्ताव रखा है ?
- चीन
- रूस
- जापान
- इनमें से कोई नहीं
- चीन
- WTO
- WHO
- UNHRC
- इनमें से कोई नहीं
- UNHRC
- वेस्टइंडीज
- इंग्लैंड
- ऑस्ट्रेलिया
- इनमें से कोई नहीं
- इंग्लैंड
- जिनेवा
- पेरिस
- वाशिंगटन डीसी
- इनमें से कोई नहीं
- जिनेवा
7. इंस्टिट्यूट फॉर इकनोमिक एंड पीस द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक शांति सूचकांक 2022 में कौन शीर्ष पर रहा है ?
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21 June 2022 Current Affairs in Hindi
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वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022, भारत को मिला पहला स्थान।Global Minority Index 2022 ,India Got First Position
वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 : विश्व में लगभग 200 देश है, इन देशों में विभिन्न तरह के नियम कानून, शासन प्रणाली तौर तरीके वैश्विक शांति सूचकांक 2023 हैं। इन देशों में अलग-अलग धर्म, जाति, संस्कृति, विचार के लोग निवास करते हैं। इन देशों के बीच विकास, खोज, शांति, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण,समानता, भेदभाव को कम करने के लिए विभिन्न देशों के सरकारी या निजी संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर रैंकिंग(Ranking) जारी की जाती है। ताकि सभी देशों में अच्छी मुद्दों को लेकर प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत हो और उन देशों में मौजूद असमानता को कम किया जा सके।
Table of Contents
Global Minority index
पिछले दिनों भारत के एक संस्था के द्वारा वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक (Global Minority Index)जारी किया गया।
यह सूचकांक शोध संस्थान सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस (Center for policy analysis) के द्वारा जारी किया गया जिसमें विश्व के देशों का अपने अपने अल्पसंख्यक के प्रति दृष्टिकोण के बारे में बताया गया।
वैश्विक अल्पसंख्यक रिपोर्ट:-
- इस रिपोर्ट में विश्व के 110 देशों को शामिल किया गया।
- जिसमें भारत को 1st स्थान प्राप्त हुआ तथा सोमालिया को 110 वां स्थान प्राप्त हुआ।
टॉप 5 country :-
देश | स्थान |
---|---|
भारत | 1 |
दक्षिण वैश्विक शांति सूचकांक 2023 कोरिया | 2 |
जापान | 3 |
पनामा | 4 |
अमेरिका | 5 |
अन्य देश :-
देश | स्थान |
---|---|
नेपाल | 39 |
रसिया | 52 |
यूके | 54 |
संयुक्त अरब अमीरात | 61 |
चीन चीन | 90 |
बांग्लादेश | 99 |
पाकिस्तान | 104 |
टॉप 3 last country:-
मालदीप | 108 |
अफगानिस्तान | 109 |
सोमालिया | 110 |
रिपोर्ट के मापदंड
वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक 2022 : सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं रिपोर्ट के लेखक दुर्गानंद झा ने कहा “इस रिपोर्ट में उनका दृष्टिकोण गणितीय रहा है। अल्पसंख्यक के प्रति राज्य के दृष्टिकोण और उनकी समावेशिता कि सीमा के आधार पर ग्रेडिंग दिया गया है”।
इस रिपोर्ट में किसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यक की स्थिति और उनके प्रति राज्य का दृष्टिकोण का विश्लेषण हेतु वृहद मापदंडों का ध्यान रखा गया।
किन मापदंडों पर की जाती है सूचकांक
- संवैधानिक प्रावधान
- सरकार की नीतियां
- देश के कानून
इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों हमें अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक प्रावधान, भूमि के कानून, अल्पसंख्यक धार्मिक वादी के प्रति राज्य का दृष्टिकोण, सार्वजनिक नीति, सर्वोच्च पद लेकर धार्मिक अल्पसंख्यकों का खुलापन आदि का भी ध्यान रखा गया।
इस रिपोर्ट का अनावरण भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा भारत सदियों से कई संस्कृतियों का उद्गम स्थल रहा है, यहां पर कई विश्वास प्रणाली, धर्म, विचारधारा का विकास स्थान है।
भारत वसुधैव कुटुंबकम् के तहत पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है।
यह रिपोर्ट दुनिया में अल्पसंख्यक की स्थिति को समझने में सहायक सिद्ध होगी। अभी तक ऐसे रिपोर्ट सिर्फ विकसित देशों के द्वारा ही जारी किया जाता था, जो सिर्फ दूसरे देशों को कोसने में लगे रहते, परंतु कभी अपने अंदर नहीं देखा। कोई भी रिपोर्ट तर्क एवं तथ्य आधारित विश्लेषणात्मक होना चाहिए।
अल्पसंख्यक की परिभाषा
हमारे संविधान में अल्पसंख्यकों को लेकर विशेष प्रावधान दिए गए हैं, परंतु उनकी कोई विशेष परिभाषा नहीं है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत 1993 में पहला वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई। जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, फारसी को अल्पसंख्यक का अधिसूचित किया गया।
जैन समुदाय को 2014 में अल्पसंख्यक के रूप में अधिसूचित किया गया। भारत में भारत की कुल जनसंख्या का 14.2, ईसाई 2.3%, सिख 1.7%, बौद्ध 0.7%, जैन 0.4% तथा फारसी 0.006% हैं।
Centre for policy analysis संस्थान
बिहार के पटना में स्थित है, इसकी स्थापना 2007 में हुई। यह एक विशेषज्ञों(Think tank) का दल है जहां पर योजना, विकेंद्रीकरण, विकास से संबंधित मुद्दा, आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति जिससे मुद्दों पर शोध किया जाता है।
वैश्विक अल्पसंख्यक सूचकांक क्या है ?
विश्व के अनेकों देशों के बीच विकास, खोज, शांति, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण,समानता, भेदभाव को कम करने के लिए विभिन्न देशों के सरकारी या निजी संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर रैंकिंग(Ranking) जारी की जाती है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना कब हुई ?
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत 1993 में पहला वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई।