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माननीय विदेश मंत्री, डॉ. एस. जयशंकर और केरल के माननीय राज्यपाल, श्री आरिफ मोहम्मद खान की भव्य उपस्थिति में "कनेक्टिंग थ्रू कल्चर" (डॉ विनय सहस्रबुद्धे और डॉ सच्चिदानंद जोशी द्वारा संपादित) पुस्तक का विमोचन
President, ICCR, Dr. Vinay Sahasrabuddhe welcomed the delegation of the 6th batch of ICCR’s Gen-Next Democracy Network Programme at the Parliament House, New Delhi
Hon'ble Vice President of India, Shri Jagdeep Dhankhar released the Book ‘Majma’ Ul-Bahrain’ of Dara Shikoh, translated in Arabic by Shri Amar Hasan, and the song “Atulya Bharat - Desh Mera”, rendered by Shri Anand Karki at ICCR Auditorium. Launch of the
Inflation Rate: महंगाई से राहत, अक्टूबर में खुदरा और थोक दोनों प्रकार की महंगाई में आई कमी
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति दर में गिरावट मुख्य रूप से खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति में कमी के कारण है। उपभोक्ता खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में काफी कम होकर 7.01 प्रतिशत पर आ गई, जो सितंबर में दर्ज 8.6 प्रतिशत से कम है। सब्जियों, फलों, दालों, तेल और वसा की कीमतों में गिरावट ने खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
“सरकार ने घरेलू आपूर्ति को स्थिर रखने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए गेहूं और चावल पर व्यापार संबंधी उपाय किए हैं। इन उपायों का प्रभाव आने वाले महीनों में और अधिक महत्वपूर्ण रूप से महसूस होने की उम्मीद है”, यह बात वित्त मंत्रालय ने ट्वीट में कही।
ग्रामीण, शहरी आंकड़े होते हैं तैयार
सांख्यिकीय मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा महंगाई 6.98 प्रतिशत रही है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह 6.50 प्रतिशत रही है। इसके अलावा खाद्य वस्तुओं की महंगाई भी अक्टूबर में व घटकर 7.01 प्रतिशत रही है, जो इससे पहले सितंबर में 8.77 प्रतिशत थी।
RBI देश की अर्थव्यवस्था में कीमतों में स्थिरता रखने के लिए इस आंकड़े को देखता है। CPI में एक विशेष कमोडिटी के लिए रिटेल कीमतों को देखा जा सकता है। इन्हें ग्रामीण, शहरी और पूरे भारत के स्तर पर देखा जाता है। एक समयावधि के अंदर प्राइस इंडेक्स में बदलाव को सीपीआई आधारित महंगाई या फिर खुदरा महंगाई भी कहा जाता है।
क्या है CPI आधारित महंगाई
कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (CPI) पर आधारित महंगाई सामान और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करती है, जिन्हें परिवार अपने रोजाना इस्तेमाल के लिए खरीदते हैं। महंगाई को मापने के लिए, अनुमान लगाया जाता है कि पिछले साल की समान अवधि के दौरान सीपीआई में कितने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
थोक मुद्रास्फीति
अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर 10.7 % से घटकर 8.39 % आ गई है। 19 महीने में यह पहला मौका है जबकि थोक महंगाई दर Single Digit में रह गई है। इससे पहले मार्च 2021 में इससे कम थोक महंगाई दर 7.89 फीसदी देखी गई थी। अप्रैल, 2021 से थोक महंगाई दर लगातार 18 महीने तक double digit में यानी 10 फीसदी से अधिक रही थी।
थोक मुद्रास्फीति Wholesale Price Index (WPI) में गिरावट का कारण बताते हुए सरकार ने कहा कि गिरावट का मुख्य कारण मशीनरी और उपकरणों को छोड़कर खनिज तेल, मूल धातु, गढ़े धातु उत्पादों की कीमतों में गिरावट है; जैसे कपड़ा; अन्य गैर-धातु खनिज उत्पाद, खनिज, आदि।
WPI आधारित महंगाई का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय होता है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक उच्च रहता है, तो प्रड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन मुख्य Indices पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं।
दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग कमोडिटी को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है। वहीं, खुदरा महंगाई में फूड प्रोडक्ट(खाने -पीने के समान) की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07%, कपड़े की 6.53% और फ्यूल सहित अन्य छोटे आइटम की भी भागीदारी होती है।
महंगाई में नरमी पर अर्थशास्त्रियों ने क्या कहा?
केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक महंगाई में नरमी का मुख्य कारण उच्च बीपीएस आधार है। आगे बढ़ते हुए, आधार प्रभाव के साथ, “हम उम्मीद कर सकते हैं कि मुद्रास्फीति की संख्या धीरे-धीरे कम हो जाएगी।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि सर्दियों की शुरुआत के कारण, आने वाले महीनों में फलों और सब्जियों पर रिटेल मुद्रास्फीति का दबाव और कम होने की उम्मीद है, बशर्ते कोई मौसम का झटका न लगे।
हिमाचल के 2 शहरों की आबोहवा हुई साफ: देश में टॉप थ्री में रहे सुंदरनगर और नालागढ़ को मिला पुरस्कार, अब 5 शहर सबसे प्रदूषित
हिमाचल प्रदेश के 2 शहरों की आबोहवा साफ हो गई है। दोनों शहर सुंदरनगर और नालागढ़ देश में टॉप थ्री में शामिल हुए हैं। यह दोनों शहर पहले प्रदेश के 7 प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल थे। अब प्रदूषित शहरों की सूची में बद्दी, परमाणु, डमटाल, काला अंब और पावंटा साहिब शहर रह गए हैं।
केंद्र सरकार ने इनाम देकर किया सम्मानित
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मुख्य Indices कार्यक्रम (NCAP) के तहत सुंदरनगर और नालागढ़ शहर को राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2022 पुरस्कार से नवाजा है। इन दोनों शहरों को 25 लाख और 12.50 लाख रुपए नकद पुरस्कार दिया गया है।यह पुरस्कार ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल और केंद्रीय मंत्री पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन भूपेंद्र यादव ने दिया। भुवनेश्वर, ओडिशा में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिमाचल को पुरस्कार से नवाजा गया है। हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. मनोज चौहान ने राज्य की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया।
हिमाचल को नकद पुरस्कार से सम्मानित करते हुए केंद्रीय मंत्री पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन भूपेंद्र यादव
आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए तैयार किया गया था एक्शन प्लान
हिमाचल के 7 प्रदूषित शहरों की आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 5 साल पहले एक्शन प्लान तैयार किया था। योजना के तहत प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण की रोकथाम और कमी के लिए गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, सड़कों की धूल, बायोमास जलाने, निर्माण गतिविधियों, औद्योगिक वायु प्रदूषण आदि पर नियंत्रण रखा गया। इसका नतीजा यह रहा कि प्रदेश के 7 प्रदूषित शहरों की सूची से यह 2 शहर बाहर हो गए।5 साल में हिमाचल का वायु गुणवत्ता सूचकांक 20 तक बढ़ा
पिछले 5 सालों में हिमाचल की वायु गुणवत्ता सूचकांक में 20 अंकों का सुधार हुआ है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) भी आधार वर्ष 2017 के 61 था, जो 2021-22 में बढ़कर 81 हो गया है। PCB द्वारा प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण कानूनों को लागू करना और एयर क्वालिटी में सुधार के लिए बनाए गए एक्शन प्लान के कारण हिमाचल की आबोहवा पहले से बेहतर हुई है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन ने उम्मीद जताते हुए कहा कि राज्य के शेष रह गए प्रदूषित शहरों की आबोहवा भी जल्द स्वच्छ हो जाएगी। इसके लिए सभी विभागों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।3 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में 2 शहरों ने पाया इनाम
हिमाचल के साथ प्रदूषित शहरों की आबोहवा को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र सरकार से भी हिमाचल को समय-समय पर मदद मिलती रही है। इसके चलते राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक्शन प्लान तैयार करके उस पर काम किया। अपूर्व देवगन ने बताया कि प्लांटेशन पर काम किया गया, इसका परिणाम यह निकला कि हिमाचल के 2 प्रदूषित शहरों की आबोहवा देश के 3 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में बेहतर पाई गई।मुख्य Indices
Please Enter a Question First
एक स्क्रू गेज की पिच 0.5 मिमी .
Updated On: 27-06-2022
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Solution : (i) The mass of the empty specific gravity bottle `=m_(1)`
(ii) The mass of empty specific gravity (SG) bottle + oil `m_(2)`
(iii) The mass of empty specific gravity bottle + water =`m_(3)`
(iv) The mass of of oil `=m_(2) -m_(1)`
(v) The mass of water =`m_(3) -m_(1)`
(vii) the relative density of oil
`((m_(2) -m_(1))//v)/((m_(3)-m_(1))//v)= (m_(मुख्य Indices 2)-m_(1))/(m_(3)-m_(1))`
(viii) Relative density of the oil =0.9