तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत

पाउडर और थोक पदार्थ की हैंडलिंग के लिए इंजीनियरिंग समाधान
१९६६ मे डॉ. एंड्रयू जेिनकी द्वारा स्थापित होने के बाद, जेिनकी एंड़ जोहॅनसन, पाउडर और थोक पदार्थ (बल्क सॉलिडस्) के प्रवाह (फ्लो), संसाधन (प्रोसेिसन्ग) और भंडारण (स्टोरेज) में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए दुनिया में अग्रणी माने जाते हैं ।
हमारी तकनीकी सेवाओं में शामिल हैं:
जेिनकी एंड़ जोहॅनसन की प्रयोगशाला, पाउडर और थोक पदार्थ के प्रवाह विश्लेषण की, दुनिया में सबसे बडी और सक्षम प्रयोगशाला है । प्रस्तावित उपकरण के मॉडल का निर्माण और परीक्षण करने के लिए भी हमारे पास एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्रोटोटाइप-प्रयोगशाला है । हम उपकरणों में, प्रवाह नमूनों (फ्लो पैटर्न) की जाँच कर सकते हैं, संकल्पनात्मक डिजाइन की पुष्टि कर सकते हैं, उपकरणों की व्यवहार्यता का प्रदर्शन (डेमॉनस्ट्रेशन) कर सकते हैं और उच्च मूल्य परियोजनाएं सफल रहे हैं यह सुनिश्चित करने के लिए मॉडल की जाँच भी कर सकते हैं ।
हमारे इंजीनियर विस्तृत संरचनात्मक और यांत्रिक डिजाइन भी प्रदान कर सकते हैं । वे नियमित तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत रूप से सायलो, फीडर, लदान और हस्तांतरण ढलान (शूट), ब्लेंडर और कस्टम उपकरणों का डिजाइन करते हैं । (उदाहरण के लिए पर्ज वेसल, बड़े स्लाइड गेट, आदि)
एक छोटे से आइटम से लेकर पूर्ण सिस्टम तक, जेिनकी एंड़ जोहॅनसन कस्टम उपकरणों का निर्माण और आपूर्ति करने में समर्थ हैं । इस प्रकार वह एकल स्रोत जिम्मेदारी के साथ एक पूर्ण समाधान प्रदान करते हैं ।
हमेंक्योंचुनें
हालांकि अधिकतर पाउडर और थोक पदार्थ (बल्क सॉलिडस्) के संसाधन कारखानों में, थोक पदार्थ के प्रहस्तन (हैंडलिंग) उपकरणों की तुलना में, प्रक्रिया डिज़ाइन और नियंत्रण पर अधिक ध्यान दिया जाता है, बहुत से कारखानों में, खासकर स्टार्टअप के दौरान, महंगे डाउनटाइम का प्रमुख कारण अक्सर थोक पदार्थ के हैंडलिंग की समस्याए ही होती है । यह एक छह साल के अध्ययन में प्रलेखित किया गया है, जो की १९८० के दशक में रॅन्ड कार्पोरेशन द्वारा किया गया था । इस रिपोर्ट में अमेरिका और कॅनडा के ४० थोक पदार्थ के संसाधन कारखानों का अध्ययन किया गया था । इस अध्ययन के निष्कर्ष दिखाते है की इनमे से ८०% कारखाने थोक पदार्थ के हैंडलिंग की समस्याओ का अनुभव कर रहे थे । इसके अतिरिक्त, इस अध्ययन में पाया गया कि इन कारखानोने स्टार्टअप में अधिक समय लिया । कुछ कारखानों को शुरू होने में १८ महिने लग गये । एक बार स्टार्टअप होने के बाद भी खराब प्रदर्शन की वज़ह से इन कारखानों में क्षमता के केवल ४० से ५०% उत्पादन हुवा । कारखानों के स्टार्टअप समय और थोक पदार्थ के हैंडलिंग की समस्याओ के बीच का स्पष्ट संबंध इसी लेखक ने सन २००० मे एक नवीनीकृत लेख में दोहराया है ।
सौभाग्य से, जेिनकी एंड़ जोहॅनसन ने थोक पदार्थ के नियमित और विश्वसनीय हैंडलिंग के साबित तरीके विकसित किये है ।
थोकपदार्थ: विज्ञान
आपके पदार्थो की विश्वसनीय हैंडलिंग सुनिश्चित करने के लिए उनकी विशेषताओं का निर्धारण जरूरी है । हम केवल पदार्थ के प्रवाह की विशेषताओं का अनुमान नही लगाते, बल्की हम उनका विश्वसनीय तरीको से परीक्षण करते है । जेिनकी एंड़ जोहॅनसन ने दुसरी किसी तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत भी कन्पनी से जादा पदार्थो की हैंडलिंग विशेषताओं का परीक्षण किया है । ( यह परीक्षण तकनीक डॉ. जेिनकी ने ही विकसित की थी ) थोक पदार्थ के प्रवाह के विश्लेषण के सिद्धांत का विकास भी हमने जारी रखा है । हमारे शोध थोक पदार्थ के वास्तविक हैंडलिंग की समस्याए सुलझाने पे केंद्रित है ।
थोकपदार्थ: इंजीनियरिंग
यहाँ पर हमारे इंजीनियरों का अनुभव और कुशलता प्रदर्शित होती है । जेिनकी एंड़ जोहॅनसन हमेशा परीक्षण और अनुभव का गठबंधन करते है जिससे की विश्वसनीयता, प्रभावशीलता, और व्यावहारिकता के दृष्टिकोण से सर्वश्रेष्ठ समाधान का प्रदान किया जा सके ।
शायद आपकी हैंडलिंग समस्याए आपके समग्र प्रणाली का केवल एक छोटा सा हिस्सा प्रतीत होती हैं, लेकिन अगर उनकी वज़ह से आपकी समग्र प्रणाली बन्द पड जाती है तो क्या वह सचमुच छोटी हैं ? क्या आप समय की बरबादी सह सकते है?
थोकपदार्थ: डिजाइन
हर थोक पदार्थ और आपकी हैंडलिंग जरूरते अद्वितीय है । पदार्थ परीक्षण और इंजीनियरिंग के साथसाथ हम कस्टम उपकरणों के संरचनात्मक डिजाइन भी करते है । इससे यह सुनिश्चित होता है कि हमारी सिफारिशे ठीक से लागू हो रही है और कोई भी ऊपरी तौर पर मामुली दिखायी देनेवाली लेकिन महत्वपूर्ण चीज अनदेखी न रहे जाये ।
यह पदार्थ के प्रवाह की व्यापकता पर ध्यान, थोक पदार्थ के हैंडलिंग उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण है । इस कारण से, जेिनकी एंड़ जोहॅनसन ने कस्टम उपकरणों के निर्माण में भी विशेषज्ञता विकसित की है ।
परीक्षण से लेकर इंजीनियरिंग तक और विस्तृत डिजाइन से लेकर उपकरणों की आपूर्ति तक, हमारे काम का हर कदम आगे के कदम की ओर बढ़ता है । हमारा यह मौलिक दृष्टिकोण और विशेषज्ञता का साथ अद्वितीय है और अन्य किसी भी कंपनी से अतुलनीय है ।
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प्रतिभूति बाजार के तकनीकी विश्लेषण: कुछ माप तकनीक
यह प्रक्रिया, प्रतिभूति बाजार के तकनीकी विश्लेषण के रूप में, सबसे सरल अर्थ में, स्थिति और शेयर बाजार की गतिशीलता की प्रवृत्तियों के एक अध्ययन है। इस अध्ययन के सैद्धांतिक और methodological आधार बाहरी बाजार गड़बड़ी के सिद्धांत की मान्यता है। इस सिद्धांत के अनुसार, इस तरह के गड़बड़ी की वजह से, व्यापार की मात्रा और प्रदर्शन, क्रमशः, कीमत स्तर के संकेतक में बदल जाता है। यही कारण है कि प्रतिभूति बाजार के तकनीकी विश्लेषण बाहरी प्रकृति के कारकों के अध्ययन अनदेखी, और सबसे बड़ा ध्यान बाजार के संकेतक की गतिशीलता का भुगतान करने की संभावना का तात्पर्य है। इस मामले में, आदेश अध्ययन के बोझिल प्रक्रियाओं से बचने के लिए, यह उन स्रोतों कि एक रणनीतिक का उपयोग के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए बाजार के विश्लेषण, और जो तकनीकी के विश्लेषण में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सामरिक, जैसे, वार्षिक रिपोर्ट, आंतरिक मीडिया कंपनियों, मीडिया प्रकाशन, साक्षात्कार विशेषज्ञों, प्रदर्शनियों, बेंचमार्किंग साक्षात्कार, विभिन्न स्वतंत्र सूत्रों, व्यापार नीति विश्लेषण और दूसरों से डेटाबेस के साथ प्रयोग करना चाहता है।
एक अन्य विशेषता यह है, जो प्रतिभूति बाजार के तकनीकी विश्लेषण शामिल है, कि बाजार समय-समय पर पहले वाली स्थिति मापदंडों दोहराया जा सकता है है, और इस पर इन राज्यों की गतिशीलता की एक तुलना के आधार अपने विकास, जो आर्थिक पूर्वानुमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है के कुछ प्रवृत्तियों की पहचान के लिए संभव बनाता है इसके भविष्य के समय में राज्य।
बाजार की स्थितियों की आपूर्ति और मांग - हमेशा दो इसकी हालत का सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों की बातचीत के द्वारा परिभाषित कर रहे हैं। समय, आकार, पुनरावृत्ति, जोखिम गहराई, आदि: यही कारण है कि तकनीकी विश्लेषण ठीक एक नोनेक़ुइलिब्रिउम राज्य के मापदंडों को परिभाषित करने का इरादा है है एक नियम के रूप में सामरिक विश्लेषण के विपरीत, बाजार की गतिशीलता का अल्पकालिक रुझानों के बारे में सवालों का जवाब देने के लिए तकनीकी।
एक तकनीकी विश्लेषण और कीमत प्रवृत्ति रेखांकन की तुलना की तैयारी की बुनियादी विधि। वे समय और कीमत संकेतक दर्ज की गई। शोधकर्ता स्वीकार्य परिवर्तन (चरण गतिशीलता) है, जो ध्यान में रखा जाना चाहिए, और फिर कंपनी या कंपनियों, या जिनकी मूल्यों की उपेक्षा की जा सकती है की गतिविधि को समायोजित की राशि निर्धारित करता है।
आमतौर पर इन रेखांकन अनुमेय सीमा मूल्यों पहचाने जाते हैं।
प्रतिरोध लाइन, मूल्य, जिस पर परिसंपत्ति मूल्य में वृद्धि नहीं करनी चाहिए। तकनीकी विश्लेषण में यह माना जाता है कि अगर परिसंपत्ति मूल्य प्रतिरोध लाइन के मूल्य से परे चला जाता है, तो यह उसकी खरीदारी के लिए एक संकेत है।
समर्थन लाइन एक संकेत है, जो इंगित करता है कि परिसंपत्ति की कीमत और कम हो नहीं किया जाना चाहिए है। इस मामले में, प्रतिभूति बाजार "संकेत" शेयरों की बिक्री के लिए की जरूरत के बारे में तकनीकी विश्लेषण।
इसके अलावा आम पद्धति, जो व्यापक रूप से तकनीकी विश्लेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है किया जाता है, यह कीमत प्रवृत्ति है, जो "सिर और कंधे" के नाम प्राप्त मापने के लिए एक विधि है। यह नाम बाहर से आया प्रपत्र चार्ट की जब मूल्यों को प्रदर्शित प्राप्त की। - सिर और कंधे एक उच्च (अधिक से अधिक मूल्य से) और दो (उच्च के दोनों किनारों पर), छोटे मूल्यों: यह तीन शिखर सूचक होता है। जो प्रवृत्ति या उसके संरक्षण को बदलने के लिए की आवश्यकता का संकेत "कंधे" चोटियों और आयोजित संकेत लाइन प्रतिरोध के निचले मूल्यों, के लिए। इस विधि, इस तरह के उत्पादों की एक बाजार विश्लेषण का संचालन करने की जरूरत के रूप में है, क्योंकि यह की त्वरित और निष्पक्ष रूप से सही प्रतिनिधित्व देता है बहुत ही सामान्य और प्रभावी है उपभोक्ता के व्यवहार बाजार।
ग्राफ़ और चार्ट है कि बाजार के व्यवहार को प्रतिबिंबित के अध्ययन के अलावा, अपने अध्ययन की पद्धति ऐसी व्यापार के विकास, संपत्ति को शामिल लेनदेन की संख्या के निर्धारण के रूप में विश्लेषण और संकेतक प्रदान करता है।
वहाँ भी विपरीत अवधारणा है, जो मानता है कि निवेशक तकनीकी विश्लेषण डेटा के विपरीत कार्य करना चाहिए, वह है, सामान्य वर्तमान बाजार की स्थितियों और यहां तक कि अपने रुझानों के विपरीत कदम उठाने के लिए है।
विषय-वस्तु या विषय-सामग्री – स्वरूप, विश्लेषण एवं सिद्धांत
पाठ्य-वस्तु विश्लेषण में प्रमुखतः दो शब्द हैं- पाठ्य-वस्तु एवं विश्लेषण। यहाँ पाठ्य-वस्तु से अभिप्राय उस पठनीय सामग्री से है, जो लिखित रूप में हमारे सामने है तथा कक्षा में जिसका शिक्षण करना है। यह लिखित इकाई एक सम्पूर्ण पाठ के रूप में हो सकती है, इकाई गद्य के रूप में भी हो सकती है अथवा अन्य किसी भी विषय के रूप में भी हो सकती है।
विश्लेषण का शाब्दिक अर्थ है कि किसी पदार्थ के संयोग को पृथक् करना। इस आधार पर यहाँ विश्लेषण का आशय किसी दिये हुए पाठ या निहित भाषा, भाव, विचार आदि को इस प्रकार स्पष्ट था विश्लेषित करना है कि वह छात्रों के लिये सहज बोधगम्य बन जाय।
अतः पाठ्य-वस्तु विश्लेषण का आशय शिक्षण हेतु चयनित किसी इकाई में निहित भाषा तत्त्वों के विश्लेषण के साथ-साथ उस इकाई में छिपे भावों, विचारों, मार्मिक स्थलों, अन्तर्कथाओं आदि को भी उजागर करना है।
वस्तुत: पाठ्य-वस्तु विश्लेषण वह तकनीकी है, जो शिक्षक को पाठ की पूर्व तैयारी में सहायक होती ही है। शिक्षक इसकी सहायता से दी हुई पाठ्य-वस्तु को कक्षा में इस भाँति विश्लेषित करता है कि छात्रों को उस इकाई का अधिकतम भाषा-तात्विक ज्ञान होने के साथ-साथ उसमें निहित भावों, विचारों, मार्मिक स्थलों आदि की सम्यक् जानकारी हो जाती है।
शिक्षण को प्रभावी बनाने में पाठ्य-वस्तु विश्लेषण बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है । इसकी सहायता से शिक्षक यह जान लेता है कि उसे कक्षा में पढ़ाये जाने वाले पाठ में से कौन-कौन से शब्दों या शब्द समूहों को भाषा तात्विक ज्ञान के लिए चुनना है।
भाषा तत्त्वों में शब्द का शुद्ध उच्चारण, लेखन, अर्थबोध, प्रतीक बोध, कहावत, मुहावरे, भाषा रूप आदि का ज्ञान किस तकनीक से कराया जा सकता है। इसके लिए अधिगम सामग्री क्या रखी जाय कि यह अधिक स्पष्ट और स्थायी हो जाय।
इसी प्रकार प्रस्तुत पाठ में निहित वैचारिक सामग्री क्या है ? उसे छात्रों तक किस प्रकार पहुँचाया जा सकता है ? उसे स्पष्ट करने के लिए क्या तकनीक अपनायी जाय। इस सम्पूर्ण जानकारी से शिक्षण तो प्रभावी बनता ही है, शिक्षक में भी आत्मविश्वास पैदा होता है।
देनन्दिनी-लेखन में भी पाठ्य-वस्तु विश्लेषण अत्यधिक उपयोगी है।
विषय-वस्तु का विश्लेषण (Analysis of Contents)
शिक्षकों को कक्षा में जाने से पूर्व पाठ की तैयारी करनी पड़ती है,उसे पहले से ही यह निश्चित करना होता है कि अगले दिन पढ़ायी जाने वाली पाठ की इकाई में कौन-कौन से तत्त्वों का ज्ञान बालकों को कराना है और क्यों ? उसमें आयी हुई वैचारिक सामग्री कौन-सी है, जिसकी जानकारी छात्रों को कराना आवश्यक है।
उसे यह भी पहले से ही निश्चित करना होता है कि इकाई में निहित भाषायी और वैचारिक तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत ज्ञान किस तकनीक से दिया जाय कि छात्र उसे सहज ही आत्मसात् कर सकें। यह चिन्तन ही पाट्य-वस्तु विश्लेषण का आधार है। उसका स्वरूप भी इसी आधार को लिए हुए होता है। पाठ्य-वस्तु विश्लेषण को पाठ विश्लेषण या विषय-वस्तु विश्लेषण भी कहा जाता है।
पाठ्य-वस्तु विश्लेषण को और अधिक समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम उसके स्वरूप एवं उसके अवयवों पर भी दृष्टिपात करें। शिक्षण हेतु निर्धारित पाठ के शिक्षण से पूर्व शिक्षक को यह देखना चाहिये कि उस पाठ में से शिक्षण हेतु क्या चुना गया ? और क्यों ?
‘क्या’ की जानकारी के लिए शिक्षक प्रस्तुत पाठ इकाई में निहित भाषा तत्त्वों को उजागर करने के लिए उसमें आये शब्दों, शब्द समूहों, वाक्यांशों, कहावत, मुहावरों आदि का चयन करता है। यह चयनित सामग्री शिक्षण सामग्री कहलाती है। इसे शिक्षण सामग्री के नाम से भी अभिहित किया जाता है, क्योंकि शिक्षण में इनको ही उभारा जाता है तथा इनका ही शिक्षण विशेष रूप से किया जाता है।
शिक्षण सामग्री के रूप में भाषायी तत्त्वों के अतिरिक्त उस इकाई में निहित भावों, विचारों, मार्मिक स्थलों, अन्तर्कथाओं आदि से सम्बन्धित स्थलों, पंक्तियों या शब्दावलियों को भी चयनित किया जाता है।
शिक्षण सामग्री के चयन के समय यह बात भी ध्यान में रखी जाती है कि उसका चयन क्यों किया जा रहा है ? उस सामग्री के द्वारा छात्रों को क्या दिया जा सकेगा? क्या वह उसके त्रुटिपूर्ण उच्चारण को शुद्ध करेगी या उसके त्रुटिपूर्ण वर्तनी लेखन को सुधारेगी। वह सामग्री अर्थबोध कराने के लिए चुनी गयी है या प्रतीकार्य स्पष्ट तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत करने के लिए उसका चयन हुआ है। उसे आशय स्पष्ट करने के लिए शिक्षण सामग्री बनाया गया है या भाव बोध कराने के लिए चयनित किया गया है। उससे कोई विचार स्पष्ट हो सकेगा या कोई अन्तर्कथा सामने आ सकेगी।
इस प्रकार का चिन्तन और उल्लेख शिक्षण बिन्दु कहलाता है। शिक्षण सामग्री के चयन के समय देखना आवश्यक होता है कि उसका शिक्षण बिन्दु क्या बनेगा? अर्थात् उसका चयन क्यों किया गया है ?
शिक्षण सामग्री चुनते समय यह भी निश्चित कर लिया जाता है कि वह सामग्री भाषा तत्त्वों का ज्ञान करायेगी या वैचारिक-धरातल को विस्तार देगी।
लेखन, उच्चारण, अर्थबोध, कहावत, मुहावरे आदि भाषायी सामग्री कहलाती है, जबकि भावों और विचारों की जानकारी, मार्मिक स्थलों का स्पष्टीकरण, अन्तर्कथाओं आदि वैचारिक सामग्री के रूप में मानी जाती हैं।
शिक्षक को यह भी देखना पड़ता है कि उसने जिस शिक्षण सामग्री का चयन जिस शिक्षण बिन्दु को दृष्टिगत रखकर किया है उसे स्पष्ट करने या छात्र तक सम्प्रेषित करने में किस तकनीक को अपनाया जाय।
तकनीक के निर्धारण के साथ-साथ इस बात का भी स्मरण रखना पड़ता है कि छात्रों तक पहुँचाया गया ज्ञान और अधिक प्रभावी एवं स्थिर कैसे बनाया जा सकता है ? एतदर्थ अधिगम सामग्री का प्रस्तुतीकरण भी किया जाता है।
इसलिए पाठ्य-वस्तु विश्लेषण के पाँच अवयव हुए-शिक्षण सामग्री, शिक्षण बिन्दु, पक्ष, तकनीक एवं अधिगम सामग्री। किसी भी पाठ का विश्लेषण इन्हीं पाँच स्तम्भों में किया जाता है।
विषय-वस्तु विश्लेषण के सिद्धान्त (Principles of Contents Matter Analysis)
विषय-वस्तु का निर्माण करते समय सामान्यतया शिक्षक, शिक्षार्थी से सम्बन्धित मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखना आवश्यक है। इन्हीं बिन्दुओं से सम्बन्धित कतिपय सिद्धान्तों का विवरण इस प्रकार से है (विस्तार से पढ़ें – विषय-वस्तु विश्लेषण के सिद्धान्त)–
- पर्यावरण केन्द्रीयता का सिद्धान्त (Principle of environment centredness)
- समाज केन्द्रीयता का सिद्धान्त (Principle of society centredness)
- उद्देश्य एवं लक्ष्य केन्द्रीयता का सिद्धान्त (Principle of aims and objectives centredness)
- उपयोगिता का सिद्धान्त (Principle of utility)
- क्रियाशीलता का सिद्धान्त (Principle of activity)
- लचीलेपन का सिद्धान्त (Principle of flexibility)
- अध्यापक से परामर्श का सिद्धान्त (Principle of consideration with the teacher)
- बाल-केन्द्रीयता का सिद्धान्त (Principle of child-centredness)
उपर्युक्त वर्णित विषय-वस्तु निर्माण के सिद्धान्तों को ही विविध विद्वानों द्वारा अपनी-अपनी भाषा में वर्णित किया गया है। ? विस्तार से पढ़ें – विषय-वस्तु विश्लेषण के सिद्धान्त।
विषय-वस्तु के शिक्षण बिन्दुओं का निर्धारण (Determination of Educational Points about Content)
किसी पाठ या शिक्षण इकाई का पाठ्य-वस्तु विश्लेषण करने के लिए सर्वप्रथम शिक्षण सामग्री का चयन करना पड़ता है। शिक्षण सामग्री का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि हमने उसे शिक्षण सामग्री क्यों बनाया है ? अर्थात् हम उसके द्वारा छात्रों को किस प्रकार का ज्ञान देना चाहते हैं? विस्तार से पढ़ें – विषय-वस्तु के शिक्षण बिन्दुओं का निर्धारण।
थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण (टीजीए) टेस्ट
थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण (टीजीए) तकनीक में, एक परीक्षण नमूने को नियंत्रित वातावरण में एक नियंत्रित तापमान कार्यक्रम के अधीन किया जाता है और पदार्थ के द्रव्यमान को तापमान या समय के कार्य के रूप में मॉनिटर किया जाता है। दूसरे शब्दों में, थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण तकनीक एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी पदार्थ का वजन बढ़ने या घटने पर कम हो जाता है। इस विधि में, नमूने का वजन मापा जाता है जबकि एक सामग्री को गरम किया जाता है या ओवन में ठंडा किया जाता है।
थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषक एक सटीक पैमाने द्वारा समर्थित एक नमूना पैन के होते हैं। इस पैन को एक ओवन में रखा जाता है और प्रयोग के दौरान गर्म या ठंडा किया जाता है। इस बीच, नमूना के द्रव्यमान की निगरानी की तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत जाती है। नमूना सफाई गैस नमूना पर्यावरण को नियंत्रित करता है। यह गैस अक्रिय या प्रतिक्रियाशील गैस हो सकती है जो नमूने के माध्यम से बहती है या निकास से बाहर निकलती है। थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषक बहुत सटीक और दोहराए जाने तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत वाले माप प्राप्त करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करता है।
ये उपकरण पानी की कमी, सॉल्वेंट लॉस, प्लास्टिसाइज़र लॉस, डकारबॉक्साइलेशन (एक अमीनो एसिड से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने), पायरोलिसिस (ऑक्सीजन मुक्त वातावरण में जलना), ऑक्सीकरण, अपघटन, भराव का प्रतिशत, धातु उत्प्रेरक तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत उत्प्रेरक अवशेषों की मात्रा को माप सकते हैं कार्बन नैनोट्यूब पर शेष, और वजन से राख का प्रतिशत। ये सभी मापन योग्य अनुप्रयोग आमतौर पर गर्म करने पर किए जाते हैं, लेकिन कुछ परीक्षण ऐसे होते हैं, जहाँ पर ठंडा होने के बाद जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
जैसा कि देखा जा सकता है, थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण (टीजीए) तकनीक एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिसका उपयोग किसी सामग्री के थर्मल स्थिरता और वाष्पशील घटकों के अंश को वजन परिवर्तन की निगरानी के लिए किया जाता है जो तब होता है जब नमूना एक स्थिर दर पर गर्म होता है।
थर्मोक्रोमेट्रिक विश्लेषण विधि एक बहुत ही उपयोगी उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो कि पूर्व-निर्धारित ताप दर और तापमान स्थितियों के तहत ताप के अधीन होने पर नैनोमैटिरियल्स और बहुलक कंपोजिट से जुड़ी थर्मल घटनाओं को समझने के लिए है।
थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण तकनीक एक थर्मल विश्लेषण है जो नियंत्रित पर्यावरण भट्टी पर समय या तापमान के खिलाफ नमूना द्रव्यमान की निगरानी करता है। उपकरण में एक ओवन, सूक्ष्म संतुलन, तापमान नियंत्रक और एक डाटा अधिग्रहण प्रणाली होती है। द्रव्यमान का नमूना एक सूक्ष्म असंतुलन पर मापा जाता है, जबकि इसे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार भट्टी में गर्म या ठंडा किया जाता है।
यह तकनीक कम लागत वाली तकनीक है, एक छोटा सा नमूना पर्याप्त है और मात्रात्मक या गुणात्मक विश्लेषण की अनुमति देता है। हालांकि, यह तकनीक एक विनाशकारी विश्लेषण है और नमूना में अस्थिर घटकों की उपस्थिति के कारण विश्लेषण हमेशा सटीक नहीं हो सकता है।
थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण तकनीक (टीजीए) का उपयोग बायोपॉलिमर फिल्मों में थर्मल स्थिरता, ऑक्सीडेटिव स्थिरता, रासायनिक संरचना और पानी की सामग्री को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक का उपयोग एक उपयोगी उपकरण के रूप में किया जाता है, जो कि बायोपरमर फिल्मों या झिल्लियों में नैनोकणों और सक्रिय यौगिकों के समावेश को सत्यापित करने के लिए थर्मल क्षरण की चोटियों में वृद्धि या कमी की निगरानी करता है या सबसे तेज़ या विलंबित थर्मल गिरावट का मूल्यांकन करके।
संक्षेप में, थर्मोग्रैवमेट्री तापमान और तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत समय के संयोजन के अनुसार सामग्री के वजन को निर्धारित करने की प्रक्रिया है। इस विधि का उपयोग अक्सर हीटिंग वातावरण के तहत किसी पदार्थ के थर्मल गुणों की जांच करने के लिए किया जाता है। ओवन का तापमान 2000 डिग्री तक बढ़ जाता है और 1 ग्राम तक नमूना वजन का विश्लेषण कर सकता है। डिवाइस के ओवन को एक रेडिएंट हीटिंग चैंबर के रूप में डिज़ाइन किया गया है। इस पर एक तापमान नियंत्रक, सटीक संतुलन, गैस आपूर्ति प्रणाली और डेटा विश्लेषक है। परीक्षण नमूने या पाउडर के लगभग 7-8 मिलीग्राम को सटीक संतुलन पर रखा जाता है और टोकरी के नीचे एक उपकरण के साथ तापमान लगातार दर्ज किया जाता है। आम तौर पर, इन विश्लेषणों में दो प्रकार के ग्राफ प्राप्त किए जाते हैं:
- तापमान के खिलाफ नमूना वजन का एक भूखंड (थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण वक्र)
- तापमान में वृद्धि के कारण जन हानि दर
इन वक्रों का उपयोग प्रतिक्रिया के कैनेटीक्स जैसे अन्य मापदंडों को प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।
इन परीक्षणों के आधार पर मुख्य मानक हैं:
- ASTM E1131 मानक परीक्षण और सामग्रियों के लिए अमेरिकन सोसायटी द्वारा विकसित (ASTM E1131-08 थर्मोग्रैमेट्री द्वारा रचना विश्लेषण के लिए मानक परीक्षण विधि
- यूएसओ 11358-1 अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन (आईएसओ) द्वारा विकसित मानक और हमारे देश में तुर्की मानक संस्थान (टीएसई) द्वारा प्रकाशित (टीएस एन आईएसओ 11358-1 प्लास्टिक - पॉलिमर के थर्मोग्रैमेट्री (टीजी) - भाग 1 - सामान्य सिद्धांत)
आम तौर पर विश्लेषण की गई सामग्रियों में पॉलिमर, कार्बनिक पदार्थ, चिपकने वाले, भोजन, कोटिंग्स, पर्चे वाली दवाएं, रबर, कंपोजिट, टुकड़े टुकड़े, पेट्रोलियम, रसायन, विस्फोटक प्लास्टिक और जैविक नमूने शामिल हैं।
हमारा संगठन थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण (टीजीए) परीक्षण सेवाएं प्रदान करता है, जो कि एक परीक्षण और विशेषज्ञ कर्मचारियों और उन्नत तकनीकी उपकरणों के साथ कई परीक्षण, माप, विश्लेषण और मूल्यांकन अध्ययनों के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के ढांचे के भीतर उद्यमों की मांग करता है।
सिद्धांत और सिद्धांत
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय माप, विश्लेषण, परीक्षण, निरीक्षण और मूल्यांकन सेवाएं, आईएसओ 17020 मानक और लागू करने के लिए आईएसओ 17020 प्रमाणीकरण, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वियों से एक कदम आगे ले जाएं। विभिन्न प्रकार के निरीक्षण संगठनों के संचालन के लिए टीएस एन आईएसओ / आईईसी एक्सएनयूएमएक्स जनरल मानदंड के पूर्ण नाम के तहत, इस मानक के अनुसार मानक संचालन के सिद्धांत और उपयुक्त दस्तावेज और प्रथाओं का प्रदर्शन सभी परीक्षण और निरीक्षण संगठनों पर लागू किया जा सकता है।
मानक में सोलह आइटम होते हैं और माप, विश्लेषण, परीक्षण, निरीक्षण और मूल्यांकन सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों के कार्य सिद्धांतों को निर्धारित करते हैं। इनमें से कुछ पदार्थों को काफी हद तक नैतिक सिद्धांत माना जा सकता है।
हमारी कंपनी T inRCERT आईएसओ 17020 मानक के सिद्धांतों के अनुसार अपनी गतिविधियों को अंजाम देती है और ISO 17020 प्रमाणपत्र रखती है। यह मानक परीक्षण और निरीक्षण संगठनों और मान्यता प्राप्त निकायों द्वारा उपयोग के लिए अभिप्रेत है।
हमारी कंपनी, T withoutRCERT इस संदर्भ में, बिना किसी हित के और बिना किसी दबाव के, वैज्ञानिक मूल्यांकन के आलोक में, सभी संगठनों के लिए समान शर्तों के तहत, उद्यमों के आकार, स्थिति, राजनीतिक दृष्टिकोण और सामाजिक स्थिति पर विचार किए बिना काम करती है।
स्वतंत्र, निष्पक्ष और ईमानदार होना
हमारी कंपनी जिन नैतिक सिद्धांतों को स्वीकार करती है और उन्हें महत्व देती है, उनमें से एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और ईमानदार होना है। मानक के चौथे लेख का शीर्षक स्वतंत्रता, निष्पक्षता और ईमानदारी है।
स्वतंत्र होने का मतलब किसी भी संगठन के प्रभाव में नहीं होना, किसी भी संगठन से सुझाव, राय या निर्देश प्राप्त करना, परिस्थितियों की आवश्यकता के अनुसार, और किसी भी संगठन को लाभ पहुंचाने वाले तरीके से कार्य नहीं करना। स्वतंत्रता का सिद्धांत नियमों और बाजार की आवश्यकताओं के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए, इस अनुलग्नक में, निरीक्षण निकायों के प्रकारों के अनुसार स्वतंत्रता मानदंड अलग से कहा गया है।
एक प्रकार का परीक्षण और निरीक्षण संगठन और निरीक्षण को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार कर्मचारी, सामग्री, माप, विश्लेषण, परीक्षण, निरीक्षण और मूल्यांकन अध्ययनों के लिए डिजाइनर, निर्माता, इंस्टॉलर, आपूर्तिकर्ता, खरीदार, मालिक या रखरखाव नहीं होंगे। वे इन दलों के अधिकृत प्रतिनिधि भी नहीं हो सकते हैं। इसी समय, वे ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते हैं जो उनके काम के दौरान उनके निर्णयों और सटीकता की स्वतंत्रता के विपरीत हो। इन दलों के पास परीक्षण और निरीक्षण संगठन की सेवाओं तक पहुंच हो सकती है। इसके लिए कोई अनावश्यक वित्तीय और अन्य शर्तें नहीं हैं। हमारा संगठन बिना भेदभाव के सभी पक्षों पर समान प्रक्रिया लागू करता है।
विशेष रूप से, यहां वर्णित स्वतंत्रता मानदंड सामग्री के डिजाइन, निर्माण, संयोजन, आपूर्ति और उपयोग से सीधे संबंधित नहीं होना चाहिए, जिसके लिए माप, विश्लेषण, परीक्षण, निरीक्षण और मूल्यांकन अध्ययन किए जाते हैं, या सीधे प्रतिस्पर्धी सामग्रियों के लिए।
महत्व गोपनीयता दें
हमारी कंपनी TURCERT ने जिन नैतिक सिद्धांतों पर जोर दिया है उनमें से दूसरा यह है कि गोपनीयता को महत्व दिया जाए। मानक के पांचवें लेख में गोपनीयता का शीर्षक है। इस लेख के अनुसार, परीक्षण और निरीक्षण संस्थानों को यह आश्वासन देना चाहिए कि उनके काम के दौरान प्राप्त जानकारी और दस्तावेजों को गोपनीय रखा जाएगा। संगठनों के कॉपीराइट और पेटेंट अधिकार सुरक्षित हैं।
इस नैतिक सिद्धांत के अनुसार, हमारी कंपनी T withRCERT संगठनात्मक ढांचे के भीतर अपनी समितियों, लेखा परीक्षा और निरीक्षण टीमों, निर्णय निकायों और कर्मचारियों द्वारा माप, विश्लेषण, परीक्षण, निरीक्षण और मूल्यांकन कार्यों के हर चरण में प्राप्त जानकारी और दस्तावेजों की गोपनीयता और सावधानीपूर्वक सुरक्षा से समझौता नहीं करती है। हमारे सिद्धांत और सिद्धांत उपरोक्त कथन में हैं, हमारे साथ बने रहने के लिए धन्यवाद।
गुणवत्ता और विश्वसनीय सेवा प्रदान करना
हमारी कंपनी TÜRCERT के लिए एक और नैतिक सिद्धांत तेज, उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय सेवा प्रदान करना है। हमारी कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधन ने इस संबंध में गुणवत्ता नीति, उद्देश्यों और प्रतिबद्धताओं का निर्धारण किया है और उन्हें लिखा है। यह भी सुनिश्चित किया कि इन सिद्धांतों को सभी स्तरों पर सभी कर्मचारियों द्वारा जाना और कार्यान्वित किया गया था। एक गुणवत्ता पुस्तिका जिसमें ISO 17020 मानक के लिए अनुलग्नक में वर्णित जानकारी तैयार की गई है। गुणवत्ता आश्वासन के संबंध में अधिकारियों और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया गया है।