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सहसंबंध क्या है?

सहसंबंध क्या है?
गिलफोर्ड के अनुसार - “सह-सम्बन्ध गुणांक वह अकेली संख्या है जो यह सहसंबंध क्या है? बताती है कि दो वस्तुएँ किस सीमा तक एक दूसरे से सह-सम्बन्धित है तथा एक के परिवर्तन दूसरे के परिवर्तनों को किस सीमा तक प्रभावित करते है।”

सहसंबंध का अर्थ

सह-संबंध और उसके प्रकार (Correlation and its kinds)

Question : What is meant by correlation? Explain its various kinds.

Answer :

Meaning of correlation: Correlation is a statistical tool which studies the relationship between two variables e.g. change in price leads to change in quantity demanded. Correlation studies and measures the direction and intensity of relationship among variables. It measures co-variation not causation. It does not imply cause and effect relation.

Type of Correlation :

Correlation is classified into positive and negative correlation.

A) Positive correlation : The correlation is said to be positive when the variables move together in the same direction. e.g. sale of lce cream and temperature move in same direction.

सह संबंध का अर्थ, परिभाषा, महत्व, प्रकार

व्‍यावहारिक जीवन में अनेक घटनायें परस्‍पर संबंधित होकर परिवर्तित होती रहती है, अतः हम कभी-कभी यह जानना चाहते हैं कि दो पदमालाओं में कुछ संबंध है या नहीं, और यदि है तो किन अंशों तक। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि एक चल के मूल्‍य में परिवर्तन होने से दूसरे चल के मूल्‍य में भी परिवर्तन होता हो तो कहा जा सकेगा कि दोनों में सह-संबंध है। उदाहरणस्‍वरूप अगर घासलेट के भावों में वृद्धि होने से पेट्रोल के भावों में वृद्धि हो जाये तो कार्यकारण संबंध होने से दोनों सह-संबंधित कहलाऍगे। इस प्रकार दो श्रेणियों में साथ-साथ परिवर्तन संबंध होने की प्रवृत्ति को ही सहसंबंध कहा जाता है।

कॉनर के अनुसार, ‘‘जब दो या अधिक परिणाम सहानुभूति में परिवर्तित होते है। ताकि एक के परिवर्तन के फलस्‍वरूप दूसरे में भी परिवर्तन होता है तो वे सह-संबंधित कहलाते है।"

सह सम्‍बन्‍ध का महत्त्व (sah sambandh ka mahtva)

सांख्यिकीय विश्‍लेषण में सहसम्‍बन्‍ध के सिद्धांत और तकनीक का महत्त्वपूर्ण स्‍थान सहसंबंध क्या है? है। इस सिद्धांत को विकसित करने व आधुनिक रूप देने का श्रेय फ्रांसिस गाल्‍टन तथा कार्ल पियर्सन को है। सहसम्‍बन्‍ध विश्‍लेषण मे हमे यह पता चलता है कि दो सम्‍बन्धित चल मूल्‍यों में कितना व किस प्रकार का सम्‍बन्‍ध है। आर्थिक क्रियाओं के विश्‍लेषण में सहसम्‍बन्‍ध के महत्त्व को निम्‍न शीर्षकों के अन्‍तर्गत रखा जा सकता है--

1. आर्थिक व्‍यवहारों का अध्‍ययन

इससे आर्थिक व्‍यवहारों के अध्‍ययन और विश्‍लेषण में सहायता मिलती है।

2. अधिक योग्‍य भविष्‍यवाणियां

सहसम्‍बन्‍ध के आधार पर निर्वचन से सम्‍बन्धित अनिश्चितता की मात्रा कम करने में सहायता मिलती है जिससे अधिक निर्भर योग्‍य भविष्‍यवाणियां की जा सकती हैं।

3. शोधकार्यो में उपयोगी

सह संबंध के प्रकार (sah sambandh ke prakar)

सम्‍बन्धित चलों के मध्‍य परिवर्तन की दिशा, अनुपात तथा समंकमालाओं की संख्‍या के आधार पर सह संबंध निम्‍न प्रकार के हो सकते है--

1. धनात्‍मक तथा ऋणात्‍मक सहसम्‍बन्‍ध

यदि दो पदमालाओं का सहसंबंध क्या है? परिवर्तन एक ही दिशा में होता है तो उनके सहसम्‍बन्‍ध को प्रत्‍यक्ष, अनुलोम अथवा धनात्‍मक कहते हैं। उदाहरणार्थ, यदि किसी वस्‍तु की मांग की वृद्धि के साथ उस वस्‍तु के मूल्‍य में भी वृद्धि होती है तो उनके बीच के सम्‍बन्‍ध को प्रत्‍यक्ष अनुलोम या धनात्‍मक सहसम्‍बन्‍ध कहेंगे। इसके विपरीत, यदि दो पदमालाओं में परिवर्तन एक ही दिशा में न होकर विपरीत दिशाओं में होते हैं, तो उन दो मालाओं के सहसम्‍बन्‍ध को प्रतीप, अप्रत्‍यक्ष, विलोम या ऋणात्‍मक कहते है। उदाहरणार्थ, पूर्ति की वृद्धि के साथ मूल्‍य घटता जाता है इसलिए पूर्ति व मूल्‍य में ऋणात्‍मक सहसम्‍बन्‍ध है।

सहसंबंध के प्रकार

  1. धनात्मक सहसंबंध
  2. ऋणात्मक सहसंबंध
  3. शून्य सहसंबंध

1. धनात्मक सहसंबंध

जब किसी वस्तु, समूह अथवा घटना के किसी एक चर के मान में वृद्धि होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में वृद्धि होती है अथवा उसके मान में कमी होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में कमी होती है तो मान दोनों चरों के बीच पाए जाने वाले इस अनुरूप सम्बंध को धनात्मक सहसंबंध करते हैं।

उदाहरणार्थ किसी गैस का समान दाब पर तापक्रम बढ़ने से उसका आयतन बढ़ना अथवा तापक्रम कम होने से उसका आयतन कम होना गैस के दो चरौ- तापक्रम और आयतन के बीच धनात्मक सहसंबंध है।

2. ऋणात्मक सहसंबंध

जब किसी वस्तु, समूह अथवा घटना के किसी एक चर के मान में वृद्धि होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में कमी आती है अथवा उसके मान में कमी होने से दूसरे साहचर्य चर के मान में वृद्धि होती है तो इन दोनों चरों के बीच पाए जाने वाले इस प्रतिकूल सम्बंध को ऋणात्मक सहसंबंध कहते हैं।

सहसंबंध की उपयोगिता, आवश्यकता और महत्व

विज्ञान का मूल आधार कार्य-कारण सम्बंध (Cause and Effect Relationship) है। इस सम्बंध की जानकारी के आधार पर किसी एक क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन से किसी दूसरे क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन की भविष्यवाणी की जा सकती है। इस प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में तो सहसंबंध की सबसे अधिक उपयोगिता है, उसकी सबसे अधिक आवश्यकता है और उसका सबसे अधिक महत्व है।

इस युग में मनोवैज्ञानिकों ने भी मानव व्यवहार के कारकों का पता लगाकर कार्य-कारण सम्बंधों की स्थापना की है। आज मानवीय व्यवहार में कार्य-कारण सम्बंधों को समझने के लिए सहसंबंध प्रविधियों (Correlation Techniques) का प्रयोग किया जाता है।

सहसंबंध का अर्थ लिखिए। Write the meaning of correlation.

Answer - When two variables change simultaneously, in the same direction or opposite direction and the change in one variable is due to change in the other variable, it expresses the relationship between the two variables.

According to Professor King: - "The working relationship between two sum categories and the sum groups is called correlation."

सहसंबंध क्या है इसके माप की तीन विधियां बताइए?

इसे सुनेंरोकेंदो चरों x और y के बीच विशिष्ट संख्यात्मक मान दिए बिना दृश्य रूप में सहसंबंध की उपस्थिति का अर्थ है कि जब एक चर प्रस्तुत करता है। इसे आसानी से समझने के लिए, यहाँ बीच उनके गुणों के आधार पर निर्धारित कोटियों के हम मान लें कि सहसंबंध, यदि है, तो रेखीय है, द्वारा रेखीय सहसंबंध को मापा जाता है।

दो प्रतिगमन गुणांक कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध गुणांक दो चरों के बीच रेखीय संबंध को व्यक्त करता है जबकि प्रतिगमन गुणांक ऐसे चरों के बीच औसत संबंध को व्यक्त करता है। सहसंबंध गुणांक चरों के बीच सहसंबंध क्या है? सापेक्ष माप है जबकि प्रतिगमन विश्लेषण दो चरों के बीच संबंध ज्ञात करने का निरपेक्ष माप है।

आंकड़े से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंटिप्पणी आंकड़ों से अभिप्राय, तथ्यों को सामूहिक रूप में उपलब्ध कराने वाली संख्यात्मक सूचना है। सूचना किसी के भी बारे में हो सकती है, जिसे संख्यात्मक रूप में दिया जा सकता है और निर्णय लेने में सहायक होती है। इसे संख्यात्मक आंकड़े या सरल रूप से, सांख्यिकी भी कहते हैं। आंकड़े एक बहुवचन पद है।

कोटि विधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी राशि के परिमाण को निकटतम दस के घात के रूप में अभिव्यक्ति को उस राशि के परिमाण की कोटि कहते हैं। इस प्रकार कहते हैं कि धरती के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२२ टन है जबकि सूर्य के द्रव्यमान के परिमाण की कोटि १०२७ टन है। महत्ता के क्रमों का प्रयोग प्रायः बहुत लगभग के आंकलनों/तुलनाओं हेतु किया जाता है।

विषमता गुणांक का सूत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयदि वंटन में समान्तर माध्य, मध्यिका और बहुलक के बीच जितनी ही अधिक दूरी होगी आवृत्ति वंटन में विषमता उतनी अधिक होगी। मध्यिका तथा बहुलक से निकाले गये विचलनों का योग शून्य न हो। विषमता की माप के द्वारा हमें किसी वंटन विषमता या असमिति की मात्रा (अंकात्मक मान) तथा दिशा (धनात्मक या ऋणात्मक) का ज्ञान होता है।

प्रतिगमन रेखाएं क्या सहसंबंध क्या है? है?

इसे सुनेंरोकेंमें आंकड़े , रेखीय प्रतीपगमन एक है रैखिक एक के बीच संबंधों को मॉडलिंग के लिए दृष्टिकोण अदिश प्रतिक्रिया और एक या अधिक व्याख्यात्मक चर (भी रूप में जाना जाता आश्रित एवं स्वतंत्र चरों )। एक व्याख्यात्मक चर के मामले को सरल रैखिक प्रतिगमन कहा जाता है ; एक से अधिक के लिए, प्रक्रिया को बहु रेखीय प्रतिगमन कहा जाता है ।

सहसंबंध एवं प्रतिगमन को क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंसहसंबंध को विश्लेषण के रूप में वर्णित किया गया है जो हमें संघ या दो चर ‘x’ और ‘y’ के बीच संबंध की अनुपस्थिति की जानकारी देता है। दूसरे छोर पर, प्रतिगमन विश्लेषण, स्वतंत्र चर के ज्ञात मूल्य के आधार पर निर्भर चर के मूल्य की भविष्यवाणी करता है, जो दो या अधिक चर के बीच औसत गणितीय संबंध मानता है।

आंशिक गुण संबंध क्या है?

इसे सुनेंरोकेंऔपचारिक परिभाषा प्रथम-क्रम आंशिक सहसंबंध (अर्थात, जब n = 1) एक सहसंबंध और हटाने योग्य सहसंबंधों के गुणनफल के बीच का अंतर है जो हटाने योग्य सहसंबंधों के अलगाव के गुणांक के उत्पाद सहसंबंध क्या है? द्वारा विभाजित है। अलगाव का गुणांक , और सहसंबंध के माध्यम से संयुक्त विचरण के साथ इसका संबंध गिलफोर्ड (1973, पीपी। 344-345) में उपलब्ध है।