गोल्ड और ईटीएफ

Diwali 2022: सोने की ज्वेलरी नहीं, गोल्ड ईटीएफ में करें निवेश, जानिए क्यों
पिछले पांच साल में गोल्ड की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। 2017 के अंत में गोल्ड का प्राइस 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम गोल्ड और ईटीएफ था। 2020 अगस्त में प्राइस 56,200 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। फिर, सोने की कीमतों में नरमी आई
Diwali 2022: दिवाली पर गोल्ड (Gold) खरीदना शुभ माना जाता है। हर साल अगर दिवाली पर कुछ पैसा आप गोल्ड में इनवेस्ट करते हैं तो लंबी अवधि में आपके पास अच्छा सोना जमा हो जाता है। इसका इस्तेमाल आप बच्चों की शादी के दौरान कर सकते हैं। तब आप पर गोल्ड खरीदने का दबाव नहीं होगा। पिछले कुछ सालों में गोल्ड में निवेश के कई विकल्प आ गए हैं। इनमें गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड फंड (Gold Fund) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) शामिल हैं।
एक्सपर्टस का कहना है कि आप दिवाली पर फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) की जगह गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ खरीदना बहुत आसान है। गोल्ड ईटीएफ आपके डीमैंट अकाउंट में रहता है, जिससे इसके खोने या चोरी होने का कोई डर नहीं रहता है। अगर प्योरिटी की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ स्कीमें 99.5 प्योरिटी वाले गोल्ड खरीदती हैं। इसे शेयरों की तरह एक्सचेंजों में कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है। निवेशक चाहे तो गोल्ड की एक यूनिट भी खरीद सकता है।
यह गोल्ड ईटीएफ में निवेश का अच्छा समय है, क्योंकि पिछले तीन महीनों में सोने की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान वैश्विक बाजार में सोने की कीमतें 1802 डॉलर प्रति औंस से गिरकर 1,677 डॉलर प्रति औंस पर आ गई हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गोल्ड का आउटलुक काफी पॉजिटिव है। इस साल के अंत तक गोल्ड के भाव घरेलू बाजार में 60,000 प्रति 10 ग्राम तक जा सकते हैं।
Imvestment Tips : गोल्ड ETF में गोल्ड और ईटीएफ निवेश करने के क्या होते हैं फायदे, कैसे करते हैं इसमें निवेश
इस अक्षय तृतीया पर बाजार में बंपर बिक्री की संभावना है.
सोने में निवेश करने वालों के लिए यह एक बेहतर विकल्प माना जाता है. ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है. इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated : May 04, 2022, 15:08 IST
Imvestment Tips : अक्षय तृतीया की वजह से एक बार फिर गोल्ड ईटीएफ निवेश चर्चा में रहा है. सोने में निवेश करने वालों के लिए यह एक बेहतर विकल्प माना जाता है. अगर आप भी गोल्ड इटीएफ में निवेश करना चाहते हैं तो पहले जान लीजिए इसमें निवेश के क्या फायदे हैं.
गोल्ड ETF में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपको डीमैट अकाउंट खोलना होता है. इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी. आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं. ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है.
कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना
ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है. इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है. वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है. ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता.
उच्च स्तर की शुद्धता
गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है. यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं गोल्ड और ईटीएफ की ग्लोबल अथॉरिटी है. वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं. गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है. आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी.
गोल्ड ETF खरीदने में 0.5% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है. यह उस 8 से 30 फीसदी मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें.
सुरक्षा की गारंटी
इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है. साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता. वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है. व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है. गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
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सोने के गहने से नहीं बल्कि Gold ETF से होती है अच्छी कमाई, निवेश करने से पहले यहां जान लें हर छोटी-बड़ी जानकारी
फिजिकल गोल्ड इसे इतर गोल्ड ईटीएफ भी सुरक्षि व बेहतर रिटर्न वाला निवेश विकल्प साबित हो सकता है. गोल्ड ईटीएफ में भी इक्विटी शेयरों की तरह ही निवेश कियसाा जाता है. अगर डीमैट अकाउंट नहीं है तो फंड ऑफ फंड्स भी निवेश का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: आशुतोष वर्मा
Updated on: Aug 06, 2021 | 8:04 AM
पिछले कुछ समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का दौर देखने को मिला है. इस अनश्चितता के बीच सोना ही निवेशकों की सबसे पहली पसंद बना हुआ है. दरअसल, किसी भी तरह की आर्थिक अनिश्चितता और बाजार की खराब चाल की स्थिति में सोना ही निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है. आमतौर पर जब इक्विटी बाजार में कमजोरी देखने को मिलती है, तब सोने में निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है. यही कारण है कि वित्तीय प्लानर भी हर किसी को पोर्टफोलियों में सोना शामिल करने की सलाह देते हैं. इससे पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है. अमूमन कहा जाता है कि अपने पोर्टफोलियो में 5 से 10 फीसदी निवेश सोना में जरूर करना चाहिए.
ऐसे में गोल्ड ईटीएफ इस तरह के लोगों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. गोल्ड ईटीएफ एक तरह से पैसिव रूप में मैनेज किए जाने वाले म्यूचुअल फंड स्कीम्स होते है, जो 99.5 फीसदी शुद्धता वाले स्टैंडर्ड बुलियन गोल्ड में निवेश करता है. ये म्यूचुअल फंड्स बेहद करीबी से सोने के भाव पर नज़र बनाए रहते हैं.
गोल्ड ईटीएफ भी इक्विटी शेयरों गोल्ड और ईटीएफ की तरह ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर ट्रेड किया जाता है. एक निवेशक के तौर पर आप भी बाजार के समय आसानी से डीमैट अकाउंट के जरिए खरीद या बेच सकते हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ गोल्ड ईटीएफ के बारे में बता गोल्ड और ईटीएफ रहे हैं, जिसने बीते कुछ समय बेहतर रिटर्न दिया है.
गोल्ड ईटीएफ में निवेश से पहले इन बातों पर जरूरी ध्यान दें
अन्य निवेश विकल्पों की तरह ही गोल्ड ईटीएफ में भी पूंजी लगाने से पहले आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ में निवेश से पहले उसके एसेट साइज, ट्रैकिंग एरर, एक्सपेंस रेशियो, इम्पैक्ट कॉस्ट और स्पॉट प्राइस पर डिस्काउंट से लेकर उसके नेट एसेट वैल्यू आदि के बारे में पता करना चाहिए. किसी भी ईटीएफ को खरीदने या बेचने में उसकी लिक्विडिटी या ट्रेडिंग वॉल्युम पर खास ध्यान दिया जाता है. ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह है कि निवेश के लिए वही विकल्प गोल्ड ईटीएफ चुनना चाहिए, जो हर दिन ट्रेड होता हो और उसकी वॉल्युम अच्छी हो.
(करोड़ रुपये में)
क्या है प्रीमियम और डिस्काउंट रेट का मतलब?
ट्रेडिंग के दौरान ईटीएफ का स्पॉट प्राइस प्रीमियम भाव या अपने इंडिकेटिव एनएवी (iNAV) से डिस्काउंट दर पर ट्रेड कर सकता है. ऐसा लिक्विडिटी नहीं होने या मार्केट मेकर्स द्वारा कम गतिविधि की वजह से होता है. एसेट मैनेजमेंट कंपनियां की ओर से अधिकृत रूप से नियुक्त किए गए प्रतिनिधियों को ही मार्केट मेकर्स कहा जाता है. जब किसी गोल्ड ईटीएफ का भाव iNAV से ज्यादा दर पर ट्रेड कर रहा होता है तो कहा जाता है कि यह ‘प्रीमियम’ भाव पर ट्रेड कर रहा है. वहीं, जब यह भाव iNAV से कम होता है तो कहा जाता है कि यह ईटीएफ डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा है.
डीमैट अकाउंट नहीं है तो गोल्ड फंड ऑफ फंड्स में करें निवेश
जिन निवेशकों के पास डीमैट अकाउंट नहीं है, वे गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (Fofs) खरीद सकते हैं. गोल्ड फंड ऑफ फंड्स भी मुख्य रूप से गोल्ड ईटीएफ में ही निवेश करते हैं. गोल्ड फंड ऑफ फंड्स की अच्छी बात है कि इसमें सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांन्स (SIP) के जरिए गोल्ड और ईटीएफ निवेश विकल्प मिलता है. जबकि, ईटीएफ में एसआईपी की सुविधा नहीं मिलती है. अब गोल्ड फंड में न्यूनतम हर महीने 500 रुपये की एसआईपी के जरिए निवेश करना शुरू कर सकते हैं.
गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स पर टैक्स का नियम
गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स पर टैक्स को लेकर एक समान ही नियम है. अगर गोल्ड फंड्स में 36 महीने या इससे ज्यादा समय के लिए निवेश किया जाता है तो इसपर आपको 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होता है. अगर आप 36 महीने से पहले ही इन निवेश गोल्ड और ईटीएफ विकल्प से बाहर निकल जाते हैं तो शॉर्ट-टर्म कैपिल गेन्स देना होता है. यह टैक्स आपके टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से तय होता है.गोल्ड और ईटीएफ
Dhanteras Gold Offer: इस धनतेरस 50 रुपये में भी खरीद सकते हैं सोना, जानिए तरीका
धनतेरस (Dhanteras) पर आप गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में भी निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ गोल्ड बुलियन (Gold Bullion) में निवेश करते हैं जो फिज़िकल मेटल में निवेश करने जितना ही अच्छा है, लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) यूनिट्स जैसा रखा जाता है, जो एक डीमैट खाते में जमा होते हैं। गोल्ड ईटीएफ की प्रत्येक यूनिट बहुत उच्च शुद्धता (high purity) के फिज़िकल गोल्ड जैसी होती है।
सोना में निवेश करना का खरा तरीका है गोल्ड ईटीएफ
हाइलाइट्स
- भारतीयों को पीली धातु सोना से कुछ ज्यादा ही प्यार है
- चाहे कोई भी शुभ अवसर हो, सोना खरीदना उनकी परंपरा में शुमार है
- इस फेस्टिव सीजन में भारतीय गोल्ड और ईटीएफ परिवार एक बार फिर से गोल्ड की खरीदारी के लिए बाहर निकलने लगे हैं
गोल्ड ईटीएफ की खूबियां
यदि आप फिजिकल तरीके से गोल्ड खरीद रहे हैं तो उसमें कई तरह की दिक्कतें हैं। लेकिन इसके मुकाबले गोल्ड ईटीएफ की कई खूबियां हैं। आइए इन खूबियों की चर्चा करते हैं.
महज 50 रुपये में भी खरीद सकते हैं सोना
निवेशक गोल्ड ईटीएफ में कम से कम 45 रुपये से सोने में निवेश शुरू कर सकते हैं। यह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट की कल यानी 20 अक्टूबर की कीमत है। इसमें थोड़ी बढ़ोतरी भी होगी तो 50 रुपये तक। इसलिए, एक निवेशक को सोने में निवेश करने के लिए बड़ी रकम जमा करने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं है, जो अक्सर फिज़िकल सोना खरीदने के मामले में होता है।
अफोर्डेबिलिटी
फिज़िकल सोने की खरीद, स्टोरेज और बीमा की तुलना में निवेश की लागत अपेक्षाकृत कम है।
विश्वसनीयता
गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5% शुद्धता या इससे अधिक शुद्धता वाला सोना खरीदना है।
कम खर्च
फिज़िकल सोने के निवेश की तुलना में, ईटीएफ गोल्ड से जुड़े खर्च काफी कम हैं क्योंकि गोल्ड और ईटीएफ इसमें कोई मेकिंग चार्ज नहीं जुड़ा है। उदाहरण के लिए: आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेन्स रेशीयो 0.5% है जो गोल्ड ईटीएफ में सबसे सस्ता है।
लिक्विडिटी
गोल्ड ईटीएफ को किसी भी समय एक्सचेंज पर रीयल टाइम एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान किसी की आवश्यकता के अनुसार एक यूनिट से बेचा (liquidated) जा सकता है। नतीजतन, यह आभूषणों, सिक्कों या बारों को बेचने की तुलना में अधिक आसान है।
कोलेटरल के रूप में स्वीकार्य
ईटीएफ लोन के लिए कोलेटरल के रूप में स्वीकार किए जाते हैं।
टैक्स बचाने वाला
गोल्ड ईटीएफ को यदि 3 साल से अधिक समय तक रखा जाता है तो इससे अर्जित आय को लांग टर्म कैपिटल गेन के रूप में माना जाता है। यह सोना रखने के लिए एक टैक्स बचाने का कुशल तरीका है।
विविधीकरण
किसी के पोर्टफोलियो में विविधता (diversification) लाने के लिए एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
वे बातें जिनसे एक निवेशक को सावधान रहना चाहिए
ईटीएफ की कीमतें फिज़िकल गोल्ड की कीमतों के जैसे बढ़ती या घटती हैं। नतीजतन, गोल्ड ईटीएफ को सोने की कीमत से लाभ उठाने के लिए एक टूल के रूप में सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है। यानी निवेशक वास्तविक संपत्ति खरीदे बिना सोने में निवेश के लाभों गोल्ड और ईटीएफ को हासिल कर सकता है। इसे बेचने (redemption) पर निवेशक को नकद प्राप्त होता है न कि फिज़िकल गोल्ड। वास्तव में, गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से किसी निवेशक को सस्ती कीमत पर और सुरक्षित संभव तरीके से गोल्ड के संपर्क में आने का आश्वासन दिया जा सकता है। इसके अलावा, जब ईटीएफ के माध्यम से निवेश किया जाता है, तो किसी की आवश्यकता के अनुसार छोटे लॉट में यूनिट्स को जमा करने या बेचने की सुविधा होती है।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते समय, एक निवेशक के पास सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से निवेश करने या एकमुश्त निवेश का विकल्प चुनने का विकल्प होता है। इसलिए इसे खरीदने वाले को इसकी शुद्धता, रखने (storage) की परेशानी आदि के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसलिए, इस त्योहारों के मौसम में, गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने का विकल्प चुनकर अपने निवेश पोर्टफोलियो में चमक बढ़ाने का काम करें।
गोल्ड ईटीएफ से जुलाई में 457 करोड़ रुपये की निकासी, क्या बढ़ती ब्याज दरें हैं कारण?
गोल्ड ईटीएफ से जुलाई में 457 करोड़ रुपये की निकासी की गई. जानकारों का मानना है कि बैंकों द्वारा ब्याज दरों में की जा रही बढ़ोतरी की वजह से गोल्ड ईटीएफ की निकासी की जा रही है.
Published: August 9, 2022 5:03 PM IST
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) से जुलाई, 2022 के दौरान 457 करोड़ रुपये की निकासी हुई है. निवेशकों ने अपना पैसा अन्य परिसंपत्ति वर्गों में लगाया जिसके कारण यह निकासी हुई है.
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एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. आंकड़ों के अनुसार, जून, 2022 में ईटीएफ में 135 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया था.
मॉर्निंगस्टार इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक कविता कृष्णन ने कहा कि बढ़ती ब्याज दरों के कारण पीली धातु की कीमतों में गिरावट के कारण गोल्ड ईटीएफ से निवेशकों ने निकासी की है.
उन्होंने कहा कि रुपये में गिरावट ने भी सोने की मांग और आपूर्ति को प्रभावित किया है. यह प्रवृत्ति वैश्विक स्तर पर भी देखी गई है, जिसमें सोने की कम कीमतों के कारण गोल्ड ईटीएफ में निवेशकों ने निकासी की है.गोल्ड और ईटीएफ
इस निकासी के साथ गोल्ड ईटीएफ में प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां घटकर 20,038 करोड़ रुपये रह गई हैं, जो जून में 20,249 करोड़ रुपये थीं. हालांकि, इस श्रेणी में समीक्षाधीन अवधि में फोलियो की संख्या 37,500 बढ़कर 46.43 लाख पर पहुंच गई.
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