क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं

क्रिप्टोकरेंसी पर निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान, कहा-टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं कि इसे वैध किया गया है
शुक्रवार को निर्मला सीतामरण के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है
वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब बजट में क्रिप्टो पर टैक्स के एलान के बाद इसके वैध होने का अनुमान लगाया क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं जा रहा था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharman) ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर बड़ा बयान दिया है। बजट पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार ने सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी से प्रॉफिट पर टैक्स लगाया है। सरकार ने इसे वैध बनाने, प्रतिबंध लगाने या रेगुलेट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब बजट में क्रिप्टो पर टैक्स (Tax on Crypto) के एलान के बाद इसके वैध होने का अनुमान लगाया जा रहा था।
सीतारमण ने कहा, "मैं इसे अभी लीगलाइज या बैन करने नहीं जा रही हूं। इस पर प्रतिबंध लगाने या नहीं लगाने का फैसला बाद में होगा। जब हमें इसके बारे में पूरा इनपुट मिल जाएगा, फिर यह फैसला होगा।" वित्त मंत्री के इस बयान के बाद क्रिप्टोकरेंसी को लेकर फिलहाल तस्वीर बदल जाने का अनुमान है।
फाइनेंस मिनिस्टर ने बीते हफ्ते बजट पेश करने के दौरान कहा था कि वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स (Tax on crypto) लगेगा। इसके अलावा इसके ट्रांजेक्शन पर भी 1 फीसदी टीडीएस (1 percent TDS on Crypto) लगाने का ऐलान किया गया था। इससे यह माना जा रहा था कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। लेकिन, शुक्रवार को निर्मला सीतामरण के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है।
क्रिप्टो मार्केट में आई गिरावट पर बोले RBI गवर्नर, 'क्रिप्टोकरेंसी की नहीं है कोई वैल्यू'
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसकी कोई वैल्यू नहीं है. आप इसे कैसे रेग्यूलेट करते हैं, इस पर बड़े सवाल हैं. हमारा रुख बिल्कुल साफ है, यह भारत की मौद्रिक, वित्तीय और वृहद आर्थिक स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करेगा."
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत का रुख हमेशा से ही अधिक उदार नहीं रहा है, और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में एक बार फिर इसे स्पष्ट कर दिया है. सोमवार को RBI गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक लंबे समय से क्रिप्टोकरेंसी और इसके मार्केट के प्रति आगाह कर रहा था, और अब यह क्रैश हो गया है.
CNBC TV18 को दिए एक इंटरव्यू में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "हम क्रिप्टो के खिलाफ सावधानी बरत रहे हैं और देखिए कि क्रिप्टो मार्केट में अब क्या हुआ है. अगर हम पहले से ही इसे रेग्यूलेट कर रहे थे, तो लोगों ने सवाल उठाया होगा कि नियमों का क्या हुआ."
RBI गवर्नर ने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसकी कोई वैल्यू नहीं है. आप इसे कैसे रेग्यूलेट करते हैं, इस पर बड़े सवाल हैं. हमारा रुख बिल्कुल साफ है, यह भारत की मौद्रिक, वित्तीय और वृहद आर्थिक स्थिरता को गंभीर रूप से कमजोर करेगा."
हाल ही में, दुनियाभर के क्रिप्टोकरेंसी मार्केट भारी गिरावट देखने को मिली है. सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन इस महीने की शुरुआत में 27,000 डॉलर पर ट्रेड कर रही थी. एक वक्त था जब इसने अब तक के सबसे अधिक 69,000 डॉलर के आंकड़े को छुआ था. लेकिन जब से बिटकॉइन गिरावट आनी शुरू हुई, तब से यह 30,000 डॉलर से ऊपर क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं नहीं पहुंच पाई है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि केंद्र सरकार भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर केंद्रीय बैंक साथ खड़ी नज़र आती है. दास का मानना है कि सरकार भी यह समझती है कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है.
दास ने कहा, “हमने सरकार को अपनी स्थिति से अवगत करा दिया है और वे इस पर विचार करेंगे. मुझे लगता है कि सरकार की ओर से जो बयान सामने आ रहे हैं, वे लगभग एक जैसे हैं। वे भी समान रूप से चिंतित हैं."
RBI ने क्रिप्टो एक्सचेंजों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. अपने शुरुआती दिनों में, जब बिटकॉइन धीरे-धीरे भारत में अपनी पहचान बना रहा था; RBI ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई थी. हालांकि, 2018 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध को हटा दिया था, और तब से RBI ने वर्चुअल करेंसी पर कड़ा रुख बनाए रखा है. इसने भारत में मैक्रोइकॉनॉमी पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रभाव को लेकर समय-समय पर आगाह किया है.
सरकार भी क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से स्वीकार करने में हिचक रही है.
इस साल के केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी और इससे जुड़ा संपत्तियों की ट्रेडिंग पर 30 प्रतिशत कर का प्रस्ताव दिया था. इसके ट्रांजेक्शन पर बतौर TDS 1 प्रतिशत कटौती तय की गई है.
गौरतलब हो कि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इससे पहले बीते साल नवंबर में भी चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी ने RBI के लिए 'गंभीर चिंता' पैदा की है. शक्तिकांत दास ने तब ये भी कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों की संख्या को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है.
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक की चिंता के बावजूद देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों में क्रेज बढ़ता जा रहा है. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश बढ़ने से बीते साल के अगस्त महीने में CoinDCX यूनिकॉर्न बन गया था. और इसके बाद अक्टूबर में CoinSwitch Kuber ने यूनिकॉर्न क्लब में एंट्री मारी थी.
RBI seeks ban on cryptos:आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वैश्विक सहयोग चाहती हैं
आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वैश्विक सहयोग चाहती हैं
- Date : 08/08/2022
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- Read in English: RBI seeks ban on cryptos but क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं India needs global support to make that effective: FM Sitharaman
आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है!
भारत के केंद्रीय बैक, आरबीआई ने भारत सरकार से क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। आरबीआई ने कहा कि एसेट क्लास का असर भारत की मॉनिटरी और फिस्कल पॉलिसी पर पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने एसेट क्लास पर प्रतिबंध लगाने और एसेट क्लॉस को नियंत्रित करने के लिए क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं कानून बनाने की सिफारिश की है। 18 जुलाई 2022 को संसद में वित्त मंत्री के बयान के अनुसार, आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध चाहता है।
लेकिन भारत की वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी विनियमन के लिए क्रॉस बॉर्डर(सीमा पार) सहयोग की आवश्यकता है, क्योंकि एसेट क्लास की प्रकृति सीमाहीन होती है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई भी प्रतिबंध तभी सफल हो सकता है जब एसेट क्लास के जोखिमों और लाभों और टैक्सेशन स्ट्रक्चर एनालिसस पर महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किया जाता है। यदि वैश्विक सहयोग हासिल किया जाता है तभी एसेट क्लास पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
क्रिप्टो का विनियमन
अटकलें तेज हैं कि सरकार सोमवार, 18 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर को विनियमित कर सकती है। लेकिन अभी तक कोई विधेयक पेश करने के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है। सरकार से एक क्रिप्टो कंसल्टेंट पेपर लिखने की भी उम्मीद की जा रही है, जिससे एसेट क्लास पर सरकार का रुख को बताए जाने की उम्मीद की जा रही है। पेपर मई में आने वाला था, लेकिन अभी भी उसका इंतजार है।
भारत सरकार ने एसेट क्लास पर अपना रुख ज़ाहिर नहीं किया है कि क्या यह फाइनेशियल एसेट के दायरे में आता है या कमोडिटी एसेट है। वित्त मंत्री और प्रधान मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी विनियमन पर संयुक्त वैश्विक कार्रवाई के लिए कहा है।
अभी तक, क्रिप्टोकरेंसी पर कोई विनियमन नहीं है। वैश्विक समन्वय में भी इरादे की कमी है। इस बीच, आरबीआई अपनी डिजिटल करेंसी पर काम कर रहा है। डिजिटल करेंसी के 2022 के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर द्वारा की गई टिप्पणियों के अनुसार, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का मतलब निजी क्रिप्टोकरेंसी के अस्तित्व की बहस का अंत हो सकता है। टिप्पणियों के अनुसार, उनका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा डिजिटल करेंसी निजी क्रिप्टोकरेंसी का पूरी तरह से स्थान ले सकती हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रण पर वैश्विक सहयोग की कमी है। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है और उसने भारत सरकार से भी इसकी सिफारिश की है। लेकिन भारत के वित्त मंत्री की टिप्पणियों के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। अभी तक, क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई वैश्विक विनियमन नहीं है। CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से निजी क्रिप्टोकरेंसी की आवश्यकता का स्थान लेने की उम्मीद है। उम्मीद है कि 2022 के अंत तक आरबीआई अपना सीबीडीसी(CBDC) लॉन्च करे।
भारत के केंद्रीय बैक, आरबीआई ने भारत सरकार से क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। आरबीआई ने कहा कि एसेट क्लास का असर भारत की मॉनिटरी और फिस्कल पॉलिसी पर पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने एसेट क्लास पर प्रतिबंध लगाने और एसेट क्लॉस को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है। 18 जुलाई 2022 को संसद में वित्त मंत्री के बयान के अनुसार, आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध चाहता है।
लेकिन भारत की वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने संसद में कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी विनियमन के लिए क्रॉस बॉर्डर(सीमा पार) सहयोग की आवश्यकता है, क्योंकि एसेट क्लास की प्रकृति सीमाहीन होती है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई भी प्रतिबंध तभी सफल हो सकता है जब एसेट क्लास के जोखिमों और लाभों और टैक्सेशन स्ट्रक्चर एनालिसस पर महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किया जाता है। यदि वैश्विक सहयोग हासिल किया जाता है तभी एसेट क्लास पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
क्रिप्टो का विनियमन
अटकलें तेज हैं कि सरकार सोमवार, 18 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में क्रिप्टोकरेंसी सेक्टर को विनियमित कर सकती है। लेकिन अभी तक कोई विधेयक पेश करने के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है। सरकार से एक क्रिप्टो कंसल्टेंट पेपर लिखने की भी उम्मीद की जा रही है, जिससे एसेट क्लास पर सरकार का रुख को बताए जाने की उम्मीद की जा रही है। पेपर मई में आने वाला था, लेकिन अभी भी उसका इंतजार है।
भारत सरकार ने एसेट क्लास पर अपना रुख ज़ाहिर नहीं किया है कि क्या यह फाइनेशियल एसेट के दायरे में आता है या कमोडिटी एसेट है। वित्त मंत्री और प्रधान मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी विनियमन पर संयुक्त वैश्विक कार्रवाई के लिए कहा है।
अभी तक, क्रिप्टोकरेंसी पर कोई विनियमन नहीं है। वैश्विक समन्वय में भी इरादे की कमी है। इस बीच, आरबीआई अपनी डिजिटल करेंसी पर काम कर रहा है। डिजिटल करेंसी के 2022 के अंत तक लॉन्च होने की उम्मीद है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर द्वारा की गई टिप्पणियों के अनुसार, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का मतलब निजी क्रिप्टोकरेंसी के अस्तित्व की बहस का अंत हो सकता है। टिप्पणियों के अनुसार, उनका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा डिजिटल करेंसी निजी क्रिप्टोकरेंसी का पूरी तरह से स्थान ले सकती हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के नियंत्रण पर वैश्विक सहयोग की कमी है। आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना चाहता है और उसने भारत सरकार से भी इसकी सिफारिश की है। लेकिन भारत के वित्त मंत्री की टिप्पणियों के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है। अभी तक, क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई वैश्विक क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं विनियमन नहीं है। CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी से निजी क्रिप्टोकरेंसी की आवश्यकता का स्थान लेने की उम्मीद है। उम्मीद है कि 2022 के अंत तक आरबीआई अपना सीबीडीसी(CBDC) लॉन्च करे।
Cryptocurrency Bill: भारत में क्रिप्टो पर लगेगा बैन, जानें क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल, कैसे इस पर काबू पाएगी सरकार?
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वॉइन को लेकर आजकल आए दिन कईं खबरें सुनने को मिल रही हैं। आपकी तिजौरी में पड़े लाखों करोड़ों की सेविंग्स से ज्यादा इस करेंसी की चर्चा हो रही है। लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने के लिए अब मोदी सरकार ने कमर कस ली है। लगातार क्रिप्टो में उतार-चढ़ाव को […]
November 24, 2021
नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वॉइन को लेकर आजकल आए दिन कईं खबरें सुनने को मिल रही हैं। आपकी तिजौरी में पड़े लाखों करोड़ों की सेविंग्स से ज्यादा इस करेंसी की चर्चा हो रही है। लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने के लिए अब मोदी सरकार ने कमर कस ली है। लगातार क्रिप्टो में उतार-चढ़ाव को लेकर अब सरकार की ओर से क्रिप्टो शिकंजा कसने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ पेश करेगी। बिल आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करेगी और भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी। आपको बता दें कि यह क्रिप्टोकरेंसी बिल संसद के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, जोकि 29 नवंबर यानी अगले सोमवार से शुरू हो रहा है।
सरकार क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 के नाम बिल लेकर आ रही है। इस बिल के जरिए ये प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन हो जाएंगी। साथ ही इस बिल के माध्यम से सरकार रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए आसान फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना भी बनाएगी। आपको बता दें कि इसे लेकर 16 नवंबर को पहली बार संसदीय समिति की एक बैठक हुई थी जिसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन. क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य पक्षों को लेकर क्रिप्टोकरेंसी के नियमन और प्रोत्साहन से जुड़े पहलुओं पर विचार किया गया था।
आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है? और इसका सारा लेनदेन कैसे होता है? क्या यह पूरी तरह से सेफ है? इन सब सवालों के जवाब अब हर कोई जानना चाहता है। तो चलिए आज हम आपको इस वीडियो में बताएंगे कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है और यह कैसे काम करती है।
दरअसल क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जो डिजीटल होती है। यानि कि आप इसे न तो देख सकते हैं और ना ही आप इसे छू सकते हैं। यह सिर्फ डिजिटल रूप में होती है लेकिन देश की सरकारें इस करंसी के लिए कोई नोट या सिक्के जारी नहीं करती। यानि कि आप के पास कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है और इसका सारा लेनदेन ऑनलाइन ही किया जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आपके पास कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है तो ऐसे में ऑनलाइन लेन देन भी कैसे होगा तो आपको बता दें कि इस करेंसी का सारा लेन देन एक ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर के जरिए किया जाता है। यानि कि यह डिजिटल करेंसी इनक्रिप्टेड यानी कोडेड होती है। और इसके लेनदेन को मैनेज करने के लिए डिसेंट्रेलाइज्ड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
जब भी आप क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से कोई लेन देन करते हैं तो वह डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है। इतना ही नहीं इसके सारे लेन देन का क्रिप्टोग्राफी की मदद से रिकॉर्ड रखा जाता है और हर जानकारी का डिजिटल रूप से डेटाबेस तैयार किया जाता है।
आसान भाषा में समझें तो क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। यानि कि आप यूं कह लीजिए कि यह सारा काम ऐसे कंप्यूटर्स के जरिए होता है जो बेहद पावरफुल होते हैं। जिन पॉवरफुल कंप्यूटर्स द्वारा इसकी निगरानी रखी जाती है उसे क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग कहते हैं और जिनके द्वारा यह माइनिंग की जाती है उन्हें माइनर्स कहा जाता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इसके कोड तक को कॉपी करना भी नामुमकिन है।
बता दें कि वर्तमान क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं में, देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई भी रेगुलेशन नहीं है। इस वजह से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी और मजबूत रेगुलेटरी स्टेप्स उठाने के संकेत दिए थे।
अब आपको बताते हैं कि आखिर इसका लेन देन कैसे किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी में जब भी कोई ट्रैंजेक्शन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है। यानी कि आपने किसी के साथ कोई लेन देन किया तो उसकी जानकारी ब्लॉक में रख ली जाती है। ये सुनने के बाद आपके दिमाग में पहला सवाल ये आया होगा कि अगर इसकी जानकारी ब्लॉक में रखी जाती है तो ये कितना सेफ है? तो इस पर भी आपको बता दें कि ब्लॉक की सिक्योरिटी और इंक्रिप्शन का काम माइनर्स का होता है। इसके लिए एक क्रिप्टोग्राफिक पहेली को हल कर ब्लॉक के लिए उचित हैश यानि कि कोड खोजा जाता है।
जब कोई माइनर या कोई शख्स जो माइनिंग कर रहा है वह सही हैश खोज लेता है तो ब्लॉक को सिक्योर कर दिया जाता है और उसे ब्लॉकचेन से जोड़ दिया जाता है। इस सारे प्रोसेस को consensus कहा जाता है। यानि कि अगर consensus हो गया तो इसका अर्थ है कि ब्लॉक में सिक्योर होने की पुष्टि हो गई। और फिर इसके बाद सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन cryptocoin दे दिए जाते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से आप सामान खरीद सकते हैं। आप इससे टरेड कर सकते हैं चाहे तो इन्वेस्ट भी कर सकते हैं लेकिन अपनी तिजोरी में नहीं रख सकते और न ही बैंक के लॉकर में रख सकते हैं क्योंकि यह डिजीट्स के रूप में ऑनलाइन रहती है।
बेशक आज के समय में क्रिप्टोकरेंसी काफी नाम कमा रही है लेकिन इसके कईं नुकसान भी हैं जैसे कि पहला नुकसान
2. क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना आपके लिए फायदेमंद रह सकता है क्योंकि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल आता है
3. इस करेंसी की कोई अथॉरिटी या कोई बॉडी ना होने के कारण आपको नोटबंदी और करेंसी का मूल्य घटने जैसा कोई डर भी नहीं होता है
अब आपको बताते हैं उस बिटकॉइन के बारे में जो पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है। बिटकॉइन दुनिया की सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। कहा जाता है कि साल 2009 में Satoshi Nakamoto छद्म नाम के शख्स ने इसे बनाया था बिटकॉइन क्रिप्टोकरेंसी पहले इतनी चर्चित नहीं थी। सालों पहले इसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे लेकिन आज यह दुनिया की सबसे महंगी डिजीटल करेंसी है। हालांकि शुरुआत में कईं देशों की तरफ से इसे अवैध करार दिया गया था लेकिन बाद में इसकी लोकप्रियता क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं बढ़ती चली गई।
इसका बड़ा कारण यह है कि इसमें रिटर्न अनुमान से कहीं ज्यादा मिलने लगा है। रिपोर्टस की मानें तो एक समय में जिस 10 हजार बिटकॉइन से महज 2 पिज्जा खरीदे जाते थे, क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं अब उस एक बिटकॉइन की कीमत ही 17 लाख रुपये के आस-पास है। इसलिए अच्छे रिटर्न की आस में कई लोग बिटकॉइन को खरीदने में वास्तविक मुद्रा लगा रहे हैं।
जब भी क्रिप्टोकरेंसी का नाम लिया जाता है तो लोगों को सबसे पहला ख्याल बिटकॉइन का आता है लेकिन बिटकॉइन के अलावा भी बहुत सारी करेंसी हैं जिनता इस्तेमाल आप कर सकते हैं। जैसे कि एथेरियम (ETH), लिटकोइन (LTC), डॉगकॉइन (Dogecoin) फेयरकॉइन (FAIR), डैश (DASH), पीरकॉइन (PPC), रिपल (XRP)।
क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध नहीं
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क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के बजाय विनियमित करे सरकार
हाल ही में केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य लोगों को बिटकॉइन में अपनी पूंजी खोने से बचाना हो सकता है। लेकिन लेकिन जिस प्रकार से इसका मूल्य जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सरकार को निवेशकों के हित की भी सोचनी चाहिए। अच्छा तो यह होता कि सरकार इसे प्रतिबंधित करने के बजाय निवेशको कों इसके जोखिम के बारे में शिक्षित करती।
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है, जो कंप्यूटर एल्गोरिथम पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है। इसे कोई बैंक जारी नहीं करता। इसे जारी करने वाले ही इसे कंट्रोल करते हैं।
इसकी तमाम विसंगतियों को देखते हुए भी इसे प्रतिबंधित करना सही नहीं लगता है। इसके कुछ कारण है–
- वयस्क नागरिकों को अपने धन का स्वतंत्रता से इस्तेमाल करने का अधिकार है, बशर्ते वह दूसरों को हानि न पहुँचाए।
- इसका व्यावहारिक लाभ इसको चलाने वाली बिटकॉइन तकनीक में है। ब्लॉकचेन के एक भाग, डिस्ट्रिब्यूटेड लैज़र तकनीक के अनेक लाभ हैं।
यह एक ऐसा डेटाबेस होता है, जिसे आपसी सहमति से विभिन्न साइट, संस्थाओं, लोगों आदि के साथ शेयर और सिंक्रोनाइज किया जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने से भारत, इससे मिलने वाले लाभों से वंचित हो जाएगा।
- नियमित मुद्रा के मानदंड से अलग एक विशिष्ट प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से अंतरराष्ट्रीय भुगतानों को अच्छी तरह से सुलझाया जा सकता है। इससे पूरी दुनिया की डॉलर पर से निर्भरता खत्म हो जाएगी।
ज्ञातव्य है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों में हुई वृद्धि को देखते हुए नवंबर 2017 में अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई गई थी। इसके सुझावों के आधार पर क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयकए 2019 का मसौदा प्रस्तुत करते हुए इस पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव दिया गया था। मार्च 2020 में उच्चतम न्यायालय ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और व्यापार पर प्रतिबंध को हटा दिया था, और इसे व्यापार के लिए किसी प्रकार का खतरा बताने से इंकार कर दिया था।
फिलहाल विश्वभर में 1500 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी प्रचलित हैं। किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होने से इसके भविष्य को लेकर आशंका बनी रहती है।
इसके लाभों को देखते हुए और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए सरकार को चाहिए कि इसे प्रतिबंधित करने के बजाय सभी हितधारकों के बीच समन्वय को बढ़ाए व इसके विनियमन के लिए एक मजबूत एवं पारदर्शी तंत्र का विकास करे।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित सम्पादकीय पर आधारित। 12 फरवरी, 2021