किस समय सीमा को चुनना है?

किसी को किसी म्यूचुअल फंड में कितने समय तक निवेश किए रखने की जरूरत होती है?
आइये एक निवेशक पर विचार करें जिसने एक रीयल इस्टेट ट्रान्जेक्शन में 50 लाख रु.कमाए हैं। पैसे का क्या करना है इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले वह निवेश के लिए एक सुरक्षित स्थान खोज रहा है। इस मामले में आदर्श योजना एक लिक्विड फंड होगी, जिसे पूंजी की सुरक्षा के लिए सामान्यतया उच्च लाभप्रदता के साथ तरलता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अपनी जरूरत के हिसाब से वह कभी भी रिडीम कर सकता है।
इसलिए निवेशित रहने के समय पर निर्णय निवेश उद्देश्य पर निर्भर करता है। निवेशकों को अपने सलाहकारों के साथ निवेश स्थिति और प्रगति की आवधिक समीक्षा करने की जरूरत होती है। ऐसी समीक्षाओं के दौरान ही रिडीम करने, स्विच करने, निवेशित रहने या छोड़ देने के निर्णय लिए जाते हैं।
तारीख की किस समय सीमा को चुनना है? सीमा चुनने की सुविधा
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा, पसंद के मुताबिक बनाया जा सकने वाला कैलेंडर विजेट है. इससे, आपको कॉन्फ़िगरेशन में बदलाव किए बिना किसी किस समय सीमा को चुनना है? रिपोर्ट की समयसीमा में बदलाव करने में मदद मिलती है. इसका इस्तेमाल करके, आपके दर्शक अपने हिसाब से तारीख की वह समयसीमा चुन सकते हैं जो उन्हें देखनी है.
रिपोर्ट में तारीख की सीमा चुनने की सुविधा जोड़ना
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- टूलबार में, कंट्रोल जोड़ें चुनें.
- तारीख की सीमा चुनने की सुविधा चुनें, फिर इसे किसी अच्छी जगह पर रखें.
- दाईं ओर मौजूद, तारीख की सीमा प्रॉपर्टी पैनल में, डिफ़ॉल्ट तारीख की सीमा सेट करें या इसे अपने-आप तय होने वाली तारीख की सीमा पर सेट रखें.
- रिपोर्ट में दिखने वाले विजेट का लुक बदलने के लिए, STYLE टैब में दिए गए विकल्पों का इस्तेमाल करें.
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा के काम करने का तरीका
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा की मदद से, रिपोर्ट में दिखने वाली तारीख को चुना जा सकता है. शुरू और खत्म होने की तारीख चुनकर, अपने हिसाब से तारीख की सीमा तय की जा सकती है या पहले से तय की गई तारीख की सीमाओं की सूची में से इसे चुना जा सकता है. जैसे, बीता हुआ किस समय सीमा को चुनना है? कल, पिछले सात दिन (आज को मिलाकर), पिछली तिमाही, इस साल आज की तारीख तक वगैरह.
तारीख की डिफ़ॉल्ट सीमा
पहली बार अपनी रिपोर्ट में तारीख की सीमा चुनने की सुविधा जोड़ने पर, यह डेटा सोर्स से मिली तारीख की डिफ़ॉल्ट सीमा का इस्तेमाल करता है (जो उस डेटा सोर्स के इस्तेमाल किए गए कनेक्टर पर निर्भर करता है). उदाहरण के लिए, Google Analytics कनेक्टर डिफ़ॉल्ट रूप से पिछले 28 दिनों का डेटा दिखाता है. वहीं Google Sheets कनेक्टर, डिफ़ॉल्ट रूप से शीट में मौजूद पूरा डेटा दिखाता है. कंट्रोल की डिफ़ॉल्ट तारीख की सीमा सेटिंग को बदलकर, इस डिफ़ॉल्ट सेटिंग को बदला जा सकता है.
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा और डेटा सोर्स
किसी रिपोर्ट में तारीख की सीमा चुनने की सुविधा जोड़ने के लिए, रिपोर्ट से जुड़े कम से कम एक डेटा सोर्स में तारीख का डाइमेंशन ज़रूर होना चाहिए. तारीख की सीमा चुनने की सुविधाएं, सिर्फ़ उन डेटा सोर्स पर बने चार्ट पर असर डाल सकती हैं जिनमें तारीख का डाइमेंशन होता है.
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा का दायरा
तारीख की सीमा चुनने की सुविधा, पेज पर मौजूद सभी चार्ट को मैनेज करती है. इनमें से किसी एक का इस्तेमाल करके, तारीख की सीमा चुनने की सुविधा का दायरा सीमित किया जा सकता है:
1) किसी एक चार्ट के लिए तारीख की सीमा की प्रॉपर्टी सेट करने से, तारीख की सीमा चुनने की सुविधा बदल जाती है.
2) चार्ट के साथ तारीख की सीमा चुनने की सुविधा को ग्रुप करने से, उस चार्ट पर तारीख की सीमा चुनने की सुविधा सीमित हो जाती है. बिना ग्रुप वाले चार्ट पर तारीख की सीमा चुनने की सुविधा का असर नहीं पड़ता.
15 अगस्त को ही क्यों आजादी का दिन मनाते हैं, क्या थी इस तारीख को चुनने की वजह
Independence Day 2021: देश में स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है. 15 अगस्त 1947 ये वो दिन है जब हमें आजादी मिली. आपको बता दें कि आजादी आधी रात के समय मिली थी. 15 अगस्त के दिन ही हम आजादी का ये दिन मनाते हैं, जानिए इसके पीछे की रोचक कहानी क्या है. क्यों इसी किस समय सीमा को चुनना है? दिन आजादी का जश्न मनाते हैं, ये दिन ही आजादी देने के लिए क्यों चुना गया.
पहले साल 1930 से लेकर 1947 तक 26 जनवरी के दिन भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था. इसका फैसला साल 1929 में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में हुआ था, जो लाहौर में हुआ था. इस अधिवेशन में भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारतीय किस समय सीमा को चुनना है? नागरिकों से निवेदन किया गया था साथ ही साथ भारत की पूर्ण स्वतंत्रता तक आदेशों का पालन समय से करने के लिए भी कहा गया.
उस समय भारत में लॉर्ड माउंटबेटन का शासन था. माउंटबेटन ने ही निजी तौर पर भारत किस समय सीमा को चुनना है? की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन तय करके रखा था. बताया जाता है कि इस दिन को वे अपने कार्यकाल के लिए बहुत सौभाग्यशाली मानते थे. इसके पीछे दूसरी खास वजह ये थी कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के ही दिन जापान की सेना ने ब्रिटेन के सामने उनकी अगुवाई में आत्मसमर्पण कर दिया था.
माउंटबेटन उस समय सभी देशों की संबद्ध सेनाओं के कमांडर थे. लॉर्ड माउंटबेटन की योजना वाली 3 जून की तारीख पर स्वतंत्रता और विभाजन के संदर्भ में हुई बैठक में ही यह तय किया गया था. 3 जून के प्लान में जब स्वतंत्रता का दिन तय किया गया उसे सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया तब देश भर के ज्योतिषियों में आक्रोश पैदा हुआ क्योंकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार 15 अगस्त 1947 का दिन अशुभ और अमंगलकारी था. विकल्प के तौर पर दूसरी तिथियां भी सुझाई गईं लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़े रहे, ये उनके लिए खास तारीख थी. आखिरी समस्या का हल निकालते हुए ज्योतिषियों ने बीच किस समय सीमा को चुनना है? का रास्ता निकाला.
फिर 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि का समय सुझाया और किस समय सीमा को चुनना है? इसके पीछे अंग्रेजी समय का ही हवाला दिया गया. अंग्रेजी परंपरा में रात 12 बजे के बाद नया दिन शुरू होता है. वहीं हिंदी गणना के अनुसार नए दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता है. ज्योतिषी इस बात पर अड़े रहे कि सत्ता के परिवर्तन का संभाषण 48 मिनट की अवधि में संपन्न किया जाए हो जो कि अभिजीत मुहूर्त में आता है. ये मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 15 मिनट तक पूरे 24 मिनट तक की अवधि का था. ये भाषण 12 बजकर 39 मिनट तक दिया जाना था. इस तय समय सीमा में ही जवाहरलाल नेहरू को भाषण देना था.
शुरुआती तौर पर ब्रिटेन द्वारा भारत को जून 1948 तक सत्ता हस्तांतरित किया जाना प्रस्तावित था. फरवरी 1947 में सत्ता प्राप्त करते ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय नेताओं से आम सहमति बनाने के लिए तुरंत श्रृंखलाबद्ध बातचीत शुरू कर दी, लेकिन सब कुछ इतना आसान नहीं था. खासकर, तब जब विभाजन के मसले पर जिन्ना और नेहरू के बीच द्वंद की स्थिति बनी हुई थी. एक किस समय सीमा को चुनना है? अलग राष्ट्र बनाए जाने की जिन्ना की मांग ने बड़े पैमाने पर पूरे भारत में सांप्रदायिक दंगों को भड़काया और हर दिन हालात बेकाबू होते गए. निश्चित ही इन सब की उम्मीद माउंटबेटन ने नहीं की होगी इसलिए इन परिस्थितियों ने माउंटबेटन को विवश किया कि वह भारत की स्वतंत्रता का दिन 1948 से 1947 तक एक साल पहले ही पूर्वस्थगित कर दें.
1945 से मिल चुके किस समय सीमा को चुनना है? थे संकेत
साल 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के समय ब्रिटिश आर्थिक रूप से कमज़ोर हो चुके थे और वे इंग्लैंड में स्वयं का शासन भी चलाने में संघर्ष कर रहे थे. ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रिटिश सत्ता लगभग दिवालिया होने की कगार पर थी. महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस किस समय सीमा को चुनना है? की गतिविधियां इसमें अहम भूमिका निभाती हैं. 1940 की शुरुआत से ही गांधी और बोस की गतिविधियों से अवाम आंदोलित हो गया था और दशक के आरंभ में ही ब्रिटिश हुकूमत के लिए यह एक चिंता का विषय बन चुका था.