विदेशी मुद्रा ब्रोकर समीक्षाएं

आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना

आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना
– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच

Venmo को irs द्वारा डिफ़ॉल्ट मुद्रा माना जाता था

क्या अमेरिकी फेडरल रिजर्व वेंमो आभासी मुद्रा है?

आपकी नियमित आय से बाहर की सभी चीजें आपको करों के बारे में भ्रमित कर सकती हैं। विशेष रूप से अब जब कई डिजिटल वॉलेट एप्लिकेशन ने आपको अलग-अलग खातों से स्वतंत्र रूप से फंड ट्रांसफर करने की अनुमति दी है। जब आप पैसे लेने के लिए एटीएम नहीं जाना चाहते हैं तो ये ऐप सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक हैं।

दोस्तों और परिवार के बीच लेन-देन के लिए वेनमो, पेपाल, रात के खाने या टैक्सी का किराया विभाजित करना आसान बनाता है, लेकिन क्या आईआरएस एक आभासी मुद्रा है? क्या यह एक संगठन है? पता लगाने के लिए पढ़ें।

क्या अमेरिकी फेडरल रिजर्व वेंमो आभासी मुद्रा है?

आभासी मुद्रा की आईआरएस आधिकारिक परिभाषा के अनुसार, यह अमेरिकी डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा का मूल्य है जिसे डिजिटल रूप से दर्शाया गया है। ये सिक्के आमतौर पर एक विशिष्ट वातावरण में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि अधिक जीवन पाने के लिए या नई शक्तियों को अनलॉक करने के लिए खेल के सिक्के खरीदते समय।

हालांकि, ये सिक्के गैर-परिवर्तनीय हैं और वास्तविक जीवन में उपयोग नहीं किए जा सकते हैं – आप एक गेम से सिक्कों में पिज्जा नहीं खरीद सकते। यह केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध है और क्रिप्टोकरेंसी का एक सबसेट बनाता है।

डिजिटल मुद्रा एक शब्द है जो डिजिटल रूप में वास्तविक मुद्राओं को संदर्भित कर सकता है। यह वह धन है जिसे आप वास्तव में अपने बैंक खाते में रख सकते हैं। आप इस पैसे को किसी भी समय वापस ले सकते हैं, आमतौर पर कानून द्वारा विनियमित किया जाता है।

क्या आप व्यवसाय के लिए वेनमो का उपयोग कर सकते हैं?

इस सेवा का सामान्य उद्देश्य आपको अपने मित्रों और परिवार को पैसे भेजने की अनुमति देना है और इसके विपरीत। इसलिए, यह उन लोगों के बीच लेनदेन के लिए उपयोग किया जाता है जिन पर आप भरोसा करते हैं और व्यक्तिगत रूप से जानते हैं।

हालांकि, वाणिज्यिक लेनदेन वेनमो के माध्यम से किए जा सकते हैं, लेकिन आपको ऐसा करने के लिए विशेष अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता है। वेनमो का उपयोग करने वाले व्यापारियों को प्राधिकरण की आवश्यकता होती है, और आपको लेनदेन करने के लिए वेनमो मास्टरकार्ड का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। यदि आप ऐसा करना चुनते हैं, तो सुनिश्चित करें कि व्यापारी या ग्राहक पर भरोसा किया जा सकता है। यदि वेनमो के नियमों का उल्लंघन होता है, तो आप अपना पैसा और उस उत्पाद को खो सकते हैं जिसका आप भुगतान करने की कोशिश कर रहे थे।

Venmo को irs द्वारा एक आभासी मुद्रा माना जाता है

आभासी मुद्रा : उत्पाद मानकर मुनाफे पर लगेगा आयकर

आभासी मुद्रा : उत्पाद मानकर मुनाफे पर लगेगा आयकर

सांकेतिक फोटो।

भारतीय रिजर्व बैंक आभासी मुद्रा लाने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय के संबंधित विभाग इसके लिए नियम तैयार में जुट गए हैं। सरकार इसको लेकर कानून भी बनाने की तैयारी में है। आभासी मुद्रा या आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल कोई भुगतान, निवेश या अन्य वजहों- चाहे जिस कारण और जिस तरह से किया जाए, सरकार इसे संपदा या उत्पाद (एसेट या कमोडिटी) की श्रेणी में डाल सकती है। उत्पाद करार दिए जाने की सूरत में इससे मिलने वाले फायदे पर निवेशकों को आयकर भरना पड़ सकता है।

जानकारों के मुताबिक सरकार क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा देने के लिए एक कानून आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना का मसविदा तैयार कर रही है। जानकारों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा इस हिसाब से व्याख्यायित की जा सकती है कि यह किस तकनीक पर आधारित है या फिर इसका इस्तेमाल किस तरह हो रहा है। सरकार का मानना है कि सही वर्गीकरण होने से इस पर वाजिब तरीके से कर लगाया जा सकेगा। अधिकारियों के मुताबिक, इसके जरिए भुगतान और सौदों के निपटान की मनाही हो सकती है।

कहीं आभासी मुद्रा बिटक्वाइन को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं कराये जा रहे साइबर हमले!

नयी दिल्ली : इस समय दुनिया भर के करीब 150 देशों की 2 लाख से अधिक कंपनियों पर आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना साइबर हमलों का खतरा मंडरा रहा है. इसके दो दिन पहले दुनिया भर के हैकरों ने फिरौती की वसूली के लिए ब्रिटेन, अमरीका, चीन, रूस, स्पेन, इटली, वियतनाम समेत करीब 90 देशों में 'रैनसमवेयर' साइबर हमले किया था. इस बीच, खबर यह भी आ रही है कि दुनिया भर के देशों में साइबर हमले करने वाले आभासी दुनिया के अपराधी पीड़ित देशों अथवा कंपनियों से फिरौती के रूप में बिटक्वाइन की मांग करते हैं, जिसकी वसूली के बाद वे अपनी सहूलियत के हिसाब से उसे भौतिक मुद्रा में तब्दील कर लेते हैं.

बताया यह जा रहा है कि अभी तक इन साइबर अपराधियों ने करीब 32 हजार डॉलर यानी 20,500 लाख रुपये के मूल्य तक की राशि की वसूली इस बिटक्वाइन के जरिये कर लिया है. इस बीच, आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि दुनिया भर में साइबर हमले कर आभासी मुद्रा में फिरौती की मांग कहीं बिटक्वाइन को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं की जा रही है.

क्या है आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना बिटक्वाइन

सही मायने में देखा जाये, तो बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी है, जिसका बैंक के बिना ही लेन-देन किया जाता है. बिटक्वाइन का इस्तेमाल इंटरनेट पर रुपये और दूसरी मुद्राओं के लेन-देन के लिए किया जाता है. चूंकि, इंटरनेट दुनिया की यह आभासी मुद्रा किसी कानून के दायरे में नहीं आती, इसलिए इस पर कानूनन कोई कार्रवाई करना भी आसान नहीं है. बताया यह जा रहा है कि यह आभासी मुद्रा किसी देश या सरकार की नहीं है. कुछ ऑनलॉइन पोर्टल इसे स्वीकार भी कर रहे हैं, तो चीन जैसे देशों ने इसका विरोध करते हुए इस पर रोक लगा दी है. पहले तो यह कि इंटरनेट से जुड़ी किसी समस्या का हल करने से बिटक्वाइन मिलते हैं. इसके अलावा इसे पैसे देकर भी खरीदा जा सकता है.

बिटक्वाइन का इस्तेमाल फंड ट्रांसफर, इंटरनेट पर सीधे लेन-देन, सामान खरीदने और गैरकानूनी खरीद-बिक्री में होता है. भारत में बिटक्वाइन के ट्रांजैक्शन का प्लैटफॉर्म https://support.buysellbitco.in/support/home पर उपलब्ध है. हालांकि, बिटक्वाइन को लेकर कुछ सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं. जैसे कि इसके दाम में बेलगाम उतार-चढ़ाव रहता है. बिटक्वाइन किसी सेंट्रल बैंक के नियंत्रण में नहीं है और इसका सौदा किससे हुआ, ये पता लगा पाना आसान भी नहीं है. इसीलिए किसी भी देश अथवा कंपनी पर फिरौती की वसूली के लिए साइबर हमला करने वाले पीड़ित देश अथवा कंपनी से नकदी रकम के बजाय बिटक्वाइन की मांग करते हैं. इस समय रैनसमवेयर के जरिये विभिन्न देशों में साइबर हमले के जरिये करीब 32 हजार डॉलर यानी 20,500 लाख रुपये की वसूली फिरौती के रूप में की जा चुकी है.

किसने बनाया आभासी मुद्रा बिटक्वाइन

सबसे पहले वर्ष 1998 में वेई दाई (wei dai) की ओर से साइफरमपंक्स की मेलिंग सूची पर आभासी मुद्रा के तौर पर क्रिप्टो मुद्रा यानी बिटकौन की अवधारणा को पेश किया गया. इसे पेश किये जाने के पीछे सबसे बड़ी वजह मुद्रा को एक नया रूप देते हुए निर्माण और सौदे को नियंत्रित करते हुए केंद्रीय सत्ता के विरोध में क्रिस्टोग्राफी को इस्तेमाल करना था. इस मुद्रा का सबसे पहली बार वर्ष 2009 में सैतोशी नकामोटा द्वारा किया गया था. हालांकि, उस समय तक यह पता नहीं चल पाया था कि इस आभासी मुद्रा का सबसे पहले इस्तेमाल करने वाला सतोशी नकामोटो किस देश का निवासी है. इसके एक साल बाद वर्ष 2010 में उसने इस पर अपना दावा भी छोड़ दिया था. इसके बाद से ही, इस आभासी मुद्रा का दुनिया भर में बिटक्वाइन से प्रचलन बढ़ गया और आज साइबर हमले के बाद फिरौती वसूली में इस्तेमाल किया जा रहा है.

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मोनाकोइन के लिए विनिमय दर क्या है?

मोनाकोइन आभासी मुद्रा दरों

Monacoin यह भी अभी कुछ समय पहले कीमत पर शीर्ष 100 सबसे मूल्यवान आभासी मुद्राओं में आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना दर्ज किया गया था, वर्तमान में कीमत 1 मोना = $ 0.403086 और कुल बाजार पूंजीकरण है 21,184,991 USD 11,232 बीटीसी के बराबर। यदि आप रुचि रखते हैं और मोनाकोइन में दीर्घकालिक निवेश करना चाहते हैं, तो आप देख सकते हैं मोनाकोइन विनिमय दर इसकी कीमत और पूंजीकरण में नवीनतम उतार-चढ़ाव को समझने के लिए हमें वास्तविक समय में 24/7 अपडेट किया जाता है।

डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल

थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।

दो तरह की होगी CBDC

– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।

RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।

डिजिटल करेंसी के फायदे

देश में आरबीआई आभासी मुद्रा और सामान का उपयोग करना की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे

बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।

CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा

चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी

CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है

अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।

भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।

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