डॉलर हुआ मजबूत

रूबल पर लगाम कसने की तैयारी
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीदा, जिस पर अमेरिका की नजर टेढ़ी हो गई है. अमेरिका को तेल के बजाए इस बात की ज्यादा चिंता है कि भारत, चीन और बाकी विकासशील देश कहीं आपस में मिलकर अपनी-अपनी करेंसी में व्यापार करने लगे तो उसके लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी. ऐसा हुआ तो डॉलर का अंतरराष्ट्रीय करेंसी के तौर पर बना रूतबा कम हो जाएगा.
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है, रुपया कमजोर, डॉलर मजबूत क्यों हुआ?
पंकज कुमार
- नई दिल्ली,
- 19 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 19 जुलाई 2022, 1:46 PM IST)
- एक डॉलर की कीमत 80 रुपये हुई
- डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ
मेरी पीढ़ी ने जबसे होश संभाला है तब से अख़बारों और टीवी पर यही हेडलाइन पढ़ी कि डॉलर के मुकाबले रुपये में रिकॉर्ड गिरावट. आज फिर हेडलाइन है रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, एक डॉलर की कीमत 80 रुपये के पार हुई. अक्सर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को देश की प्रतिष्ठा के साथ जोड़ा जाता है. लेकिन क्या यह सही है? आजादी के बाद भारत सरकार ने लंबे समय तक कोशिश की कि रुपये की कीमत को मजबूत रखा जा सके. लेकिन उन देशों का क्या जिन्होंने खुद अपनी करेंसी की कीमत घटाई? करेंसी की कीमत घटाने की वजह से उन देशों की आर्थिक हालत न केवल बेहतर हुई बल्कि दुनिया की चुनिंदा बेहतर अर्थव्यवस्थाओं में वो देश शामिल भी हुए.
डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर सकती हैं.
करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
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Rupee VS Dollar : मजबूत डॉलर से क्या पूरी दुनिया में मंदी लाएगा अमेरिका? क्यों पैदा हो रहा ये डर
डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा अभी 82 रुपये के डॉलर हुआ मजबूत आसपास है.
भारतीय मुद्रा सहित दुनियाभर की करेंसी इस समय डॉलर के सामने पानी भर रही है. इसका कारण ये नहीं कि किसी देश की मुद्रा कमजो . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 19, 2022, 07:40 IST
अमेरिका को डॉलर के अंतरराष्ट्रीय करेंसी होने से जबरदस्त फायदे होते हैं.
अमेरिका अपने इंपोर्ट के गैप को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करता है.
दुनियाभर में होने वाला 40 फीसदी व्यापारिक लेनदेन डॉलर में ही किया जाता है.
नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये का संकट भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. दुनियाभर के बाजारों में मंदी के बावजूद भारतीय बाजार किसी तरह अपने पैरों पर खड़ा होता नजर आ रहा है, लेकिन कमजोर करेंसी बाजारों को भूत की तरह डरा रही है. अब सवाल उठता है कि क्या अमेरिका जानबूझकर डॉलर को मजबूत कर रहा है या फिर अमेरिका को अपनी मंदी से ज्यादा डॉलर के कमजोर होने का डर है.
'डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत'
Dollar Vs Rupee : अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.18 के भाव पर मजबूती के साथ खुला और थोड़ी ही देर में यह 81.14 के स्तर तक भी पहुंच गया.
दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर पड़ने और घरेलू शेयर बाजार में जारी तेजी को बदौलत आज अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया 43 पैसे मजबूत होकर 81.92 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया.
मजबूत डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो गया है. डॉलर एक सप्ताह में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि ब्याज दरें वर्तमान में बाजार की अपेक्षा से अधिक हो सकती हैं. ब्लूमबर्ग ने बुधवार को 82.7850 के करीब की तुलना में 82.8175 पर खुलने के बाद रुपये को आखिरी बार 82.9150 प्रति डॉलर पर रखा.
'डॉलर के मुकाबले दुनिया की बाकी डॉलर हुआ मजबूत मुद्राओं से रुपया मजबूत,' बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
aajtak.in
- पुणे,डॉलर हुआ मजबूत
- 24 सितंबर 2022,
- (अपडेटेड 24 सितंबर 2022, 10:50 PM IST)
डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार कमजोर होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि दुनिया की बाकी मुद्राओं की तुलना में रुपया अधिक मजबूती से खड़ा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया काफी मजबूत देखा जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं.
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बता दें कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 81 रुपये के करीब पहुंच गया है. पिछले कुछ महीनों में रुपये की कीमत में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसे लेकर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं. शुक्रवार को 83 पैसे की गिरावट हुई, जिसे पिछले सात महीने में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट मानी गई है. इससे पहले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 19 पैसे गिरा था और 80.98 के निचले स्तर पर पहुंच गया था.
हर रोज बन रहा है रुपये के गिरने का रिकॉर्ड
अमेरिका में ब्याज दरें लगातार बढ़ (US Rate Hike) रही हैं. इस सप्ताह अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में 0.75 फीसदी की भारी-भरकम बढ़ोतरी की. दरें बढ़ने की रफ्तार में सुस्ती नहीं आने का संकेत मिलने से दुनिया भर की करेंसीज डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रही हैं. फेडरल रिजर्व का संकेत मिलने के बाद इन्वेस्टर्स दुनिया भर के बाजरों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षा के लिहाज से अमेरिकी डॉलर में अपना इन्वेस्टमेंट झोंक रहे हैं. इस कारण भारतीय मुद्रा 'रुपया (INR)' समेत तमाम अन्य करेंसीज के लिए ये सबसे खराब दौर चल रहा है.डॉलर हुआ मजबूत
पहली बार 83 रुपये के स्तर से नीचे चला गया था
खबर के मुताबिक, अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 83.05 पर कमजोर खुला और बाद में 83.29 के निचले लेवल तक चला गया. कारोबार के दौरान यह 82.72 के उच्चतम स्तर पर भी गया. आखिर में रुपया गिरावट से उबरते हुए बुधवार के बंद भाव के मुकाबले 25 पैसे मजबूत होकर 82.75 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 60 पैसे की गिरावट के साथ पहली बार 83 रुपये के स्तर (Dollar vs INR) से नीचे चला गया.
दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.17 प्रतिशत गिरकर 112.79 पर आ गया. इधर, बीएसई सेंसेक्स 95.71 अंक चढ़कर 59,202.90 और एनएसई निफ्टी 51.70 अंक की बढ़त के साथ 17,563.95 अंक पर बंद हुआ. इसके अलावा इंटरनेशनल ऑयल स्टैंडर्ड ब्रेंट क्रूड वायदा 1.17 प्रतिशत बढ़कर 93.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.