एमए क्या है?

Yoga Course: सर्टिफाइड योग टीचर बनने के लिए क्या चाहिए? आप भी कर सकते हैं अप्लाई
Yoga Certificate Course: अगर आप भी योगा अध्यापक बनना चाहते हैं, तो आपको यहां योग्यता, करियर व वेतन की पूरी जानकारी मिलेगी।
Image Credit: freepik
हाइलाइट्स
- योग में बीएससी करने के बाद मिलेंगी अच्छी नौकरी
- यहां जानें योगा टीचर बनने के लिए कितनी योग्यता है जरूरी
- जानें योगा कोर्स के लिए बेस्ट कॉलेज की लिस्ट
योग के लिए प्रमुख कोर्स (Main Courses for Yoga)
सर्टिफिकेट कोर्स (Certificate Course)
डिग्री व डिप्लोमा के अलावा आप योग के क्षेत्र में शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं। यह कोर्स किसी भी उम्र में कर सकते हैं। यह कोर्स घंटे के हिसाब से पेश किए जाते हैं। इसमें मुख्यत: 200 घंटे से लेकर 500 घंटे तक का कोर्स होता हैं, यह टीचर ट्रेनिंग के लिए कराए जाते हैं।
इसे भी पढ़ें: CA Course Detail: ग्रेजुएशन के बाद भी कर सकते हैं सीए, यहां जानें पूरी डीटेल
योग में डिप्लोमा (Diploma in Yoga)
योग में अगर डिग्री नहीं करना चाहते तो डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। यह एक शॉर्ट टर्म कोर्स है, इसे 12वीं के बाद कर सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ जैसी चीजें इस कोर्स में सीख सकते हैं।
योग में बीएससी (BSc in Yoga)
अगर आप योग टीचर के तौर पर करियर बनाना चाहते हैं, तो 12वीं के बाद ग्रेजुएशन कोर्स के तौर पर बीएससी योग कर सकते हैं। यह 3 साल का डिप्लोमा कोर्स है। इसमें योग विज्ञान, शरीर की रचना, योग के प्रभाव के बारे में विस्तार से पढ़ाया जाता है।
योग में एमएससी (MSc in Yoga)
योग में बीएमसी करने के बाद एमएससी योग कोर्स कर सकते हैं। इस में दाखिला लेने वाले छात्रों को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, उपनिषद, योग थेरेपी और योग सूत्रों जैसी चीजें पढ़ाते हैं। इसके अलावा वेद और प्राचीन पाठ जैसे भगवत् गीता को भी सीखने का मौका मिलता है।
योग में बीए (BA in Yoga)
योग के क्षेत्र में बीए कोर्स एक एकेडमिक कोर्स की तरह है। इसमें छात्रों को आयुर्वेद की मूल एमए क्या है? बातों से लेकर इतिहास में योग के महत्व के बारे में पढ़ाया जाता है। यह कोर्स 3 साल का होता है।
इसे भी पढ़ें: Best courses after 12th class: 12वीं के बाद कर सकते हैं ये 2 साल के डिग्री कोर्स
पीजी डिप्लोमा कोर्स (PG Diploma Course)
योग में बीए के बाद अगर आप एमए नहीं करना चाहते तो पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स में छात्रों को योग विज्ञान का गहन अध्ययन कराया जाता है।
योग में एमए (MA in Yoga)
बीए के बाद आप एमए योग कोर्स कर सकते हैं। यह कोर्स भी 2 साल का होता है जिसमें छात्रों को योग के बारे में गहन जानकारी हासिल हो सकती है। इसके बाद रिसर्च और डेवलपमेंट की पढ़ाई कर सकते हैं।
योग में बीएड (B.ED in Yoga)
अगर आप टीचिंग लाइन में जाना चाहते हैं तो ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद बीएड योग कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स के लिए आपको एक अच्छा वक्ता भी होना बहुत जरुरी है। ताकि वह लोगो को अपनी बात अच्छी तरह से समझा सके।
करियर स्कोप व वेतन (Career Scope & Salary)
योग के क्षेत्र में आज व्यापक करियर ऑप्शन है। आप किसी कॉलेज व संस्थान से जुड़कर या फिर ट्यूटर के तौर पर योग सिखा सकते हैं। समय- समय पर सरकारी और प्राइवेट कॉलेज व योग शिक्षण संस्थान में गेम टीचर और योगा टीचर के रिक्त पदों की अधिसूचना जारी की जाती है। एक योग टीचर के रूप में आप प्रतिमाह 15 से 25 हजार रूपये कमा सकते हैं।
मोदी की एमए डिग्री में बताया गया पेपर उस दौर में नहीं था: पूर्व प्रोफेसर
गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर नहीं था. The post मोदी की एमए डिग्री में बताया गया पेपर उस एमए क्या है? दौर में नहीं था: पूर्व प्रोफेसर appeared first on The Wire - Hindi.
गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर नहीं था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो: Narendramodi.in)
गुजरात विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर जयंती पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में एक फेसबुक पोस्ट लिखकर परोक्ष रूप से उनकी डिग्री पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने लिखा था कि गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति ने जिन विषयों का नाम लिया था, वे उस समय एमए पार्ट-2 में नहीं थे. हालांकि पटेल ने बाद में इस कथित फेसबुक पोस्ट को डिलीट कर दिया.
पिछले साल प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठने के बाद गुजरात विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा प्रधानमंत्री के एमए के विषयों के नाम बताए गए थे. इसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए जयंती पटेल ने यह पोस्ट लिखा था.
आउटलुक की ख़बर के अनुसार जयंती पटेल ने लिखा था, ‘इन पेपरों के नाम में कुछ सही नहीं है. जहां तक मेरी जानकारी है उस समय एमए के दूसरे साल में एमए क्या है? इन नामों का कोई पेपर नहीं हुआ करता था. मैं वहीं राजनीति विज्ञान विभाग में था. मैंने वहां 1969 से जून 1993 तक पढ़ाया है.’
इस पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि उनकी क्लास में मोदी की अटेंडेंस कम थी, जिसकी वजह से उन्होंने उन्हें (मोदी को) अपनी क्लास में आने की इजाज़त नहीं दी थी पर शायद सभी ने ऐसा नहीं किया था, पर एमए क्या है? मोदी को सलाह दी गई थी कि वे ग़ैर-संस्थागत छात्र के रूप में पढ़ सकते हैं.
आउटलुक में प्रकाशित रिपोर्ट
पिछले साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी की डिग्री पर सवाल खड़ा करते हुए सूचना विभाग से उनकी मार्कशीट की मांग की थी, जिसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस कर केजरीवाल के आरोपों का खंडन करते हुए, मोदी की मार्कशीट की कॉपी पेश की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की पिछले साल प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया था कि मोदी राजनीति विज्ञान में एमए हैं और वे फर्स्ट क्लास अंकों से पास हुए थे. गुजरात विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति एमएन पटेल ने कहा था कि मोदी ने राजनीति विज्ञान में ग़ैर-संस्थागत छात्र के बतौर एमए में 63.3 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. पहले वर्ष में उन्होंने 800 में से कुल 499 अंक हासिल किए थे. जबकि दूसरे वर्ष में 400 में से 262 अंक उन्हें मिले थे.’
डिग्री की मार्कशीट मांगने पर एमएन पटेल ने तब इसे देने से मना करते हुए कहा था, ‘हम किसी भी छात्र की डिग्री या मार्कशीट किसी भी मीडिया या तीसरे व्यक्ति को नहीं दे सकते. विश्वविद्यालय 30 वर्ष पुराना कोई भी दस्तावेज़ देने के लिए बाध्य नहीं है. मुझे सूचना विभाग या पीएमओ से किसी भी तरह का निर्देश नहीं मिला है और अगर वहां से कोई भी निर्देश दिया जाएगा, तभी मार्कशीट मीडिया से साझा किया जाएगा.’
गुजरात विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एलुमनी लिस्ट में नरेंद्र मोदी का नाम
पटेल ने यह भी कहा कि उन्होंने मोदी की डिग्री की जानकारी पीएमओ को वॉट्सऐप पर भेजी थी, लेकिन सिर्फ जानकारी मार्कशीट नहीं. उन्होंने यह भी कहा, ‘हमारे रिकॉर्ड के अनुसार मोदी अपना स्नातकोत्तर प्रमाण पत्र ले चुके हैं और उनका नाम हमारी वेबसाइट पर भी मौजूद है.’
स्क्रॉल की ख़बर के अनुसार, गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ महेश पटेल ने जयंती पटेल के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि 30 साल पहले ये पेपर उस कोर्स का हिस्सा थे.
ज्ञात हो कि नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान हलफनामे में बताया था कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और गुजरात विश्वविद्यालय से एमए किया है.
कॉमर्स के स्टूडेंट पढ़ सकेंगे आर्ट्स के सब्जेक्ट
इसके बाद अब पीजी कोर्सेज में स्टूडेंट्स को किसी भी स्ट्रीम में कोई भी सब्जेक्ट पढ़ने की छूट मिल जाएगी। नेशनल कॉलेज नार्थ इंडिया में पहला ऐसा संस्थान है, जो अपने यहां पर पीजी लेवल पर चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू कर रहा है।
नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अगर एमकॉम में कोई स्टूडेंट पढ़ रहा है, तो वह साइकोलॉजी, जियोग्राफी सब्जेक्ट का पेपर पढ़ सकता है। इसी तरह अगर स्टूडेंट एमए साइकोलॉजी में पढ़ रहा है तो वह एमकॉम व एमएससी का कोई भी पेपर पढ़ सकता है।
चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने का मकसद यह है कि स्टूडेंट्स को नॉलेज हासिल करने की पूरी छूट दी जाए। कई बार स्टूडेंट को अपना कोर्स पढ़ते-पढ़ते लगता है कि अगर वे दूसरा कोर्स पढ़ लें तो उसे कॅरिअर बनाने में और आसानी होगी।
ऐसे में हमने इस नए सिस्टम को लागू करने का निर्णय लिया है। डॉ. सिंह कहते हैं कि नार्थ इंडिया में नेशनल पीजी कॉलेज पहला ऐसा संस्थान है जो अपने यहां इस नए सिस्टम के तहत पीजी में पढ़ाई करवाने जा रहा है।
पीजी के बाद अब आगे हमारी कोशिश होगी कि एमए क्या है? इसे यूजी लेवल पर भी लागू करवाया जाए। फिलहाल, राजधानी में एकमात्र स्वायत्त पीजी कॉलेज नेशनल पीजी कॉलेज ने अपने यहां कोर्सेज को काफी अपडेट कर रखा है।
यहां पर स्नातक (यूजी) लेवल पर स्टूडेंट्स को रीजनिंग, न्यूमेरिकल एप्टीट्यूट और एनवॉयरेमेंट अवेयरनेस जैसे कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं। अब उसने पीजी में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लागू करके एक और छलांग लगाई है।
हर पेपर में 20 क्रेडिट दूसरे सब्जेक्ट का पढ़ सकेंगे स्टूडेंट
नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में हर सेमेस्टर में स्टूडेंट्स को पांच पर्चे पढ़ाए जाएंगे।
पीजी में चार सेमेस्टर होते हैं, ऐसे में उसे पांच गुना चार यानी 20 पर्चे पूरे दो साल के कोर्स में पढ़ने हैं। अब इस 20 में हर पर्चे को चार क्रेडिट यानि पूरा कोर्स 80 क्रेडिट का होगा।
इस 80 क्रेडिट में से स्टूडेंट को 20 क्रेडिट दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट को पढ़ने की छूट होगी। प्राचार्य डॉ. सिंह कहते हैं कि क्योंकि उनके यहां पांच कोर्स पीजी में हैं ऐसे में इसमें स्टूडेंट एक दूसरे सब्जेक्ट को आसानी से पढ़ सकेंगे।
यहां पीजी में एमकॉम, एमएससी एंथ्रोपोलॉजी, एमए एंथ्रोपोलॉजी, एमए साइकोलॉजी, एमए जियोग्राफी शामिल है। इसमें स्टूडेंट एक दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट को पढ़ सकेंगे।
नेशनल पीजी कॉलेज में अब पीजी कोर्सेज में पढ़ने वाले कॉमर्स के स्टूडेंट आसानी से आर्ट्स के सब्जेक्ट पढ़ सकेंगे। वहीं, आर्ट्स के स्टूडेंट अब कॉमर्स व साइंस के सब्जेक्ट आराम से पढ़ सकेंगे।
कॉलेज नए शैक्षिक सत्र 2014-15 से स्टूडेंट्स को पीजी कोर्सेज में यह आजादी देने जा रहा है। उसने नए शैक्षिक सत्र से चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू करने की घोषणा की है।
इसके बाद अब पीजी कोर्सेज में स्टूडेंट्स को किसी भी स्ट्रीम में कोई भी सब्जेक्ट पढ़ने की छूट मिल जाएगी। नेशनल कॉलेज नार्थ इंडिया में पहला ऐसा संस्थान है, जो अपने यहां पर पीजी लेवल पर चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू कर रहा है।
नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि अगर एमकॉम में कोई स्टूडेंट पढ़ रहा है, तो वह साइकोलॉजी, जियोग्राफी सब्जेक्ट का पेपर पढ़ सकता है। इसी तरह अगर स्टूडेंट एमए साइकोलॉजी में पढ़ रहा है तो वह एमकॉम व एमए क्या है? एमएससी का कोई भी पेपर पढ़ सकता है।
चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू करने का मकसद यह है कि स्टूडेंट्स को नॉलेज हासिल करने की पूरी छूट दी जाए। कई बार स्टूडेंट को अपना कोर्स पढ़ते-पढ़ते लगता है कि अगर वे दूसरा कोर्स पढ़ लें तो उसे कॅरिअर बनाने में और आसानी होगी।
ऐसे में हमने इस नए सिस्टम को लागू करने का निर्णय लिया है। डॉ. सिंह कहते हैं कि नार्थ इंडिया में नेशनल पीजी कॉलेज पहला ऐसा संस्थान है जो अपने यहां इस नए सिस्टम के तहत पीजी में पढ़ाई करवाने जा रहा है।
पीजी के बाद अब आगे हमारी कोशिश होगी कि इसे यूजी लेवल पर भी लागू करवाया जाए। फिलहाल, राजधानी में एकमात्र स्वायत्त पीजी कॉलेज नेशनल पीजी कॉलेज ने अपने यहां कोर्सेज को काफी अपडेट कर रखा है।
यहां पर स्नातक (यूजी) लेवल पर स्टूडेंट्स को रीजनिंग, न्यूमेरिकल एप्टीट्यूट और एनवॉयरेमेंट अवेयरनेस जैसे कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं। अब उसने पीजी में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को लागू करके एक और छलांग लगाई है।
हर पेपर में 20 क्रेडिट दूसरे सब्जेक्ट का पढ़ सकेंगे स्टूडेंट
नेशनल पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में हर सेमेस्टर में स्टूडेंट्स को पांच पर्चे पढ़ाए जाएंगे।
पीजी में चार सेमेस्टर होते हैं, ऐसे में उसे पांच गुना चार यानी 20 पर्चे पूरे दो साल के कोर्स में पढ़ने हैं। अब इस 20 में हर पर्चे को चार क्रेडिट यानि पूरा कोर्स 80 क्रेडिट का होगा।
इस 80 क्रेडिट में से स्टूडेंट को 20 क्रेडिट दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट को पढ़ने की छूट होगी। प्राचार्य डॉ. सिंह कहते हैं कि क्योंकि उनके यहां पांच कोर्स पीजी में हैं ऐसे में इसमें स्टूडेंट एक दूसरे सब्जेक्ट को आसानी से पढ़ सकेंगे।
यहां पीजी में एमकॉम, एमएससी एंथ्रोपोलॉजी, एमए एंथ्रोपोलॉजी, एमए साइकोलॉजी, एमए जियोग्राफी शामिल है। इसमें स्टूडेंट एक दूसरे कोर्स के सब्जेक्ट को पढ़ सकेंगे।
एमए करने के लिए 70% नंबर लाना अनिवार्य, पढ़ें नए नियम
एमए करने के लिए छात्रों को 70 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा। कोविड काल में छात्रों को बगैर परीक्षा के अच्छे नंबरों के साथ प्रमोट कर दिया गया। इसका खामियाजा अब वह छात्र भुगत रहे हैं जिन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन पूरी कर ली हो। लिहाजा आवेदकों की छंटनी करने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय को मिनिमम मार्क्स के नियम में बदलाव करना पड़ा है। नई व्यवस्था के तहत दोबारा एमए करने के इच्छुक उन्हीं अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा जिन्होंने ग्रेड-9 प्राप्त किया है।