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ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है?

ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है?

आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम

अगर आप स्टॉक मार्केट या आईपीओ में निवेश करते है तो आपने कभी न कभी आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम का नाम जरुर सुना होगा। इसलिए आज हम आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है और कैसे काम करता है, विस्तार में समझते है।

ग्रे मार्केट एक समानांतर मार्केट है जहां स्टॉक्स में अनऔपचारिक तरीके से ट्रेड होता है। ये जब होता है जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लेकर आती है।

चलिए आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम के बारे में विस्तार से समझते है।

आईपीओ ग्रे मार्केट क्या है?

ग्रे मार्केट को समझने से पहले हम ये समझ लेते है कि मार्केट कौन–कौन से होते है। मार्केट को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है।

  1. वाइट मार्केट (White Market):- यह एक ओपन मार्केट है, जहां सारी ट्रेडिंग गतिविधि रूल्स एंड रेगुलेशंस के अनुसार होती है। जैसे कि स्टॉक मार्केट, जिसे सेबी रेगुलेट करता है और सारी ट्रेडिंग गतिविधि नियम और कानून के अनुसार होती है।
  2. ब्लैक मार्केट (Black Market):- एक ब्लैक मार्केट उन सामानों से संबंधित है जो आमतौर पर आयात शुल्क और अन्य शुल्कों से बचने के लिए देश में तस्करी कर लाए जाते हैं। जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी होता है। इसके बहुत से ऐसे काम है जो गैर कानूनी तरीके से किए जाते है वह ब्लैक मार्केट की श्रेणी में आते हैं।
  3. ग्रे मार्केट (Gray Market):- एक आईपीओ ग्रे मार्केट वह मार्केट है जहां किसी कंपनी के शेयरों की बोली लगाई जाती है और ट्रेडर्स द्वारा अनौपचारिक(Unofficial) रूप से शेयर प्राइस पेश किए जाते है। यह किसी कंपनी द्वारा आईपीओ में शेयर जारी किए जाने से पहले होता है।

चूंकि यह एक Unofficial Market है, इसलिए इसमें कोई नियम और कानून नहीं होते हैं। इसमें सेबी जैसे रेगुलेटर शामिल नहीं होते हैं। इसके अलावा सेबी इसका समर्थन भी नहीं करता है।

ग्रे मार्केट आमतौर पर व्यक्तियों के एक छोटे समूह द्वारा चलाए जाते हैं। जिसमें सभी सौदे आपसी विश्वास पर आधारित होते हैं।

ग्रे मार्केट का एक आसान उदाहरण एक छोटा व्यवसाय है जो किसी विशेष कंपनी का माल बेचता है, अब भले ही वे मार्केट में अधिकृत डीलर न हों। लेकिन इसमें यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसा करने वाले छोटे व्यवसाय कानूनी संस्थाएं हैं।

इसलिए ये वाइट मार्केट और ब्लैक मार्केट का मिला जुला रुप होता है जिस कारण से इसे Parallel market भी कहते है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है?

ग्रे मार्केट प्रीमियम जिसे जीएमपी (GMP) के नाम से भी जाना जाता है, जीएमपी एक प्रीमियम राशि है जिस पर ग्रे मार्केट आईपीओ में शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से पहले कारोबार किया जाता है।

अगर आसान शब्दों में कहें तो IPO लाने वाली ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है? कंपनी का स्टॉक शेयर मार्केट के बाहर भी खरीदा और बेचा जाता है। ये खरीद-बिक्री ग्रे मार्केट में होती है।

ग्रे मार्केट जीएमपी दर्शाता है कि लिस्टिंग के दिन आईपीओ कैसे प्रतिक्रिया कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी आईपीओ ला रही है और वह अपने शेयर का प्राइस 100 रुपये पैश करती है और ग्रे मार्केट प्रीमियम लगभग 20 रुपये है तो उस आईपीओ की लिस्टिंग लगभग 120 रुपये पर होगी।

जीएमपी कोई पक्की गारंटी नही देता है लेकिन ज्यादातर मामलों में, जीएमपी सही से काम करता है और आईपीओ प्राइस प्रीमियम के आसपास सूचीबद्ध होता है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम और कुछ नहीं बल्कि वह कीमत है जिस पर ग्रे मार्केट में शेयरों का कारोबार किया जा रहा है।

ग्रे मार्केट में एक सामान्य डील कैसे काम करती है, समझते है-

इसे एक और उदाहरण से समझते हैं।

माना राहुल एक शेयर मार्केट ट्रेडर हैं। राहुल को आने वाले आईपीओ में कंपनी की तरफ से एक निश्चित मूल्य पर 500 शेयर आवंटित किए गए हैं।

इसी बीच अन्य निवेशक भी हैं, जिन्हें खरीदार कहा जाता है, जो सोचते हैं कि शेयर की प्राइस इशु प्राइस से बहुत अधिक है। इसलिए ये खरीदार ग्रे मार्केट में शेयरों पर प्रीमियम देने को तैयार हो जाते हैं। ग्रे मार्केट के डीलर जैसे राहुल, निवेशकों से संपर्क करते हैं और शेयरों को एक निश्चित कीमत (प्रीमियम) पर बेचने का सौदा करने का फैसला करते हैं जो कि आईपीओ के इशु प्राइस से अधिक है।

अब यदि राहुल को सौदा पसंद है और वह स्टॉक की लिस्टिंग के दिन जोखिम लेने को तैयार नहीं है, तो वह अपने शेयर बेचकर, लाभ बुक कर सकता है।

यहाँ पर मान लेते है की शेयर की प्रीमियम वैल्यू 150 रुपये रखी गई है तो राहुल (500*150) 75000 रूपये प्रीमियम प्राप्त करेगा अब अगर लिस्टिंग वाले दिन शेयर कर प्राइस 250 रुपये पहुंच जाता है तब भी राहुल को उस प्राइस पर शेयर बेचकर निवेशक को पूरी राशि देनी होगी।

लेकिन अगर शेयर का प्राइस कम वैल्यू में लिस्ट होता है तब राहुल प्रीमियम से कमाई हुए राशि से मुनाफा कमा सकते है।

निष्कर्ष

जैसा कि पहले बताया गया है, कि ग्रे मार्केट एक Unofficial Market है। जिसमें कि एक निवेशक के लिए, ग्रे मार्केट को एक इंडीकेटर के रूप में देखा जा सकता है कि स्टॉक सूचीबद्ध होने के बाद कैसा प्रदर्शन कर सकता है।

अगर ग्रे मार्केट प्रीमियम की वैल्यू ज़्यादा है तो उससे ये अनुमान लगाया जाता है की स्टॉक का लिस्टिंग प्राइस ज़्यादा होगा और दूसरी तरफ GMP की कम वैल्यू कम लिस्टिंग प्राइस और मुनाफा दर्शाती है ।

स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है और इसलिए ज़रूरी है कि आप सही ज्ञान और समझ के साथ ही इसमें निवेश करे। तो अगर आप एक सही शुरुआत करना चाहते है तो अभी ऑनलाइन शेयर मार्केट कोर्स ले और सही स्टॉक में निवेश कर अपने मुनाफे और रिटर्न को बढ़ाये।

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FATF and Pakistan: सरल भाषा में जानिए क्‍या है ग्रे लिस्‍ट और ब्‍लैक लिस्‍ट, आखिर इससे क्‍यों चिंतित है पाकिस्‍तान? एक्‍सपर्ट व्‍यू

सरल भाषा में जानिए क्‍या है ग्रे लिस्‍ट और ब्‍लैक लिस्‍ट, आखिर इससे क्‍यों चिंतित है पाकिस्‍तान। फाइल फोटो।

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का संकट है उधर दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास लाने पर अड़ा है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का संकट है, तो दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने पर अड़ा है। इससे इमरान सरकार को खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। उधर, इस महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्‍लेनरी और वर्किंग की बैठक से पहले पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट में खिसकने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि पाकिस्‍तान पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि ग्रे लिस्‍ट के बाद पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट की संभावना क्‍यों बढ़ गई। इसके पीछे क्‍या है बड़े कारण। एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्‍तान के पास क्‍या है विकल्‍प।

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1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि इमरान सरकार पाकिस्‍तान में सक्रियआतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। इमरान सरकार ने पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठनों के सामने घुटने टेक दिए हैं। पाकिस्तान सरकार के हाल के फैसलों से एफएटीएफ के आदेशों का उल्लंघन होने की संभावनाएं हैं। प्रो पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लांड्रिंग को लेकर पाकिस्‍तान को खुद सबूत देने होंगे। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में एफएटीएफ ने बिल्‍कुल साफ किया था कि पाकिस्‍तान सरकार खुद साबित करे कि उसने क्‍या कार्रवाई की है।

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2- इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से पाकिस्‍तान सरकार ने अब तक 30 पर ही कार्रवाई की है। बाकी के चार अहम बिंदुओं को उसने ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में उसके ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्‍ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्‍ती से अमल करने को कहा था।

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3- प्रो पंत का कहना है कि ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। एफएटीएफ इसकी मानिटरिंग करता है। कुल मिलाकर आप इसे ‘वार्निंग विद मानिटरिंग’ कह सकते हैं। ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मानेटरी एजेंसी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। इसके अलावा व्‍यापार में भी दिक्कत होती है।

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4- अगर किसी मुल्‍क के खिलाफ जब सबूतों से यह प्रमाणित हो जाता है कि उक्‍त देश से टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग हो रही है। इसके बाद एफएटीएफ उक्‍त मुल्‍क को एलर्ट जारी करता है। आतंकी संगठनों पर उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद उक्‍त देश को पहले ग्रे लिस्‍ट में शामिल किया जाता है, इसके बाद लगातार उल्‍लंघन की स्थिति में उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों को आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल एजेंसी आर्थिक मदद नहीं देती। इसके अलावा मल्टी नेशनल कंपनियां भी उस देश से अपना कारोबार समेट लेती हैं। रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।

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ग्रे लिस्‍ट और पाकिस्‍तान

पाकिस्‍तान 2008 में पहली बार ग्रे लिस्‍ट हुआ। 2009 में यह ग्रे लिस्‍ट से बाहर हुआ था। 2012 पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट में शामिल हुआ। 2016 में इससे निकल पाया। वर्ष 2018 में फ‍िर ग्रे लिस्‍ट में आया। वर्ष 2021 अब तक इसी लिस्‍ट में शामिल हुए। जी-7 देशों की पहल पर 1989 में स्‍थापना हुई । पेरिस में हेडक्‍वार्टर साल में तीन बैठक होती है। इस 39 सदस्‍य। भारत 2010 में इसका मेंबर है। 1990 में पहली बार सिफारिशें लागू हुई। 1996 से 2012 तक चार अपडेट हुए।

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इस आईपीओ के तहत कोई भी नया शेयर नहीं जारी होगा.

Dreamfolks IPO के तहत कोई भी नया शेयर नहीं जारी होगा. कंपनी के प्रमोटर्स ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत 1.72 करोड़ इक्विटी शेयरों की बिक्री करेंगे. ग्रे मार्केट में कंपनी के अनलिस्‍टेड शेयर को अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिल रहा है और यह शेयर ग्रे मार्केट में 70 रुपये प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : August 22, 2022, 13:20 IST

हाइलाइट्स

ड्रीमफोक्स सर्विसेज लिमिटेड का आईपीओ (DreamFolks Services IPO) 24 अगस्त को खुलेगा.
IPO का प्राइस बैंड प्रति इक्विटी शेयर 308 से 326 रुपये तय किया गया है.
ड्रीमफोक्स आईपीओ के एक लॉट में कंपनी के 46 शेयर होंगे.

नई दिल्‍ली. भारत के सबसे बड़े एयरपोर्ट सेवा एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म ड्रीमफोक्स सर्विसेज लिमिटेड का आईपीओ (DreamFolks Services IPO) 24 अगस्त को खुलेगा. यह आईपीओ 3 दिनों तक खुला रहेगा, यानी निवेशक इसमें 26 अगस्त तक सब्सक्रिप्शन के लिए अप्लाई कर सकेंगे. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड तय कर दिया है. बीएसई वेबसाइट पर उपलब्‍ध जानकारी के अनुसार इसका प्राइस बैंड प्रति इक्विटी शेयर 308 से 326 रुपये तय किया गया है.

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रे मार्केट में कंपनी के अनलिस्‍टेड शेयर को अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिल रहा है और यह शेयर ग्रे मार्केटमें 70 रुपये प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. इस तरह ये अपर प्राइस बैंड से 21.50 फीसदी ज्‍यादा है. इस आईपीओ के तहत कोई भी नया शेयर नहीं जारी होगा. कंपनी के प्रमोटर्स ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत 1.72 करोड़ इक्विटी शेयरों की बिक्री करेंगे.

एक लॉट में 46 शेयर

इस आईपीओ में बोलीदाता लॉट में आवेदन कर सकेगा. ड्रीमफोक्स आईपीओ के एक लॉट में कंपनी के 46 शेयर होंगे. ड्रीमफोक्स आईपीओ के शेयरों का आवंटन 1 सितंबर 2022 को हो सकता है. इस पब्लिक इश्यू को एनएसई और बीएसई दोनों पर सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है. IPO की लिस्टिंग 6 सितंबर, 2022 को हो सकती है.

नए शेयर नहीं होंगे जारी

सेबी के पास जमा कराए गए दस्‍तावेजों के अनुसार, कंपनी के प्रोमोटर्स ओएफएस विंडो के तहत शेयर बेचेंगे. कंपनी एयरपोर्ट पर ग्राहकों को लाउंज, खाना, स्पा, मीट एंड असिस्ट और ट्रांसफर जैसी सुविधाएं मुहैया कराती ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है? है. कंपनी इस कारोबार में 2013 से है. इश्यू के लिए इक्विरस कैपिटल और मोतीलाल ओसवाल इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स को बुक रनिंग लीड मैनेजर बनाया गया है.

कंपनी की आर्थिक स्थिति

31 सितंबर 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार, कंपनी की नेटवर्थ 64.7 करोड़ रुपये थी. कंपनी का रेवन्यू सितंबर 2021 की तिमाही के दौरान 85.1 करोड़ रुपये रहा था. वित्त वर्ष 2021 में कंपनी को 105.6 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू प्राप्‍त हुआ था. यह वित्त वर्ष 2020 की तुलना में कम है. वित्‍त वर्ष 2020 में राजस्‍व 367.04 करोड़ रुपये था.

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इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी, ग्रे लिस्‍ट में शामिल होना तय, ब्‍लैक लिस्‍ट का खतरा, जानें-एक्‍सपर्ट व्‍यू

इमरान सरकार के लिए खतरे की घंटी, ग्रे लिस्‍ट में शामिल होना तय, ब्‍लैक लिस्‍ट का खतरा।

FATF की ग्रे लिस्‍ट से निकलने को बेचैन पाकिस्‍तान को अभी और इंतजार करना होगा। आखिर क्‍या है ग्रे लिस्‍ट। पाकिस्‍तान इस लिस्‍ट से बाहर आने को क्‍यों है बेचैन। ग्रे लिस्‍ट में रहने से पाक को क्‍या है नुकसान।

नई दिल्‍ली/इस्‍लामाबाद, आनलाइन डेस्‍क। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्‍ट से निकलने को बेचैन पाकिस्‍तान को अभी और इंतजार करना होगा। यह माना जा रहा है कि पाकिस्‍तान को अगले वर्ष अप्रैल तक ग्रे ल‍िस्‍ट में रखा जाएगा। गौरतलब है कि मंगलवार से शुरू हुई एफएटीएफ की बैठक गुरुवार तक जारी रहेगी। इस बैठक पर भारत की भी नजर है। आखिर क्‍या है ग्रे लिस्‍ट। पाकिस्‍तान इस लिस्‍ट से बाहर आने को क्‍यों है बेचैन। ग्रे लिस्‍ट में रहने से पाक को क्‍या है नुकसान।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की फाइल फोटो।

पाक को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का एक और मौका

प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि एफएटीएफ की अब अगली बैठक अप्रैल, 2022 में होगी। मतलब साफ है कि पाकिस्‍तान को इस ग्रे लिस्‍ट से बाहर आने के लिए अभी कम से कम छह महीने इंतजार करना होगा। उन्‍होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्‍तान के लिए राहत की बात यह है एफएटीएफ ने उसे ब्‍लैक लिस्‍ट में नहीं डाला है। यानी पाक‍िस्‍तान को सुधरने के लिए उसे एक मौका और दिया जा रहा है। इमरान सरकार के लिए यह स्‍पष्‍ट संदेश है कि इस दौरान वह यह सिद्ध करे कि वह आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। उन्‍होंने कहा कि अगर पाक की कथनी और करनी में अंतर नहीं दिखा तो 2022 में वह ब्‍लैक लिस्‍ट में भी शामिल हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्‍तान के लिए बड़ा संकट होगा।

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एक्‍शन प्‍लान की शर्तों को पूरा नहीं कर रहा पाक

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। पाकिस्‍तान को एक एक्शन प्लान पर अमल के लिए कहा गया था। इस एक्‍शन प्‍लान में पाकिस्तान 28 में से 26 शर्तें पूरी कर चुका है, लेकिन बकाया दो शर्तें वह पूरा नहीं कर सका है। खास बात यह है कि यह दोनों शर्तें काफी अहम हैं। इसके चलते उसे आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपियन यूनियन से किसी तरह का कर्ज नहीं मिल पा रहा है। इमरान सरकार चीन तुर्की और मलेशिया की मदद से इस ग्रे लिस्ट से बाहर आना चाहती है, लेकिन भारत अमेरिका और फ्रांस के आगे इन देशों की चलती नहीं है।

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ग्रे लिस्‍ट और पाकिस्‍तान

भारत यह कहता रहा है कि पाकिस्‍तान आतंकवादी समूहों की मदद करता रहा है। वर्ष 2008 में दुनिया के सामने पाकिस्‍तान पहली बार तब बेनकाब हुआ, जब वह ग्रे लिस्‍ट में शामिल हुआ। हालांकि, वर्ष 2009 में वह इस लिस्‍ट से बाहर आ गया, लेकिन उसने आतंकवादियों को मदद करना जारी रखा। इसके चलते एफएटीएफ ने उसे दोबारा 2012 में ग्रे लिस्‍ट में शामिल किया। एफएटीएफ की आंखों में धूल झोंक कर वह फ‍िर 2016 में बाहर निकल गया। दो वर्ष बाद 2018 में एक बार फ‍िर वह ग्रे लिस्‍ट में शामिल हुआ और उसके बाद से वह इस लिस्‍ट से निकलने को बेताब है। वह लगातार आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया करा रहा है।

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आखिर क्या है ग्रे लिस्ट

एफटीएएफ के ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। ग्रे लिस्‍ट में शामिल देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। एफएटीएफ इसकी मॉनिटरिंग करती है। अगर इन देशों में सुधार सामने आता है तो उनको इस लिस्‍ट से बाहर कर दिया जाता है। इस लिस्ट में शामिल देशों को सबसे बड़ी दिक्‍कत कर्ज लेने में आती है। ग्रे लिस्‍ट में शाम‍िल देशों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मॉनेटरी बॉडी या किसी देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ग्रे लिस्‍ट में शामिल देशों को ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। उक्‍त देशों का अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार भी प्रभावित होता है।

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आखिर क्या है ब्‍लैक लिस्‍ट

एफटीएफ में जब यह साबित हो जाता है कि कोई देश टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्र‍िंग पर लगाम लगाने में सक्षम नहीं है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। इसके नतीजे ग्रे लिस्‍ट से ज्‍यादा खतरनाक होते हैं। ब्लैक लिस्ट में डाले गए देशों को आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक या कोई भी ग्रे या ब्लैक मार्केट क्या है? फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक मदद कतई नहीं करती। ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों से मल्टीनेशनल कंपनियां कारोबार समेट लेती है। रेटिंग एजेंसीज नेगेटिव लिस्ट में डाल देती है। कुल मिलाकर ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।

Pakistan FATF Grey List: पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से हटा, जानिए क्या है इस लिस्ट का मतलब

Pakistan FATF Grey List: पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. लिस्ट से नाम हटने के बाद पाकिस्तान ने राहत की सांस ली है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है FATF, इसकी ब्लैक और ग्रे लिस्ट में शामिल होने का क्या मतलब है

TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित गुप्ता

Updated on: Jun 17, 2022, 4:45 PM IST

Pakistan FATF Grey List: पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. जर्मनी के बर्लिन में चली रही बैठक में यह फैसला लिया गया. लम्बे समय से पाकिस्तान (Pakistan) आतंकरोधी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्‍ट से खुद का नाम हटाने में जुटा हुआ था. लिस्ट से नाम हटने के बाद पाकिस्तान ने बड़ी राहत की सांस ली है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है FATF, इसकी ब्लैक और ग्रे लिस्ट में शामिल होने का क्या मतलब है…

Pakistan FATF Grey List: पाकिस्तान का नाम FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. जर्मनी के बर्लिन में चली रही बैठक में यह फैसला लिया गया. लम्बे समय से पाकिस्तान (Pakistan) आतंकरोधी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्‍ट से खुद का नाम हटाने में जुटा हुआ था. लिस्ट से नाम हटने के बाद पाकिस्तान ने बड़ी राहत की सांस ली है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है FATF, इसकी ब्लैक और ग्रे लिस्ट में शामिल होने का क्या मतलब है…

FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो वित्तीय अपराध को रोकने का काम करती है. ये अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं. ऐसे ही वित्तीय अपराधों के आधार पर देशों को ब्लैक या ग्रे में लिस्ट शामिल किया जाता है. जैसे- अब तक पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल था.

FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो वित्तीय अपराध को रोकने का काम करती है. ये अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किए जाते हैं. ऐसे ही वित्तीय अपराधों के आधार पर देशों को ब्लैक या ग्रे में लिस्ट शामिल किया जाता है. जैसे- अब तक पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल था.

अब ब्लैक और ग्रे लिस्ट के अंतर को समझते हैं. ऐसे देश जो आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देते हैं उन्हें या तो ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है ग्रे लिस्ट में. ब्‍लैक लिस्‍ट को ग्रे लिस्‍ट से ज्‍यादा गंभीर माना जाता है. पाकिस्‍तान फिलहाल ग्रे लिस्‍ट (Grey List) में शामिल था, एक लम्बे समय के बाद उसे इस लिस्ट से हटाया गया है.

अब ब्लैक और ग्रे लिस्ट के अंतर को समझते हैं. ऐसे देश जो आतंकी गतिविधि को बढ़ावा देते हैं उन्हें या तो ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है ग्रे लिस्ट में. ब्‍लैक लिस्‍ट को ग्रे लिस्‍ट से ज्‍यादा गंभीर माना जाता है. पाकिस्‍तान फिलहाल ग्रे लिस्‍ट (Grey List) में शामिल था, एक लम्बे समय के बाद उसे इस लिस्ट से हटाया गया है.

ग्रे लिस्‍ट (Grey List) में उन देशों को शामिल किया जाता है जो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं. इस लिस्ट में उन देशों को शामिल करने का मतलब है कि उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि ऐसे मामलों पर रोक लगाएं. ऐसा न करने पर उन्हें ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है, जो बेहद गंभीर मानी जाती है. वर्तमान में ग्रे लिस्ट में पनामा, श्रीलंका, इथियोपिया, बाह्मास, बोत्‍सवाना, कम्‍बोडिया, घाना, पनामा, सीरिया, ट्यूनीशिया, यमन, त्र‍िनिनाद और तोबागो शामिल हैं.

ग्रे लिस्‍ट (Grey List) में उन देशों को शामिल किया जाता है जो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं. इस लिस्ट में उन देशों को शामिल करने का मतलब है कि उन्हें चेतावनी दी जा रही है कि ऐसे मामलों पर रोक लगाएं. ऐसा न करने पर उन्हें ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है, जो बेहद गंभीर मानी जाती है. वर्तमान में ग्रे लिस्ट में पनामा, श्रीलंका, इथियोपिया, बाह्मास, बोत्‍सवाना, कम्‍बोडिया, घाना, पनामा, सीरिया, ट्यूनीशिया, यमन, त्र‍िनिनाद और तोबागो शामिल हैं.

ब्लैक लिस्‍ट (Grey List) में उन देश को शामिल किया जाता है जो आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग उपलब्‍ध कराते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं. बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर फंडिंग के कारण नॉर्थ कोरिया और इरान को ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल किया गया है. ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को विदेशी कर्ज मिलना बंद हो जाता है और निवेशक दूरी बनाते हैं. नतीजा उस देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाती है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि नकारात्मक बनती है.

ब्लैक लिस्‍ट (Grey List) में उन देश को शामिल किया जाता है जो आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग उपलब्‍ध कराते हैं और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा देते हैं. बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर फंडिंग के कारण नॉर्थ कोरिया और इरान को ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल किया गया है. ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को विदेशी कर्ज मिलना बंद हो जाता है और निवेशक दूरी बनाते हैं. नतीजा उस देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाती है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि नकारात्मक बनती है.

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