लीज फाइनेंस

लीज होल्ड प्लॉट्स की अलॉटमेंट शर्तो में स्पष्ट है कि 15 साल के बाद इन्हें ट्रांसफर किया जा सकता है। इंडस्ट्रियल एरिया के अधिकांश प्लॉट 1974 से लेकर 1982 के बीच लीज पर दिए गए। यानी 30 साल लीज फाइनेंस से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में इनकी ट्रांसफर को नहीं रोका जा सकता।
लीज होल्ड इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी की ट्रांसफर को कैसे रोक सकता है प्रशासन: बंसल
चंडीगढ़. चंडीगढ़ प्रशासन लीज होल्ड इंडस्ट्रियल प्लॉट्स के ट्रांसफर पर रोक लगाने की तैयारी में है। लेकिन केंद्रीय रेल मंत्री व शहर के सांसद पवन कुमार बंसल ने इसे गलत ठहराया है। बुधवार को भास्कर से बातचीत में बंसल ने कहा, लीज होल्ड प्रॉपर्टी ट्रांसफर को प्रशासन कैसे रोक सकता है। प्रशासन अलॉटमेंट की शर्ते नहीं बदल सकता।
यदि ऐसा कोई निर्णय लिया गया तो वह सरासर गलत होगा। बंसल ने कहा, इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट 99 साल के लिए लीज पर दिए गए हैं। इस पीरियड के दौरान मालिकाना हक अलॉटीज का ही है। ऐसे में अलॉटीज को प्लॉट ट्रांसफर करने से नहीं रोका जा सकता। लोगों ने प्रशासन से यह प्लॉट रियायती दरों पर नहीं लिए, बल्कि पूरा प्रीमियम दिया है। इन प्लॉट्स का पूरा ग्राउंड रेंट और लीज लीज फाइनेंस मनी प्रशासन लेता है।
लीज होल्ड इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी की ट्रांसफर को कैसे रोक सकता है प्रशासन: बंसल
चंडीगढ़. चंडीगढ़ प्रशासन लीज होल्ड इंडस्ट्रियल प्लॉट्स के ट्रांसफर पर रोक लगाने की तैयारी में है। लेकिन केंद्रीय रेल मंत्री व शहर के सांसद पवन कुमार बंसल ने इसे गलत ठहराया है। बुधवार को भास्कर से बातचीत में बंसल ने कहा, लीज होल्ड प्रॉपर्टी ट्रांसफर को प्रशासन कैसे रोक सकता है। प्रशासन अलॉटमेंट की शर्ते नहीं बदल सकता।
यदि ऐसा कोई निर्णय लिया गया तो वह सरासर गलत होगा। बंसल ने कहा, इंडस्ट्रियल एरिया में प्लॉट 99 साल के लिए लीज पर दिए गए हैं। इस पीरियड के दौरान मालिकाना हक अलॉटीज का ही है। ऐसे में अलॉटीज को प्लॉट ट्रांसफर करने से नहीं रोका जा सकता। लोगों ने प्रशासन से यह प्लॉट रियायती दरों पर नहीं लिए, बल्कि पूरा प्रीमियम दिया है। इन प्लॉट्स का पूरा ग्राउंड रेंट और लीज मनी प्रशासन लेता है।
चंडीगढ़ क्लब सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ेगी
चंडीगढ़ क्लब के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर रोक
प्रशासन ने क्लब मैनेजमेंट में फाइनेंस सेक्रेटरी समेत तीन सदस्यों को प्रशासन की ओर से शामिल करने का रखा प्रस्ताव
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। यूटी प्रशासन ने चंडीगढ़ क्लब के मेंबर की संख्या बढ़ाए जाने पर फिलहाल प्रतिबंध लगाते हुए 33 साल की लीज डीड को कुछ शर्तों के साथ फाइनल कर दिया है। 97 लाख रुपये सालाना लीज डीड तय की गई है। हर साल 5 प्रतिशत की दर से लीज मनी बढ़ेगी। यह फैसला फाइनेंस सचिव अजोय कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में गठित की गई हाई लेवल कमेटी की ओर से किया गया है।
सूत्रों की मानें तो प्रशासन की ओर से वर्तमान में मौजूद 8000 सदस्यों की संख्या लीज फाइनेंस बिना प्रशासन के रिव्यू किए बढ़ाए जाने पर रोक लगाई है। साथ ही प्रशासन ने क्लब मैनेजमेंट में तीन सदस्यों को प्रशासन की ओर से शामिल करने को कहा है। इसमें एक सदस्य के तौर पर यूटी फाइनेंस सचिव होंगे जबकि दो अन्य सदस्य के रूप में होम सेक्रेटरी लीज फाइनेंस और डीसी के नाम शामिल किए जा सकते हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से अधिकारियों के नाम की जगह उनके पदों को मैनेजमेंट में शामिल करने के लिए कहा गया है।
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क्लब प्रबंधन आज करेगा बैठक
सूत्रों के मानें तो प्रशासन की ओर से भेजे गए जवाब को लेकर शुक्रवार को चंडीगढ़ क्लब प्रबंधन कमेटी की एक बैठक होने जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि इसमें प्रशासन की ओर से किए गए परिवर्तन और शर्तों को माना जा सकता है। हालांकि बैठक के बाद ही यह फाइनल हो पाएगा कि क्लब प्रबंधन प्रशासन की कितनी बातों को मानता है या फिर कुछ बदलाव करवाता है।
Mining Lease: माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन को SC से फिलहाल राहत, झारखंड HC की सुनवाई पर रोक
By: निपुण सहगल, एबीपी न्यूज | Updated at : 17 Aug 2022 05:52 PM (IST)
माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से राहत (फाइल फोटो)
Jharkhand Mining Lease Case: झारखंड में माइनिंग लीज (Mining Lease) मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिली है. माइनिंग लीज़ मामले में झारखंड हाईकोर्ट में हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रही सुनवाई को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला आने तक झारखंड हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगा दी है.
झारखंड सरकार ने माइनिंग लीज मामले में हाईकोर्ट (High Court) की तरफ से पीआईएल (PIL) स्वीकार किए जाने का विरोध किया है. राज्य सरकार PIL को राजनीति लीज फाइनेंस लीज फाइनेंस से प्रेरित बताया है.
नीरा राडिया
नीरा राडिया (Niira Radia) एक पूर्व कॉर्पोरेट लॉबिस्ट (Corporate Lobbyist) हैं. 2009 में भारत सरकार में प्रमुख मंत्रालयों के आवंटन मामले में टेप की गई टेलीफोन बातचीत का मामला सामने आया था. इस "राडिया टेप विवाद" के कारण पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा (A Raja) से जुड़े कथित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले (2G Spectrum Scam) का पर्दाफाश हुआ और ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें बरी कर दिया और राडिया को कॉरपोरेट लॉबिंग से बाहर कर दिया था.
एक और मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने नीरा राडिया को 8,000 अलग-अलग टेप बातचीत से संबंधित मामले में पूछताछ कर री थी. इससे जुड़े 14 मामले में सीबीआई ने शुरुआती जांच की थी, लेकिन कोई मामला नहीं बनने के बाद पूछताछ बंद कर दी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच नीरा राडिया और रतन टाटा मामले की सुनवाई कर रही थी. उद्योगपति रतन टाट ने इस याचिका में नीरा राडिया और टाटा समूह के बॉस समेत अन्य व्यक्तियों के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को मीडिया में प्रकाशित किए जाने के बाद अपने निजता के अधिकार की रक्षा की मांग की है (Niira Radia and Tata Group Telephone Tape).