शेयर बाजार समाचार

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

कानपुर गंगा नदी पर स्थित है, और यह 1857 में भारत की आजादी की पहली लडाई के दौरान एक केन्द्र रहा है, जिस वजह से इस का आधुनि इतिहास में एक महत्वपुर्ण स्थान है। गणेश शंकर विद्यार्थी और श्री चन्द्र शेखर आजाद ने कानपुर को ब्रटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ कार्य क्षेत्र के रुप में उपयोग किया, कर्नल ओ निल ने 1851 के स्वतेत्रता संग्राम के दौरान कानपुर कैन्ट से ब्रिटिश भारतीय सेना की कमान संभाला।

कानपुर ने समान्य और तकनिक शीक्षा के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिस के चलते क्रासर्च चर्च काॅलेज की स्थापना 1896 में हुई एवम बी0एन0एस0डी0 पहला वाणिज्य काॅलेज है जिस की स्थापना 1914 में हुई। इसी कडी को बढाते हुए प्रथम एशियन कृषि काॅलेज की स्थापना 1941 में हुई और पहला प्रौधोगिकी संस्थान एच0बी0टी0आई0 1926 में खोला गया । पूर्ण आजादी के बाद इस गति को बढाते हुए प्राद्योगिक व अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना हुई जैसे में नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट , लेदर इंस्टीट्यूट, टेक्सटाइल इंस्टीट्यूट मुख्य हैं।

कानपुर औद्योगिक क्रांति का भी मुख्य केन्द्र रहा है। जिसके चलते 19 वीं शताब्दी के अन्त में सर जाॅन बरने एलेंस ने कुछ कम्पनी समूहों का निर्माण किया जिसमें से प्रमुख है, कानपुर कपडा , कापनुर वुलेन मिल, फलेक्स सूज कंपनी,एल्गिन मिल एंड नाॅर्थ टेनरी जो कि ब्रीटिश इंडिया काॅरपोरेशन के बैनर के अधीन थी। 20 वीं शताब्दी के शुरुवाती दीनों में लाला कमलापत ने कुछ कम्पनी समूहों का निर्माण किया जिसमें मुख्य है जे0के0 सूती उद्वोग एवं जे0के0 लोह उद्योग है। इसी समय कुछ और औद्योगिक ईकाइयों का निर्माण हुआ जिसमें से प्रमुख है आयुद्य निर्माण कानपुर एवं पैरासूट फैक्ट्री जो कि ब्रिटिश शासन की रक्षा आवश्यकताओं की पूरक थी । इस समय काल में कानपुर को मैनचेस्टर आॅफ इंडिया की उपाधी मिली

इस समय कानपुर को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से जाना जाता है ,जो कि राज्य सरकार के कई निदेशालय का मुख्य केन्द्र भी है जैसे कि , उद्योग, निदेशालय,राज्य वित्तीय निगम, स्टाॅक एक्सचेंज, हथकरघा, निदेशालय और लेबर आदि निदेशालय राज्य के औद्योगिक विकास के साथ जुडा हुआ है।

केंन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय कानपुर की स्थापना 7 जनवरी 1963 में हुई थी जो कि पहले केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय इलाहाबाद से जुडा हुआ था। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन को ध्यान में रखते हुए मेरठ आयुक्तालय की स्थापना 01.06.1979 को की गई। दुबारा कानपुर आयुक्तालय दो ईकाइयों में बांटा गया जो कि अब कानपुर आयुक्तालय और लखनऊ आयुक्तालय के नाम से जानी जाती है। इसी की स्थापना 1997 में हुई थी

आयुक्तालय के अधिकार क्षेत्र कानपुर, कानपुर (देहात) उन्नाव, झांसी, जालौन, महोबा, हमीरपुर, ललितपुर, आगरा, फिरोजाबाद और उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में फैली हुई है. मुख्यालय आयुक्तालय के कार्यालय शहर के केंद्र में स्थित है और आयुक्त की विश्व बाजार शुल्क और सीमा अध्यक्षता में है. वर्तमान में इस आयुक्तालय यानी प्रभाग मैं डिवीजन द्वितीय और डिवीजन तृतीय (सभी कानपुर में स्थित हैं) आगरा और झांसी में 5 मतभेद हैं. प्रभागों सहायक उपायुक्त की अध्यक्षता कर रहे हैं. प्रभागों आगे अधीक्षकों की अध्यक्षता कर रहे हैं जो सीमाओं में विभाजित किया गया है.

प्रभाग वार जमीनी गठन मंडल - I कानपुर 6 केंद्रीय उत्पाद शुल्क रेंज + 1 सर्विस टैक्स की सीमा आर-I , आर-II, आर-III, आर-IV, आर-V , आर-VI और आर-XIX (सेवा कर) मंडल - II कानपुर 6 केंद्रीय उत्पाद शुल्क रेंज + 1 सर्विस टैक्स की सीमा

आर-VII, आर-VIII, आर-IX, आर-X, आर-XI(उन्नाव)
आर-XII(उन्नाव) और आर-XX (सेवा कर)

इनलैंड कंटेनर डिपो, चकेरी, कानपुर परिचालन से प्रभावी हो गया 1 अगस्त 1995. एम / एस सी.डब्लू.सी. आई.सी.डी. के संरक्षक हैं कंटेनर भरवां और कानपुर से बंदरगाह के निकास के लिए भेजा जा रहा है. भारत सरकार ने इस आई.सी.डी. अधिसूचित किया है आयात और निर्यात के प्रयोजनों के लिए दोनों. इस आई.सी.डी. चकेरी, जी.टी. पर स्थित है रोड, अहिरवां, कानपुर.

इनलैंड कंटेनर डिपो, जूही रेलवे यार्ड, कानपुर परिचालन से प्रभावी हो गया 2000/09/29. सीमा शुल्क आयुक्त, कानपुर ख़बरदार अधिसूचना. 2000/11/07 दिनांकित णो.01/2000 सीमा शुल्क (एनटी) सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 8 (ख) के विश्व बाजार शुल्क और सीमा तहत जारी किए गए, 1962 जूही रेलवे यार्ड, कानपुर में स्थित इनलैंड कंटेनर डिपो की "सीमा शुल्क क्षेत्र" को अधिसूचित किया है. कंटेनरों की आवाजाही के लिए सुविधा आईसीडी, Jऱ्य़् कानपुर और सभी प्रमुख बंदरगाहों और एयर बंदरगाहों और इसके विपरीत के बीच उपलब्ध है. सभी प्रमुख बंदरगाहों और इसके विपरीत से आईसीडी, Jऱ्य़्, कानपुर कन्टेंनराइज कार्गो के पार लदान रेल और सड़क मार्ग से है.इंडिया लिमिटेड के एम / एस कंटेनर कॉर्पोरेशन (कॉनकोर) आईसीडी कानपुर में माल के संरक्षक के रूप में कार्य करता है. सड़क / आईसीडी के लिए सभी प्रमुख बंदरगाहों और एयर बंदरगाहों से रेल द्वारा माल की आवाजाही, जे.आर.वाई, कानपुर और उपाध्यक्ष प्रतिकूल ट्रांसपोर्टर / कैरियर द्वारा गारंटी निरंतरता बांड के बल पर एम / एस कॉनकोर द्वारा किया जाता है.

आईसीडी, पनकी (एम / एस कानपुर लॉजिस्टिक पार्क (पी) लिमिटेड, कानपुर ने दिनांक 10.08.2010 चालू हो गया. सीमा शुल्क आयुक्त, कानपुर ख़बरदार णोट्फ़्न्. 10.08.2010 को णो.01/2010 सीमा शुल्क (एनटी) जारी की धारा 8 के तहत (क) सीमा शुल्क अधिनियम की, 1962 कानपुर लॉजिस्टिक पार्क (पी) लिमिटेड, पनकी, कानपुर में स्थित इनलैंड कंटेनर डिपो की "सीमा शुल्क क्षेत्र" को अधिसूचित किया है. कंटेनरों की आवाजाही के लिए सुविधा आईसीडी, पनकी, कानपुर और सभी प्रमुख के बीच उपलब्ध है बंदरगाहों और एयर बंदरगाहों और इसके ठीक विपरीत है. सभी प्रमुख बंदरगाहों और इसके विपरीत से आईसीडी, पनकी, कानपुर Cओन्टैनेरिसेड् कार्गो के पार लदान रेल और सड़क मार्ग से है.

एम / एस कानपुर लॉजिस्टिक पार्क (पी) लिमिटेड आईसीडी, पनकी, कानपुर में माल के संरक्षक के रूप में कार्य करता है. सड़क / आईसीडी के लिए सभी प्रमुख बंदरगाहों और एयर बंदरगाहों से रेल द्वारा माल की आवाजाही, पनकी, कानपुर और उपाध्यक्ष प्रतिकूल ट्रांसपोर्टर / द्वारा गारंटी निरंतरता बांड के बल पर एम / एस कानपुर लॉजिस्टिक पार्क (पी) लिमिटेड द्वारा किया जाता है कैरियर.

लंबे समय से आगरा फूटवेयर्स, ऊनी कालीन, हस्तशिल्प, चमड़ा परिधान, कांच और कांच माल और मशीनरी पार्ट्स के क्षेत्र में एक लोकप्रिय विश्व बाजार रहा है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान आगरा से निर्यात कई गुना वृद्धि हुई है. आगरा से निर्यात 250 करोड़ की धुन पर हर साल होने का अनुमान है.

आगरा में निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए एक इनलैंड कंटेनर डिपो आगरा में स्थापित किया गया है. एम / इंडिया लिमिटेड, रेल मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है कंटेनर कॉर्पोरेशन संरक्षक है. सीमा विश्व बाजार शुल्क और सीमा शुल्क, बैंकों शिपिंग लाइनों और तोल सुविधाओं के साथ टेलीफोन, टेलेक्स और फैक्स के कार्यालय के लिए पर्याप्त आवास के साथ परिसर रेलवे माल आगरा में विकसित किया गया है.

प्रधान डाकघर में विदेशी डाकघर काउंटर, कानपुर कामकाज प्रभावी शुरू कर दिया गया है 2 अप्रैल 1994. वर्तमान में केवल निर्यात पार्सल विदेशी डाकघर में संभाला जा रहा है और एक इंस्पेक्टर को इस काम के लिए तैनात किया जाता है

इससे पहले आगरा और अलीगढ़ फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, हाथरस और मथुरा की तरह आसपास के स्थानों पर व्यापार दिल्ली में स्थित विदेशी डाकघर दृष्टिकोण करने के लिए आवश्यक थे. अब आगरा अधिसूचना नं..63/94 साथ पढ़ने 28.03.95 को एक भूमि सीमा शुल्क स्टेशन ख़बरदार अधिसूचना नं. .23/95 के रूप में घोषित किया गया,दिनांक है 21.11.94 और एक विदेशी डाकघर, संजय प्लेस डाकघर में स्थापित है

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

डबल टैक्‍सेशन एवॉइडेंस एग्रीमेंट(DTAA): लाभ और दरें

डबल टैक्‍सेशन एवॉइडेंस एग्रीमेंट(DTAA): लाभ और दरें

भारत में टैक्स ऑडिटिंग और इसके प्रकार

बिक्री कर - लेटेस्ट बिक्री कर कलेक्शन के बारे में जानें

लेखांकन बनाम बहीखाता पद्धति

इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन के बारे में संपूर्ण जानकारी

कर चोरी और कर से बचाव: क्‍या है इसके लिए दंड?

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर कैसे भिन्न होते हैं? विस्‍तार से जानें

आयकर अधिनियम की धारा 206AB के बारे में विस्‍तार से जानें

फ्रिंज बेनिफिट टैक्स के बारे में सभी जानकारी

TAN ऐप्लीकेशन प्रोसेस के बारे में पूरी जानकारी

डबल टैक्‍सेशन एवॉइडेंस एग्रीमेंट(DTAA): लाभ और दरें

भारत में टैक्स ऑडिटिंग और इसके प्रकार

बिक्री कर - लेटेस्ट बिक्री कर कलेक्शन के बारे में जानें

लेखांकन बनाम बहीखाता पद्धति

इन्वेस्टमेंट डिक्लेरेशन के बारे में संपूर्ण जानकारी

कर चोरी और कर से बचाव: क्‍या है इसके लिए दंड?

अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी विश्व बाजार शुल्क और सीमा जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।

We'd love to hear from you

We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800

विश्व बाजार शुल्क और सीमा

सीमा शुल्क दिवसः चीन कैसे बना विश्व का कारखाना ?

सीमा शुल्क दिवसः चीन कैसे बना विश्व का कारखाना ?_fororder_VCG111315845158

क्या आपको पता है कि हर वर्ष 26 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस के रूप में मनाया जाता है। जबकि लोग अक्सर देश के कस्टम को "देश का द्वार" कहते हैं। क्या इनबाउंड और आउटबाउंड सामान और पोस्टल पार्सल सुरक्षित और सही ढंग से हैं, हमें "राष्ट्रीय द्वार" की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जांच में कस्टम पर निर्भर रहना होता है।

1 जनवरी, 1980 को चीन के सीमा शुल्क के आंकड़े फिर से शुरू हुए। 9 फरवरी को चीन के सीमा शुल्क के सामान्य प्रशासन की फिर से स्थापना हुई। चीन के आयात और निर्यात माल व्यापार के आंकड़ों के रूप में, सीमा शुल्क आंकड़े राष्ट्रीय आर्थिक आंकड़ों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं और चीन के सुधार और खुलेपन की नीति लागू होने से अब तक के 40 से अधिक वर्षों में चीन के विदेश व्यापार के विकास को दिखाया गया। सीमा शुल्क के आंकड़ों के अनुसार, 1978 से 2017 तक चीन की कुल आयात-निर्यात मात्रा 20 अरब 64 करोड़ डॉलर से बढ़कर 41 खरब डॉलर हो गयी, जिसमें औसत वार्षिक वृद्धि 14.5 प्रतिशत थी। माल के वैश्विक व्यापार में चीन की रैंकिंग 30वें स्थान से पहले स्थान पर पहुंच गई है। पिछले कुछ वर्षों में, चीन के विदेश व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है, और यह एक स्थिर और सुधार की प्रवृत्ति में है। लंबे समय तक चीन ने माल के व्यापार में दुनिया के सबसे बड़े देश के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है, जो एक वास्तविक बड़ा निर्माणकर्ता और व्यापारिक देश है। सुधार और खुलेपन की नीति लागू होने से चीन को "दुनिया का कारखाना" बनने के लिए बढ़ावा दिया गया, "मेड इन चाइना" ने दुनिया भर के उपभोक्ताओं को कई लाभ दिए हैं, और "चीनी बाजार" ने वैश्विक आर्थिक विकास के लिए बहुत बड़ा स्थान बनाया है।

सीमा शुल्क दिवसः चीन कैसे बना विश्व का कारखाना ?_fororder_VCG41N1311117261

कस्टम राष्ट्रीय संप्रभुता का प्रतीक है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और हमेशा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और समाज के स्वस्थ विकास को आगे बढ़ाता है। चीन में सुधार और खुलेपन नीति लागू होने के बाद, कस्टम ने तेजी से विकास की ऐतिहासिक अवधि में प्रवेश किया है। विदेशी व्यापार के स्थिर विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन में कई उपाय किए गए, जिनसे विदेशी व्यापार के उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बढ़ावा दिया गया।

ध्यान रहे कि, सीमा शुल्क सहयोग को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और सीमा शुल्क संगठनों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करने के विश्व बाजार शुल्क और सीमा लिए हर वर्ष 26 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस मनाया जाता है।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध – Trade War between US-China

अमेरिका-चीन के व्यापार के विभिन्न आयाम हैं और इसमें कई प्रकार की जटिलताएं विद्यमान हैं. इन जटिलताओं का व्यापक प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ता है जिसमें उभरते हुए बाजार एवं व्यापार असंतुलन भी शामिल हैं. इसके पीछे कारण यह है कि पिछले 25 सालों से चीन का दबदबा जगजाहिर है.

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक प्रतिस्पर्धा अब शीतयुद्ध में बदल रही है क्योंकि अब अमेरिका व्यापार में विश्व बाजार शुल्क और सीमा असंतुलन को खत्म करने के लिए अग्रसर है.

trade-war-china-usa

भारत-अमेरिका-चीन

भारत की अमेरिका के साथ जुगलबंदी चल रही है और चीन के साथ भी रिश्ते में नए पहल और नए आयाम विश्व बाजार शुल्क और सीमा खोजे जा रहे हैं. अमेरिकी प्रशासन चीन की सर्वोच्चता को माँपते हुए भारत को समर्थन एवं महत्त्व दे रहा है. इसी क्रम में यह भी आशंका जताई जा रही है कि दोनों महाशक्तियों के बीच व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के उत्पन्न होने से सबसे अधिक नुकसान श्रमिक वर्गों एवं कृषि उत्पादन को है. अमेरिका की स्पष्ट चिंता है कि इस बढती व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम क्या होगा. चीन की अर्थव्यवस्था को वृहद् विश्व बाजार में कैसे मुखर किया जाए, यह एक दीर्घप्रश्न है. यह एक बड़ा सवाल चीन के विरुद्ध अमेरिकी अभियान के विश्व बाजार शुल्क और सीमा समक्ष है.

अमेरिका-चीन में सीमा शुल्क प्रतिस्पर्धा और इसके राजनीतिक परिणाम

वैश्विक आर्थिक संवृद्धि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संपोषण के आधार पर संचालित होती है और ये सारी चीजें आयात-निर्यात करने वाले देशों के बीच क्रियाशील संबंधों एवं मनोवृत्तियों पर निर्भर करती है. आज विश्व की जो स्थिति एवं परिस्थिति है, विश्व की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक एशिया देशों, विशेषकर – चीन, जापान, साउथ कोरिया और भारत के साथ व्यापार पर निर्भर करती है. अमेरिका व्यापार की गति को अपने डॉलर मुद्रा और उपभोग की ताकत के द्वारा नियंत्रित करता है. यूरोप में जर्मनी एक बड़ा निर्यातक देश है और इसकी सीधी प्रतिस्पर्धा चीन से है जो विश्व व्यापार की एक बड़ी भूमिका का निर्वाह करता है.

ट्रम्प के शासनकाल में देखा जाए तो अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में व्यापक बदलाव का अनुभव किया जाने लगा है. अमेरिका और चीन के रिश्ते में तनाव की लकीरें पड़नी शुरू हो गई हैं क्योंकि चीन अमेरिका को निर्यात करता है और डॉलर मुद्रा का महत्त्व सर्वोपरि है. अमेरिका का चीन के साथ व्यापारिक घाटा 375 बिलियन डॉलर का रहा और इसलिए यह आवश्यक हो गया कि चीन के साथ नए व्यापारिक शुल्क दर या व्यापारिक सीमा शुल्क निर्धारित किया जाए.

भारत और उभरते बाजार का प्रभाव

अधिकांश उभरते बाजार ऐसे हैं, जो व्यापार प्रतिबंध और उच्च अमेरिकी दरों की मार झेल रहे हैं. जितनी अधिक उच्च दर होगी, उतनी ही शीघ्रता और तत्परता से निवेषक अपनी पूँजी को सम्पत्ति में बदलेगा. इससे निश्चित रूप से डॉलर का मूल्य बढ़ेगा. IMF ने टिपण्णी की कि उभरते हुए बाजार में पूँजी प्रवाह उत्तरार्द्ध के महीनों में कमजोर हुआ है. अगर यही स्थिति जारी रही तो, गिरते हुए बाजार में दबाव विश्व बाजार शुल्क और सीमा अधिक बढ़ेगा. उदाहरण के लिए, अर्जेंटीना ने IMF से मदद मांगी तो उसने दूसरे देशों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत किया. दूसरा खतरा यह कि चीन अधिकतर उन जगहों पर जटिल स्थिति का सामना कर रहा है, जहाँ पर विकास दरों को 0.2% से 6.2% तक कटौती झेलनी पड़ी है. बहरहाल, इसके अतिरिक्त और भी समस्याएँ हैं, जो विकासशील देशों को अपने घरेलू हालातों के वजह से झेलनी पड़ रही है.

भारत बाजार पर प्रभाव

जहाँ तक भारत का सवाल है, यहाँ चीन के मुकाबले समायोजन की संभावना अल्प है. इसके पीछे कारण यह है कि यहाँ हमारे देश में विकल्प बहुत कम हैं. विभिन्न स्थानों पर कार्यरत सेंट्रल बैंक दरें कम करने के ऊपर सोच रहे हैं, ताकि US फेडरल रिजर्व्स का मुकाबला किया जा सके ताकि उभरते हुए बाजार में मुद्रा का मूल्य बरकरार रहे. सारे उभरते हुए बाजार अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अनुरूप अपने दर तेजी से घटाते जा रहे हैं. RBI ने रेपो रेट में यथास्थिति बरकरार रखा है. कच्चे तेल की कीमतों एवं रुपये का अवमूल्यन और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अतिरिक्त भारत के राज्यों में चुनाव में आगामी महीनों में कोई खतरा नहीं है.

भारत में सामान्य शेयर बाजार (इक्विटी मार्किट) इस तथ्य की तरफ इंगित करेंगे कि रूपये में कितना अवमूल्यन होने की संभावना है. भारत तेल के आवश्यकता की पूर्ति विदेशी मालवाहक परिवहन से कर लेता है.

मुख्य तथ्य

  • अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक प्रतिस्पर्धा अब शीतयुद्ध में परिवर्तित हो रही है क्योंकि अब अमेरिका व्यापार में असंतुलन को समाप्त करते हुए परिवर्तन का आकांक्षी है. ट्रम्प प्रशासन को अमेरिकी राजनीतिक संवर्ग एवं राजनीतिक गलियारों का पूरा समर्थन हासिल है.
  • ट्रम्प सरकार का कहना है कि चीन का कृषि सम्बन्धी दृष्टिकोण वाकई में किसानों का अहित करेगा. चीन के द्वारा लगाया करारोपण कृषि उत्पादों पर और कृषि श्रमिकों पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है.
  • विभिन्न स्थानों पर कार्यरत सेन्ट्रल बैंक दरें कम करने के ऊपर सोच रहे हैं, ताकि US फ़ेडरल रिजर्व्स का मुकाबला किया जा सके ताकि उभरते हुए बाजार में मुद्रा का मूल्य बरकरार रहे. सारे उभरते हुए बाजार अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अनुरूप अपने दर तेजी से घटाते जा रहे हैं.
  • IMF ने 2019 में अमेरिका के लिए उभरते हुए बाजार के लिए और विकासशील अर्थव्यस्था के लिए कटौती की है. इनमें 2018 और 2019 तक 2% विकास होने की संभावना है. बाकी दुनिया के लिए आर्थिक परिदृश्य कुछ विशेष नहीं है. यहाँ पर आर्थिक परिदृश्य एक बदसूरत तस्वीर पर्श करता है.

निष्कर्ष

अमेरिका और चीन के मध्य व्यापार युद्ध का भावी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में अत्यधिक महत्त्व है क्योंकि दोनों विश्व बाजार शुल्क और सीमा देशों में अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के संदर्भ में मूलभूत परिवर्तन हो रहे हैं. इस परिवर्तन की समीक्षा इस तरह से भी होनी चाहिए कि अब एक समतावादी समाज वर्तमान के जद्दोजहद विश्व बाजार शुल्क और सीमा से उभर कर सामने आएगा. इसी आधार पर अब अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध विकसित होंगे. केवल चातुर्य से ही कोई हल नहीं निकलने वाला है, जब तक कि व्यवस्थित प्रयास नहीं किये जाते हैं. सभी के लिए मुक्त संवाद एवं स्वतंत्र परिस्थितियाँ कायम करनी होगी.

विश्व-भर के राजनेताओं को यह भी देखना चाहिए कि नीतियाँ इस तरह से विकसित हों कि विकासशील देशों और नए बाजारों को लाभ हों. अन्यथा की स्थिति में विकासशील देशों और नए बाजारों को इन दोनों आर्थिक महाशक्तियों के ऊपर बलि चढ़ना पड़ेगा. नीति नियन्ताओं को यह भी सोचना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए किस प्रकार से नीतियाँ लाभदायक होंगी. दोनों आर्थिक महाशक्तियों के बीच तनाव से ही अंतर्राष्ट्रीय संतुलन पैदा होते हैं, यह भी एक सत्य है.

रेटिंग: 4.48
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 583
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *