भालू भावना

छत्तीसगढ़: इस गांव में भालू के बच्चों की देखभाल कर रहे हैं गांववाले, अपने हाथ से पिलाते हैं दूध
हर सुबह एक मादा भालू अपने बच्चों को एक गांव में ही छोड़कर जाती है और शाम को लौट आती है. इस बीच ख़ास बात यह है कि इन दोनों बच्चों का ख्याल गांव भालू भावना वाले रखते हैं. जानवर और इंसानों का यह प्यारा रिश्ता अब लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर ज़िले में पिछले एक हफ़्ते से एक मादा भालू अपने बच्चों को गांव वालों के पास छोड़ रही है और हर दिन देर शाम उनके पास लौटती है. वन्यजीव विशेषज्ञों और वन कर्मचारियों की सलाह को नज़रअंदाज करते हुए वहां के निवासी इस दुर्लभ घटना को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं.
Express
रिपोर्ट के अनुसार, अंबिकापुर के खरसुरा गांव में एक कृषि क्षेत्र के पास भालू ने दो बच्चों को जन्म दिया. ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों को सतर्क किया, जो आगे का निर्णय लेने के लिए पशु चिकित्सकों और वन्यजीव विशेषज्ञों के साथ मिले.
ग्रामीणों का मानना है कि मां की सुरक्षा की कथित भावना ने उन्हें जंगल के बजाय गांव के करीब जन्मस्थान चुनने के लिए प्रेरित किया. भालू सूर्योदय से पहले अपने दोनों बच्चों को कैसे छोड़कर एक निश्चित समय पर उनके पास वापस लौट आती है.
BCCL
वन अधिकारियों की देखरेख में एक बुजुर्ग को उन बच्चों को दो बार दूध पिलाने का काम सौंपा गया है. वन्यजीव विशेषज्ञ प्रभात दुबे ने कहा, “भालू को उसके शावकों के लिए सुरक्षित जगह लगी होगी. शायद कुछ हफ़्ते के बाद या शक्ति प्राप्त करने के बाद दोनों शावक प्राकृतिक वन निवास के लिए जा सकते हैं.”
पशु चिकित्सक डॉ. सी के मिश्रा ने दोनों शावकों को स्वस्थ होने की बात कही है. उन्होंने कहा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को उस जगह पर भीड़ लगाने से बचना चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ़ शावकों को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि संभवत: किसी भी तरह की अनहोनी को जन्म दे सकता है, अगर मां भालू आक्रामक हो जाए और हमला कर दे.
भावनाओं के बिना भूमि में देखभाल भालू
द केयर बियर्स इन द लैंड विदाउट फीलिंग्स पहला एनिमेटेड टेलीविज़न स्पेशल है जिसमें केयर बियर्स के पात्र हैं। ओटावा के एटकिंसन फिल्म-आर्ट्स स्टूडियोद्वारा निर्मित, इसका22 अप्रैल, 1983को सिंडिकेशन में प्रीमियर किया गया था। विशेष सुविधाओं में क्लाउड-कीपर और प्रोफेसर कोल्डहार्ट नामक एक खलनायक के साथ दस मूल बियर शामिल हैं; उन्हें 1984 की द केयर बियर्स बैटल द फ्रीज मशीन में फिर से देखा जाएगा।
भावनाओं के बिना भूमि में देखभाल भालू | |
---|---|
![]() | |
द्वारा लिखित | केन सोबोलो |
निर्देशक | पिनो वैन भालू भावना लैम्सवीर्डे |
अभिनीत | रिक जोन्स (टेंडरहार्ट बियर, गुड लक बियर और बर्थडे बियर के रूप में) लेस लाइ (प्रोफेसर कोल्डहार्ट एंड ट्री के रूप में) अन्ना मैककॉर्मैक एबी हैगयार्ड (फ्रेंड बियर, विश बियर और लव-ए-लॉट बियर के रूप में) |
थीम संगीत संगीतकार | रॉबर्ट चिंबेल मेरी लूमिस |
उद्गम देश | कनाडा |
वास्तविक भाषा | अंग्रेज़ी |
उत्पादन | |
प्रोड्यूसर्स | क्लीवलैंड, एलएलसी W.H से वे पात्र । स्टीवंस ह्यूग कैंपबेल |
छायांकन | रॉन हैन्स जान टॉपर |
संपादक | जेनिफर इरविन नॉर्मन लेब्लांक गेराल्ड ट्रिप्पो |
कार्यकारी समय | २३ मिनट |
निर्माण कंपनी | एटकिंसन फिल्म-आर्ट्स [1] |
वितरक | संयुक्त राज्य अमेरिका : एलबीएस कम्युनिकेशंस (टीवी, 1983) [1] फैमिली होम एंटरटेनमेंट (वीडियो, 1983) [1] |
रिहाई | |
मूल नेटवर्क | सिंडिकेशन [1] |
चित्र प्रारूप | रंग |
ऑडियो प्रारूप | मोनो |
मूल रिलीज | 22 अप्रैल, 1983 [1] ( १ ९८३-०४-२२ ) |
कालक्रम | |
के बाद | द केयर बियर्स बैटल द फ्रीज मशीन (1984) |
पृथ्वी पर एक लड़का केविन परेशान है क्योंकि उसे अपने छोटे दोस्त डोना से दूर जाना है। घोषणा करते हुए कि वह परवाह नहीं करता है, वह भागने का फैसला करता है और द लैंड विदाउट फीलिंग्स में समाप्त होता है, जो प्रोफेसर कोल्डहार्ट नामक एक मिथ्याचारी और शीतकालीन-केंद्रित पागल वैज्ञानिक द्वारा शासित है। वह सोडा जैसी औषधि के माध्यम से केविन को हरे उभयचर जैसे भूत में बदल देता है और उसे दास घोषित कर देता है। द केयर बियर्स, डोना के साथ, केविन को अन्य बच्चों के साथ बचाने के लिए लैंड विदाउट फीलिंग्स में जाते हैं, जिन्हें कोल्डहार्ट के भूत दास में बदल दिया गया था। टेंडरहार्ट बियर कोल्डहार्ट के महल तक चढ़ने का प्रयास करता है, लेकिन रास्ते में खुद कोल्डहार्ट द्वारा एक जाल में फंस जाता है। विश बियर कोल्डहार्ट के महल में ग्रम्पी बियर और डोना (और टेंडरहार्ट सहित अन्य सभी केयर बियर भी) के साथ टेलीपोर्ट किए जाने की इच्छा होती है, कई बार बाधित होने के बाद भालू भावना जब एक इच्छा बनाने का प्रयास किया जाता है और देखा जाता है कि क्या यह वास्तव में सच होगा . केयर बियर्स केविन और अन्य बच्चों को वापस मानव में बदलने के लिए अपने जादू 'केयर बियर स्टेयर' का उपयोग करते हैं, और कोल्डहार्ट इसके लिए एक ब्रेक बनाता है।
- द केयर बियर्स केयर अबाउट यू
- प्रोफेसर कोल्डहार्ट
- हर किसी की भावनाएं होती हैं
द केयर बियर्स इन द लैंड विदाउट फीलिंग्स ने 1983 में न्यूयॉर्क के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म और टीवी समारोह में रजत पदक जीता। [2] इसके बाद 1984 में एक और सिंडिकेटेड स्पेशल, द केयर बियर्स बैटल द फ्रीज मशीन आई । लेखक वार्ड जॉनसन ने द लैंड विदाउट फीलिंग्स को टेल्स फ्रॉम द केयर बियर्स सीरीज़ की एक किताब में शिथिल रूप से रूपांतरित किया , जिसका शीर्षक कैरिंग इज़ व्हाट काउंट्स ( आईएसबीएन) था। भालू भावना 0-910313-05-9 ), टॉम कुक के चित्रों के साथ।
फैमिली होम एंटरटेनमेंट ने अपने प्रारंभिक प्रसारण के बाद एमजीएम/यूए होम वीडियो के माध्यम से वीएचएस पर विशेष जारी किया । [३] मूल प्रिंट में मुख्य प्रस्तुति के बाद १९३० के दशक के पुराने कार्टून थे; बाद में फिर से जारी किए गए मुद्दों ने उन्हें कई अन्य देखभाल भालू कहानियों के साथ बदल दिया। [३]
केयर बियर्स की 25वीं वर्षगांठ के सम्मान में, 2007 के पतन में इसका डीवीडी प्रीमियर प्राप्त हुआ। [4] इसके अतिरिक्त, इस डीवीडी पर प्रदर्शित संस्करण दुर्लभ मूल संस्करण नहीं है, बल्कि बाद के सिंडिकेटेड रन के हिस्से के रूप में देखा जाने वाला अधिक सामान्य संस्करण है। नियमित डीआईसी और नेलवाना श्रृंखला (जिसे डिज़नी चैनल और बाद में, टून डिज़नी पर भी देखा गया था )।
यह यूके वॉल्यूम 1 पर द केयर बियर बैटल द फ्रीज मशीन के साथ , और 3 एपिसोड द बर्थडे/कैंप , ब्रेसेस/स्प्लिट डिसीजन , और द लास्ट लाफ बाय मैक्सिमम एंटरटेनमेंट पर जारी किया गया था।
मई 1985 में, पीपल वीकली के राल्फ नोवाक ने लिखा कि विशेष " द केयर बियर्स मूवी के वीडियो संस्करण की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों के लिए एक आकर्षक तरीका है "। [३]
‘दफन’ होने की कगार पर भावना हत्याकांड
चर्चित भावना हत्याकांड पुलिस-प्रशासन की नाकामी के चलते ‘दफन’ होने जा रहा है। नामजद आरोपी और वादी पक्ष ने शनिवार को इस सनसनीखेज वारदात में समझौते की पटकथा तैयार कर ली। दोनों पक्ष के शपथ पत्र लगाने से सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर भावना का मर्डर किसने और क्यों किया। इस नाटकीय घटनाक्रम में पुलिस सवालों के कटघरे में खड़ी हो गई है।
बीती 26 दिसंबर की रात पल्लवपुरम फेस-दो निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य पूनम चौधरी पत्नी ब्रजवीर उर्फ मुन्नू के घर में घुसे पांच लोगों ने पूनम के बेटे प्रशांत और पुत्रवधू भावना पर गोलियां बरसा दी थीं। जिसमें भावना की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि प्रशांत हाथ में गोली लगने से घायल हुआ था।
इस सनसनीखेज हत्याकांड में वादी पूनम चौधरी ने दौराला के पूर्व ब्लॉक प्रमुख राहुल देव, जमालपुर गांव के प्रधान गौरव, वीरेंद्र चौधरी निवासी दौराला, सौबीर और कृष्णवीर को नामजद किया था। नामजद नामजद आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। लेकिन सत्ताधारी नेताओं के दबाव में आकर उनको थाने से छोड़ दिया गया।
दोनों पक्षों के लोगों ने एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर एक सप्ताह तक पुलिस अफसरों के ऑफिसों पर धरना प्रदर्शन तक किया। सत्ताधारी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद नामजद आरोपियों को पुलिस द्वारा क्लीन चिट देने और भावना के परिजनों पर ही शक की सुई घूमने से तमाम बखेड़ा हुआ।
पुलिस और सत्ताधारी नेताओं की खूब किरकिरी हुई। इसके बावजूद भी अफसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया। लेकिन शनिवार को दोनों पक्षों के लोग कचहरी में समझौते के शपथ पत्र बनवाने पहुंच गए। वादी पक्ष ने शपथ पत्र लगाकर नामजद आरोपियों को बेकसूर बता दिया।
नरेंद्र की हत्या के गवाह बनाए थे मुल्जिम?
नौ मार्च 2015 को दौराला में गन्ना समिति चेयरमैन के चुनाव को लेकर प्रत्याशी सतीश और भालू पक्ष के लोगों में आमने-सामने गोलियां चली थीं। जिसमें भालू पक्ष के नरेंद्र की मौत हो गई थी। इस हत्याकांड में भावना का ससुर मुन्नू, राजीव और प्रदीप जेल में बंद हैं। भावना की हत्या के आरोपियों में नरेंद्र हत्याकांड के गवाहों को मुल्जिम बनाया गया था। पुलिस जांच की बात कहकर मामले में देरी करती रही।
तो किसने किया भावना का मर्डर
भावना हत्याकांड का एकमात्र चश्मदीद गवाह उसका पति प्रशांत है। उसने बताया था कि हत्या करने में राहुल देव, वीरेंद्र चौधरी, गौरव, सौबीर और कृष्णवीर शामिल थे। सवाल उठता है कि जब चश्मदीद गवाह ने आरोपियों को देखा है कि उनको क्लीन चिट कैसे दे दी। अगर दे दी तो भावना की हत्या आखिर किसने और क्यों की। यह तमाम सवाल पुलिस की थ्योरी में आज भी शामिल हैं।
जवाब मांगते सवाल
1. भावना के चार साल बच्चे को उसकी सास गांव से जमालपुर लेकर क्यों गई
2. वारदात के दौरान प्रशांत के घर के सीसीटीवी कैमरे बंद क्यों थे
3. नामजद आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन घटनास्थल पर नहीं मिली
4. प्रशांत को केवल एक ही गोली लगी जबकि भावना को गोलियों से क्यों भूना
5. हिरासत में लेने के बावजूद नामजद आरोपियों को छोड़ा दिया गया
चर्चित भावना हत्याकांड पुलिस-प्रशासन की नाकामी के चलते ‘दफन’ होने जा रहा है। नामजद आरोपी और वादी पक्ष ने शनिवार को इस सनसनीखेज वारदात में समझौते की पटकथा तैयार कर ली। दोनों पक्ष के शपथ पत्र लगाने से सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर भावना का मर्डर किसने और क्यों किया। इस नाटकीय घटनाक्रम में पुलिस सवालों के कटघरे में खड़ी हो गई है।
बीती 26 दिसंबर की रात पल्लवपुरम फेस-दो निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य पूनम भालू भावना चौधरी पत्नी ब्रजवीर उर्फ मुन्नू के घर में घुसे पांच लोगों ने पूनम के बेटे प्रशांत और पुत्रवधू भावना पर गोलियां बरसा दी थीं। जिसमें भावना की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि प्रशांत हाथ में गोली लगने से घायल हुआ था।
इस सनसनीखेज हत्याकांड में वादी पूनम चौधरी ने दौराला के पूर्व ब्लॉक प्रमुख राहुल देव, जमालपुर गांव के प्रधान गौरव, वीरेंद्र चौधरी निवासी दौराला, सौबीर और कृष्णवीर को नामजद किया था। नामजद नामजद आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। लेकिन सत्ताधारी नेताओं के दबाव में आकर उनको थाने से छोड़ दिया गया।
दोनों पक्षों के लोगों ने एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर एक सप्ताह तक पुलिस अफसरों के ऑफिसों पर धरना प्रदर्शन तक किया। सत्ताधारी नेताओं के हस्तक्षेप के बाद नामजद आरोपियों को पुलिस द्वारा क्लीन चिट देने और भावना के परिजनों पर ही शक की सुई घूमने से तमाम बखेड़ा हुआ।
पुलिस और सत्ताधारी नेताओं की खूब किरकिरी हुई। इसके बावजूद भी अफसरों ने कोई एक्शन नहीं लिया। लेकिन शनिवार को दोनों पक्षों के लोग कचहरी में समझौते के शपथ पत्र बनवाने पहुंच गए। वादी पक्ष ने शपथ पत्र लगाकर नामजद आरोपियों को बेकसूर बता दिया।
नरेंद्र की हत्या के गवाह बनाए थे मुल्जिम?
नौ मार्च 2015 को दौराला में गन्ना समिति चेयरमैन के चुनाव को लेकर प्रत्याशी सतीश और भालू पक्ष के लोगों में आमने-सामने गोलियां चली थीं। जिसमें भालू पक्ष के नरेंद्र की मौत हो गई थी। इस हत्याकांड में भावना का ससुर मुन्नू, राजीव और प्रदीप जेल में बंद हैं। भावना की हत्या के आरोपियों में नरेंद्र हत्याकांड के गवाहों को मुल्जिम बनाया गया था। पुलिस जांच की बात कहकर मामले में देरी करती रही।
तो किसने किया भावना का मर्डर
भावना हत्याकांड का एकमात्र चश्मदीद गवाह उसका पति प्रशांत है। उसने बताया था कि हत्या करने में राहुल देव, वीरेंद्र चौधरी, गौरव, सौबीर और कृष्णवीर शामिल थे। सवाल उठता है कि जब चश्मदीद गवाह ने आरोपियों को देखा है कि उनको क्लीन चिट कैसे दे दी। अगर दे दी तो भावना की हत्या आखिर किसने और क्यों की। यह तमाम सवाल पुलिस की थ्योरी में आज भी शामिल हैं।
जवाब मांगते सवाल
1. भावना के चार साल बच्चे को उसकी सास गांव से जमालपुर लेकर क्यों गई
2. वारदात के दौरान प्रशांत के घर के सीसीटीवी कैमरे बंद क्यों थे
3. नामजद आरोपियों के मोबाइल फोन की लोकेशन घटनास्थल पर नहीं मिली
4. प्रशांत को केवल एक ही गोली लगी जबकि भावना को गोलियों से क्यों भूना
5. हिरासत में लेने के बावजूद नामजद आरोपियों को छोड़ा दिया गया
पिता की जान बचाने के लिए भालू से भिड़ी जोशना, ऐसे बचाई जान; जानें पूरा मामला
राजस्थान के सिरोही जिले में अपने पिता को बचाने जोशना चौधरी भालू से भिड़ गई। मामला रेवदर कस्बे के सिलदर गांव का है। भालू ने करमा राम चौधरी पर हमला कर दिया। बेटी के संघर्ष से भालू भाग छूटा।
राजस्थान के सिरोही जिले में अपने पिता को बचाने जोशना चौधरी भालू से भिड़ गई। मामला रेवदर कस्बे के सिलदर गांव का है। जहां देर रात को भालू ने करमा राम चौधरी पर हमला कर दिया। मकान में सो रही 14 साल की बेटी भागकर बाहर आई और भालू से भिड़ गई। करीब 10 मिनट के संघर्ष के बाद वह भालू को भगाने में कामयाब रही। अपने पिता की जान बचा ली। घायल करमा राम का गुजरात के मेहसाणा में इलाज चल रहा है। हादसे के बाद उनकी बेटी जोशना और परिवार सदमे में हैं। जोशना ने बताया कि भालू से संघर्ष के दौरान मन में एक ही बात थी कि मुझे भले ही कुछ भी हो जाए, लेकिन पिता को कुछ नहीं होने दूंगी। सोशल मीडिया पर लोग जोशना की बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं।
भालू ने खेत पर सोए किसान पर किया हमला
करमा राम चौधरी खेत पर सो रहा था। भालू ने उसे चारपाई से पटक दिया। करमा राम को नोंच रहा था। लेकिन इस दौरान कुत्तों ने शोर मचाया तो खेत पर बने मकान में सो रही 14 साल की बेटी भागकर बाहर आई और भालू से भिड़ गई। संघर्ष के बाद उसने भालू को भगा दिया। जोशना के मुताबिक भालू से संघर्ष के दौरान मन में एक ही बात थी कि मुझे भले ही कुछ भी हो जाए। पिता को कुछ नहीं होने दूंगी। रात को पिताजी बाहर भालू भावना खेत में सो रहे थे। मां के पास मैं कमरे में सो रही थी। रात को करीब 3 बजे अचानक कुत्तों के भौंकने से नींद खुली। कुछ समझ पाते उसके पहले पिताजी के चिल्लाने की आवाजें सुनाई देने लगी। मैं और मां उनकी तरफ दौड़े। वहां का मंजर देख सिहरन सी दौड़ गई। देखा कि भालू बेहद हिंसक हो रहा था। पिताजी के ऊपर बैठ गया। पहले तो डर के मारे पांव कांपने लग गए। लेकिन पिताजी को बचाने का ख्याल आते ही एकदम से शरीर में नई स्फूर्ती आ गई। इसके बाद मैंने पास में पड़ी लाठी उठाकर भालू पर ताबड़तोड़ हमले करने शुरू कर दिए। करीब 8 से 10 मिनट तक भालू पर लाठी से ताबड़तोड़ वार किया। इसके बाद वहां से भालू भाग गया।
लोग बहादुरी की कर रहे हैं तारीफ
लोग 14 साल की जोशना चौधरी की तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग उनको बहादुरी के लिए पुरस्कार देने की भी मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जोशना 8वीं तक पढ़ी है और उसके बाद खेत से स्कूल की दूरी ज्यादा होने के कारण पढ़ाई छोड़ दी।
भालू के हमले में ग्रामीण जख्मी
कपकोट पुलिस क्षेत्र के अंतर्गत भनार गांव निवासी एक व्यक्ति को भालू ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। भालू ने उसकी एक आंख को बुरी तरह नोच रखा.
कपकोट पुलिस क्षेत्र के अंतर्गत भनार गांव निवासी एक व्यक्ति को भालू ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। भालू ने उसकी एक आंख को बुरी तरह नोच रखा है। ग्रामीणों तथा एंबुलेंस की मदद से उसे पहले सीएचसी कपकोट लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। जहां उसका इलाज चल रहा है।
जिला अस्पताल में भर्ती भनार गांव के जुबरा तोक निवासी 55 वर्षीय शेर सिंह पुत्र भीम सिंह ने बताया कि वह रविवार को घर के पास के जंगल में लकड़ी लेने गया था। इसी बीच भालू ने उस पर हमला कर दिया। उसने हो हल्ला मचाया तो गांव के अन्य लोग भी वहां पहुंच गए। इसके बाद भालू जंगल की ओर भाग गया। भालू के हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। ग्रामीणों की मदद से पहले उसे सीएचसी कपकोट भर्ती किया गया। उसके बाद प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि ग्रामीण की एक आंख को बुरी तरह नोच रखा है। प्राथमिक इलाज के बाद नेत्र सर्जन को बुलाया है। उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।