क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

'रुपये की स्थिरता विदेशी मुद्रा भंडार पर निर्भर'
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बीओए-एमएल) ने कहा, हमारे हिसाब से डॉलर के मुकाबले रुपया 58 से 62 के स्तर पर रह सकता है। विदेशी कोष 22 मई से क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? लगातार बांड तथा शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटा है और यह इतना रह गया है, जिससे सात महीने का आयात पूरा हो सके।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने उस समय से अब तक 65,000 क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? करोड़ रुपये घरेलू बाजार से निकाल लिए हैं। 6 अगस्त को कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रपया 61.80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर चला गया था और बाद में 61.30 पर बंद हुआ। चालू वित्तवर्ष में अब तक रुपया 12 प्रतिशत से अधिक नीचे आ चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है, जब तक रिजर्व बैंक के पास विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति नहीं सुधरेगी, रुपया स्थिर नहीं होगा. ।
बीओए-एमएल ने उम्मीद जताई कि सरकार तथा रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए अगले सप्ताह कुछ नीतिगत उपायों की घोषणा कर सकते हैं। बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) को उदार बनाने, एफसीएनआरबी जमा दरों को बढ़ाने तथा सार्वजनिक उपक्रमों के बांड जारी किए जाने से 5 से 10 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं।
Rupee Vs Dollar: रुपया हुआ धराशायी, जानें क्या होगा आपकी जेब पर असर
डीएनए हिंदी: भारतीय रुपया (Indian Currency) आज यानी कि सोमवार को अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. आज भारतीय रुपया 77.42 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. रॉयटर्स के मुताबिक शंघाई में कड़े लॉकडाउन से वैश्विक मार्केट बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं अमेरिका में फेडरल रिजर्व नीतियों में परिवर्तन करने से अमेरिकी शेयर वायदा में गिरावट देखने को मिली. इसका असर भारतीय बाजार में भी गिरावट देखने को मिली.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया और भी ज्यादा कमजोर हो गया है जिसके बाद यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सोमवार को रुपया 0.3% की गिरावट के साथ 77.1825 डॉलर प्रति डॉलर पर आ गया, जो मार्च में पिछले रिकॉर्ड निचले 76.9812 को छू गया था. इसके पहले शुक्रवार को रुपया 55 पैसे टूटकर 76.90 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था.
विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव
देश का विदेश मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) भी बुरी तरह प्रभवित हुआ है. लगातार इसमें भी कमी दर्ज की जा रही है. वर्तमान समय में यह घटकर 600 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया है. मालूम हो कि इसमें लगातार 8 हफ्तों से गिरावट देखी जा रही है. 29 अप्रैल के आंकड़ों पर नजर डालें तो फोरेक्स रिजर्व 2.695 अरब डॉलर गिरकर 597.73 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है.
रुपये में क्यों आई गिरावट
विदेशों फंडों ने इस साल भारतीय इक्विटी से रिकॉर्ड तोड़ 17.7 बिलियन डॉलर की बिकवाली की है. मुद्रा को चालू खाते के बढ़ते घाटे और वैश्विक कच्चे तेल (CRUDE OIL) की कीमतों में उछाल सहित अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? भी प्रभावित किया गया है. यहां तक कि पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आउट-ऑफ-साइकिल दर वृद्धि रुपये की गिरावट को रोकने में सक्षम नहीं है.
बीएनपी परिबास के रणनीतिकार सिद्धार्थ माथुर और चिदु नारायणन ने एक नोट में लिखा, "नीति को सामान्य बनाने में तात्कालिकता की आवश्यकता की आरबीआई की मान्यता समर्थन का एक स्रोत है." "हालांकि इक्विटी प्रवाह ब्याज-दर संवेदनशील प्रवाह पर हावी हो सकता है, घरेलू वित्तीय स्थितियों में तेजी से सख्त होने के परिणामस्वरूप इक्विटी बाजार (stock maket) की सेंटिमेंट में गिरावट से रुपये के लिए एक उच्च नकारात्मक जोखिम है."
आम नागरिकों की जेब पर पड़ेगा असर
रुपये में गिरावट होने से सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों की जेब पर पड़ेगा. इसका असर आयात करने वाले क्षेत्रों पर खासकर पड़ेगा. कच्चे तेल को ही ले लें, भारत अपनी जरुरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. ऐसी स्थिति में रुपया और गिर सकता है और विदेशी मुद्रा में और अधिक कमी आ सकती है. कुल मिलाकर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स जैसी चीजें महंगी (INFLATION) हो जाएंगी.
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दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2020 के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार निचले स्तर पर है. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है.
देश के मुद्राभंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए केन्द्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. तब से अब तक रुपये में गिरावट की वजह से रिजर्व बैंक घरेलू करंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है.
वहीं रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गयीं. आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है.
फॉरेक्स रिजर्व की मदद से कोई भी देश जरूरत पडऩे पर अपनी करंसी में आई तेज गिरावट को थामने के लिए कदम उठा सकता है. हालांकि रिजर्व घटने से इस क्षमता पर असर पड़ता है और करंसी में अनियंत्रित गिरावट आ सकती है. और इसका असर उन देशों पर पड़ता है जो आयात पर निर्भर क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? करते हैं. क्योंकि करंसी गिरने से आयात महंगा हो जाता है.
इसके साथ ही भुगतान की क्षमता पर असर पडऩे से आयात के सौदे रुकने लगने हैं और देश में सामान की कमी हो सकती है. पाकिस्तान और श्रीलंका इसके दो बड़े उदाहरण है. हालांकि भारत में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है. भले ही रिजर्व लगातार गिर रहा हो, लेकिन रिजर्व बैंक के अनुसार भंडार पर्याप्त है और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. हालांकि बाजार मान रहा है कि भंडार जैसे जैसे घटेंगे केंद्रीय बैंक की रुपये को थामने की क्षमता भी घटती जाएगी.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, स्वर्ण भंडार भी घटा: RBI रिपोर्ट
कोरोना कमबैक का असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) पर भी पड़ा है. आरबीआई की ओर जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दो अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.415 अरब डॉलर घटकर 576.869 अरब डॉलर पहुंच गया. इसके अलावा देश का स्वर्ण भंडार यानि Gold Reserves भी 88.4 करोड़ डॉलर से घटकर 34.023 अरब डॉलर का रह गया है.
रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के आंकड़ों बताते हैं कि दो अप्रैल को देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों यानि FCA में गिरावट के चलते देखने को मिली है.
बता दें विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों की तरफ से रखी गई धनराशि या असेट्स होती हैं, जिनका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है. विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है.
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कच्चे तेल में गिरावट; चीन के कोविड केसेस में वृद्धि ने मांग के दृष्टिकोण को प्रभावित किया
कमोडिटीज 08 नवंबर 2022 ,20:09
© Reuters.
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Investing.com - चीन में COVID के प्रकोप के बिगड़ने की खबर के बाद मंगलवार को तेल की कीमतों में गिरावट आई, जिससे दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के आयातक की मांग पर असर पड़ा।
09:40 ET तक (14:40 GMT), यू.एस. क्रूड वायदा 0.5% गिरकर 91.38 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जबकि ब्रेंट अनुबंध 0.2% गिरकर 97.77 डॉलर पर आ गया।
आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण झेंग्झौ शहर ने घोषणा की कि सोमवार को COVID मामलों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई, जिससे इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को चरमराने वाले लॉकडाउन के जल्द समाप्त होने की उम्मीदें धराशायी हो गईं।
अन्य शहरों में भी मामलों में नए सिरे से वृद्धि की रिपोर्ट करने के साथ, चीनी स्वास्थ्य के किसी भी मौके पर सख्त आंदोलन पर अंकुश लगाने और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन उपायों की अपनी वर्तमान शून्य-सीओवीआईडी रणनीति को शिथिल करने की संभावना बहुत कम लगती है।
आईएनजी के विश्लेषकों ने एक नोट में कहा, "वैश्विक बाजार के लिए चीनी मांग दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।" "क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? वैश्विक तेल की मांग अगले साल लगभग 1.7 एमएमबीबीएल / डी बढ़ने की उम्मीद है और चीन को इस वृद्धि का लगभग 50% बनाने की उम्मीद है। घरेलू कोविड की स्थिति कैसे विकसित होती है और अधिकारियों के माध्यम से आगे के प्रकोप से निपटने के बारे में बहुत अनिश्चितता है। 2023।"
हालांकि, भविष्य की मांग में वृद्धि पर अनिश्चितता केवल चीन तक ही सीमित नहीं है।
सोमवार को फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ रिचमंड के अध्यक्ष थॉमस बार्किन ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाने के अपने प्रयासों में "निरंतर" रहेगा, भले ही देश की अर्थव्यवस्था तनाव के संकेत दिखाती है।
बार्किन ने कहा, "मुद्रास्फीति को कम करने के लिए हमारे पास उपकरण हैं, चाहे कोई भी व्यवधान आए।"
यू.के. में, क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक मंदी का सामना करने की संभावना के बारे में पिछले सप्ताह चेतावनी दी थी, जबकि एक फ्लैश अनुमान से पता चला है कि यूरोज़ोन जीडीपी की वृद्धि, पिछले सप्ताह जारी की क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? गई थी, तीसरे में तेजी से धीमी हो गई। तिमाही से 0.2% तिमाही-दर-तिमाही।
साथ ही S&P Global कमोडिटी इनसाइट्स का नवीनतम प्लैट्स सर्वेक्षण भी तौलना था, जिसने संकेत दिया कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों और सहयोगियों के संगठन, जिसे ओपेक+ के नाम से जाना जाता है, ने वास्तव में अक्टूबर में उत्पादन में 220,000 बैरल प्रतिदिन की वृद्धि की, इसके बजाय एक दिन में 100,000 बैरल की कटौती का वादा किया था।
फिर भी, कच्चे तेल की आपूर्ति अत्यधिक तंग बनी हुई है, और स्थिति और खराब हो सकती है, जैसा कि अपेक्षित था, रिपब्लिकन आज होने वाले मध्यावधि चुनावों के परिणामस्वरूप कांग्रेस के एक या दोनों सदनों पर नियंत्रण हासिल कर लेते हैं।
चुनावों से पहले, डेमोक्रेट अध्यक्ष जो बिडेन ने पेट्रोल की कीमतों पर लगाम लगाने में मदद करने के लिए रणनीतिक भंडार से कच्चे तेल की रिहाई का आदेश दिया, लेकिन अगर उनकी पार्टी को गंभीर झटका लगता है तो इस तरह के कदम को दोहराना राजनीतिक रूप से मुश्किल हो सकता है।
इसके अलावा, अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट अपना साप्ताहिक इन्वेंट्री डेटा बाद में सत्र में जारी करता है, जबकि अमेरिकी सरकार अपना नवीनतम शॉर्ट-टर्म एनर्जी आउटलुक प्रकाशित करेगी।