रणनीति चुनना

कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा

कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा

कॉफी एंड क्रिप्टो : क्रिप्टो ट्रांजेक्शन में क्या होता है ब्लॉकचेन? कैसे काम करता है ये?

ब्लॉकचेन को काफी सिक्योर टेक्नोलॉजी माना जाता है. ब्लॉकचेन का डेटा अलग-अलग ब्लॉक्स में सेव होता है. यहां बता दें कि ब्लॉकचेन का इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टो में नहीं किया जाता है. दूसरे इंडस्ट्री में भी किया जाता है.

दोबारा Voter ID card कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा बनवाने की प्रक्रिया के बारे में जानें सबकुछ

आप अपना डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) या तो डाक से अपने पते पर मंगा सकते हैं या पास के मतदाता सेवा केंद्र जाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं.

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अगर आप डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) बनाना चाहते हैं और ऑनलाइन आवेदन करने में असमर्थ हैं तो आप नजदीकी मतदाता सेवा केंद्र पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.

  • वोटर आईकार्ड (Voter ID card) गुम हो जाने पर
  • वोटर आईकार्ड (Voter ID card) चोरी हो जाने पर
  • कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा
  • वोटर आईकार्ड (Voter ID card) फट या बेकार हो जाने पर
  • फॉर्म EPIC-0002 (भरकर हस्ताक्षर किया हुआ)
  • पते का प्रमाण पत्र
  • पहचान का प्रमाण
  • पासपोर्ट आकार के फोटो

3.मुझे डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के आवेदन के लिए फॉर्म कहां से मिलेगा?
डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के लिए आवेदन करने का फॉर्म EPIC-0002 है. आप EPIC-0002 को राज्य के चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. अगर आपके आस-पास कोई मतदाता सेवा केंद्र हैं, तो EPIC-0002 फॉर्म वहां से भी मिल सकता है.

4. क्या मैं डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकता हूं?
हां, आप अपने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर जाकर वहां से भी डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आप ऑनलाइन आवेदन करते हैं तो आपको निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर दिए गए निर्देश के अनुसार सभी जानकारी भरनी पड़ेगी.

5. क्या डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के आवेदन का स्टेट्स ऑनलाइन चेक किया जा सकता है?
जब आप अपने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर दिए गए निर्देश के हिसाब से आवेदन करते हैं तो फॉर्म जमा करने के बाद आपको एक रेफरेंस नंबर मिलता है. आवेदन की स्थिति जानने के लिए आपको वेबसाइट पर रेफरेंस नंबर डालना पड़ता है.

6. वोटर आईकार्ड (Voter ID card) बन जाने पर इसे कैसे लिया जा सकता है?कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा
आप अपना डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) या तो डाक से अपने पते पर मंगा सकते हैं या पास के मतदाता सेवा केंद्र जाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं.

  1. सबसे पहले EPIC-0002 की एक कॉपी लें.
  2. इसमें नाम, पता, जन्म तिथि, EPIC नंबर और डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) बनाने का कारण लिखें.
  3. इसके बाद पते और पहचान के सबूत की कॉपी लगायें.
  4. सभी जानकारी सही पाए जाने पर आपके आवेदन को प्रोसेस किया जाएगा और आपके पते पर वोटर आईकार्ड (Voter ID card) भेज दिया जायेगा.

9. क्या डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के लिए आवेदन करते वक्त फटे हुए वोटर आईकार्ड (Voter ID card) को जमा करना होगा?
नहीं, यह जरूरी नहीं है.अगर यह खराब हो गया है तो इसे आपके पहचान या पते के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा.

10. डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) के आवेदन फॉर्म में क्या जानकारी देनी होगी?
आपको अपना पूरा नाम, पिता का नाम, पता, जन्म तिथि और पुराने वोटर आईकार्ड (Voter ID card) का नम्बर (EPIC नंबर) आदि लिखना होगा. इसके साथ ही डुप्लीकेट वोटर आईकार्ड (Voter ID card) बनवाने की वजह भी बतानी होगी.

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Digilocker App: अब सब कुछ आपकी पॉकेट में फिट, झंझट खत्म- एक जगह रखें डॉक्युमेंट्स

Digilocker App: आधार,पैन और ड्राइविंग लाइसेंस. ये सभी आपके जरूरी डॉक्यूमेंट्स है. अक्सर ऐसा होता है, इन्हें हमेशा अपने साथ कैरी करने पर. या तो ये मिस प्लेस हो जाते हैं या फिर फट जाते हैं. लेकिन इसका भी एक आसान उपाय है. आप इन जरूरी डॉक्यूमेंट्स को Digilocker में सेव करके रख सकते हैं. ये एक ऐप है, जो आपको अपने सरकारी और पर्सनल डॉक्यूमेंट्स को सेव करने की इजाजत देता है. यहां स्टोर किए गए डॉक्यूमेंट्स फिजिकल डॉक्यूमेंट्स के बराबर ही माने जाते हैं, जिन्हें हर जगह एक्सेप्ट भी किया जाता है. लेकिन सवाल ये है कि डॉक्यूमेंट्स कैसे सेव करें. तो चलिए वीडियो में जानते हैं स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस.

दिमाग की नस फटने पर नहीं करनी पड़ेगी ओपन सर्जरी

चंडीगढ़ (रवि): एनरिज्म में मरीज के दिमाग की नसें कमजोर होकर फूल जाती हैं जिसकी वजह से नसें फट जाती है। इन मरीजों का इलाज अब तक ओपन सर्जरी के सहारे ही किया जा रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से पी.जी.आई. में इन मरीजों का इलाज एक नई तकनीक के जरिए किया जा रहा है। पी.जी.आई. न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डा. विवेक लाल की मानें तो एंडोवैस्कुलर तकनीक न सिर्फ इन मरीजों को अच्छा इलाज दे रही है, बल्कि इस तकनीक ने ओपन सर्जरी के दौरान होने वाले रिस्क फैक्टर्स को भी कम कर दिया है।

डा. लाल की मानें 30 से 40 वर्ष पहले पी.जी.आई. समेत दुनिया भर में एनरिज्म का इलाज ओपन सर्जरी से किया जा रहा है। जिसमें दिमाग की हड्डी को हटाकर डैमेज नस पर एक क्लिप लगाया जाता है जो इसका एक स्टैंडर्ट ट्रीटमैंट है। लेकिन एंडोवैस्कुलर टैक्नीक में उसी तरह काम कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा किया जाता है जैसे कि हार्ट में स्टंटिंग के दौरान किया जाता है। इसमें बिना बड़े कट लगाए तारों की मदद से दिमाग की नसों तक पहुंचा जाता है।

90 प्रतिशत नस फटने के बाद पहुंचते हैं अस्पताल
एनरिज्म एक जन्मजात होने वाली है जिसमें उम्र के साथ-साथ व्यक्ति की दिमाग में मौजूद नसें कमजोर होने लगती है। 50 से 70 वर्ष की उम्र के लोगों में यह आमतौर पर पाई जाती है। लेकिन बहुत से मामलों में बच्चों में भी यह बीमारी देखने को मिलती है। कई रिसर्च में यह भी सामने आया है कि जन्मजात इस बीमारी में स्मोकिंग व ब्लड प्रैशर इसके रिस्क फैक्टर को बढ़ा देते हैं। इस बीमारी की सबसे खतरनाक बात यह है कि जब तक व्यक्ति की नस नहीं फट जाती तब तक इस बीमारी का पता नहीं चलता है।

इस बीमारी के शुरूआती लक्षण नहीं है लेकिन जब नस फट जाती है तो बहुत ही गंभीर सिर दर्द होता है जिसमें कई बार मरीज बेहोश व उल्लिया होने लगती है। डाक्टर्स की मानें तो बाहर के देशों में 30 कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा की उम्र की बाद लोग स्क्रीङ्क्षनग (एम.आर.आई.) करवाते रहते हैं जिसके कारण नस फटने से पहले उनका ट्रीटमैंट शुरू हो जाता है। वहीं भारत में 90 प्रतिशत मरीजों की नस फटने के बाद ही इलाज किया जाता है। 30 प्रतिशत लोग अस्पताल तक ही नहीं पहुंच पाते हैं, जिसके कारण 60 से 70 प्रतिशत मरीज ही बच पाते हैं।

कम रिस्क फैक्टर
नॉर्थ में एम्स व पी.जी.आई. दो ऐसे अस्पताल है जहां मरीजों को यह ट्रीटमैंट मिल रहा है। डा. लाल की मानें तो भले ही एम्स में भी यह टैक्नीक मौजूद है लेकिन पी.जी.आई. एम्स से ज्यादा सर्जरी कर चुका है। पिछले वर्ष पी.जी.आई. ने 150 के करीब मरीजों को एंडोवैस्कुलर के जरिए इलाज दिया था। जबकि एम्स में इसका आंकड़ा 80 से 90 मरीजों का है। डा. लाल की मानें तो पहले डाक्टर्स के पास ऑप्शन नहीं था जिसकी वजह से उन्हें ओपन सर्जरी ही करनी पड़ती थी।

लेकिन अब डाक्टरों के पास एक अच्छा व सफल विकल्प भी मौजूद है। दुनिया भर में जो इक्यूपमैंट इस सर्जरी में इस्तेमाल हो रहे हैं वह सारे पी.जी.आई. में भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। डा. लाल की मानें तो इस तकनीक की सबसे अच्छी बात यह कौन सा क्रिप्टो फट जाएगा है कि इसने ओपन सर्जरी के दौरान होने वाले रिस्क फैक्टर्स को कम कर दिया है। ओपन सर्जरी में जहां मरीजों को रिकवरी के लिए 15 से 20 दिन का वक्त लगता है। वहीं इस तकनीक ने मरीजों का अस्पताल में स्टे कम कर दिया है। मरीज को 3 से 5 दिन बाद ऑप्रेशन के बाद डिस्चार्ज किया जा सकता है।

पी.जी.आई. व कई दूसरे अस्पतालों की रिसर्च में भी सामने आया है कि ओपन सर्जरी में जहां रिस्क फैक्टर 30 प्रतिशत तक रहता है। वहीं इस नई तकनीक में रिस्क फैक्टर कम करके 10 प्रतिशत तक कर दिया है। लोगों को इस ट्रीटमैंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अगर इसमें आने वाले खर्च की बात करें तो जहां ओपन सर्जरी में 1 लाख रुपए तक का खर्च आता है तो वहीं एंडोवैस्कुलर ट्रीटमैंट में 4 से 5 लाख रुपए तक का खर्च होता है।

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