ट्रेडिंग टूल्स

रेंज ट्रेडिंग

रेंज ट्रेडिंग
अलवर. शहरमें पीआर ट्रेडिंग कंपनी ने शूज़ की विभिन्न रेंजों में अपनी विश्वसनीयता तथा गुणवत्ता के दो वर्ष पूरे कर लिए है। इसके संचालक पवन सोनी बताते है कि शो रूम में रेंज ट्रेडिंग विस्तृत रेंज जैसे अक्वालाईट , लीड्स, अक्वालाईट अल्ट्रा, रेड पीयू, अक्वा सोफ्ट तथा ओर भी विभिन्न ब्रांडेड शूज़ उपलब्ध है। पवन सोनी के अनुसार अलवर जिले में अपनी बेहतरीन सेवाओं तथा विस्तृत ब्रांडेड रेंज के कारण ही इस मुकाम पर पहुंचा गया है।

सर्किट ब्रेकर क्या है - Circuit Breaker In hindi

Day Trading- डे ट्रेडिंग

डे ट्रेडिंग
डे ट्रेडिंग (Day Trading) आमतौर पर एक ट्रेडिंग दिन के अंदर सिक्योरिटी को खरीदने या बेचने की प्रणाली है। यह किसी भी मार्केटप्लेस में हो सकती है लेकिन यह फॉरने एक्सचेंज और स्टॉक मार्केट्स में ज्यादा आम है। किसी एसेट के लिए मूल्य परिवर्तन से मुनाफा प्राप्त करने की इंट्राडे स्ट्रैटेजी क्रियान्वित करने वाले एक्टिव ट्रेडर्स, डे ट्रेडर्स कहलाते हैं। डे ट्रेडर्स लेवरेज और शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग रणनीतियों के उच्च अमाउंट का इस्तेमाल करते हैं ताकि बेहद ज्यादा लिक्विड स्टॉक्स या करेंसीज में अस्तित्व में आने वाले स्मॉल प्राइस मूवमेंट्स को भुनाया जा सके। डे ट्रेडिंग हर किसी के लिए नहीं है। इसमें कुछ जोखिम रहते हैं। डे ट्रेडिंग के लिए इस बात की गहरी समझ की जरूरत होती है कि बाजार कैसे काम करते हैं। साथ ही शॉर्ट टर्म में मुनाफे के लिए विभिन्न रणनीतियों की समझ होना भी जरूरी है।

रेंज-बाउंड ट्रेडिंग रणनीतियों में शामिल मुख्य जोखिम क्या हैं? | इन्वेस्टमोपेडिया

रेंज-बाउंड ट्रेडिंग रणनीतियों में शामिल मुख्य जोखिम क्या हैं? | इन्वेस्टमोपेडिया

सीमाबद्ध व्यापार रणनीतियों के साथ प्राथमिक जोखिम अपरिहार्य ब्रेकआउट में है। कुछ बाजार बहुत लंबे समय तक रेंज-बाउंड में रहते हैं। एक मूल्य चैनल के ऊंचा और चढ़ाव का कारोबार करते समय तेजी से पैसा बनाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, एक दिन ऐसा होता है जब कीमत अचानक इसकी सहायता या प्रतिरोध स्तर टूट जाती है व्यापारी जो पहले सुसंगत मूल्य दोलन पर खुशहाल व्यापार हो गया है, यह दुर्घटना का जादू कर सकता है।

जब यह दो या अधिक ऊंचा और चढ़ावों पर चलता है तो सुरक्षा को सीमाबद्ध बना दिया जाता है जो समर्थन और प्रतिरोध के समानांतर स्तर बनाते हैं। इस मूल्य चैनल में दिन, सप्ताह या महीनों की अवधि के लिए मूल्य कार्रवाई होती है सीमाबद्ध गतिविधि की अवधि को एक समेकन क्षेत्र, एक भीड़ क्षेत्र या एक आयताकार पैटर्न कहा जाता है। शेयरों या कॉल की खरीद के रूप में कीमत निकटता के निकट होती है - और शॉर्टिंग या विक्रय को निकट प्रतिरोध के रूप में - स्विंग ट्रेडिंग के क्लासिक उदाहरण हैं एक बार समर्थन और प्रतिरोध के स्तर को स्थापित करने के बाद, एक अनुमान के मुताबिक स्विंग्स को रेंज ट्रेडिंग समय के लिए रिश्तेदार सटीकता के साथ किया जा सकता है। हालांकि, जब कीमतें अंततः चैनल से बाहर निकल जाती हैं, तो अप्रत्याशित द्वारा बड़े पैसे खो सकते हैं।

ट्रेडिंग डेरिवेटिव से जुड़े मुख्य जोखिम क्या हैं? | इन्वेस्टोपेडिया

ट्रेडिंग डेरिवेटिव से जुड़े मुख्य जोखिम क्या हैं? | इन्वेस्टोपेडिया

डेरिवेटिव ट्रेडिंग समझते हैं और आम तौर पर डेरिवेटिव मार्केट में ट्रेडिंग से संबंधित प्राथमिक जोखिम के बारे में जानें, जैसे कि तरलता या बाजार जोखिम

की पहचान करते समय सामान्य व्यापारिक रणनीतियों क्या हैं, जो कि दोहरे शीर्ष की पहचान करते समय सामान्य व्यापारिक रणनीतियों क्या हैं I इन्वेस्टमोपेडिया

की पहचान करते समय सामान्य व्यापारिक रणनीतियों क्या हैं, जो कि दोहरे शीर्ष की पहचान करते समय सामान्य व्यापारिक रणनीतियों क्या हैं I इन्वेस्टमोपेडिया

व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले रणनीतियों को जानने के लिए जब एक डबल शीर्ष पैटर्न दिखता है यह पैटर्न आम है और इक्विटी और मुद्रा बाजार में लाभदायक हो सकता है।

ट्रेडिंग रणनीतियों के लिए फिबोनैचि रीट्रेसमेंट्स का उपयोग करने के मुख्य नुकसान क्या हैं? | इन्वेंटोपैडिया

ट्रेडिंग रणनीतियों के लिए फिबोनैचि रीट्रेसमेंट्स का उपयोग करने के मुख्य नुकसान क्या हैं? | इन्वेंटोपैडिया

फिबोनैचि रिट्रेजमेंट के निहित हानि के बारे में जानें, गणित में प्रयुक्त फिबोनैचि अनुक्रम पर बनाया गया एक सूचक।

स्विंग ट्रेडिंग और १६ कैंडल स्टिक पैटर्न (Hindi Edition) Kindle Edition

क्योकि स्विंग का हिंदी अर्थ होता है झुला, और ट्रेडिंग का अर्थ है “माल खरीदना और बेचना’ स्विंग ट्रेडिंग कर हिंदी अर्थ थोडा FUNNY सा लगता है, झूले से मतलब है, एक छोटे टाइम पीरियड के रेंज में की जाने वाली ट्रेडिंग, जैसे 2 दिन या 7 दिन या फिर 5 दिन के टाइम पीरियड में स्टॉक खरीदना और बेचना , स्विंग इसलिए कहा जा रहा है, क्योकि जिस तरह झूले एक डिस्टेंस के रेंज में झूलता रहता है, स्टॉक मार्केट में की जाने वाली ट्रेडिंग एक टाइम पीरियड में बार बार होती रहती है, जब किसी शेयर या स्टॉक को खरीदने के बाद, अगर उसे कुछ दिन के बाद बेचा जाये, तो जितने समय कोई स्टॉक हमारे पास रहता है, वो उस स्टॉक का होल्डिंग पीरियड कहलाता है, यानी शेयर खरीदने के बाद जितने समय तक हम उसे नहीं बेचते है, वो समय उस शेयर का होल्डिंग पीरियड टाइम होता है, और अगर आपका “स्टॉक होल्डिंग पीरियड” ,कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक का है, तो इस तरह के वीकली , या मंथली होल्डिंग पीरियड में की जाने ट्रेडिंग को, स्वींग ट्रेडिंग कहा (स्विंग ट्रेडिंग ) जाता है,

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  • Language ‏ : ‎ Hindi
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    About the authors

    I am Bhavesh Bhavsar live in Ahmedabad,State of Gujarat in India with my family. I have worked in the corporate world as Merchandizer positions for last 5 years. As I am process another book to write as soon as possible.

    As I am creative thinker, with focus on finding solution to the issues of mass interest. “I believe that a heart, full of love, is the treasure most precious. That’s why, I wanted to share with the world, my insights about love, that I gained with years of observations and personal experiences. These insights will help the reader understand what exactly is want and also help to provide answer all related questions. That in turn will help the reader to gain and maintain रेंज ट्रेडिंग relationships.”

    सर्किट ब्रेकर क्या है (Circuit Breaker In Hindi)

    शेयर बाजार में न्यूज़ का बहुत ज्यादा असर होता है कई बार कोई अच्छी या बुरी न्यूज़ आने पर कोई शेयर अचानक से बहुत ज्यादा बढ़ जाता है या गिर जाता है।

    जिससे निवेशकों को अचानक बहुत ज्यादा लाभ या नुकसान हो जाता है और इसी उतार – चढ़ाव से निवेशकों की पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए सर्किट ब्रेकर लगाये जाते है।

    सर्किट ब्रेकर किसी एक स्टॉक या पुरे शेयर मार्किट को एक रेंज देता है और पुरे दिन उसी रेंज में शेयर्स की खरीदी – बिक्री करनी होती है। यदि कोई शेयर उस रेंज को तोडना चाहे तो उस शेयर में ट्रेडिंग रोक दी जाती है ताकि छोटे निवेशकों को उतार – चढ़ाव से बचाया जा सके।

    Circuit Breaker की रेंज क्या है

    किसी स्टॉक का सर्किट फ़िल्टर 2 % से 20 % की रेंज में हो सकता है। यह 20%, 15%, 10%, 5%, 2%, तक होता है। इसका अर्थ यह हुआ की इनमें से जब भी किसी एक रेंज पर कोई स्टॉक पहुंच जाता है तो अपने आप सर्किट ब्रेक हो जाता है।

    सर्किट ब्रेकर की लिमिट किसी स्टॉक की वोलैटिलिटी के आधार पर निर्धारित की जाती है यह 2% से लेकर 20% तक हो सकती है। यहाँ यह जानने वाली बात है की अलग – अलग स्टॉक पर अलग – अलग सर्किट लिमिट हो सकती है जो स्टॉक एक्सचेंज उसकी वोलैटिलिटी के आधार पर निर्धारित करता है। किसी स्टॉक में 20% तो किसी में 10% या 5% भी हो सकती है।

    Circuit Break कैसे होता है

    यदि कोई स्टॉक अचानक गिरना शुरू हो जाये और अपनी एक दिन की ट्रेडिंग रेंज को ब्रेक कर दे तो उसमें आटोमेटिक Lower Circuit Hit हो जाता है। ठीक वैसे ही अगर कोई स्टॉक अचानक बढ़ना शुरू हो जाता है और बढ़ते – बढ़ते इतना बढ़ जाता है की अपनी एक ट्रेडिंग डे की रेंज को ब्रेक कर देता है तो उसमें अपर सर्किट ब्रेक हो जाता है।

    10% Circuit Breaker Rule: यदि किसी ट्रेडिंग डे में 1 बजे से पहले किसी शेयर या इंडेक्स में 10% की गिरावट या बढ़ोतरी हो जाती है तो 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाती है। इस दौरान कोई भी निवेशक खरीदी या बिक्री नहीं कर सकता है। उसके बाद 15 मिनट के Pre Opening Session के बाद कारोबार फिर से शुरू कर दिया जाता है।


    अगर 10% का सर्किट 1 बजे के बाद लगता है तो शेयर्स की खरीदी – बिक्री 30 मिनट के लिए रुक जाती है और 2:30 बजे के बाद 10% का सर्किट लगने पर ट्रेडिंग रूकती नहीं है बल्कि मार्किट बंद होने तक लगातार चलती रहती है।

    15% Circuit Breaker Rule: यदि 15% का सर्किट 1 बजे के पहले लगता है तो ट्रेडिंग 2 घंटे के लिए रोक दी जाती है। और अगर 15% सर्किट 1 बजे के बाद लगता है तो 1 घंटे के लिए ट्रेडिंग रोकने के बाद जब मार्किट स्थिर हो जाता है तब ट्रेडिंग फिर से शुरू कर दी जाती है। यदि 2:30 के बाद 15% का सर्किट लगता है तो ट्रेडिंग स्थगित नहीं होती है और व्यापार चलता रहता है।

    20% Circuit Breaker Rule: अगर किसी दिन शेयर मार्किट में 20% की गिरावट या बढ़ोतरी हो जाये तो उस दिन के लिए मार्किट को बंद कर दिया जाता है और उस दिन मार्किट में ट्रेडिंग नहीं होती है। व्यापार अगले दिन शुरू होता है।

    क्या सर्किट फ़िल्टर सभी स्टॉक में लागु होता है

    जवाब है नहीं ! सर्किट ब्रेकर डेरीवेटिव सेगमेंट में Future And Option में ट्रेड होने वाले स्टॉक में लागु नहीं होते है। ये स्टॉक एक दिन में चाहे रेंज ट्रेडिंग जितना बढ़ या घट सकते है। इनमें सर्किट नहीं लगता है और न ही ट्रेडिंग रोकी जाती है।

    किसी स्टॉक पर Circuit Breaker की रेंज नियमित रूप से बदलती रहती है। स्टॉक एक्सचेंज सभी स्टॉक की वोलैटिलिटी पर नज़र रखता है यदि किसी स्टॉक की वोलैटिलिटी बढ़ या घट जाती है रेंज ट्रेडिंग तो उसकी सर्किट ब्रेक की लिमिट उसके अनुसार कर दी जाती है यदि पहले 20% थी तो उसे घटाकर 10% कर दिया जाता है। या पहले 10% थी तो बढाकर 20% कर दिया जाता है।

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