ट्रेडिंग टूल्स

ट्रेडर कौन होते है

ट्रेडर कौन होते है
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इंट्राडे और पोजिशनल ट्रेडिंग में तुलना: आपको कौन सा पसंद करना चाहिए?

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स्टॉक मार्किट में निवेश सबसे अधिक मांग वाले कौशल में से एक है, यही कारण है कि लाखों लोग हर दिन सार्वजनिक एक्सचेंजों पर ट्रेड और पैसा लगाते हैं। एक ट्रेडर के रूप में शुरू करते समय दो तरीके होते हैं जिनमें कोई ट्रेड कर सकता है: पोजिशनल या इंट्राडे ट्रेडर के रूप में। आप या तो ट्रेड कर सकते हैं (इंट्राडे) या आप लंबी अवधि (पोजिशनल ट्रेडिंग) में इनसे अपना मुनाफा निकालने के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार कर सकते हैं। इन दोनों रणनीतियों का आमतौर पर अभ्यास किया जाता है व्यापारियों के बीच इंट्राडे ट्रेडिंग को अधिक पसंद किया जाता है।

यदि आप मुख्य रूप से थोड़े ही समय के लिए लाभ चाहते हैं, तो कोशिश करने के लायक ट्रेडिंग का एक रूप इंट्राडे ट्रेडिंग है। वास्तव में, इस प्रकार के व्यापार में एक ही व्यापारिक दिन के भीतर स्टॉक के साथ-साथ अन्य वित्तीय साधनों की खरीद और बिक्री शामिल है। इसलिए, इंट्राडे ट्रेडिंग का उद्देश्य छोटे बाजार की गतिविधियों पर कब्जा करना है। हालांकि, एक और तरीका है जिससे कोई शेयर बाजार के माध्यम से लाभ कमा सकता हैं: पोजिशनल ट्रेडिंग। पोजिशनल ट्रेडिंग को इंट्राडे ट्रेडिंग और लंबी अवधि के निवेश के बीच में रखा जा सकता है।

पोजिशनल ट्रेडिंग में ओवरनाइट पोजीशन शामिल होती है जो जोखिम प्रबंधन, ट्रेडिंग के चुने हुए दृष्टिकोण और ब्याज समय सीमा पर आधारित होती है। पोजिशनल ट्रेडों में एक समय सीमा के लिए शेयरों को शामिल रखना होता है जो 1-2 दिनों से लेकर महीनों तक हो सकता है ताकि कोई मुनाफा कमा सके। यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करताहै जब आप एक ट्रेडर के रूप में अपनी स्थिति से बाहर निकलना चाहते हैं। बाजार ज्यादातर एक जैसे नही होते और और इस प्रकार कुछ ट्रेडर्स के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है, इसलिए वे पोजिशनल ट्रेडिंग चुनते है क्योंकि यह एक लंबी समय सीमा प्रदान करता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग और पोजिशनल ट्रेडिंग में तुलना

इंट्राडे ट्रेडिंग और पोजीशनल ट्रेडिंग: दोनों शैलियों पर एक विस्तृत नज़र डालकर, आप यह चुन सकते हैं कि आपकी आवश्यकताओं के लिए कौन सी शैली उपयुक्त ट्रेडिंग रणनीति है।

इंट्राडे ट्रेडिंग

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इंट्राडे ट्रेडिंग मेंबाजार खुलने के बाद नई पोजीशन लेना और बाजार बंद होने से पहले उसी दिन उन पोजीशन को बंद करना शामिल है। एक इंट्राडे ट्रेडर के रूप में, आप ट्रेडिंग के दिन के अंत तक अपनी स्थिति को बंद कर सकते हैं, चाहे वह लाभ या हानि में बंद हो रहा हो। इसलिए, इंट्राडे ट्रेडिंग का उद्देश्य छोटे बाजार की गतिविधियों से लाभ कमाना है।

चूंकि ट्रेडर उच्च लीवरेज और बहुत कम एक्सपोजर के साथ लेट पोजीशन में ट्रेड कर सकते हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग व्यापक रूप से प्रचलित है। लीवरेज आधारित व्यापार के मामले में, आपको बाजार बंद होने से पंद्रह से तीस मिनट पहले अपनी स्थिति से बाहर निकलना होगा। यदि कोई अपनी स्थिति से बाहर नहीं निकल पाता है, तो ब्रोकर खुद ही सभी पदों को बंद कर देगा। जब आप अपने इंट्राडे की स्थिति को डिलीवरी में बदलना चाहते हैं, तो आपको अपने ब्रोकरेज को पूरी राशि का भुगतान करना होगा। इन प्रक्रियाओं को बाजार बंद होने से पहले पूरा किया जाना चाहिए।

चूंकि यह आवश्यक है कि आप पूरे अनुभव सत्र में सक्रिय हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग केवल पूर्णकालिक ट्रेडर्स के लिए उपयुक्त है। बाजार बिल्कुल भी एकसमान नही हैं, इसलिए यदि आप अपने लक्ष्य से चुक गये, तो आपका पोर्टफोलियो खराब हो सकता है। व्यापारियों को इंट्राडे का सबसे ज्यादा लाभ उच्च लीवरेज पर कारोबार कर रहा है।उच्च लाभ उठाने या मार्जिन ट्रेडिंग बड़ी जीत के लाभों के साथ आती है लेकिन यह बड़े नुकसान की क्षमता के साथ भी आती है।

पोजिशनल ट्रेडिंग

हाल के वर्षों में, पोजीशनल रूप से ट्रेडिंग ने बहुत लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि यह इंट्राडे ट्रेडिंग के सबसे बड़े जोखिमों में से एक को समाप्त करता है:: किसी के ट्रेडिंग सत्र के अंत तक किसी की स्थिति को स्क्वायर ऑफ करना ट्रेडिंग पोजीशनल रूप से एक या अधिक दिनों, हफ्तों या महीनों के लिए किसी की आवश्यकता के अनुसार अपनी स्थिति को बनाए रखने की अनुमति देता है। पोजीशनल ट्रेडिंग के साथ, किसी के समय सीमा को तय नहीं किया जाएगा, बल्कि, इसे किसी के ट्रेड की प्रकृति के आधार पर चुना जा सकता है।

स्थिति धारण करने में छुट के कारण, पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए एक उच्च कार्यशील पूंजी की आवश्यकता है, लेकिन अधिक जोखिम लेने की क्षमता के साथ आता है। । जो आपका ब्रोकर कौन है, इस पर निर्भर करते हुए, आपको भविष्य के अनुबंधों को रातोंरात ले जाने के लिए मार्जिन के रूप में अपनी पूंजी का 50% या अधिक की आवश्यकता हो सकती है। पोजीशनल ट्रेडिंग की उच्च श्रेणी से स्टॉप-लॉस जोखिम अधिक हो सकता है। उदाहरण के लिए, आप निफ्टी फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के अपने इंट्राडे ट्रेड के लिए पंद्रह से बीस अंकों के स्टॉप-लॉस का उपयोग कर सकते हैं। । एक पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए जो दीर्घकालिक है, ट्रेडर कौन होते है हालांकि, आपको स्टॉप लॉस का उपयोग करना होगा जो लगभग चालीस से 150 अंक तक है।

आपके पास इंट्राडे ट्रेडिंग के साथ एक सप्ताह के भीतर 20 से अधिक ट्रेड हो सकते हैं। पोजीशनल ट्रेडिंग के साथ, आपके पास केवल दो से पांच अल्पकालिक पोजीशनल ट्रेड होंगे। तो मूल रूप से, आपके पास इंट्राडे के साथ एक सप्ताह में 20 से अधिक ट्रेड हो सकते हैं, लेकिन पोजीशनल ट्रेडिंग के साथ, आपके पास केवल 2-5 अल्पावधि पोजीशनल ट्रेड होंगे। किसी के स्टॉप लॉस के आधार पर, यह स्पष्ट है कि पोजिशनल ट्रेडिंग के साथ जोखिम सहन करने के क्षमता समान या उससे भी कम हो सकती है।

जब आप कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक अपनी स्थिति पर ही रहना चुनते हैं, तो इसे दीर्घकालिक पोजीशनल ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। बड़े ट्रेडिंग रेंज के परिणामस्वरूप, यहां स्टॉप लॉस के जोखिम के स्तर 200 अंक तक पहुंच सकता हैं, जबकि साथ ही, किसी के पुरस्कार 1000 अंक या उससे भी अधिक हो जाएंगे।, वास्तव में यह कहा जाता है कि किसी को पहले इंट्राडे ट्रेडिंग के साथ-साथ लॉन्ग-टर्म पोजिशनल ट्रेडिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले शॉर्ट-टर्म पोजिशनल ट्रेडिंग करनी चाहिए।

आप के लिए किस प्रकार का व्यापार सबसे अच्छा है निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है। यदि आपके पास कम पूंजीकी क्षमता है, तो इंट्राडे ट्रेडिंग चुनना एक बेहतर कदम है क्योंकि पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए उच्च पूंजी की आवश्यकता होती है। विचार करने का एक और पहलू यह है कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं। इंट्राडे एक उच्च जोखिम वाला व्यापार है। यदि आप अधिक मात्रा में जोखिम स्वीकार कर सकते हैं, तो स्थितिगत व्यापार की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए अधिक उपयुक्त हो सकती है, जिनमें से बाद में मध्यम से उच्च जोखिम शामिल हैं।एक अंतिम पैरामीटर आपका समय सीमा है। एक पूर्णकालिक व्यापारी जो अपनी स्क्रीन पर चिपके रहना चाहता है, इंट्राडे ट्रेडिंग बेहतर है, जबकि कोई व्यक्ति जो साइड में ट्रेडिंग करना चाहता है या अपना पूरा दिन नही दे सकता, वह,पोजीशनल ट्रेडिंग चुन सकता है।

Investor और Trader कौन होता है ? इनमे क्या अंतर है ?

What is the difference between investor and trader:- मुझे आज भी याद है जब मैं स्टॉक मार्केट में नया नया था तब मैंने बहुत सारे लोगों से सुना था कि स्टॉक मार्केट में पैसे इन्वेस्ट करके एक इन्वेस्टर बन कर आप अच्छे खासे पैसे कमा सकते हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना था कि आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करके बहुत ही कम समय में लाखों करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। तो तब मेरे दिमाग में यह सवाल बार-बार आता था कि आखिर यह इन्वेस्टर कौन होता है ? इन्वेस्टिंग का मतलब क्या होता है ? ट्रेडर कौन होता है ? और ट्रेडिंग का मतलब क्या होता है ? और इन दोनों में क्या अंतर होता है ? मेरी तरह आपके मन में भी यह सवाल हो सकते हैं। अगर हैं ? तो यह लेख पढ़ने के बाद आपके सभी सवाल लोगों के जवाब आपको मिल जाएंगे।

Investor और Trader कौन होता है ? इनमे क्या अंतर है ?

Investing का मतलब क्या होता है ? Investor कौन होता है ?

स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के शेयर एक लंबे समय के लिए खरीदता है और जब उसके शेयर्स की कीमत खरीद प्राइस से कई गुना हो जाती हैं तब उन शेयर को बेचकर वह अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेता है। इसी को इन्वेस्टिंग कहते हैं। चलिए इसको एक उदाहरण से समझते है।

जैसे कि मान लीजिए राहुल नाम का एक लड़का है जिसकी उम्र 25 साल है। अभी उसके पास ₹100000 पड़े हैं जिसकी जरूरत उसे आने वाले 10 से 15 सालों के लिए नहीं पड़ेगी, इसलिए वह इन ₹100000 के शेयर्स खरीद लेता है। इसके बाद वह 15 साल तक अपने शेयर नहीं बेचता है। तो इन 15 सालों में राहुल के ₹100000 कई गुना तक हो जाएंगे।

अगर राहुल ने किसी अच्छी ग्रोथ वाली कंपनी में पैसे लगाए हो तो उसके पैसे 15 साल में 10 से 15 गुना भी हो सकते हैं। यानी कि 15 साल पहले ट्रेडर कौन होते है राहुल ने जो ₹100000 के शेयर खरीदे थे उनकी कीमत 15 साल बाद 10 लाख से 15 लाख रुपए हो जाएगी और जब राहुल उन शेयर्स को बेचेगा तो उसे 15 लाख रुपए मिलेंगे। तो इस प्रकार से शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स इन्वेस्टिंग करते हैं और पैसे कमाते है।

Trading का मतलब क्या होता है ? Trader कौन होता है ?

वैसे तो ट्रेडर में भी कई प्रकार होते हैं, जैसे Intraday Trader, Option Trader, Swing Trader आदि। लेकिन इन सभी में कुछ कुछ चीजें समान होती है। जिससे आप आसानी से इन्वेस्टर और ट्रेडर के बीच का अंतर समझ सकते हैं। ट्रेडर उन लोगों को कहा जाता है जो शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर कम समय में ही खरीद कर वापस ट्रेडर कौन होते है बेच देते हैं। कुछ ट्रेडर एक ही दिन में शेयर खरीद कर वापस बेचते हैं, वहीं कुछ ट्रेडर 7 से 15 दिनों के अंतराल में शेयर्स की खरीद और बिक्री करते हैं, तथा कुछ ट्रेडर 2 से 3 महीने तक शेयर्स को होल्ड करके रहते हैं।

ट्रेडर्स का काम करने का तरीका बहुत ही सिंपल है। यह कंपनियों के शेयर को कम कीमत पर खरीदते हैं और जैसे ही उस कंपनी के शेयर की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है तो वह उन शेयर्स को बेचकर अपना प्रॉफिट कमा लेते हैं। चलिए इसको एक उदाहरण से समझते हैं।

जैसे की मोहन नाम का एक ट्रेडर है जो की रिलायंस कंपनी के 100 शेयर खरीदता है। जब उसने 100 शेयर खरीदे तब एक शेयर की कीमत ₹1000 थी। यानी कि उसने रिलायंस कंपनी के 100 शेयर ₹1,00,000 में खरीदे। इसके 10-15 दिनों के बाद रिलायंस कंपनी के 1 शेयर की कीमत ₹1050 हो गई। तब मोहन ने अपने सारे शेयर्स बेच दिए। जिससे उसे 100 शेयर बेचने पर ₹105000 मिले। यानी कि मोहन ने सिर्फ 10-15 दिनों में ₹5000 का प्रॉफिट कमा लिया।

अभी मोहन उन ₹105000 रुपयों से किसी दूसरी कंपनी के शेयर खरीदेगा और ठीक ऐसे ही 10-15 दिनों के बाद जब शेयर्स की कीमत बढ़ जाएगी तो वो उन्हें वापस बेच देगा। इसी को ट्रेडिंग कहते हैं और जो ट्रेडिंग करते हैं उन लोगों को ट्रेडर्स कहा जाता है।

इन्वेस्टर और ट्रेडर में क्या अंतर होता है ?

इन्वेस्टर और ट्रेडर कौन होते हैं ? यह हम आपको ऑलरेडी बता चुके हैं। इसलिए उनके बीच का अंतर आप खुद समझ सकते हैं। लेकिन अगर हम इन दोनों के बीच में कुछ अन्य भिन्नताओं की बात करें तो एक इन्वेस्टर को स्टॉक मार्केट में ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं पड़ती है। इन्वेस्टर को सिर्फ एक अच्छी कंपनी के शेयर खरीदने होते है और बस उनको होल्ड करके रखना होता है। अगर वह अपने शेयर्स को काफी दिनों तक ना संभाले तब भी कोई दिक्कत नहीं होती है। क्योंकि अगर कंपनी अच्छी हो तो लॉन्ग टर्म में उसके शेयर की कीमत हमेशा बढ़ती ही है।

लेकिन ट्रेडर की लाइफ काफी अलग होती है। एक ट्रेडर को हमेशा शेयर मार्केट और मार्केट से जुड़ी हुई खबरों से अवगत रहना पड़ता है। क्योंकि देश और दुनिया की छोटी बड़ी खबरों के आधार पर ही कंपनियों के शेयर की कीमत कम ज्यादा होती है और ट्रेडर हमेशा कम समय के लिए ही कंपनियों के शेयर खरीदा है। इसलिए ट्रेडर को हमेशा स्टॉक मार्केट में एक्टिव रहना पड़ता है। ताकि जब भी किसी कंपनी के शेयर की कीमत कम हो तब वह उस कंपनी के शेयर खरीद सके और जैसे ही उस कंपनी के शेयर की कीमत थोड़ी बढ़ जाये तो वह उन शेयर्स को वापस बेच सकें।

तो इस लेख में हमने आपको आसान शब्दों में समझाने की कोशिश की है कि investing kya hoti hai, investor kon hota hai ? Trading kya hoti hai ? Trader kon hota hai ? Investor aur trader me kya antar hota hai ? अगर स्टॉक मार्केट से सम्बंधित आपका अन्य कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।

Stock Market Trading: बेस्ट करियर ऑप्शन में से एक है स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग, जानें कैसे करें कोर्स

Stock Market Trading Courses: यहां जानें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में करियर विकल्प क्या हैं और आप इसमें किन योग्यताओं के साथ जॉब कर सकते हैं।

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हाइलाइट्स

  • स्टॉक मार्केट क्यों है बेस्ट करियर ऑप्शन?
  • जानें कोर्स के लिए कौन-सी योग्ताएं हैं जरूरी
  • इस फील्ड में जॉब करने से मिलते हैं कई फायदे
  • आप अपने खुद के मालिक हो सकते हैं।
  • करेक्ट नॉलेज और स्ट्रेटजी के साथ, आप मार्केट से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
  • आप कैश मार्केट (cash market) से डेरिवेटिव मार्केट (derivative market) तक बढ़ सकते हैं और लीवरेज को अपना फ्रेंड बना सकते हैं
  • आप रिसर्चर या ट्रेनर भी बन सकते हैं
  • आप सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (SEBI registered Investment Advisor) या सेबी पंजीकृत अनुसंधान विश्लेषक (SEBI registered Research Analyst) बन सकता है और कंसल्टिंग कर सकते हैं।
  1. स्टॉकब्रोकर (Stockbroker)
  2. ट्रेडर कौन होते है
  3. फाइनांशियल एडवाइजर (Financial Advisor)
  4. इनवेस्टमेंट एडवाइजर (Investment Advisor)
  5. पोर्टफोलिया मैनेजमेंट सर्विस (Portfolio Management Services) (PMS)
  6. रिसर्च एनालिस्ट (Research Analyst)
  7. ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग (Online Stock Trading)
  8. फाइनांशियल एनालिस्ट (Financial Analyst)
  9. इक्वीटी इनालिस्ट (Equity Analyst (Fundamental/ Technical)
  10. मार्केट रिसर्चर (Market Researcher)
  11. एमएफ डिस्ट्रिब्यूटर / एडवाइजर (MF Distributor/Advisor)
  12. इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर / एडवाइजर (Insurance distributor/advisor)
  • एक क्लीयर ट्रेडिंग प्लान तैयार करना। ट्रेडिंग प्लान का लक्ष्य श्ूजर के लिए क्लीयर और मीनिंगफुल होना चाहिए।
  • स्ट्रैटजी को लागू करने के लिए ट्रेडर को टेक्नोलॉजी और मेथ्ड से फैमिलियर होना चाहिए।
  • आउटकम को प्राप्त करने की प्लानिंग के लिए, ट्रेडर को प्लानिंग पर भरोसा करना चाहिए।
  • लगातार सफलता प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए रेवेंज ट्रेडिंग (revenge trading), रीसेंसी बायस (recency bias), स्टीरियोटाइपिंग इत्यादि जैसे बिहेवेरियल बायसेज (behavioral biases) के बारे में हमेशा अवेयर रहना चाहिए।
  • हमेशा कुछ नियम रखें और हमेशा उनका पालन करें।
  • ट्रेडिंग को फुलटाइम प्रोफेशन/बिजनेस के रूप में मानें जिसमें बिजनेस करने की लागत में आपको होने वाली हानि होती है। नुकसान से कभी भी न हिचकिचाएं और हमेशा स्ट्रिक्ट स्टॉप-लॉस का पालन करें।
  1. ट्रेडर ज्यादातर सेल्फ थॉट ब्रीड (self-taught breed) होते हैं। हालांकि, एक प्रोफेशनल ट्रेडर को शुरू करने के लिए फाइनांस की मूल बातें समझने की जरूरत है। कॉलेज की डिग्री आजकल एक प्रीकंडीशन है - कम से कम यदि आप ट्रेडिंग को सिरियसली लेना चाहते हैं या किसी सम्मानजनक फाइनांशियल इंस्टीट्यूशन या कॉर्पोरेशन में ट्रेडिंग से रिलेटेड करियर बनाना चाहते हैं।
  2. अधिकांश ट्रेडर के पास मैथ्स, फाइनांस, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स या इंडस्ट्री में डिग्री होती है। डिफाइंड क्राइटेरिया के रूप में, शुरुआत करने के लिए आयु 18 वर्ष हो ऐसा जरूरी नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है। नाबालिग और वयस्क दोनों शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
  3. माता-पिता या गार्जियन द्वारा संबंधित दस्तावेज जमा करने के बाद नाबालिग के नाम पर अकाउंट खोला जा सकता है। नाबालिग के वयस्क होने तक माता-पिता या गार्जियन अकाउंट की देखरेख करते हैं। नाबालिग के 18 साल के होने के बाद, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट व्यक्ति को कुछ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज प्राप्त करने के लिए एक एडवाइजरी भेजता है ताकि वह नया अकाउंट खोल सके और उसमें डिटेल ट्रांसफर कर सके।
  4. डीमैट अकाउंट खोलने ट्रेडर कौन होते है के लिए पैन कार्ड जरूरी है। इसे खोलते समय आपको केवाईसी दस्तावेजों के साथ अपने पैन कार्ड की एक प्रति जमा करनी होगी। दूसरी ओर, किसी के लिए इस इंडस्ट्री में इनवेस्टेंट एडवाइजरी या किसी कंसल्टिंग कंपनी में प्रोफेशनल के रूप में काम करने के लिए एनआईएसएम सर्टिफाइड होना चाहिए और इकोनॉमिक्स / बिजनेस मैनेजमेंट / फाइनांस या इसी तरह के कोर्स में मास्टर या ग्रेजुएट होना जरूरी है।

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Stock Market Trading: बेस्ट करियर ऑप्शन में से एक है स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग, जानें कैसे करें कोर्स

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हाइलाइट्स

  • स्टॉक मार्केट क्यों है बेस्ट करियर ऑप्शन?
  • जानें कोर्स के लिए कौन-सी योग्ताएं हैं जरूरी
  • इस फील्ड में जॉब करने से मिलते हैं कई फायदे
  • आप अपने खुद के मालिक हो सकते हैं।
  • करेक्ट नॉलेज और स्ट्रेटजी के साथ, आप मार्केट से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
  • आप कैश मार्केट (cash market) से डेरिवेटिव मार्केट (derivative market) तक बढ़ सकते हैं और लीवरेज को अपना फ्रेंड बना सकते हैं
  • आप रिसर्चर या ट्रेनर भी बन सकते हैं
  • आप सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (SEBI registered Investment Advisor) या सेबी पंजीकृत अनुसंधान विश्लेषक (SEBI registered Research Analyst) बन सकता है और कंसल्टिंग कर सकते हैं।
  1. स्टॉकब्रोकर (Stockbroker)
  2. फाइनांशियल एडवाइजर (Financial Advisor)
  3. इनवेस्टमेंट एडवाइजर (Investment Advisor)
  4. पोर्टफोलिया मैनेजमेंट सर्विस (Portfolio Management Services) (PMS)
  5. रिसर्च एनालिस्ट (Research Analyst)
  6. ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग (Online Stock Trading)
  7. फाइनांशियल एनालिस्ट (Financial Analyst)
  8. इक्वीटी इनालिस्ट (Equity Analyst (Fundamental/ Technical)
  9. मार्केट रिसर्चर (Market Researcher)
  10. एमएफ डिस्ट्रिब्यूटर / एडवाइजर (MF Distributor/Advisor)
  11. इंश्योरेंस डिस्ट्रीब्यूटर / एडवाइजर (Insurance distributor/advisor)
  • एक क्लीयर ट्रेडिंग प्लान तैयार करना। ट्रेडिंग प्लान का लक्ष्य श्ूजर के लिए क्लीयर और मीनिंगफुल होना चाहिए।
  • स्ट्रैटजी को लागू करने के लिए ट्रेडर को टेक्नोलॉजी और मेथ्ड से फैमिलियर होना चाहिए।
  • आउटकम को प्राप्त करने की प्लानिंग के लिए, ट्रेडर को प्लानिंग पर भरोसा करना चाहिए।
  • लगातार सफलता प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए रेवेंज ट्रेडिंग (revenge trading), रीसेंसी बायस (recency bias), स्टीरियोटाइपिंग इत्यादि जैसे बिहेवेरियल बायसेज (behavioral biases) के बारे में हमेशा अवेयर रहना चाहिए।
  • हमेशा कुछ नियम रखें और हमेशा उनका पालन करें।
  • ट्रेडिंग को फुलटाइम प्रोफेशन/बिजनेस के रूप में मानें जिसमें बिजनेस करने की लागत में आपको होने वाली हानि होती है। नुकसान से कभी भी न हिचकिचाएं और हमेशा स्ट्रिक्ट स्टॉप-लॉस का पालन करें।
  1. ट्रेडर ज्यादातर सेल्फ थॉट ब्रीड (self-taught breed) होते हैं। हालांकि, एक प्रोफेशनल ट्रेडर को शुरू करने के लिए फाइनांस की मूल बातें समझने की जरूरत है। कॉलेज की डिग्री आजकल एक प्रीकंडीशन है - कम से कम यदि आप ट्रेडिंग को सिरियसली लेना चाहते हैं या किसी सम्मानजनक फाइनांशियल इंस्टीट्यूशन या कॉर्पोरेशन में ट्रेडिंग से रिलेटेड करियर बनाना चाहते हैं।
  2. अधिकांश ट्रेडर के पास मैथ्स, फाइनांस, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स या इंडस्ट्री में डिग्री होती है। डिफाइंड क्राइटेरिया के रूप में, शुरुआत करने के लिए आयु 18 वर्ष हो ऐसा जरूरी नहीं है। शेयर बाजार में निवेश करने की कोई न्यूनतम उम्र नहीं है। नाबालिग और वयस्क दोनों शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
  3. माता-पिता या गार्जियन द्वारा संबंधित दस्तावेज जमा करने के बाद नाबालिग के नाम पर अकाउंट खोला जा सकता है। नाबालिग के वयस्क होने तक माता-पिता या गार्जियन अकाउंट की देखरेख करते हैं। नाबालिग के 18 साल के होने के बाद, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट व्यक्ति को कुछ केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) दस्तावेज प्राप्त करने के लिए एक एडवाइजरी भेजता है ताकि वह नया अकाउंट खोल सके और उसमें डिटेल ट्रांसफर कर सके।
  4. डीमैट अकाउंट खोलने के लिए पैन कार्ड जरूरी है। इसे खोलते समय आपको केवाईसी दस्तावेजों के साथ अपने पैन कार्ड की एक प्रति जमा करनी होगी। दूसरी ओर, किसी के लिए इस इंडस्ट्री में इनवेस्टेंट एडवाइजरी या किसी कंसल्टिंग कंपनी में प्रोफेशनल के रूप में काम करने के लिए एनआईएसएम सर्टिफाइड होना चाहिए और इकोनॉमिक्स / बिजनेस मैनेजमेंट / फाइनांस या इसी तरह के कोर्स में मास्टर या ग्रेजुएट होना जरूरी है।

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आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

शेयर बाजार के कुछ नियम हैं, जिसे अपनाकर आप भी निवेश के बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं.

आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई

How To Become A Successful Traders Of Stock Market: शेयर बाजार में अगर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसमें एंट्री का रास्ता आसान है. वहीं अगर सोच-समझकर और समझदारी से योजना बनाई जाए तो शेयर बाजार में बिना किसी बाधा के एक सुसंगत और स्वतंत्र बिजनेस किया जा सकता है. हालांकि बाजार में ट्रेड वाले सभी के लिए जरूरी है कि उन्हें ट्रेडर और प्रोफेशनल ट्रेडर के बीच के गैप को कम करना चाहिए. अगर आप भी बाजार में प्रभावी रूप से कारोबार करना चाहते हैं तो तीन मुख्य बिंदुओं मसलन एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस का बेहद महत्व है. इसके साथ ही आपकी पोजिशन का साइज क्या है, यह भी बेहद अहम है. आपने जो ट्रेड की योजना बनाई है, उसका पालन करने में आप कितने सक्षम हैं और आपके अंतर-संचालन की क्षमता आपको बाजार में प्रभावी तरीके से ट्रेड करने में मदद कर सकती है. जिससे आप अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट सफलता से कर सकते हैं. जानते हैं शेयर बाजार के सफल ट्रेडर बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

शेयर बाजार में ट्रेडिंग एक तरह से बिजनेस है, और बिना सटीक प्लान के कोई भी बिजनेस सफल नहीं हो सकता है. सिर्फ कुछ किताबें पढ़कर ट्रेडिंग में आ जाना, सिर्फ ब्रोकरेज अकाउंट खोलकर और चार्टिंग प्रोग्राम खरीदकर शेयर बाजार में पैसा लगा देने से ही सफलता नहीं मिल सकती. इससे नुकसान का डर ज्यादा होता है.

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सटीक ट्रेड प्लान के लिए आपका सही स्ट्रैटेजी पर काम करना जरूरी है. इसके लिए आपको यह तय करना होगा कि आप कितना रिस्क लेने का क्षमता रखते हैं, आपके निवेश का लक्ष्य क्या है, आपका कैपिटल अलोकेशन क्या है, आप शॉर्ट टर्म या लांग टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं. कब किसी निवेश में एंट्री करना है, कब निकलना है और स्टॉप लॉस क्या हो, इन बातों की समझ जरूरी है. इन बातों की समझ नहीं होगी तो आप मुसीबत में आ सकते हैं.

2. ट्रेड को लेकर न रहें कनफ्यूज

जब भी आप ट्रेडिंग का प्लान कर रहे हों, आपका माइंड क्लीयर होना जरूरी है. बाजार में कई बार अफवाहें तेज उड़ती हैं, अगर आपका ध्यान उन पर गया तो प्लान बिगड़ सकता है. इसलिए निगेटिव खबरों को लेकर खुद पर दबाव न बनाएं. अपने निवेश को लेकर इमोशनल न हों. सही निवेश को चुनें और उसमें बिना डर के पैसे लगाएं. दूसरों को डरा हुआ देखकर आप अपने द्वारा बनाए गए निवेश के प्लान से दूर न जाएं. ऐसा करके आप अपना बहुत सा मुनाफा गंवा सकते हैं.

आपके निवेश का आकार क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है. इससे तय होता है कि आप कितनी क्वांटिटी का शेयर खरीद या बेच सकते हैं. आप कितने कैपिटल के साथ बाजार में सहज हैं, कितना रिस्क ले सकते हैं या उतार चढ़ाव झेल सकते हैं, इससे आपका ट्रेड प्लान सही से बाजार में लागू होता है. एक बार जब आप बाजार में निवेश करते हें, समय समय पर अपने निवेश का आंकलन, अपने पोजिशन साइज का रिव्यू और बैलेंस को बनाए रखना समान रूप से जरूरी है.

जब आपका ट्रेड सही दिशा में बढ़ रहा हो, तो कुछ बेहतर स्ट्रैटेजी के साथ काम करना जरूरी हो जाता है. मसलन कब निवेश में कौन सा शेयर बढ़ाना है या कौन सा घटाना है. कहां स्टॉप लॉस लगाकर ट्रेड करना है. इस तरह से आप बाजार के जोखिम को कम कर सकते हैं.

4. सीमित कर सकते हैं अपना नुकसान

शब्द “स्टॉप लॉस” का हाल के दिनों में बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सही भी है क्योंकि स्टॉप लॉस एक जोखिम की पूर्व-निर्धारित राशि है जो एक ट्रेडर हर ट्रेड के साथ सहने को तैयार होता है. यह आपके नुकसान के आकार को सीमित कर देता है. भले ही आपका ट्रेड लीडिंग पोजिशन में हो, स्टॉप लॉस को अनदेखा न करें, नहीं तो आपको ज्यादा नुकसान भी उठना पड़ सकता है.

5. अति-आत्मविश्वास दे सकता है नुकसान

ट्रेडिंग में सफलता आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, लेकिन आत्मविश्वास और अति-आत्मविश्वास के बीच एक अंतर है, जिसे जरूर समझें. अपने ट्रेड प्लान पर टिकें रहें और पहले से बनाई गई योजना के हिसाब से ही शेयर बाजार में चलें. भावनाओं में आकर ट्रेडिंग न करें. मसलन बहुत ज्यादा फायदे की स्थिति में भी बिना सोचे अपना अलोकेशन बढ़ाते जाएं.

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