एक पेनेटेंट बुलिश है?

ग्राहम बेल की विलक्षण प्रतिभा का एक पेनेटेंट बुलिश है? अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे महज तेरह वर्ष के उम्र में ही ग्रेजुएट हो गए थे. यह भी एक पेनेटेंट बुलिश है? बेहद आश्चर्य की बात है कि वे केवल सोलह साल की उम्र में एक बेहतरीन म्यूजिक टीचर के रूप में मशह थे.
सीताफल का पेटेंट पाने वाले देश के पहले एक पेनेटेंट बुलिश है? किसान नवनाथ कसपटे
इंदौर। यदि मन में सच्ची लगन हो, तो कड़ी मेहनत से निर्धारित लक्ष्य को पाया जा सकता है.वर्षों के अनुसंधान के बाद सीताफल की नई प्रजाति एनएमके -1 (गोल्डन ) का पेटेंट पाने का यह कमाल कर दिखाया है,ग्राम गोरमाले तहसील वार्शी जिला सोलापुर (महाराष्ट्र) के उन्नत कृषक डॉ.नवनाथ मल्हारी कसपटे ने.इस तरह का पंजीयन कर पेटेंट पाने वाले वे देश के पहले किसान हैं.
इस संबंध में डॉ. नवनाथ ने कृषक जगत को बताया कि वर्षों के अनुसन्धान के बाद सीताफल की नई किस्म एनएमके -1 (गोल्डन ) के पंजीयन के लिए आवेदन किया तो पता चला कि वहां इस श्रेणी में पंजीयन के लिए कोई नियम ही नहीं है. बाद में कृषि मंत्रालय ने नए नियम बनाए जिसके तहत 1 अप्रैल 2016 को पंजीयन हुआ ,जबकि एक पेनेटेंट बुलिश है? केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण , नई दिल्ली द्वारा इस किस्म के स्वामित्व का हक़ ( पेटेंट ) 2019 में दिया गया.
गोल्डन सीताफल की विशेषताएं
डॉ. कसपटे ने बताया कि उनके मधुबन फार्म में उत्पादित आकर्षक गोल्डन सीताफल का आकार सामान्य सीताफल से बड़ा है.यह कम पानी में उगने वाली प्रजाति है. यह पेड़ पर 15 दिन रह सकता है. तोडऩे के बाद भी जल्दी खराब नहीं होता है. यह स्वाद में मीठा है. सामान्य सीताफल में शुगर 22 प्रतिशत है , तो गोल्डन में 26 प्रतिशत शुगर है. इसमें पल्प भी 75 प्रतिशत तक मिलता है, क्योंकि इसमें अधिकतम एक पेनेटेंट बुलिश है? 10 -15 बीज ही निकलते हैं. जहां सामान्य सीताफल का प्रति एकड़ 3 -4 टन उत्पादन होता है , वहीं गोल्डन सीताफल 10 -12 एक पेनेटेंट बुलिश है? टन /एकड़ उत्पादन देता है.इसका न्यूनतम भाव 50 रु. और अधिकतम 400 रु. किलो तक मिल जाता है. मार्च माह और आउट सीजन में अच्छी कीमत मिलती है . प्रति एकड़ 5-6 लाख रु. की आय हो जाती है.
गोल्डन सीताफल की ख्याति देश -विदेश में है. देश के 15 राज्यों में भेजा जा रहा है. यही नहीं अमेरिका के फ्लोरिडा और अफ्रीका के तंजानिया में इस सीताफल का पौधारोपण सफल रहा है. इसकी प्रसिद्धि के कारण ही इसकी नकली प्रजाति तैयार कर बाजार में चलाने की बात भी सामने आई है. इसीलिए अ.भा. सीताफल उत्पादक महासंघ के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. नवनाथ कसपटे ने किसानों से आह्वान किया है कि हमारे असली ब्रांड को देखकर ही खरीदें और व्यापारी से पक्का बिल अवश्य लें.
1876 में 'इम्प्रूवमेंट इन टेलीग्राफी' शीर्षक का पेटेंट किन्हें जारी किया गया था?
KBC 2021, Season 13, Episode 3: 1876 में 'इम्प्रूवमेंट इन टेलीग्राफी' शीर्षक का पेटेंट किन्हें जारी किया गया था?
B. गुलिएल्मो मार्कोनी
C. एलेक्जेंडर ग्रैहम बेल
उत्तर- C. एलेक्जेंडर ग्रैहम बेल
1876 में, अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को टेलीग्राफी में सुधार के लिए पेटेंट प्रदान किया गया था, जिसे अब पहले टेलीफोन के रूप में जाना जाता है. यू.एस. पेटेंट नं. 174,465.
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल को पूरी दुनिया आमतौर पर टेलीफोन के आविष्कारक के रूप में ही ज्यादा जानती है. बहुत एक पेनेटेंट बुलिश है? कम लोग ही यह जानते हैं कि ग्राहम बेल ने न केवल टेलीफोन, बल्कि कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई और भी उपयोगी आविष्कार किए हैं. ऑप्टिकल-फाइबर सिस्टम, फोटोफोन, बेल और डेसिबॅल यूनिट, मेटल-डिटेक्टर आदि के आविष्कार का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. ये सभी ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिसके बिना संचार-क्रंति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
वर्सी-ड्रेज क्षमताएं
वर्सी-ड्रेज का उपयोग दुनिया भर में विभिन्न नदी ड्रेजिंग गतिविधियों के लिए किया गया है, जिसमें बाढ़ शमन, रेत खनन, नेविगेशन चैनल गहरा करना, और पर्यावरण ड्रेजिंग शामिल है। वर्सी-ड्रेगेज के एक-ट्रक परिवहन योग्य डिज़ाइन नगरपालिका सरकारों और ठेकेदारों को ड्रेग को एक मुसीबत स्थान पर जल्दी से तैनात करने और उचित गहराई और हाइड्रोलिक प्रवाह बनाए रखने के लिए इसे खोलने की अनुमति देता है। ड्रेज को तब आसानी से एक क्रेन द्वारा हटाया जा सकता है और साइट को तब तक संग्रहीत किया जा सकता है जब तक कि इसे फिर से नदी के रखरखाव के लिए आवश्यक न हो।
पर्यावरणीय ड्रेजिंग के मामले में, वर्सी-ड्रेज को एक कस्टमाइज्ड पंप से तैयार किया जा सकता है, जो सामान्य हाइड्रोलिक ड्रेज की तरह क्लॉगिंग के बिना कैन, बोतल, प्लास्टिक बैग, रस्सियों, चावल की बोरियों आदि को काट और पंप कर सकता है। यह ऑपरेटरों को नदियों से गाद और कीचड़ को हटाने की अनुमति देता है जहां घनी आबादी ने नदी को कूड़ेदान के रूप में इस्तेमाल किया है।