क्रूड ऑयल ट्रेडिंग

शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, क्रूड ऑयल ट्रेडिंग चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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तेल की कीमतों में आएगी बड़ी गिरावट? चीन और रूस का बड़ा कनेक्शन
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इस वजह से तेल की मांग में गिरावट आई है. दूसरी तरफ G7 में शामिल देश रूस के क्रूड ऑयल पर प्राइस कैप लगाने पर विचार कर रहे हैं. ऐसे में तेल की कीमतें और गिर सकती है.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 29 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 29 नवंबर 2022, 7:54 AM IST)
चीन में सख्त COVID-19 प्रतिबंधों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं. इस वजह से काम-काज ठप हो गया है और इसका असर क्रू़ड ऑयल की कीमतों पर दिखना शुरू हो चुका है. चीन क्रूड ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है. वहां हो रहे प्रदर्शनों की वजह से कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित हुई, जिसकी वजह से ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें गिरी हैं. बीते दिन ब्रेंट क्रूड 2.43 डॉलर या 2.9% गिरकर 81.20 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था. WTI गिरकर 71 डॉलर और MCX पर क्रूड 6100 रुपये के नीचे फिसल गया. इस तरह क्रूड ऑयल 10 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया.
कितना गिर सकता है क्रूड का भाव?
निसान सिक्योरिटीज में जनरल मैनेजर (रिसर्च) हिरोयुकी किकुकावा ने कहा- 'चीन में बढ़ते कोविड-19 मामलों के कारण लगे कड़े प्रतिबंध ने फ्यूल की डिमांड को प्रभावित किया है.' उन्होंने क्रूड ऑयल ट्रेडिंग कहा कि WTI की ट्रेडिंग रेंज 70 डॉलर से लेकर 75 डॉलर तक गिरने की उम्मीद है. उत्पादन पर आगामी ओपेक देशों की बैठक के परिणाम और रूसी तेल पर अगर अमेरिका समेत G7 देश प्राइस कैप लगाते हैं, तो मार्केट में क्रूड की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है.
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तेल मार्केट में मंदी
चीन राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जीरो-कोविड पॉलिसी पर अड़ा हुआ है, जबकि दुनिया के ज्यादातर देशों ने प्रतिबंधों को हटा लिया है. चीन की सड़कों पर कोविड के सख्त प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. शंघाई में रविवार रात सैकड़ों प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी. एमोरी फंड मैनेजमेंट इंक के सीईओ टेत्सु एमोरी ने कहा- 'चीन में मांग को लेकर बढ़ती चिंताओं और तेल उत्पादकों के स्पष्ट संकेतों की कमी के कारण तेल बाजार में मंदी के सेंटिमेंट उभर रहे हैं.
4 दिसंबर को होने वाली है बैठक
टेत्सु एमोरी ने कहा कि जब तक ओपेक+ उत्पादन कोटा में और कटौती पर सहमत नहीं होता या अमेरिका अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार को फिर से लोड करने के लिए आगे नहीं बढ़ता है, तब तक तेल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (OPEC) और रूस सहित उसके सहयोगी, जिन्हें ओपेक+ के नाम से जाना जाता है. उनकी बैठक 4 दिसंबर को होने वाली है. अक्टूबर में ओपेक+ ने 2023 तक अपने उत्पादन लक्ष्य में 2 मिलियन बैरल प्रति दिन कटौती करने पर सहमति जताई थी.
रूस के तेल की कीमतों पर प्राइस कैप
ग्रुप ऑफ सेवन ( G7) और यूरोपीय संघ रूस के तेल पर 65-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच प्राइस कैप लगाने पर विचार कर रहा है. यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देश रूस पर कई तरह प्रतिबंध लगा चुके हैं. उसके तेल पर मार्केट कैप लगाकर ये देश रूस को वित्तीय रूप से कमजोर करने की कोशिश कर कर रहे हैं.
क्या है प्राइस कैप?
यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण रूस कई आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. इसमें से अधिकतर प्रतिबंध अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने लगाए हैं. प्राइस कैप क्रूड ऑयल ट्रेडिंग इसी आर्थिक प्रतिबंध का हिस्सा है. इसके तहत रूसी तेल की कीमतों का निर्धारण G7 में शामिल देश करेंगे. अभी रूस अपनी कीमतों पर तेल बेच रहा है. अगर प्राइस कैप 65 से 70 डॉलर के बीच रहता है तो भारत के लिए यह वर्तमान जैसी ही स्थिति होगी.
Explainer: क्रूड ऑयल.. बैरल.. यहां जानिए कच्चे तेल का गणित, समझिए कीमत का कैल्कुलेशन
Crude Oil Price Calculation: पिछला हफ्ता लगातार छठा हफ्ता था, जब कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चढ़कर बंद हुआ। कच्चे तेल से ही डीजल-पेट्रोल बनते हैं, इसलिए कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर डीजल-पेट्रोल भी महंगे होते हैं। कच्चा तेल भारत विदेशों से आयात करता है, जो लीटर नहीं, बल्कि बैरल के हिसाब से मिलता है। कीमत भी बैरल के हिसाब से डॉलर में दी जाती है। आइए समझते हैं कच्चे तेल को और जानते क्रूड ऑयल ट्रेडिंग हैं बैरल में इसकी कीमत का पूरा गणित।
Explainer: क्रूड ऑयल.. बैरल.. यहां जानिए कच्चे तेल का गणित, समझिए कीमत का कैल्कुलेशन
Crude Oil Price Calculation: भारत में डीजल-पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं। हर कोई महंगे डीजल-पेट्रोल की मार झेल रहा है। वहीं सरकार का सीधा सा तर्क है कि कीमतें बढ़ने की वजह है कच्चा तेल, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगा होता जा रहा है। पिछला हफ्ता लगातार छठा हफ्ता था, जब कच्चा तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चढ़कर बंद हुआ। ये तो लगभग सभी लोग जानते हैं कच्चे तेल से ही डीजल-पेट्रोल बनता है, लेकिन कच्चे तेल का पूरा गणित कुछ ही लोगों को पता है। आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।
क्या है कच्चे तेल की कीमत?
अमेरिकी बाजार में पिछले हफ्ते शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) गुरुवार के मुकाबले 0.86 डॉलर चढ़ कर 84.86 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। डब्ल्यूटीआई क्रूड (WTI Crude) में भी 0.97 डॉलर की तेजी दिखी, जो 1.17 फीसदी की बढ़ोतरी है। कारोबार बंद होते समय यह 82.28 डॉलर प्रति बैरल पर सेटल हुआ था। अब कच्चे तेल का भाव पता तो चल गया, लेकिन समझ बहुत ही कम लोगों को आया होगा। चलिए इसे और आसान बनाते हैं।
1 बैरल में होते हैं करीब 159 लीटर
अगर बात एक बैरल की करें तो इसमें 158.987 लीटर यानी करीब 159 लीटर तेल होता है। यानी अंतराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से 1 लीटर ब्रेंट क्रूड करीब 40 रुपये का और 1 लीटर डब्ल्यूटीआई क्रूड 38.80 रुपये का मिलेगा। यहां एक बात ध्यान रखने की है कि भारत में अधिकतर कच्चा तेल आयात किया जाता है। इसी वजह से कच्चे तेल की कीमत को अधिकतर लोग डॉलर में ही आंकते हैं।
MCX पर रुपये में होती है कच्चे तेल की ट्रेडिंग
भारत में कमोडिटी स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर कच्चे तेल की ट्रेडिंग रुपये में होती है। ऐसे में भारत की तरफ से दूसरे देशों को कच्चे तेल की कीमत डॉलर में दी जाती है। यानी अगर रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत होता है तो हमें कम कीमत चुकानी पड़ेगी और अगर रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है तो हमें अधिक कीमत चुकानी होगी।
असर: क्रूड की गिरावट से कारोबारियों और एक्सचेंज को हुआ भारी नुकसान, मल्टी कमोडिटीज एक्सचेंज पर कारोबार के समय में बदलाव
क्रूड में मचे हाहाकार से ट्रेडर और एक्सचेंज को हुए भारी नुकसान के बाद एमसीएक्स पर ट्रेडिंग के टाइम में बदलाव करना पड़ा है। एमसीएक्स पर अब नॉन- एग्री कमोडिटीज ट्रेडिंग सिर्फ 9 बजे सुबह से 11:30 बजे तक ही होगी। नया ट्रेडिंग टाइम 23 अप्रैल से लागू होगा। बता दें कि सेटलमेंट प्राइस में दिक्कत की वजह से ट्रेडिंग समय बदला गया है।
कारोबारियों को हुआ था भारी नुकसान
बता दें कि क्रूड के निगेटिव में जाने से ट्रेडर, एक्सचेंज को भारी नुकसान का सामाना करना पड़ा है। ऐसा माना जा रहा है कि लॉन्ग पोजिशन में 418 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जिसे देखते हुए नॉन-एग्री कमोडिटीज ट्रेडिंग और अन्य कमोडिटीज के वक्त में बदलाव किया गया है। नॉन-एग्री कमोडिटीज ट्रेडिंग 9 बजे सुबह से 11:30 बजे रात तक होगी जबकि अन्य कमोडिटीज में ट्रेडिंग का वक्त सूबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होगा।
25 को भी बदला था समय
देश के सबसे बड़े जिंस वायदा बाजार प्लेटफॉर्मएमसीएक्स ने लॉकडाउन से अब कुछ रियायत मिलने के बाद यह कदम उठाया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) ने देश भर में 25 मार्च से बंद से पहले जिंस बाजारों से मार्च के मध्य से ही कोविड-19 के कारण व्यापक स्तर पर उतार-चढ़ाव रोकने के लिए कारोबारी समय कम करने को कहा गया था। इसके बाद 14 अप्रैल तक कारोबारी समय 9.00 बजे से रात 11.30 बजे तक को घटाकर सुबह 9.00 बजे से शाम 5.00 बजे कर दिया गया। बंद का पहला चरण 14 मार्च को ही समाप्त होना था, लेकिन इसे 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया। अब सरकार ने एहतियाती उपायों के साथ 20 अप्रैल से कुछ क्षेत्रों में बंद से थोड़ी राहत दी है।
अन्य कमोडिटीज में 5 बजे तक होगा कारोबार
बयान के अनुसार बाजार प्रतिभागियों से मिली जानकारी और सेबी के साथ विचार-विमर्श के बाद 23 अप्रैल से कारोबारी समय संशोधित करने का फैसला किया गया है। इसके तहत गैर-कृषि जिंसों का कारोबार सुबह 9.00 बजे रात 23.30 तक होगा, जबकि अन्य कमोडिटीज (कपास, सीपीओ और आरबीडी पॉमोलीन समेत) के मामले में कारोबार अगले नोटिस तक शाम 5.00 बजे तक होगा।