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जमा और निकासी मानदंड

जमा और निकासी मानदंड

जमा और निकासी मानदंड

उत्तर : जी नहीं, नियोक्ता एवं वेतन के बगैर कोई वसूली नहीं की जा सकती। सदस्य द्वारा किया गया कोई भी अंशदान नियोक्ता के अंशदान के समतुल्य होना चाहिए।

7 - कर्मचारी के वेतन से काटे गए अंशदान को तथा क.भ.नि. को भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में गैर भुगतान से सदस्य को किस प्रकार सूचित किया जाता है?

उत्तर : वार्षिक भ.नि. खाता विवरणी / सदस्य पासबुक, नियोक्ता द्वारा भुगतान की गई राशि का विवरण देता है। इस प्रकार, सदस्यों को वर्ष में चूक की अवधि का पता चलता है। वर्तमान जमा और निकासी मानदंड परिदृश्य में, यदि सदस्य ने अपने यूएएन को सक्रिय किया है तो अंशदान का गैर-भुगतान / भुगतान, ई-पासबुक के माध्यम से हर महीने सत्यापित किया जा सकता है। वर्तमान में, सदस्य अपने भ.नि. खाते में मासिक अंशदान के जमा होने पर अपने पंजीकृत मोबाइल पर एसएमएस भी प्राप्त करते हैं।

8 - भविष्य निधि राशि यदि 20 दिन के भीतर प्राप्त नहीं होती है तो मामले को किसके समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

उत्तर : वह क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, प्रभारी शिकायत से संपर्क कर सकता है, फॉर एंप्लाइज’ सेक्शन में ईपीएफआईजीएमएस सुविधा का लाभ उठाते हुए वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत पृष्ठ के लिए यूआरएल है : https://epfigms.gov.in/ अथवा प्रत्येक माह की जमा और निकासी मानदंड 10 तारीख को आयोजित ‘निधि आप के निकट’ में वह आयुक्त के समक्ष उपस्थित हो सकता है।

9 - क्या भविष्य निधि देय राशि की निकासी की कोई समय-सीमा है?

उत्तर : केवल सेवा से त्यागपत्र (सेवानिवृत्ति नहीं) के मामले में सदस्य को भविष्य निधि की राशि की निकासी के लिए दो माह की अवधि तक प्रतीक्षा करनी होती है।

10 - जब नियोक्ता दावा प्रपत्र को सत्यापित न कर रहा हो तो भविष्य निधि की निकासी के लिए आवेदन कैसे प्रस्तुत किया जा सकता

उत्तर : आवेदन फार्म को सत्यापित करना नियोक्ता का कर्तव्य है। किसी प्रकार के विवाद के मामले में सदस्य उस बैंक जिसमें उसका खाता है, नियोक्ता से सत्यापन न कराने के कारण बताते हुए, इसे जमा और निकासी मानदंड क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त को प्रस्तुत कर सकता है। क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त आवश्यकतानुसार नियोक्ता के साथ मामला उठाएगा। यदि सदस्य ने अपना यूनिवर्सल खाता संख्या सक्रिय किया है और अपने बैंक खाते और आधार को लिंक किया है तो वह कंपोजिट फॉर्म (आधार) प्रस्तुत कर सकता है जिसमें केवल सदस्य के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।

11 - क्या नौकरी बदलने पर सदस्य अपने भविष्य निधि को अंतरित करा सकता है ?

उत्तर : नौकरी बदलने पर, सदस्य को फार्म 13 (आर) प्रस्तुत कर निश्चित रूप से अपनी वर्तमान स्थापना में अपना भविष्य निधि खाता अंतरित करना चाहिए। एकीकृत पोर्टल पर सदस्य इंटरफेस को प्रयोग में लाते हुए सदस्य अंतरण का दावा प्रस्तुत कर सकता है।

12 - भ.नि. अंशदाताओं जमा और निकासी मानदंड के लिए ब्याज क्रेडिट की विधि क्या है?

उत्तर : प्रत्येक वर्ष के लिए घोषित वैधानिक दर पर मासिक चालू शेष के आधार पर चक्रवृद्धि ब्याज जमा कर दिया जाता है। वर्ष 2016-17 के लिए घोषित ब्याज 8.65% है।

समयपूर्व निकासी की छूट वाली सावधि जमाओं पर अलग ब्याज रखने की बैंकों को मंजूरी

मुंबई: रिजर्व बैंक ने समय पूर्व निकासी की सुविधा होने अथवा नहीं होने के आधार पर सावधि जमाओं के लिये अलग ब्याज दर तय करने की बैंकों को अनुमति दे दी है. बैंकों में एक व्यक्ति के नाम पर अथवा संयुक्त रुप से रखी गई 15 लाख रुपये अथवा इससे कम राशि की सावधि जमा पर समय पूर्व निकासी की सुविधा आवश्यक है.

जबकि रिजर्व जमा और निकासी मानदंड बैंक ने कहा है कि बैंक अब 15 लाख रुपये से अधिक की सावधि जमा समय पूर्व निकासी सुविधा के बिना भी पेश कर सकते हैं. रिजर्व बैंक ने फरवरी में 2014-15 की छठी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में सावधि जमाओं में अलग ब्याज दर सुविधा के साथ समयपूर्व निकासी सुविधा की शुरुआत करने का फैसला किया था.

रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘‘इसलिये बैंकों को सावधि जमाओं पर इस आधार पर अलग ब्याज दर रखने का अधिकार होगा कि सावधि जमा समयपूर्व निकासी की सुविधा के साथ है अथवा नहीं.’’ रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि बैंक को ग्राहक को सावधि जमा रखते समय समयपूर्व निकासी सुविधा रखने अथवा नहीं रखने का विकल्प सामने रखना होगा.

रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बैंकों द्वारा रखी जाने वाली सभी तरह की जमाओं पर पहले से अनुसूचित ब्याज दर के अनुरुप ही ब्याज देना होगा. रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकों को जमा पर ब्याज दर के बारे में निदेशक मंडल से मंजूरी प्राप्त नीति ही अपनानी चाहिये.

रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंक एक करोड रुपये अथवा उससे कम राशि पर उसकी अवधि और एक करोड रुपये तथा इससे अधिक राशि की सावधि जमा पर अवधि के हिसाब से अलग अलग ब्याज दर की पेशकश कर सकते हैं. जमा अनुबंध में किसी अन्य मानदंड के आधार पर वह अलग ब्याज दर की जमा और निकासी मानदंड पेशकश नहीं कर सकते हैं.

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सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के लिये लाभांश, निकासी से प्राप्त राशि पर अधिसूचित किये नियम

सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के लिये लाभांश जमा और निकासी मानदंड और निकासी से प्राप्त राशि पर नियम अधिसूचित किये हैं. सेबी ने इसके लिये म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है. नये मानदंड 15 जनवरी से लागू होंगे.

Updated: November 17, 2022 4:57 PM IST

SEBI

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिटधारकों के लाभांश और यूनिट बेचने से प्राप्त राशि के अंतरण के मामले में संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMC) के लिये नये नियमों को अधिसूचित किया है.

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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने बृहस्पतिवार को एक अधिसूचना में कहा कि नये नियम के तहत प्रत्येक म्यूचुअल फंड और संपत्ति प्रबंधन कंपनी को यूनिटधारकों को लाभांश भुगतान तथा यूनिट भुनाने या पुनर्खरीद राशि सेबी की तरफ से तय अवधि के भीतर अंतरण करने की जरूरत होगी.

अगर भुनायी गयी राशि निर्धारित अवधि में अंतरण नहीं की जाती है, संबंधित संपत्ति प्रबंधन कंपनी (AMC) को विलंब के अनुसार ब्याज भुगतान करना होगा.

सेबी ने कहा, ‘‘यूनिटधारकों को लाभांश या यूनिट बेचेने से प्राप्त राशि के अंतरण में देरी के एवज में ब्याज भुगतान के बावजूद एएमसी के खिलाफ इस देरी के लिये कार्रवाई की जा सकती है.’’

इसने आगे कहा कि पुनर्खरीद (म्यूचुअल फंड को यूनिट की बिक्री) या लाभांश भुगतान भौतिक रूप केवल असाधारण परिस्थितियों में भेजा जाएगा और एएमसी को भौतिक रूप से भेजे जाने वाले ऐसे सभी मामलों के कारणों के साथ रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यकता होगी.

सेबी ने इसके लिये म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है. नये मानदंड 15 जनवरी से लागू होंगे.

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अटल पेंशन योजना

मुख्य पृष्ठ

भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने जमा और निकासी मानदंड के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:

    और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952
  • कोयला खान भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1948
  • असम चाय बागान भविष्य निधि और विविध प्रावधान, 1955
  • नाविक भविष्य निधि अधिनियम, 1966
  • जम्मू-कश्मीर कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1961
  • कोई भी अन्य वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजना

अटल पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन की इस अर्थ में सरकार द्वारा की गारंटी होगी कि यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न अंशदान की अवधि के दौरान कम हुआ तो इस तरह की कमी को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। दूसरी ओर, यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न न्यूनतम गारंटी पेंशन जमा और निकासी मानदंड के लिए योगदान की अवधि में रिटर्न की तुलना में अधिक हैं तो इस तरह के अतिरिक्त लाभ ग्राहक के खाते में जमा किया जायेगा जिससे ग्राहकों को बढ़ा हुआ योजना लाभ मिलेगा।

सरकार कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये प्रति साल जो भी कम हो का सह-योगदान प्रत्येक पात्र ग्राहक को करेगी जो इस योजना में 1 जून 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच शामिल होते हैं और जो किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना के एक लाभार्थी नहीं है एवं आयकर दाता नहीं है। सरकार के सह-योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक 5 साल के लिए दिया जाएगा।

वर्तमान में, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत ग्राहक योगदान एवं उसपर निवेश रिटर्न के लिए के लिए कर लाभ पाने के पात्र है। इसके अलावा, एनपीएस से बाहर निकलने पर वार्षिकी की खरीद मूल्य पर भी कर नहीं लगाया जाता है और केवल ग्राहकों की पेंशन आय सामान्य आय का हिस्सा मानी जाती है उसपर ग्राहक के लिए लागू उचित सीमांत दर लगाया जाता है। इसी तरह के कर उपचार एपीवाई के ग्राहकों के लिए लागू है।

खाता खोलने के लिए प्रक्रिया

  • बैंक शाखा/पोस्ट ऑफिस जहां व्यक्ति का बचत बैंक है को संपर्क करें या यदि खाता नही है तो नया बचत खाता खोलें
  • बैंक/डाकघर बचत बैंक खाता संख्या उपलब्ध करायें और बैंक कर्मचारियों की मदद से एपीवाई पंजीकरण फार्म भरें
  • आधार/मोबाइल नंबर उपलब्ध कराएं । यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन योगदान के बारे में संचार की सुविधा हेतु प्रदान की जा सकती है।
  • मासिक/तिमाही/छमाही योगदान के हस्तांतरण के लिए बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में आवश्यक राशि रखना सुनिश्चित करें

योगदान की विधि, कैसे योगदान करें और योगदान की नियत तारीख

निरंतर चूक के मामले में

ग्राहकों को अपने बचत बैंक खातों/डाकघर बचत बैंक खाते में निर्धारित नियत दिनांक देरी योगदान के लिए किसी भी अतिदेय ब्याज से बचने के लिए पर्याप्त राशि रखनी चाहिए। मासिक/तिमाही/छमाही योगदान बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में महीने/तिमाही/छमाही की पहली तारीख को जमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर ग्राहक के बचत बैंक खाते/डाकघर बचत बैंक खाते में पहले महीने के अंतिम दिन/पहले तिमाही के अंतिम दिन/ पहले छमाही के अंतिम अपर्याप्त शेष है तो इसे एक डिफ़ॉल्ट माना जायेगा और देरी से योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के साथ अगले महीने में भुगतान करना होगा। बैंकों को प्रत्येक देरी मासिक योगदान के लिए प्रत्येक 100 रुपये में देरी के 1 रुपये प्रति माह शुल्क लेना है। योगदान की तिमाही/छमाही मोड के लिए देरी योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के हिसाब से वसूल किया जाएगा। एकत्र बकाया ब्याज की राशि ग्राहक के पेंशन कोष के हिस्से के रूप में रहेगा। एक से अधिक मासिक/तिमाही/छमाही योगदान धन की उपलब्धता के आधार पर लिया जा सकता है। सभी मामलों में, योगदान यदि कोई हो अतिदेय राशि के साथ-साथ जमा किया जा सकता है। यह बैंक की आंतरिक प्रक्रिया होगी। देय राशि की वसूली खाते में उपलब्ध धन के अनुसार की जाएगी।

रखरखाव शुल्क और अन्य संबंधित शुल्कों के लिए ग्राहकों के खाते से कटौती एक आवधिक आधार पर किया जाएगा। उन ग्राहकों के लिए जिन्होंनें सरकार के सह-योगदान का लाभ उठाया है के लिए, खाते की राशि शून्य माना जाएगा जब ग्राहक जमा और निकासी मानदंड कोष एवं सरकार के सह-योगदान खाते से घटाने पर राशि रखरखाव शुल्क, फीस और अतिदेय ब्याज के बराबर हो जाये और इसलिए शुद्ध कोष शून्य हो जाता है । इस मामले में सरकार का सह अंशदान सरकार को वापस दिया जाएगा।

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