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वित्तीय चालें

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चीन का बढ़ता वर्चस्व

बेघर अधिकार परियोजना में बेहतर भविष्य का निर्माण

तीन दशकों से अधिक समय से, हमने अपने शहर में बेघर लोगों के लिए आश्रय के अधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। जोश गोल्डफीन, हमारे बेघर अधिकार परियोजना के एक स्टाफ अटॉर्नी ने इन सबसे कमजोर न्यू यॉर्कर्स की सुरक्षा के लिए प्रभारी का नेतृत्व करने में मदद की है।

न्यूयॉर्क शहर के आश्रय के अधिकार का अर्थ है कि शहर हर न्यू यॉर्कर के लिए एक बिस्तर उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है, जिसे एक की आवश्यकता है। हालांकि यह कागज पर एक समाधान की तरह लग सकता है, जोश और उनके सहयोगियों का कहना है कि बेघरों को ठीक से आश्रय सुनिश्चित करने के लिए हर दिन तप, सतर्कता और बहुत काम करना पड़ता है। हमारी बेघर अधिकार परियोजना व्यक्तिगत प्रतिनिधित्व और वकालत के माध्यम से बेघरों को उनके अधिकारों को लागू करने के लिए आवाज देती है। हर दिन, परियोजना ग्राहकों को सुरक्षित और टिकाऊ आश्रय समाधानों से जोड़ने का काम करती है। COVID-19 महामारी के दौरान, यह काम और भी कठिन हो गया है।

कुटिलता : भारत से मुकाबले के लिए नई चालें चल रहा चीन, श्रीलंका को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटा

china srilanka flag

चीन अब भारत की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए श्रीलंका को नियंत्रित करने की नई रणनीति तलाश रहा है। यह बात पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (पीओआरईजी) नामक एक थिंक टैंक ने कही है।

उसने कहा, श्रीलंका में जारी आर्थिक मंदी के बीच, कोलंबो-नई दिल्ली में इन दिनों कूटनीतिक गतिविधियों की झड़ी लग गई है। ऐसे में भारत से मुकाबले को चीन एक नई रणनीति तलाश सकता है।

श्रीलंकाई वित्तमंत्री बेसिल राजपक्षे के आगामी दिनों में नई दिल्ली आने की संभावना है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी व आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) सम्मेलन के लिए श्रीलंका जा सकते हैं। पीएम के श्रीलंका दौरे की घोषणा होनी बाकी है।

विस्तार

चीन अब भारत की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए श्रीलंका को नियंत्रित करने की नई रणनीति तलाश रहा है। यह बात पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (पीओआरईजी) नामक एक थिंक टैंक ने कही है।

उसने कहा, श्रीलंका में जारी आर्थिक मंदी के बीच, कोलंबो-नई दिल्ली में इन दिनों कूटनीतिक गतिविधियों की झड़ी लग गई है। ऐसे में भारत से मुकाबले को चीन एक नई रणनीति तलाश सकता है।

श्रीलंकाई वित्तमंत्री बेसिल राजपक्षे के आगामी दिनों में नई दिल्ली आने की संभावना है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी व आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) सम्मेलन के लिए श्रीलंका जा सकते हैं। पीएम के श्रीलंका दौरे की घोषणा होनी बाकी है।

इससे पहले 18 मार्च को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर श्रीलंका दौरा करेंगे। इस कूटनीतिक पहल के बीच श्रीलंका छह दशकों के सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। वित्तीय चालें

कैसीनो चालें: बॉलीवुड के 'किंग' को राहत, आईपीएल-6 में खेलेंगे गंभीर

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विधायक फतेहजंग बाजवा 2007 और 2017 में विधायक बने.

9 रनों के बाद पूरन को चाइनामैन कुलदीप ने अपना शिकार बनाया. इस अवसर कैसीनो चालें हजारों महिलाएं इस ओखली में जल अर्पित करती हैं.

लता मंगेशकर: लता ताई ने ट्वीट किया है कि हमारी भारतीय क्रिकेट टीम को इस जीत के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।. फिल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग के दौरान वर्ष 1998 में सलमान खान और सह कलाकारों पर 12 और 13 अक्टूबर की मध्य रात्रि में कांकाणी गांव की सरहद पर दो काले हिरणों का शिकार करने का आरोप लगा था.

दक्षिण एशिया में चीन की शातिर चालों का भारत को खोजनी होगी काट

अपने पड़ोसी देशों पर भारत की पकड़ को लेकर खूब चर्चाएं होने लगी हैं, खास तौर से नेपाल चुनाव के नतीजे आने के बाद. इसको लेकर सरकार की आलोचना हालांकि घरेलू राजनीतिक परिस्थितियों से निर्देशित होती है, लेकिन कड़वी सचाइयों का सामना करना भी महत्व रखता है, वह यह कि इस क्षेत्र में जमीनी हकीकतें बदल गई हैं. कुछ समय से यह तो साफ ही हो गया है. इसलिए भारत के पास क्षेत्रवाद की नई समझ के इर्दगिर्द केंद्रित अलग रुख अपनाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है.

पहले यह देखें कि क्या कुछ बदल गया है?

मोटे तौर पर तीन मुख्य बाते हैं- चीन का प्रभावक्षेत्र बढ़ रहा है; अमेरिका की स्थिति कमजोर हो रही है; और भारत भविष्य के लिए पारस्परिक निर्भरता की स्थिति बनाने में अक्षम सिद्ध हो रहा है. और बिना पक्षपात किए कहें, तो इस वित्तीय चालें अक्षमता का इस बात से कोई ताल्लुक नहीं है कि कौन-सी पार्टी सत्ता में है.

दक्षिण एशिया में चीन की शातिर चालों का भारत को खोजनी होगी वित्तीय चालें काट

अपने पड़ोसी देशों पर भारत की पकड़ को लेकर खूब चर्चाएं होने लगी हैं, खास तौर से नेपाल चुनाव के नतीजे आने के बाद. इसको लेकर सरकार की आलोचना हालांकि घरेलू राजनीतिक परिस्थितियों से निर्देशित होती है, लेकिन कड़वी सचाइयों का सामना करना भी महत्व रखता वित्तीय चालें है, वह यह कि इस क्षेत्र में जमीनी हकीकतें बदल गई हैं. कुछ समय से यह तो साफ ही हो गया है. इसलिए भारत के पास क्षेत्रवाद की नई समझ के इर्दगिर्द केंद्रित अलग रुख अपनाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है.

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मोटे तौर पर तीन मुख्य बाते हैं- चीन का प्रभावक्षेत्र बढ़ रहा है; अमेरिका की स्थिति कमजोर हो रही है; और भारत भविष्य के लिए पारस्परिक निर्भरता की स्थिति बनाने में अक्षम सिद्ध हो रहा है. और बिना पक्षपात किए कहें, तो इस अक्षमता का इस बात से कोई ताल्लुक नहीं है कि कौन-सी पार्टी सत्ता में है.

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