निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है

मुद्रास्फीति क्या है?
सरल शब्दों में कहें तो, एक निश्चित अवधि में मूल्यों की उपलब्ध मुद्रा के सापेक्ष वृद्धि मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाती है| सम्बंधित रूप में कहें तो, पहले की तुलना में रूपए की क्रय क्षमता आज बहुत कम है|
एक उदाहरण के ज़रिये आइये इसे बेहतर समझें| मान लीजिये आज एक प्लेट छोले मसाला आप Rs.100/- में खरीदते हैं| सालाना मुद्रास्फीति अगर 10% मानकर चलें, यही छोले अगले साल आप Rs.110/- में निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है खरीद पायेंगे| आपकी आमदनी अगर तुलनात्मक रूप से कम से कम इतनी भी नहीं बढ़ती है, आप इसे या इस प्रकार की अन्य वस्तुओं को खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे, है न?
मुद्रास्फीति निवेशकों को इस बात से सामना कराती है कि उनके वर्तमान जीवन स्तर को कायम रखने के लिए उनके निवेशों का प्रतिफल दर क्या होना चाहिए| उदाहरण स्वरुप, किसी निवेश में अगर प्रतिफल 4% रहा और मुद्रास्फीति 5% रही, वास्तविक निवेश प्रतिफल -1% माना जाएगा (5%-4%)
म्यूच्यूअल फंड्स आपको ऐसे विकल्प प्रदान करते हैं, जिनमें महंगाई को मात कर प्रतिफल देने की क्षमता है! उपयुक्त म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है करने से लम्बी अवधि में क्रय शक्ति को सुरक्षित करना मुम्किन है.
SIP में बढ़ता निवेश क्यों है लग्जरी कार कंपनियों के लिए चिंता का सबब?
नई दिल्ली. शेयर बाजार में उछाल के साथ मार्केट नया हाई बना रहा है. बाजार में तेजी की वजह से लोगों का निवेश भी बढ़ता जा रहा है. इसी बीच इन दिनों SIP में भी निवेश लगातार बढ़ रहा है. लेकिन SIP में बढ़ता निवेश लग्जरी कार कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. मर्सिडीज़ बेंज़ इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड संतोष अय्यर का मानना है कि SIP में बढ़ते निवेश की वजह निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है से भारत में लग्जरी कार इंडस्ट्री की ग्रोथ में बाधा आ रही है. अय्यर बताते हैं कि SIP उनका कॉम्पिटीटर है. वो अपनी टीम को कहते हैं कि अगर SIP में निवेश के साइकल को तोड़ दिया जाए, तो लग्जरी कार इंडस्ट्री में तेज ग्रोथ देखने को मिल सकती है. अय्यर के अनुसार, भारत में लोग बचत पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
उन्होंने कहा यह लग्जरी कार कंपनियों के सामने नई चुनौतियां हैं. अय्यर का कहना है कि नई जेनरेशन का SIP पर ज्यादा फोकस है. नई पीढ़ी बचत और निवेश पर जोर दे रही है. उन्होंने कहा कि जनवरी के बाद से 15 हजार गाड़ियों की इंक्वायरी हुई. लेकिन इंक्वायरी के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी गाड़ियों का ऑर्डर मिला है. वहीं इसी बीच अक्टूबर में रिकॉर्ड SIP इनफ्लो देखने को मिला है. अक्टूबर में SIP इनफ्लो इसी साल के सितंबर के 12,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 13,000 करोड़ पहुंच गया है.
जानें निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है किस साल कितना हुआ SIP में निवेश
अगर हम SIP में बढ़ते निवेश को देखें तो वित्तवर्ष 2021 में एसआईपी में 96,080 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 22 में एसआईपी के जरिए 124,566 करोड़ का निवेश हुआ था. जबकि फाइनेंशियल ईयर 23 में अक्टूबर तक एसआईपी के जरिए 87,275 करोड़ का निवेश हुआ है. बता दें FY23 में हर महीने एसआईपी के जरिए 11,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ है.
जानिए, बचत पर क्या कहा विशेषज्ञ ने
मर्सिडीज बेंज के संतोष अय्यर के बयान से ये सवाल पैदा हो गया है कि हमें बचत पर फोकस करना चाहिए या अपने शौक भी पूरे करने चहिए? इस पर अपनी राय रखते हुए कम्प्लीट सर्किल के मैनेजिंग पार्टनर गुरमीत चड्ढा ने कहा कि जिदंगी में बैलेंस करना ज्यादा जरूरी है. मैं कहता हूं कि गुड EMI और बैड EMI दो चीजें हैं. गुड EMI की मात्रा बैड EMI से ज्यादा होनी चाहिए. अगर आप 50000 की SIP करते हैं और उसमें आपको निफ्टी जितना 14-14 फीसदी का रिटर्न मिलता है तो आप एक सिस्टेमेटिक बिद्ड्रॉल सिस्टम से मर्सडीज की किस्त को फंड कर सकते हैं.
लाइफ एंजॉय करना भी है जरूरी
गुरमीत चड्ढा ने कहा कि लाइफ को एंजॉय करना भी उतना ही जरूरी है जितना बचत करना. 20-25 साल तक अगर आप अपनी सारी इच्छाएं खत्म कर देते हैं और आपका पोर्टफोलियो बहुत बड़ा हो भी जाता है तो भी उसका बहुत ज्यादा मतलब नहीं है. क्योंकि जीवन को अच्छे से जीने की आपकी प्राइम एज तो निकल जाती है. ऐसे में खर्च और बचत में एक संतुलन होना चाहिए.
आर्थिक शक्ति का एकाग्रता: परिणाम और उपाय | Concentration of Economic Power: Consequences and Measures | Hindi
आर्थिक शक्ति का एकाग्रता: परिणाम और उपाय | Read this article in Hindi to learn about the consequences resulting from the concentration of economic power. Also learn about the measures to control the same.
आर्थिक शक्ति के केन्द्रीकरण के परिणाम (Consequences of Concentration of Economic Power):
आर्थिक शक्ति के बढ़ते हुये केन्द्रीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम हैं । इसने भारत में आर्थिक विकास का संवर्धन किया है, विशेषतया इसलिये क्योंकि इसके औद्योगिक क्षेत्र पर सार्थक प्रभाव थे । विकेन्द्रीकरण के आर्थिक परिणामों का विश्लेषण करते समय, एकाधिकार जांच आयोग (MIC) ने आर्थिक वृद्धि पर प्रबन्धकीय निपुणता की पूर्ति और निवेश के आदर्श के निर्धारण पर इसके प्रभावों का अध्ययन करने का प्रयत्न किया ।
इसके प्रभावों का वर्णन करें:
1. आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव (Effects on Economic Growth):
आयोग का विचार था कि आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण ने आर्थिक वृद्धि लाने में सहायता की है । बड़े व्यापारिक घरानों ने पूंजी निर्माण का संवर्धन किया, नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की और वर्तमान औद्योगिक इकाइयों का विस्तार किया ।
एकाधिकार जाँच आयोग ने अवलोकन किया कि ”यह प्रत्याशा करना न्यायसंगत है कि केन्द्रीकृत आर्थिक शक्ति पर, आने वाले कठिन वर्षों में औद्योगिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिये निर्भर किया जा सकता है निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है । इस प्रकार एकाधिकार जांच आयोग ने स्वयं आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण पर प्रहार नहीं किया बल्कि उस केन्द्रीकरण प प्रहार किया जो साझे हितों के लिये हानिकारक है ।”
परन्तु दत्त समिति का विचार था कि बड़े औद्योगिक घराने पूजी निर्माण के दर को न केवल बढ़ाने में असफल रहे बल्कि उन्होंने अपने विस्तार के लिये बैंकों की जमा राशि और सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं का भी उपयोग किया ।
2. प्रबन्धकीय निपुणताओं का संवर्धन (Promotion निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है of Managerial Skills):
एकाधिकार जाँच आयोग (MIC) का विचार था कि आर्थिक शक्ति के केन्द्रीकरण के कारण प्रबन्धकीय निपुणताओं की पूर्ति में वृद्धि हुई । परन्तु आर. सी. दत्ता कहते हैं कि इस विकेन्द्रीकरण ने प्रबन्धकीय श्रेणी की वृद्धि में बाधा डाली है, विशेषतया प्रबन्ध के उच्च स्तर पर ।
3. निवेश का प्रतिरूप (Pattern of Investment):
एम. आई. सी. ने कभी भी आर्थिक केन्द्रीकरण के परिणामस्वरूप निवेश के गलत निर्देशन पर टिप्पणी नहीं की । यह बिल्कुल सच है कि बड़े व्यावसायिक घराने सदा तीव्र प्रतिफल वाली उच्च उत्पादक परियोजनाओं में निवेश का प्रयत्न करते हैं और उन कठिन क्षेत्रों की उपेक्षा करते हैं जो निवेश पर निम्न प्रतिफल दर्शाते हैं । पी. एस. लोकनाथन ने पाया कि, ”आर्थिक शक्ति का केन्द्रीकरण निवेश के कुनिर्देशन की ओर ले जा सकता है ।”
इसके अतिरिक्त, आर्थिक शक्ति का केन्द्रीकरण पारिवारिक प्रबन्ध में परिणामित होता है, जोकि आधुनिक प्रबन्ध का अति असंगत तत्व है । यह समाज-आर्थिक असमानता तथा निवेश का कुछ गलत दिशाओं में कुनिर्देशन प्रोत्साहित करता है । इस सबके कारण आवश्यक वस्तुओं की लागत पर गैर-आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन हुआ जिस कारण बाजार में सट्टेबाजी और जमाखोरी में वृद्धि हुई ।
अर्थव्यवस्था की आवश्यक आवश्यकताएं उपेक्षित रह गईं । बड़े व्यापारिक घराने कोष देकर राजनीतिक शक्ति का नियन्त्रण भी कर सकते हैं । अतः केन्द्रीकरण में बहुत सी बुराइयाँ हैं तथा देश के सर्वोत्तम हितों के लिये ऐसी प्रवृति को नियन्त्रित करने के लिये अनेक उपाय किये गये हैं ।
आर्थिक शक्ति के केन्द्रीकरण को नियन्त्रित करने के उपाय (Measures to Control Concentration of Economic Power):
एकाधिकार की वृद्धि और परिणामित आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण ने देश में एक चिन्ताजनक स्थिति उत्पन्न कर दी है । निगमित क्षेत्र ने अपने तुरन्त लाभ की वेदी पर राष्ट्रीय हितों का त्रलिदान कर दिया है । परिस्थितियाँ सुधारक कार्यवाही की मांग करती हैं । तथापि भारत सरकार ने अनेक उपाय किये हैं तथा आर्थिक शक्तियों के ही हाथी में नियन्त्रण को रोकने के प्रयत्न किये हैं ।
इनमें से कुछ उपायों का वर्णन नीचे किया गया है:
1. एम. आर: टी. पी. एच्छ तथा एम. आर टी. पी. आयोग (MRTP Act and MRTP Commission):
भारत सरकार ने देश में आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण को रोकने निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है के लिये वर्ष 1969 में एम.आर.टी.पी. एक्ट अपनाया । इसी प्रकार एम.आर.टी.पी. आयोग की नियुक्ति की गई जो बड़े व्यापारिक घरानों के एकाधिकारिक व्यवहारों को दबाने के लिये सिफारिशें और मार्गदर्शन करेगा । सरकार ने तीन सदस्यों का एक स्थायी ‘मोनोप्लीज एण्ड रेसट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिसिक आयोग’ की स्थापना की है जो नहाता एक्ट की व्यवस्थाओं को लागू करेगा ।
2. लाइसैन्स नीति (Licensing Policy):
सरकार को ऐसी लाइसैन्स नीति का निर्माण करना चाहिये जो आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण को रोकने में सहायक हो । एकाधिकार जांच आयोग और हजारी समिति ने इस तथ्य को प्रकट किया है । अतः लाइसैन्स नीति में कुछ त्रुटियों को दूर करने के लिये, सरकार ने वर्ष 1970 में औद्योगिक लाइसेन्स नीति की घोषणा की तथा समय-समय पर इसमें संशोधन किये गये ।
3. सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तर:
सरकार ने इस तथ्य का अनुभव कर लिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र को सक्रिय भागीदारी के बिना, आर्थिक शक्तियों के कुछ ही हाथों में केन्द्रित होने की प्रवृत्ति को दबाने की कोई सम्भावना नहीं है । इसके अतिरिक्त सार्वजनिक क्षेत्र को आर्थिक वृद्धि का इंजन माना जाता है । इसलिये सरकार सार्वजनिक क्षेत्र विशेषतया पूंजी, मध्यस्थ और उपभोक्ता क्षेत्रों के वर्धन में अधिक ध्यान दे रही है ।
4. संयुक्त क्षेत्र (Joint Sector):
वर्ष 1970 की औद्योगिक लाइसैन्स नीति ने केन्द्र/प्रान्त सरकार और निजी क्षेत्र की निष्पक्ष भागीदारी के अनुसार पर एक संयुक्त क्षेत्र की स्थापना की है । सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकार उन क्षेत्रों में उद्योग स्थापित करने में बड़े व्यवसायिक घराना का सहयोग नहीं करेगी जहाँ उनके प्रवेश का निषेध है । इस सम्बन्ध में संयुक्त क्षेत्र की स्थापना कुछ ही हाथों में आर्थिक शक्तियों के केन्द्रीकरण को रोकने का शानदार कदम है ।
5. छोटे, मध्यम और निगमित क्षेत्रों का प्रोत्साहन (Encouragement to Small, Medium and Corporate):
सरकार को न केवल रोजगार के आधार पर ही छोटे, मध्यम और निगमित क्षेत्रों का प्रोत्साहन नहीं करना चाहिये बल्कि व्यापारिक घरानों की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिये भी यह प्रोत्साहन आवश्यक है । इस प्रयोजन निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है से सरकार को चाहिये कि आधारभूत सुविधाएं उदार साख और उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन के लिये उनको अन्य संरचनात्मक सुविधाएं उपलब्ध करें । कुछ उद्योगों को इस क्षेत्र के लिये आरक्षित रखा जाये ।
मैं बिनेंस पर INR में बिटकॉइन कैसे खरीदूं?
पिछले एक साल में बड़ी संख्या में भारतीय निवेशकों ने क्रिप्टोकरेंसी में अपनी रुचि दिखाई है। वैश्विक महामारी से उत्पन्न अनिश्चितताओं के अलावा, भारतीयों ने मई 2021 के अंत तक हजारों करोड़ रुपये जमा किए हैं। इस जबरदस्त निवेश उछाल का कारण दुनिया भर में प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी द्वारा प्रदान किए गए निवेश पर प्रतिफल (रिटर्न) है। अकेले पिछले एक साल के निचले स्तर के बावजूद, बिटकॉइन की कीमत चार गुना और एथेरियम दस गुना से अधिक बढ़ गई है।
हालांकि देश में क्रिप्टोकरेंसी के लिए विनियमन अस्थिर रहा है, फिर भी भारत में क्रिप्टो निवेशों ने महत्वपूर्ण संकर्षण प्राप्त किया है। 15 मिलियन से अधिक भारतीयों ने डिजिटल मुद्राएं खरीदी या बेची हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी आईटी आबादी वाले देश में कई क्रिप्टो उत्साही मानते हैं कि भारतीय निवेशकों द्वारा प्रदान की गई वर्तमान मात्रा बड़े पैमाने पर आपनाये जाने निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है के मामले में केवल हिमशैल का सिरा है।
बिनेंस पर INR में बिटकॉइन खरीदने के लिए इन चरणों का पालन करें:
बिनेंस दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज है, जिस पर दुनिया भर के लाखों उपयोगकर्ता भरोसा करते हैं। हमारे प्लेटफॉर्म में भारतीय निवेशकों के लिए INR में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और बेचने का विकल्प है। भारत में INR में बिटकॉइन खरीदने के लिए नीचे दिए गए कदमों अथवा चरणों का पालन करें।
चरण 1: अपना बिनेंस खाता बनाएं
बिनेंस के साथ साइन अप करें और अपना ईमेल पता या मोबाइल फोन नंबर जैसे आवश्यक विवरण भरें। अपने क्रिप्टो वॉलेट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमेशा एक मजबूत पासवर्ड चुनना याद रखें। आप अपना बिनेंस खाता बनाने के लिए मोबाइल फ़ोन एप्लिकेशन भी डाउनलोड कर सकते हैं। आप सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करते हुए, 2FA या दो-कारक प्रमाणीकरण (two-factor authentication) के साथ अपने खाते की सुरक्षा भी कर सकते हैं। प्रोफ़ाइल टैब के अंतर्गत "सुरक्षा" (“Security”) विकल्प पर क्लिक करें।
चरण 2: अपना केवाईसी सत्यापन (verification) पूरा करें
केवाईसी (KYC- Know your customer) एक वित्तीय संस्थान द्वारा ग्राहक की पहचान का अनिवार्य सत्यापन है। केवाईसी प्रक्रिया में विभिन्न दस्तावेज शामिल हैं जिनका उपयोग आपकी पहचान को सत्यापित करने के लिए किया जा सकता है जैसे वैध पहचान पत्र, उपयोगिता बिल, और इसी तरह। प्रोफाइल टैब पर क्लिक करें, और फिर ड्रॉपडाउन मेनू से पहचान (identification) विकल्प चुनें।
चरण 3: अपनी पहचान सत्यापित (verify) करें
अपना केवाईसी विवरण दर्ज करने के बाद, सत्यापन प्रक्रिया शुरू करने के लिए वेरीफाई (verify) बटन पर क्लिक करें। कृपया ध्यान दें कि जमा किए गए दस्तावेज़ केवल आपकी राष्ट्रीयता के अधिकारियों द्वारा जारी किए हुए होने चाहिए।
चरण 4: सत्यापन (verification) पूरा करें
पुष्टि करें कि आपके केवाईसी सत्यापन को स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत किए गए विवरण सटीक हैं। सत्यापन प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, जिसके बाद आपका खाता ट्रेडिंग के लिए तैयार हो जाएगा। आपके पास निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है बुनियादी (basic) से उन्नत (advanced) सत्यापन मॉडल पर स्विच करने का विकल्प भी होगा।
चरण 5: बिनेंस पी2पी के माध्यम से INR में बिटकॉइन खरीदें
बिनेंस पी2पी (पीयर-टू-पीयर एक्सचेंज) एक ऐसा बाज़ार है जहाँ लोग लगभग किसी भी देश में अपनी शर्तों पर एक-दूसरे के साथ सीधे क्रिप्टो व्यापार कर सकते हैं। निवेश पर प्रतिफल निवेश पर प्रतिफल का एक उपाय है 70 से अधिक फिएट मुद्राओं के साथ, पी2पी मार्केटप्लेस भारतीय निवेशकों के लिए भारतीय रुपये में क्रिप्टोकरेंसी खरीदना और बेचना आसान बनाता है।
मार्केटप्लेस पर जाने के लिए, वॉलेट टैब पर क्लिक करें, और फिर ड्रॉपडाउन मेनू से पी2पी विकल्प पर क्लिक करें। आप यहां क्लिक करके भी मार्केटप्लेस जा सकते हैं।
चरण 6: बिटकॉइन खरीदने के लिए अपनी आवश्यकताओं को भरें
व्यापार करने के लिए क्रिप्टोकुरेंसी के रूप में बीटीसी का चयन करें, और फिर 'खरीदें' विकल्प चुनें। वह राशि दर्ज करें जिसे आप फिएट मुद्रा के रूप में INR के साथ खरीदना चाहते हैं। उस भुगतान विकल्प का चयन करें जिसे आप मौजूद विभिन्न विकल्पों में से चुनना चाहते हैं। बिनेंस द्वारा सत्यापित व्यापारियों की सूची के साथ बिटकॉइन से INR मूल्य और, उनकी न्यूनतम और अधिकतम बिक्री की सीमा के लिए "केवल व्यापारी विज्ञापन दिखाएं" (“only show merchant ads “) विकल्प पर क्लिक करें।
चरण 7: व्यापारियों से बिटकॉइन खरीदना
उपयुक्त मर्चेंट का चयन करने के बाद, बीटीसी खरीदें ("BUY BTC") विकल्प पर क्लिक करें और अपनी चयनित फिएट मुद्रा में खरीदारी करने के लिए राशि भरें।
बीटीसी खरीदें ("BUY BTC") पर क्लिक करने के बाद, आपके पास पहले चुने गए भुगतान विकल्प के माध्यम से मर्चेंट को फंड ट्रांसफर करने के लिए 15 मिनट की समय सीमा होगी। भुगतान करें, और फिर "स्थानांतरित, अगला" (“Transferred, NEXT”) पर क्लिक करें।
चरण 8: व्यापारी से बिटकॉइन प्राप्त करना
व्यापारी को आपके खाते में खरीदे गए बिटकॉइन की राशि को स्थानांतरित करने के लिए एक सूचना मिलेगी। आपको व्यापारी से कुछ ही मिनटों में अपना बिटकॉइन प्राप्त हो जाएगा।
देरी होने पर, आप हमेशा "अपील उठा सकते हैं"। आपके द्वारा “स्थानांतरित, अगला” (“Transferred, NEXT”) विकल्प पर क्लिक करने के तुरंत बाद ही यह विकल्प उपलब्ध है। अगला कदम होगा "अपील का कारण" के लिए सबूत के साथ अपने तर्क का समर्थन करना।
अपने बिनेंस खाते से भारत में INR में बिटकॉइन खरीदने के लिए बस इतना ही करना है। यह आसान और तेज़ है। आप इस विशेष मार्गदर्शिका का उपयोग बिनेंस पी2पी मार्केटप्लेस के माध्यम से अन्य क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए भी कर सकते हैं।