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Bhartiya Pashupalan Nigam Limited Recruitment 2022 Notification भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड में 2106 पदों पर निकली भर्ती

Bhartiya Pashupalan Nigam Limited Recruitment 2022 Notification भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड में 2106 पदों पर निकली भर्ती: Bhartiya Pashupalan Nigam Limited Recruitment 2022 Apply Online Application form भारतीय पशुपालन निगम लिमिटेड ने 2106 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें विकास अधिकारी के लिए 108 पद, सहायक विकास अधिकारी के 324 पद, पशु सेवक के 1620 पद, पशु पालक उन्नति केंद्र संचालक के 33 पद और डिजिटल मार्केटिंग एजुकेटिव के 21 पद रखे गए हैं। इस भर्ती के लिए योग्य एवं इच्छुक अभ्यर्थी अधिकारिक वेबसाइट से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। Bhartiya Pashupalan Nigam Limited Recruitment 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन 24 नवंबर से 10 दिसंबर 2022 तक कर सकते हैं। Bhartiya Pashupalan Nigam Limited Recruitment 2022 की शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन शुल्क एवं संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। अभ्यर्थी आवेदन करने से पूर्व एक बार ऑफिशल नोटिफिकेशन जरूर देखें।

ई-कॉमर्स क्या है समझाइए

ई-बिजनेस मुख्य रूप से व्यपारिक संगठनों और उपभोक्ताओं के मध्य के इंटरनेट द्वारा लेने-देने का नाम है, जबकि ई-कॉमर्स मुख्य रूप से विभिन्न व्यपारिक संगठनों के मध्य आपसी लेन देन से सम्बंधित है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ई - बिजनेस एक सीमित गतिविधि है। जबकि ई-कॉमर्स का क्षेत्र बहुत व्यापक हैं।

ई-कॉमर्स क्या है

ई -कॉमर्स व्यपारिक लेंन-देनो में इलेट्रॉनिक संचार और डिजिटल इंपफोर्मेशन प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग है, जो विभिन्न संगठनों तथा व्यक्तियों के मध्य सम्बन्ध को पुनः परिभाषित करता है अथवा नया रूप देता है।

ई-कॉमर्स का कार्य क्षेत्र अब इंटरनेट पर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कार्य बन गया है। बहुत -सी वेबसाइटों में उनके उत्पाद और सेवाओं को ऑनलाइन खरीदने या आदेश करने की सुविधा उपलब्ध होती है। इन वेबसाइटों को विशेष रूप से ई-कॉमर्स के लिए ही तैयार किया जाता है और इनमें किसी उत्पाद या सेवा का आदेश देने को विशेषताए शामिल होती है।

वैसे ई-कॉमर्स में केवल उत्पादों या सेवाओं का क्रय - विक्रय ही शामिल नही है। इनमे वे सभी व्यपारिक गतिविधियां शामिल कॉमर्स का कार्य है, जो इंटरनेट और अन्य कम्प्यूटर नेटवर्क का उपयोग करती है। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सप्लाई चेन मैनेजमेंट ई-मार्केटिंग ऑनलाइन मार्केटिंग प्रोसेसिंग तथा ऑटोमेटेड डाटा कलेक्शन कॉमर्स का कार्य आदि गतिविधियां भी ई-कॉमर्स का भाग है।

इन समस्त कार्यों में इंटरनेट और अन्य कम्प्यूटर नेटवर्क तथा संचार तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाता है। ई-कॉमर्स वल्ड वाइड वेब से भी अधिक डाटाबेस और ई - मेल जैसी सुविधाओ पर निर्भर करता है। इस प्रकार ई-कॉमर्स वास्तव में साधारण व्यापार का ही दूसरा और विस्तृत रूप है।

ई-कॉमर्स के प्रकार

ई-कॉमर्स कई प्रकार का होता है। हम एक प्रकार के ई-कॉमर्स को दूसरे प्रकार के ई-कॉमर्स से इस आधार पर अलग करते है कि उनमें विक्रेता कोंन हैं? हालांकि इस मामलों में यह पूरी तरह लागू नही होता, परंतु मोटे तौर पर ई-कॉमर्स के इसी आधार पर कई प्रकार बताए गए है।

इस प्रकार वैसे तो ई-कॉमर्स अनेक रूपो में किया जाता है, परंतु उन्हें निम्नलिखित चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है -

  1. व्यापार से उपभोक्ता
  2. व्यापार से व्यापार
  3. उपभोक्ता से-उपभोक्ता
  4. मोबाइल कॉमर्स

1. व्यापार से उपभोक्ता (business-to-consumer)

इसे संक्षेप में बिटूसी (b2c) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। केवल ई-कॉमर्स कहने से वास्तव में इसी प्रकार के ई_कॉमर्स का बोध होता है, हालांकि इसकी मात्रा तलनात्मक रूप से कम होती है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स में कोई कम्पनी अपने उत्पाद और सेवाए उपभोक्ताओंको बेचती है।

ऐसे मामलों में कम्पनी की एक वेबसाइट होती है, जिसमे से ग्राहक सूचनाएं ले सकता है और किसी उत्पादया सेवा का आदेश दे सकता है। इस प्रकार का ई-कॉमर्स भी प्रायः कई रूपों में किया जाता है, जैसे - वेब पोर्टल ऑनलाइन रिटेलर सामग्री प्रदाता लें देंन ब्रोकर सेवा प्रदाता आदि।

2. व्यापार से व्यापार (business to business)

इसे संक्षेप में बिटुबी (b2b) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स में कोई कम्पनी अपने उत्पाद और सेवाएं कम्पनियों को बेचती है या उनसे खरीदती है। यह ई-कॉमर्स के सबसे बड़ा रूप या भाग है। वास्तव में ई-कॉमर्स के सभी रूपों में इस रूप के विस्तार की सम्भावनाए सबसे अधिक है।

प्रारंभ में इस प्रकार के ई-कॉमर्स में व्यापारियों के बीच आपसी खरीद-बिक्री या लेंन-देंन ही होता था, परंतु समय के साथ इनमें सर्विस प्रदाता मैचमेकर सूचना - दलाल आदि , जिनके कारण व्यापार से व्यापार ई-कॉमर्स विस्तृत होता जा रहा है।

3. उपभोक्ता से उपभोक्ता (consumer to consumer)

इसे संक्षेप में सिटुसि (C2C) ई-कॉमर्स भी कहा जाता है। इस प्रकार ई-कॉमर्स में उपभोक्ता अपनी वस्तुएं आपस में एक - दूसरे को बेच सकते है। इसमें किसी ऑनलाइन मार्केट की सुविधा उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट जैसे-नीलामी की वेबसाइट की सहायता ली जाती है। इस प्रकार के ई-कॉमर्स की मात्रा अपेक्षाकृत रूप से कम है।

ऐसे ई-कॉमर्स में किसी वस्तु को बेचने की इच्छा रखने वाला कोई उपभोक्ता अपनी वस्तु का विवरण और अपेक्षित मूल्य वेबसाइट पर डाल सकता है। अन्य उपभोक्ता उस वस्तु के लिए बोली लगा सकते है। वेबसाइट का स्वामी या संचालक अपना कमीशन लेकर उस वस्तु के विक्रय और धन को लेंन-देंन के सम्भव बनाता है।

4. मोबाइल कॉमर्स (mobile commerce)

इसे संक्षेप में एम-कॉमर्स (m-commerce) भी कहा जाता है। एम-कॉमर्स से हमारा तात्पर्य किसी बेतार अंकीय साधन जैसे - मोबाइल फोन के माध्यम ले सामानों और सेवाओं के क्रय -विक्रय से है। एक बार ऐसे साधन से सम्पर्क जुड़ जाने पर उपभोक्ता अपनी आवश्यकता की वस्तुओं का आदवश कर सकता है और कई प्रकार के लेंन-देंन कर सकता है।

ई-कॉमर्स के लाभ

साधारण व्यापार की तुलना में ई-कॉमर्स करने के कुछ लव्ह होते है जो निम्नलिखित है -

1. यह छोटे और मध्यम आकार के व्यापारियों को संसार भर में अपने उत्पाद बेचने और सेवाए उपलब्ध कराने की सुविधा प्रदान करता है।

2. ई-कॉमर्स के माध्यम से कोई ग्राहक अपनी आवश्यकता की सभी वस्तुओं के लिए घर बैठे ऑर्डर दे सकता है और घर बैठे सिस्ट समान और सेवाए या शोरूम में जाने की आवद्यकता नही है।

3. ई-कॉमर्स के माध्यम से दुनियाभर में बिखरे हुए उत्पादकों और विक्रेताओ को नेटवर्क के माध्यम से एक स्थान पर आने की सुविधा मिलती है, जो साधारण परम्परागत व्यापार में लाखों रुपए खर्च करने के बाद ही प्राप्त हो सकती है।

ई-कॉमर्स की हानियाँ

हालांकि साधारण परम्परागत व्यापार की तुलना में ई-कॉमर्स अधिक लाभदायक है और यही कारण है कि ई-कॉमर्स लगातर बढ़ता जा रहा है। फिर भी लाभ के साथ इसमें कुछ हैनियाँ भी जुड़ी हुई है, जिनकी उपेक्षा नही की जा सकती ।ई-कॉमर्स में मुख्य रूप से निम्नलिखित हैनियाँ है-

1. इसमें खरीददार और विक्रेता सभी एक दूसरे को नही देखते । इससे विक्रेता खरीददार की कोई प्रत्यक्ष सहायता यहीं कर पाता और न उसकी शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही कर सकता है।

2.समाज का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी सुविधओं से वंचित है। इस कारण वे चाहते हुए भी ई-कॉमर्स में कोई भाग नही ले सकते । यही कारण है कि ई-कॉमर्स की तमाम सुविधओं के बावजूद इसकी कॉमर्स का कार्य मात्रा परम्परागत व्यापार की तुलना में ही कम है।

3. ई-कॉमर्स में सेल्समैन और सेल्सगर्ल का कार्य वेबसाइट ही कर लेती है। इससे बसरोजगरी बढ़ती है तथा अनेक सामाजिक समस्याएं पैदा ही सकती है।

कॉमर्स का कार्य

  • आउटसोर्स नौकरियां
  • प्राइवेट नौकरियां
  • सरकारी नौकरियां
  • रोजगार मेला नौकरियां

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