भारत में वित्तीय विनियमन

हम कौन हैं संगठन
भारत सरकार द्वारा भारतीय निर्यात-आयात बैंक अधिनियम 1981 के अंतर्गत हमारी स्थापना की गई। 1982 में बैंक का परिचालन शुरू हुआ और विश्व की अन्य निर्यात ऋण एजेंसियों की भांति हमने एक शीर्ष निर्यात ऋण एजेंसी के रूप में वित्त प्रदान करना प्रारंभ किया। अपनी समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज बैंक अपने विभिन्न उत्पादों व सेवाओं के जरिए उद्योगों और लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए ग्रोथ इंजन के रूप में काम कर रहा है। हमारी सेवाओं में टेक्नोलॉजी आयात, निर्यात योग्य उत्पादों के विकास, निर्यात उत्पादन, निर्यात मार्केटिंग, प्री शिपमेंट-पोस्ट शिपमेंट और विदेशों में निवेश के लिए सहायता आदि सेवाएं शामिल हैं। तेजी से बदलते वित्तीय परिदृश्य में हम एक उत्प्रेरक के रूप में काम करते हुए भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के संवर्द्धन में अहम भूमिका अदा करते हैं। साथ ही अपनी नवोन्मेषी और दूरदर्शी कार्यसंस्कृति के जरिए हम भारत के लिए उपलब्ध संभावनाओं और अवसरों का लाभ उठाते हुए अपने ध्येय को सार्थक करते हैं।
हमारे प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं
- एनईआईए के अंतर्गत क्रेता ऋण
- कॉर्पोरेट बैंकिंग
- ऋण-व्यवस्था
- विदेशी निवेश वित्त
- परियोजना वित्त
नेतृत्व
श्री आर.सी. शाह बैंक के पहले अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक थे, जिन्होंने 1982 से 1985 तक बैंक का नेतृत्व संभाला| उनके कुशल वाणिज्यिक और अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के व्यापक अनुभव ने बैंक को निर्णय लेने वाली सक्षम संस्था बनाया, जिससे हमें अपने लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली| उनकी दूरदर्शिता से बैंक को अनूठा संगठनात्मक ढांचा अपनाने, समस्याओं के समाधान के लिए बहु-विषयक दृष्टि और हायरार्की मुक्त संस्कृति विकसित करने में मदद मिली|
श्री आर.सी. शाह के बाद श्री कल्याण बनर्जी ने 1985 से 1993 तक दूसरे अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में बैंक को नेतृत्व प्रदान किया| वाणिज्यिक बैंकिंग के साथ उनके अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के व्यापक अनुभव का एक्ज़िम बैंक के कायापलट में महत्वपूर्ण योगदान रहा|
सुश्री तर्जनी वकील ने निर्यात क्षमता सृजन के अपने अनथक प्रयासों के साथ 1993-1996 तक बैंक को नेतृत्व प्रदान किया, ताकि विकास की बहुआयामी रफ्तार बढ़ाई जा सके। सुश्री वकील का नाम भारत में किसी वित्तीय संस्था का नेतृत्व करने वाली पहली महिलाओं में गिना जाता है।
सुश्री वकील के बाद 1997-2001 तक श्री वाई.बी. देसाई, 2001-2009 तक श्री टी.सी. वेंकट सुब्रमणियन और 2009-2010 तक वित्तीय सेवाएं विभाग की तत्कालीन संयुक्त सचिव श्रीमती रवनीत कौर ने बैंक को अक्ष्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में नेतृत्व प्रदान किया|
इसके बाद भारत में वित्तीय विनियमन श्री टी.सी.ए. रंगनाथन ने बैंक को एक मिशन के रूप में काम करने वाली संस्था बनाते हुए 2013 तक कार्यभार संभाला|
फिर वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग में तत्कालीन संयुक्त सचिव श्री अनुराग जैन ने 2014 के शुरुआती कुछ महीनों तक अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का अंतरिम कार्यभार संभाला|
श्री यदुवेन्द्र माथुर ने फरवरी 2014 में तीन साल के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाला था। श्री डेविड रस्कीना को अगस्त 2017 से एक्ज़िम बैंक का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया।
एक्ज़िम बैंक का नेतृत्व बोर्ड स्तर से होता है| बोर्ड सदस्यों में वरिष्ठ नीति निर्माता, विशेषज्ञ बैंकर, उद्योग व अंतरराष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख हस्तियां और निर्यात-आयात तथा वित्तीय प्रोफेशनल शामिल होते हैं| वर्तमान में हमारा बोर्ड भारत सरकार द्वारा नियुक्त 12 निदेशकों से मिलकर बना है, जिसमें अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक भी शामिल हैं| इनमें भारत सरकार के 5 उच्च पदाधिकारी, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के 3 निदेशक और 4 उद्योग/व्यापार विशेषज्ञ शामिल हैं| इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) और ईसीजीसी लिमिटेड द्वारा मनोनीत 3 निदेशक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|
हहमारे मौजूदा निदेशकों के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यह लिंक देखें: निदेशक मंडल
वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्रालय (अंग्रेज़ी: Ministry of Finance) भारत सरकार का एक महत्त्वपूर्ण मंत्रालय है। यह कराधान, वित्तीय क़ानून, वित्तीय संस्थानों, पूंजी बाज़ार, केंद्र तथा राज्यों के वित्त और केंद्रीय बजट से जुड़े मामले देखता है। यह मंत्रालय सरकार के वित्तीय प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। देश को प्रभावित भारत में वित्तीय विनियमन करने वाले सभी आर्थिक और वित्तीय मामलों से यह संबद्ध है।
वित्त मंत्रालय के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में नियामक और बजट निर्माण हैं। मंत्रालय की कुछ प्रमुख जिम्मेदारियों में नियम बनाना, भुगतान करना, उपलब्धियाँ और सरकारी कर्मचारियों की अन्य सेवा शर्तों का विनियमन शामिल है। यह स्थानीय निधि लेखा परीक्षा, राष्ट्रीय बचत, लॉटरी, बीमा और कोषागार निदेशालय पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है।
मंत्रालय विभिन्न राज्यों के लिए संसाधनों के स्थानांतरण सहित सरकार के व्यय को नियंत्रित करता है। यह भारत के सभी भारत में वित्तीय विनियमन वित्तीय लेन-देन की निगरानी के लिए नोडल केंद्र है। इसके अलावा इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य बजट तैयार करना, वर्ष के दौरान भारत में वित्तीय विनियमन प्राप्तियों और व्यय पर नजर रखना है। विभाग का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य धन के पुन: विनियोग की निगरानी करना भी है। वित्तीय मामलों से संबंधित नियमों की तैयारी और विभागों द्वारा माँग से संबंधित व्याख्या एक और महत्त्वपूर्ण कार्य भारत में वित्तीय विनियमन है।
वित्त मंत्रालय के निम्नलिखित चार विभाग हैं-
आर्थिक सर्वेक्षण
भारत का वित्त मंत्रालय, केंद्रीय बजट से पहले हर साल संसद में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करते हैं। यह मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है। यह देश के वार्षिक आर्थिक विकास पर मंत्रालय का अवलोकन होता है। वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, आर्थिक सर्वेक्षण का एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों पर प्रदर्शन का सारांश देता है और लघु से मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था पर सरकार की नीतिगत पहलों और संभावनाओं पर प्रकाश डालता है। यह दस्तावेज बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है। 2014-2015 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि भारत 750 अरब डॉलर से एक ट्रिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को लक्षित कर सकता है।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक ने कहा, वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के नियमन का कोई निश्चित तरीका नहीं
मुंबई, 22 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक अजय चौधरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों के नियमन का कोई ‘निश्चित तरीका’ नहीं है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कारोबार को संतुलित तरीके से संचालित करने की जिम्मेदारी फिनटेक इकाइयों की है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की व्यवस्थित वृद्धि के लिए नई पेशकश के दौरान इन इकाइयों की मंशा सही होनी चाहिए।
चौधरी ने यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में कहा, ‘‘फिनटेक को विनियमित करने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, जो वित्तीय प्रणाली और ग्राहकों को जोखिमों से बचाने के साथ ही उनके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने का काम करे।”
उन्होंने कहा, ‘‘यदि लक्ष्य ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और उन्हें आगे मजबूत करना तथा वित्तीय प्रणाली का व्यवस्थित विकास करना है, तो इस संतुलन को कायम करने का काम फिनटेक क्षेत्र को ही करना होगा।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘मेरा मानना है कि जीवन में या व्यवसाय में, संतुलन सही चीजों पर ध्यान केंद्रित करने से आता है। मेरी राय में यह केवल भारत में वित्तीय विनियमन विनियमन से नहीं आ सकता है। विनियमन केवल सहायक हो सकता है, जबकि फिनटेक को खुद संतुलन कायम करना होगा।”
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब रिजर्व बैंक फिनटेक क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है और डिजिटल ऋण देने वाले ऐप को लेकर हाल ही में जारी दिशानिर्देशों पर कुछ इकाइयों ने चिंता जताई है।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण हर तीन साल पर करेगा नियमों की समीक्षा
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) उद्देश्यों और परिणामों को ध्यान में रखकर अपने नियमनों की हर तीन साल पर समीक्षा करेगा.
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) उद्देश्यों और परिणामों को ध्यान में रखकर अपने नियमनों की हर तीन साल पर समीक्षा करेगा. राजपत्र में प्रकाशित एक अधिसूचना में यह कहा गया है. आईएफएससीए का गठन पिछले साल अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण कानून, 2019 के तहत हुआ. इसका मुख्यालय गांधीनगर स्थित गिफ्ट सिटी में है.
आईएफएससीए भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास और विनियमन के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण है. वर्तमान में गिफ्ट आईएफएससी भारत भारत में वित्तीय विनियमन में पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है.
इसके गठन से पहले आरबीआई, सेबी, पीएफआरडीए (पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण) और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) जैसे घरेलू वित्तीय नियामक आईएफएससी के कामकाज का नियमन करते थे.
छह जुलाई को जारी अधिसूचना के अनुसार, प्राधिकरण जब तक किसी नियमन की पहले समीक्षा की जरूरत न हो, हर तीन साल में नियमों की समीक्षा करेगा.
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (विनियम बनाने की प्रक्रिया) विनियमन, 2021 लागू हो गया है. अधिसूचित भारत में वित्तीय विनियमन दिशानिर्देशों के अनुसार,आईएफसीए को तत्काल नियम बनाने के लिए भी अधिकृत किया गया है.
हालांकि, तत्काल नियम लाने के बाद निर्धारित मानदंडों के अनुसार नियम बनाने की जरूरत होगी। ऐसा नहीं करने पर नियम छह महीने के बाद स्वतः समाप्त हो जाएंगे।
भारत में वित्तीय विनियमन
RBI की मंजूरी के बाद रुपये में व्यापार के लिए नौ स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट खोले गए
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारतीय रुपये (INR) में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दो भारत में वित्तीय विनियमन भारतीय बैंकों- UCO बैंक और इंडसइंड बैंक के साथ नौ स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की मंजूरी दी है।
- जुलाई 2022 में, RBI ने “इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट इन इंडियन रूपीस (INR)” के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
स्पेशल वोस्ट्रो अकाउंट खोलने वाले नौ भारत में वित्तीय विनियमन बैंक इस प्रकार हैं:
- Sberbank और VTB बैंक , रूस में शीर्ष दो बैंक, भारत में अपने स्वयं के शाखा कार्यालयों के साथ खाते खोले और अनुमोदन प्राप्त करने वाले पहले विदेशी ऋणदाता बन गए।
- रूस के Gazprombank , जिसकी भारत में कोई शाखा नहीं है, ने भी यह खाता राज्य द्वारा संचालित UCO बैंक (कोलकाता) के साथ बनाया है।
- छह अलग-अलग रूसी बैंकों ने भी इंडसइंड बैंक में खाते खोले हैं।
वोस्ट्रो अकाउंट क्या है?
एक “वोस्ट्रो” अकाउंट एक ऐसा अकाउंट है जो एक घरेलू बैंक एक विदेशी बैंक के लिए घरेलू बैंक की मुद्रा में रखता है, जो भारत में INR है।
- रुपया वोस्ट्रो अकाउंट एक विदेशी संस्था को भारतीय बैंकों में INR में अपनी होल्डिंग रखने की अनुमति देते हैं।
जब एक भारतीय आयातक किसी विदेशी व्यापारी को INR में भुगतान करता है, तो राशि इस वोस्ट्रो अकाउंट में जमा की जाती है।
- जब किसी भारतीय निर्यातक को माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिए भुगतान किया जाता है, तो इस वोस्ट्रो अकाउंट से राशि वापस ले ली जाएगी और निर्यातक के खाते में जमा कर दी जाएगी।
ध्यान देने योग्य बिंदु – ‘वोस्ट्रो एंड नोस्ट्रो’
भारतीय बैंक द्वारा विदेश में खोला गया खाता भारतीय बैंक के लिए “नोस्ट्रो” अकाउंट है, जबकि यह विदेशी बैंक के लिए वोस्ट्रो अकाउंट है।
- लैटिन में, नोस्ट्रो का अर्थ “हमारा” और वोस्ट्रो का अर्थ “आपका” होता है।
नतीजतन, इंडसइंड और UCO द्वारा खोले गए खाते वोस्ट्रो अकाउंट हैं, जबकि रूस के Sberbank और VTB बैंक द्वारा खोले गए खाते नोस्ट्रो अकाउंट हैं।
प्रमुख बिंदु:
i. UCO बैंक की ईरान में पहले से ही वोस्ट्रो अकाउंट-बेस्ड फैसिलिटी है।
ii. गज़प्रॉमबैंक, या GPB, एक निजी स्वामित्व वाला रूसी बैंक है और संपत्ति के हिसाब से देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक है।
IFSCA ने विनियमित संस्थाओं के विनियमन, पर्यवेक्षण के क्षेत्र में RBI के साथ समझौता ज्ञापन किया
इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर अथॉरिटी (IFSCA) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में विनियमित संस्थाओं के विनियमन और पर्यवेक्षण में सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- MoU तकनीकी सहयोग और सूचना विनिमय की सुविधा प्रदान करता है।
इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर अथॉरिटी (IFSCA)
IFSCA भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास और विनियमन के लिए एक एकीकृत प्राधिकरण है।
- गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT सिटी) भारत का पहला इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर (IFSC) है।
IFSCA की स्थापना से पहले, RBI, भारतीय प्रतिभूति और भारत में वित्तीय विनियमन विनिमय बोर्ड (SEBI), पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA), और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) सहित घरेलू वित्तीय नियामकों ने IFSC में व्यवसाय को विनियमित किया।
- IFSCA को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम, 2019 के अनुसार स्थापित किया गया था।
IFSCA के अध्यक्ष – इंजेती श्रीनिवास (IFSCA के पहले अध्यक्ष)
स्थापित – 27 अप्रैल, 2020
मुख्यालय – GIFT सिटी, गुजरात में गांधीनगर।
हाल के संबंधित समाचार:
गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (GIFT सिटी) ने फिनटेक डोमेन में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए फिनटेक एसोसिएशन ऑफ जापान (FAJ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।