हेजिंग क्या है

क्या मुझे ETF में निवेश करना चाहिए?
ETF शेयर बाजार का अनुभव पाने के लिए सबसे कम लागत का ज़रिया है। वे लिक्विडिटी और रियल टाइम सेटलमेंट देते हैं क्योंकि वे एक्सचेंज पर लिस्टेड( सूचीबद्ध) हैं और उनमें शेयरों की तरह कारोबार होता है। ETFs कम जोखिम वाले विकल्प हैं क्योंकि वे आपके कुछ पसंदीदा शेयरों में निवेश करने के बजाय स्टॉक इंडेक्स का अनुकरण करते हैं और उनमें डाइवर्सिफिकेशन होता है।
ETFs ट्रेड करने के आपके पसंदीदा तरीके में फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं जैसे कीमत घटने पर बेचना या मार्जिन पर खरीदना। कमोडिटीज़ और अंतर्राष्ट्रीय सिक्युरिटीज़ में निवेश जैसे कई विकल्प ईटीएफ में भी उपलब्ध हैं। आप अपनी पोज़िशनकी हेजिंग(बचाने ) के लिए ऑपशन्स और फ़्यूचर्स का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर नहीं मिलता है।
हालाँकि, ETFs हर निवेशक के लिए सही नहीं होते हैं। नए निवेशकों के लिए इंडेक्स फंड्स बेहतर विकल्प हैं जो कम रिस्क वाले ऑप्शन को चुनकर लंबी-अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने का फायदा उठाना चाहते हैं। ETFs उन लोगों के लिए भी सही हैं जिनके पास एकमुश्त(लमसम) नगद पैसा है लेकिन अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि नकदी का निवेश कैसे किया जाए। वे कुछ समय के लिए ETF में निवेश कर सकते हैं और तब तक कुछ रिटर्न कमा सकते हैं जब तक कि नकदी सही जगह पर इस्तेमाल ना हो जाए। सही ETF का चुनने के लिए ज़्यादातर रिटेल निवेशकों के मुकाबले, वित्तीय बाज़ार की अच्छी समझ होना ज़्यादा ज़रूरी होता है। इसलिए, आपके ETF निवेश को संभालने के लिए निवेश में थोड़ी व्यावहारिक कुशलता की भी ज़रूरत होती है।
HDFC ने ब्याज दरों का जोखिम कम करने लिए लिया हेजिंग का सहारा, जानिए डिटेल
कंपनी ने जोखिम प्रबंधन के लिए अपने टूल्स में इजाफा करना चाहती है.
एचडीएफसी (HDFC) ने रेपो रेट में बदलाव से ब्याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्स का स . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 11, 2022, 17:14 IST
हाइलाइट्स
एचडीएफसी ने रेपो रेट में बदलाव से ब्याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्स का सहारा लिया है.
हेजिंग एक ऐसी स्ट्रैटजी है, जो वित्तीय एसेट्स में जोखिम सीमित करने के लिए अपनाई जाती है.
एचडीएफसी ने एक डेट इश्यू पर रेट रिस्क कम करने के लिए पूरी तरह रिटर्न स्वैप का इस्तेमाल किया है.
नई दिल्ली. भारत की सबसे बड़ी मॉर्टगेज फाइनेंसर एचडीएफसी (Housing Development Finance Corp) ने ब्याज दरों में हो रहे उतार-चढ़ाव के जोखिम से सुरक्षा के लिए हेजिंग का सहारा लिया है. एचडीएफसी द्वारा उठाए गए इस कदम को बाजार जानकार एक असामान्य कदम मान रहे हैं क्योंकि एचडीएफसी हेजिंग का सहारा नहीं लेता है. इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि कंपनी ने जोखिम प्रबंधन के लिए अपने टूल्स में इजाफा करना चाहती है, इसलिए उसने हेजिंग की है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि देश की सबसे बड़े रुपी बॉन्ड इश्युअर एचडीएफसी ने एक डेट इश्यू पर रेट रिस्क कम करने के लिए कथित रूप से पूरी तरह रिटर्न स्वैप का इस्तेमाल किया है. यह डेट इश्यू पिछले महीने बंद हो गया था. एचडीएफसी ने ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप का इस्तेमाल करता करता रहा है.
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से की हेजिंग
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा महंगाई को काबू में करने के लिए मई से अभी तक रेपो रेट में 140 आधार अंकों की वृद्धि कर चुका है. रेपो रेट अब बढ़कर 5.40 फीसदी हो चुका है. केंद्रीय बैंक ने पिछले हफ्ते कहा था कि कीमतों पर दबाव को कम करने के लिए हर जरूरी कदम उठाया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि एचडीएफसी ने रेपो रेट में बदलाव से ब्याज दरों में हो रही उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने के लिए हेजिंग टूल्स का सहारा लिया है.
इंटरेस्ट रेट डिलिवरी कॉन्ट्रैक्ट किए
इंटरेस्ट रेट डिलिवरी कॉन्ट्रैक्ट के तहत बैंकों ने अपनी ट्रेजरी बुक्स पर मुंबई बेस्ड फाइनेंसर की तरफ से आसानी से ट्रेड योग्य सॉवरेन बॉन्ड खरीदे हैं और एचडीएफसी ऋणदाताओं को ओवरनाइट मिबोर रेट (overnight Mibor rate) और स्प्रेड का भुगतान करेगी. स्प्रेड एक फीस की तरह है, जिसका भुगतान एचडीएफसी ने बैंकों को किया, जिन्होंने फाइनेंसर के लिए बॉन्ड पोजिशन ली थी. एचडीएफसी के एक प्रतिनिधि ने इस पूरे मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
क्या होती है हेजिंग
इसलिए निवेशक और कारोबारी अपना जोखिम कम करने के हेजिंग क्या है लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. ऐसा ही एक प्रचलित तरीका ‘हेजिंग’ है. हेजिंग एक ऐसी स्ट्रैटजी है, जो वित्तीय एसेट्स में जोखिम सीमित करने के लिए अपनाई जाती है। असल में जब कोई क्रेता, विक्रेता या निवेशक अपने कारोबार या परिसंपत्ति (असेट) को संभावित मूल्य परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के उपाय करता है तो उसे ‘हेजिंग’ कहते हैं. आमतौर पर हेज में संबंधित सिक्योरिटी में ऑफ सेटिंग पोजिशन लेना शामिल होता है- पॉपुलर हेजिंग तकनीकों में डेरिवेटिव्स में ऑफ सेटिंग पोजिशन लेना शामिल है.
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विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति - forex hedging strategy
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति - forex hedging strategy
विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति चार भागों में विकसित होती है, जिसमें विदेशी मुद्रा व्यापारी के जोखिम जोखिम, जोखिम सहिष्णुता के विश्लेषण और रणनीति की वरीयता ये घटक विदेशी मुद्रा बचाव बनाते हैं: 1. जोखिम का विश्लेषण: व्यापारी को यह पता होना चाहिए कि मौजूदा या प्रस्तावित स्थिति में वह किस
प्रकार के जोखिम (जोखिम) ले रहा है। वहां से, व्यापारी को यह अवश्य पहचानना चाहिए कि इस खतरे को अनफिट करने पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और यह निर्धारित करें कि मौजूदा विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार में जोखिम उच्च या निम्न है या नहीं।
2. जोखिम सहिष्णुता निर्धारित करें: इस कदम में, व्यापारी अपने जोखिम जोखिम स्तर का उपयोग करता है,
यह निर्धारित करने के लिए कि स्थिति के जोखिम हेजिंग क्या है को कितना ढीला होना चाहिए। कोई भी व्यापार कभी शून्य जोखिम नहीं होगा; यह जोखिम लेने वाले जोखिम के स्तर को निर्धारित करने के लिए व्यापारी पर निर्भर है, और अधिक जोखिम को हटाने के लिए वे कितना भुगतान करने के इच्छुक हैं।
3. विदेशी मुद्रा हेजिंग रणनीति निर्धारित करें: यदि विदेशी मुद्रा विकल्पों का उपयोग मुद्रा व्यापार के जोखिम को सुरक्षित रखने के लिए करता है, तो व्यापारी को यह निर्धारित करना होगा कि कौन सी रणनीति सबसे अधिक लागत प्रभावी है
4. रणनीति को लागू करें और निगरानी करें: यह सुनिश्चित करके कि रणनीति उस तरह से काम करती है जिस तरह से, जोखिम कम से कम रहेगा
विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार बाजार एक जोखिम भरा है, और हेजिंग केवल एक तरीका है कि एक व्यापारी जोखिम की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है। एक व्यापारी होने का इतना पैसा और जोखिम प्रबंधन है, जो शस्त्रागार में हेजिंग जैसे अन्य टूल को अविश्वसनीय रूप से उपयोगी है। सभी खुदरा विदेशी मुद्रा दलालों उनके प्लेटफार्मों में हेजिंग की अनुमति नहीं देते हैं। ब्रोकर को पूरी तरह से अनुसंधान करना सुनिश्चित करें जो आप व्यापार से पहले शुरू करते हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से निर्यातकों को फायदा हुआ, क्योंकि उन्हें डॉलर में भुगतान होता है। वहीं, आयातकों को नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें डॉलर में पेमेंट करने के लिए बाजार हेजिंग क्या है से महंगा डॉलर खरीदना होता है। इस नुकसान को मुद्रा बाजार का जोखिम कहते हैं। इसे हेजिंग के जरिये कम किया जाता है।
क्या होती है हेजिंग:
हेजिंग को हम एक तरह के बीमा की तरह समझ सकते हैं, जिसमें किसी भी नकारात्मक असर को कम करने की कोशिश की जाती है। हेजिंग से जोखिम होने का खतरा कम नहीं होता। लेकिन अगर सही तरीके से हेजिंग की जाए तो किसी भी नकारात्मक परिस्थिति का असर जरूर कम हो सकता है। साधारण तौर पर आप समझ लें कि हेजिंग में आप वायदा बाजार में वह पोजिशन लेते हैं, जो हाजिर बाजार से बिल्कुल विपरीत होती है। इस तरह से आप मुद्रा बाजार में किसी भी उतार-चढ़ाव के असर को कम कर सकते हैं।
क्या तरीके हैं हेजिंग के:
मुद्रा बाजार में तीन तरीकों से हेजिंग की जाती है। पहला तरीका है फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का। इस तरीके में कारोबारी पहले से तय की गई विनिमय दर पर पूर्व निर्धारित समयसीमा में करार करते हैं। इस तरीके में आप अपने फायदे और नुकसान दोनों पर लगाम लगा कर पहले से ही चलते हैं। दूसरा तरीका करेंसी फ्यूचर्स का है। इस तरीके में किसी भी दो खास करेंसी का तय समय और तय दर पर आपस में आदान प्रदान होता है। करेंसी ऑप्शन तीसरा तरीका है। इसे एक तरह का बीमा कह सकते हैं जो मुद्रा बाजार के आपके पक्ष में आने से फायदा देता है और आपके विपरीत जाने में आपकी सुरक्षा भी करता है।
निर्यातक करेंसी का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट बेचते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी निर्यातक को एक लाख डॉलर का सामान सप्लाई करना है। मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने के लिए वह वायदा बाजार में डॉलर बेचता है। इसके उलटे अगर किसी आयातक को माल के लिए एक लाख डॉलर चुकाना है तो वह वायदा बाजार में जाकर डॉलर खरीद जोखिम को कम कर सकता है। आयातक कॉल ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की खरीद की कीमत को पहले से ही तय कर अपने जोखिम को कम करता है। इसके उलट निर्यातक पुट ऑप्शन के जरिये विदेशी मुद्रा की बिक्री की कीमत को पहले से तय करके जोखिम को कम करता है।
'बढ़ती महंगाई के जोखिम से बचाव का सहारा बनेगा सोना, बढ़ सकती है सोने की मांग'
Gold: बढ़ती हुई महंगाई के जोखिम से बचाव के लिए सोने की हेजिंग की जा सकती है, WGC की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इससे सोने की मांग बढ़ सकती है. हेजिंग से आशय जोखिम से बचाव के लिए किए जाने वाले निवेश से है.
Updated: May 17, 2022 8:35 AM IST
Gold: हेजिंग क्या है विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) का अनुमान है कि कीमतों में बढ़ोतरी और पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड आयात की वजह से सोने की उपभोक्ता मांग में गिरावट सकती है. डब्ल्यूजीसी के इस अनुमान के बीच एक विदेशी ब्रोकरेज कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती मुद्रास्फीति के चलते परिवारों की ‘हेजिंग’ (Hedging) के लिए सोने की मांग बढ़ सकती है. ऐसे में सोने की मांग अधिक रहने की संभावना है.
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हेजिंग से आशय जोखिम से बचाव के लिए किए जाने वाले निवेश से है.
पिछले महीने सरकारी आंकड़ों में दर्शाया गया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में सोने का आयात 33.34 प्रतिशत बढ़कर 837 टन या 46.14 अरब डॉलर का हो गया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में महामारी के कारण आयात के निचले स्तर से 1.5 गुना अधिक तथा वित्त वर्ष 2016-20 के महामारी-पूर्व के औसत से 12 प्रतिशत अधिक है. इससे चालू खाते का घाटा बढ़ा है और इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है.
महामारी से प्रभावित वित वर्ष 2020-21 में आयात केवल 34.62 अरब डॉलर का था.
वित वर्ष 2012-13 में रिकॉर्ड 54 अरब डॉलर के आयात के बाद सोने की भारत आने वाली खेप कम होती रही है और वित्त वर्ष 2019-20 में यह 28 अरब डॉलर तक गिर गई. लेकिन उसके बाद आयात फिर से बढ़ना शुरू हुआ और वित वर्ष 2020-21 में 25 अरब डॉलर और आगे जाकर वित वर्ष 2021-22 में 46 अरब डॉलर से अधिक का हो गया.
यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में सोने का आयात मामूली घटकर 43 अरब डॉलर का रहने का अनुमान है.
वित्त वर्ष 2021-22 के आयात में वृद्धि के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 192.41 अरब डॉलर हो गया जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 102.62 अरब डॉलर था.
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है.
आयात बड़े पैमाने पर आभूषण उद्योग द्वारा संचालित होता है. 2021-22 में रत्न और आभूषण निर्यात लगभग 50 प्रतिशत बढ़कर लगभग 39 अरब डॉलर का हो गया. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, चालू खाते का घाटा पहली तीन तिमाहियों में बढ़कर 23 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.7 प्रतिशत हो गया.
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