समर्थन क्या है?

पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन से MSP के फायदे और नुकसान
Ukraine संकट के बीच किस देश का क्या है रुख, जानें समर्थन क्या है? कौन किसके समर्थन में है खड़ा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की ओर से पूर्वी यूक्रेन में दो अलग देशों को मान्यता दिए जाने के बाद अमेरिका (America) समेत कई देश भड़के हुए हैं. चर्चा तेज है कि कौन किसके साथ है.
By: ABP Live | Updated at : 23 Feb 2022 02:27 PM (IST)
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (फाइल फोटो)
पूर्वी यूक्रेन में रूस की ओर से दो अलग देशों डोनेत्स्क (Donetsk) और लुगंस्क (Lugansk) को मान्यता देने के बाद तनाव बिल्कुल चरम पर है. ऐसे में पूरी आशंका जताई जा रही है कि रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine Conflict) के बीच कभी भी जंग छिड़ सकती है. हालांकि रूस लगातार कहता रहा है कि यूक्रेन पर हमले की उसकी कोई प्लानिंग नहीं है लेकिन समर्थन क्या है? हाल की गतिविधियों से ऐसा नहीं लग रहा है. व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की ओर से दो अलग देशों की मान्यता दिए समर्थन क्या है? जाने के बाद अमेरिका (America) समेत कई देश भड़के हुए हैं. अमेरिका, ब्रिटेन, जापान समेत कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. कई देश अमेरिका और यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं तो वही कुछ देश रूस (Russia) के साथ भी नजर आ रहे हैं.
यूक्रेन संकट के बीच किस देश का किसको समर्थन
गहराते यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) के बीच इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि कौन सा देश किसके साथ समर्थन में खड़ा है. भारत की बात करें तो अभी तक इसका रूख निष्पक्ष ही रहा है. हालांकि भारत के अमेरिका और रूस दोनों से काफी अच्छे संबंध हैं. ऐसे में किसी एक को समर्थन करने की बात पर भारत राजी नहीं हो सकता है. रक्षा सौदों से लेकर कई उपकरणों को लेकर भारत बहुत हद तक रूस पर भी निर्भर है. रणनीतिक साझेदारी के मामले में भी भारत और रूस के संबंध मजबूत हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में यूक्रेन के मसले पर हुई मंगलवार को इमरजेंसी बैठक में भी भारत ने संतुलित रूख अपनाया था और इस समर्थन क्या है? मुद्दे को लेकर सभी पक्ष से शांति और संयम बरतने की अपील की थी. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कूटनीतिक स्तर पर ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने रूस पर लगाए हैं प्रतिबंध
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अमेरिका यूक्रेन को हर संभव मदद का पहले ही भरोसा दे चुका है. सैन्य कर्मियों और हथियारों से उसकी मदद के लिए पूरी तरह से तैयार है. यूरोपीय यूनियन का भी मानना है कि यूक्रेन संकट पूरे यूरोप के खिलाफ खतरा है. रूस पर कई प्रतिबंध लगाने के बाद ऐसी संभावना है कि यूरोपीय यूनियन रूस को ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम से अलग कर सकता है. वही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने रूस के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए प्रतिबंध लगाने की बात कही है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन किया है. वही फ्रांस ने भी रूस के कदम की आलोचना करते हुए कड़े प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं. जर्मनी ने रूस की नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगा दी है.
चीन और रूस की बढ़ी है दोस्ती
उधर चीन और रूस की दोस्ती हाल के दिनों में कुछ बढ़ी है. पाकिस्तान का भी झुकाव रूस की तरफ ज्यादा दिख रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए मॉस्को पहुंच रहे हैं. उधर बेलारूस पूरी तरह से रूस के साथ दिख रहा है. यूक्रेन संकट के बीच बेलारूस और रूस साथ मिलकर युद्धाभ्यास भी कर रहे हैं. गौरतलब है कि रूस नाटो की विस्तार योजना का विरोध कर रहा है. रूस नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बने जबकि अमेरिका समेत कई देश समर्थन क्या है? ये चाहते हैं कि यूक्रेन भी नाटो का मेंबर हो.
Published at : 23 Feb 2022 02:13 PM (IST) Tags: Russia US Ukraine Russia Ukraine Conflict Ukraine Crisis हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
MP KISAN NEWS- मूंग का समर्थन मूल्य कितना होगा, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ने बताया
भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया है कि केंद्र सरकार ने पूरे भारत में मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया है। इससे भारत के करोड़ों किसानों को फायदा होगा।
KISAN SAMACHAR- मूंग का समर्थन मूल्य 2022
मध्य प्रदेश शासन के कृषि मंत्री कमल पटेल ने हरदा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने मूंग की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला किया है। इसके कारण केवल हरदा और होशंगाबाद ही नहीं बल्कि पूरे देश के मूंग उत्पादक किसानों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि आधिकारिक रूप से घोषणा नहीं हुई है परंतु मूंग का समर्थन मूल्य ₹7196 निर्धारित होने की संभावना है।
MP NEWS- शिवराज सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर के कारण मूंग को समर्थन मूल्य मिला
मंत्री कमल पटेल ने बताया कि मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रस्ताव मध्य प्रदेश की तरफ से केंद्र सरकार की ओर भेजा गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए अभियान चलाकर प्रयास किए और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूरा सहयोग किया और अंकिता मूंग को समर्थन मूल्य मिल गया। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.
ये MSP-MSP क्या है? समझिए वो फंडा जिस पर हो रहा है इतना हंगामा
Farmers Protest: कड़ाके की ठंड और भूख-प्यास की परवाह किए बिना देश का अन्नदाता कहा जाने वाला किसान पिछले 2 महीने समर्थन क्या है? से भी ज्यादा दिनों से सड़कों पर (Kisan Andolan) है. अपने घर की सुख-सुविधाएं छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों किसान दिल्ली के बॉडर्र की सड़कों पर डेरा जमाए हुए बैठे हैं. इस दौरान किसान आंदोलन हिंसक रूप भी ले चुका है.
किसानों के आंदोलन (farmers agitation) में एक चीज बार-बार निकल कर सामने आ रही है और वह है फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price) यानी एमएसपी.
किसानों का कहना है कि सरकार ने हाल ही में जो तीन नए कृषि कानून (New Farm Laws) बनाए हैं उनके पीछे सरकार की मंशा न्यूनतम समर्थन मूल्य सिस्टम को खत्म करने की है. हालांकि, सरकार बार-बार यही दुहाई दे रही है कि नए कानूनों से वर्तमान व्यवस्था पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा, उल्टा किसानों को फायदा ही होगा. एमएसपी सिस्टम पहले की तरह ही चलता रहेगा.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) टॉप ट्रेंड बना हुआ है. हम में से बहुत से लोग वाकिफ नहीं होंगे कि ये एमएसपी क्या होता है. या फिर ये कैसे तय किया जाता है, इससे किसानों को क्या फायदा है. यहां हम आपको तफ्सील के साथ बता रहे हैं कि ये एमएसपी क्या है और इसे तय करने का फार्मूला क्या है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (What is Minimum support price)
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम सर्मथन मूल्य होता है. MSP सरकार की तरफ से किसानों की अनाज वाली कुछ फसलों के दाम की गारंटी होती है. राशन सिस्टम के तहत जरूरतमंद लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए इस एमएसपी पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है.
पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन से MSP के फायदे और नुकसान
बाजार में उस फसल के रेट भले ही कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे तय एमएसपी पर ही खरीदेगी. इससे यह फायदा होता है कि किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के समर्थन क्या है? दाम कितने चल रहे हैं. हालांकि मंडी में उसी फसल के दाम ऊपर या नीचे हो सकते हैं. यह किसान की इच्छा समर्थन क्या है? पर निर्भर है कि वह फसल को सरकार को बेचे एमएसपी पर बेचे या फिर व्यापारी को आपसी सहमति से तय कीमत पर.
कौन तय करता है MSP
फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य CACP यानी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग तय करता है. CACP तकरीबन सभी फसलों के लिए दाम तय करता है. हालांकि, गन्ने का समर्थन मूल्य गन्ना आयोग तय करता है. आयोग समय के साथ खेती की लागत के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है. सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है.
किन फसलों का तय होता है एमएसपी (MSP for Crops)
रबी और खरीफ की कुछ अनाज वाली फसलों के लिए एमएसपी तय किया जाता है. एमएसपी का गणना हर साल सीजन की फसल आने से पहले तय की जाती है.
फिलहाल 23 फसलों के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है. इनमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलों को शामिल किया गया है. धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि की फसलों के दाम सरकार तय करती है.
एमएसपी का फायदा (Benefits of MSP)
एमएसपी तय करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर बाजार में फसल का दाम गिरता है, तब भी यह तसल्ली रहती है कि सरकार को वह फसल बेचने पर एक तय कीमत तो जरूर मिलेगी.
एमएसपी तय करने का फार्मूला (MSP formula)
केंद्र में जब मोदी सरकार आई थी तब उसने फसल की लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करने समर्थन क्या है? के नए फार्मूले अपनाने की पहल की थी. कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था. आयोग ने एमएसपी तय करने के कई फार्मूले सुझाए थे. डा. एमएस स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया औ 2018-19 के बजट में उत्पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने की घोषणा की.
कैसे होती है किसानों से खरीद (Crop Procurement)
हर साल बुआई से पहले फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है. हर खरीफ और रबी सीजन के लिए एमएसपी तय होता है. बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं.
एमएसपी पर सरकार विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से किसानों से अनाज खरीदती है. MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है. सरकारी खरीद के बाद FCI और नैफेड के पास यह अनाज जमा होता है. इस अनाज का इस्तेमाल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए होता है.
अगर बाजार में किसी अनाज में तेजी आती है तो सरकार अपने बफर स्टॉक में से अनाज खुले बाजार में निकालकर कीमतों को काबू करती है.
MSP सिस्टम की दिक्कत
किसानों की फसलों की लागत तय कर पाना मुश्किल होता है. छोटे किसान अपनी फसल को MSP पर नहीं बेच पाते हैं. बिचौलिये, किसान से खरीदकर फसल खरीदकर MSP का फायदा उठाते हैं. अभी कई फसलें MSP के दायरे से बाहर हैं.
केरल में सब्जियों का भी एमएसपी (Vegetables MSP)
केरल सरकार ने सब्जियों (Vegetables) के लिए आधार मूल्य (Base Price) तय कर दिया है. केरल सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. यह व्यवस्था 1 नवंबर से लागू हो गई है. सब्जियों का यह न्यूनतम या आधार मूल्य (Base Price) उत्पादन लागत (Production Cost) से 20 फीसदी अधिक होगा. एमएसपी के दायरे में फिलहाल 16 तरह की सब्जियों को लाया गया है.
हरियाणा भी केरल की राह पर
केरल की तर्ज पर ही हरियाणा सरकार ने भी सब्जियों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाने की पहल की है. इसके लिए सुझाव मांगे जा रहे हैं. मंडियों का सर्वे किया जा रहा है.
किसानों के लिए खुशखबरी : 25 सौ से बढ़कर 2800 रुपए प्रति क्विंटल मिलेगा धान का समर्थन मूल्य
paddy purchasing in chhattisgarh: गोवर्धन पूजा के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान, 2800 रुपए प्रति क्विंटल (Government will Purchase Paddy on 2800 Rs Per Quintal) मिलेगा धान का दाम.
paddy purchasing in chhattisgarh: रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में आते ही किसानों का कर्जमाफी करने वाली भूपेश सरकार ने किसानों समर्थन क्या है? के लिए एक बार फिर बड़ी बात कही है। रायपुर सीएम हाउस में आज गोवर्धन पूजा के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा चुनाव आते-आते धान का दाम 2800 रुपए (Government will Purchase Paddy on 2800 Rs Per Quintal) मिलेगा। अभी किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक मिल रहा है, अगले साल इससे ज्यादा दाम मिलेगा।
बता दें देशभर में धान का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को दे रही है। ऐसे में प्रति क्विंटल 500 रुपये की बढ़ोतरी इस महंगाई में किसानों को राहत प्रदान करेगी ।
पेट्रोल डीज़ल के घटे दाम पर कसा तंज
सीएम भूपेश बघेल ने पेट्रोल-डीजल के दाम पर केंद्र सरकार की ओर से समर्थन क्या है? समर्थन क्या है? एक्साइज ड्यूटी हटाए जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र दाम कम कर वाहवाही लूट रही है। केंद्र एक्साइज ड्यूटी 9 रुपए तक लाए, एक चुनाव हारने से 5 रुपए कम हुआ है। 5 चुनाव हारने के बाद दाम और कम होगा। महंगाई पर जनता ने केंद्र को सबक सिखाया है।
ज्ञात हो छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 में होने है, जिसे दो साल बाकी है। इस दौरान केन्द्र सरकार भी धान समेत अन्य फसलों का एमएसपी प्रति वर्ष बढ़ाएगी। इस स्थिति में चुनाव आते-आते छत्तीसगढ़ के किसानों का धान का दाम केन्द्र की एमएसपी और किसान न्याय योजना की राशि जुड़कर 27-28 सौ रुपए तक मिलने लगेगा।