FBS क्या है?

जेल में बंद Navjot Sidhu को प्रियंका गांधी ने भेजी चिट्ठी! बाहर आने पर मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
चंडीगढ़: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू रोडरेज मामले में पटियाला जेल में बंद है। लेकिन इस बीच बड़ी खबर सामने आ रही है कि प्रियंका गांधी ने सिद्धू को एक चिट्ठी भेजी है, यह किस विषय में है और इसमें क्या लिखा है यह तो अभी साफ नहीं हो पाया है लेकिन सूत्रों की मानें तो सिद्धू के जेल से बाहर आने पर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। देखा जाए तो पिछले कुछ समय से कांग्रेस कमजोर होती जा रही है, कईं वरिष्ठ नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। सिद्धू को हमेशा से ही पार्टी के लिए स्टार प्रचारक माना गया है, ऐसे में अब माना जा रहा है कि सिद्धू के जेल से बाहर आने पर उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
बता दें कि सिद्धू रोडरोज मामले में पटियाला जेल में बंद है, अगले वर्ष जनवरी के अंत में उनके जेल से बाहर आने की आशंका है। जिसके बाद कांग्रेस उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है।
Type 2 Diabetes: क्या है टाइप 2 डायबिटीज, कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल, ये है पूरा चार्ट
Diabetes Type 2: बदलती लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज टाइप 2 का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक खराब जीवन शैली, ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस, मोटापा और अनिद्रा इस बीमारी की मुख्य वजह हैं.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 15 Aug 2021 12:24 AM (IST)
Diabetes Type 2: बदलती लाइफस्टाइल और खाने-पीने में लापरवाही की वजह से आजकल हार्ट, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन चुकी है डायबिटीज. शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से लोग डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. देश में करीब 77 मिलियन से ज्यादा लोग मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं. डायबिटीज के तीन प्रकार हैं जिसमें टाइप 1, टाइप 2 और जेस्टेशनल डायबिटीज शामिल है. लोगों में सबसे ज्यादा डायबिटीज टाइप 2 का खतरा बढ़ रहा है. डॉक्टर्स की मानें तो करीब 95 प्रतिशत लोग टाइप 2 के मरीज हैं. जानते हैं टाइप 2 डायबिटीज क्या है और कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल?
क्या है टाइप 2 डायबिटीज?
शरीर में अग्नाशय यानी पैन्क्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करता है. इस हार्मोन से ब्लड में मौजूद शुगर लेवल को बॉडी सेल्स इस्तेमाल करते हैं. इंसुलिन से शरीर में शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज होने पर शरीर इंसलिन के प्रति रिस्पॉन्ड नहीं करता है. जिससे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है. इससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगती हैं. टाइप 2 डाइबिटीज होने के पीछे खराब लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस, नींद की कमी, मोटापा और ब्लड-प्रेशर मुख्य वजह हैं.
डायबिटीज टाइप 2 के लक्षण
1- वजन कम होना
2- घाव देरी से भरना
3- थकान और कमजोरी
4- भूख-प्यास ज्यादा लगना
5- बार-बार टॉयलेट जाना
6- त्वचा पर खुजली होना
7- मूड स्विंग होना
डायबिटीज टाइप 2 में कितना होना चाहिए शुगर लेवल?
ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट से टाइप 2 डायबिटीज की पहचान हो जाती है. इसमें 5.7 प्रतिशत से FBS क्या है? कम FBS क्या है? आना सामान्य, 5.7 से 6.4 प्रतिशत आने पर प्री-डायबिटीज और 6.5 परसेंट या इससे ज्यादा होने पर टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है. आप चाहें तो रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के जरिये भी डायबिटीज टाइप 2 का पता लगा सकते हैं. रिपोर्ट में 200 mg/dL उच्च रक्त शर्करा का लेवल और फास्टिंग में FBS क्या है? 126 mg/dL रक्त शर्करा का लेवल आता है तो आपको टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है.
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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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Published at : 20 Jul 2021 05:46 PM (IST) Tags: Health Fitness Lifestyle BLOOD SUGAR patanjali nutrela हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
खून की जांच से पहले क्यों रहना होता है खाली पेट? जानें क्या है इसका मुख्य कारण
Written by: Vishal Singh Updated at: Jul 02, 2020 16:39 IST
स्वास्थ्य की सही FBS क्या है? जानकारी लेने के लिए अक्सर कई ऐसे टेस्ट होते हैं जिनमें मरीज की जांच खाली पेट की जाती है, ऐसे ही कुछ खून की जांच (Blood Test) ऐसी हैं जिनकी जांच भी खाली पेट ही करनी होती है। ऐसे में कई लोगों को कमजोरी के कारण चक्कर आना और थकावट महसूस होने लगती है, हालांकि वो जांच के बाद कुछ खा सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि ब्लड टेस्ट यानी FBS क्या है? खून की जांच से पहले आपको भूखा क्यों रहना पड़ता है या खाली पेट क्यों जांच की सलाह दी जाती है। अगर नहीं जानते तो कोई नहीं आपकी तरह ज्यादातर लोग इसके पीछे का कारण नहीं जानते, तो हम आपको इस लेख में बताते हैं कि आखिरकार क्यों डॉक्टर आपको खाली पेट जांच की सलाह देता है।
खाली पेट खून की जांच के कारण
ब्लड टेस्ट (Blood Test) से पहले खाली पेट रहना इसलिए जरूरी होता है कि क्योंकि खाली पेट आपका खून बिलकुल साफ होता है और वो सही परिणाम बताता है। आपको बता दें कि विटामिन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन जो सभी खाद्य और पेय पदार्थ बनाते हैं ये आपके खून और जांच के परिणामों को प्रभावित करते है और आपके ब्लड लेवल रीडिंग पर भी बुरा असर डालते हैं, जिसके कारण आपकी जांच या परिणाम गलत आते हैं।
इन ब्लड टेस्ट में आपको रहना होता है खाली पेट
- रक्त शर्करा परीक्षण।
- लिवर की जांच।
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर पता लगाने के लिए।
- ट्राइग्लिसराइड स्तर परीक्षण।
- एचडीएल स्तर की जांच।
- एलडीएल स्तर की जांच।
- गुर्दे से संबंधित में खाली पेट रहना जरूरी है।
- लिपोप्रोटीन पैनल।
इसके साथ ही अगर आपका डॉक्टर आपके लिए एक नया ब्लड टेस्ट(Blood Test) करना चाहते हैं तो वो आपको टेस्ट से पहले बताएगा कि आपको कितनी देर पहले खाली पेट रहना होगा या आपको इसकी जरूरत ही नहीं है।
कितनी देर रहना चाहिए खाली पेट
अक्सर लोगों के मन में ये सवाल होता है कि हमे ब्लड टेस्ट (Blood Test)के लिए कितनी देर या कब तक कुछ नहीं खाना है, इसका जवाब आपको वैसे तो डॉक्टर ही देता है। लेकिन ज्यादातर ब्लड टेस्ट में करीब 8 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए, इस बीच आप सिर्फ पानी पी सकते FBS क्या है? हैं जो आपके स्वास्थ्य में किसी तरह की कोई बाधा पैदा नहीं करता। इसके अलावा अगर आपकी कोई गंभीर FBS क्या है? जांच है तो आपको डॉक्टर 12 घंटे तक कुछ न खाने की सलाह भी दे सकते हैं। जिससे की आपका परिणाम बिलकुल सही सामने आ सके।
ब्लड टेस्ट से पहले कॉफी पीना सही?
आप ही नहीं बल्कि ज्यादातर लोगों को लगता है कि खून की जांच (Blood Test) से पहले कॉफी पीने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता ये एक तरल पदार्थ है, जबकि आपको अंदाजा नहीं है ये आपके परिणाम को बदल सकता है। आपको बता दें कि कॉफी रक्त परीक्षण के परिणामों में बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है, क्योंकि कॉफी में मौजूद कैफीन और घुलनशील पदार्थ आपके खून में मिल जाते हैं। इसलिए आपको सिर्फ ब्लड टेस्ट के लिए पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करना चाहिए, जिससे की आपकी खून की जांच बिलकुल सही आए।
प्रेगनेंसी के दौरान ग्लूकोज़ टॉलेरेंस परीक्षण
Garbhavastha ke dauran glucose tolerance test in hindi
Gynecologist | 15 वर्षों का अनुभव
- गर्भवस्था के दौरान भी पड़ती है ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट की आवश्यकता।
- इस टेस्ट की मदद से जेस्टेशनल डायबिटीज़ का पता FBS क्या है? लगाया जाता है।
- इस दौरान ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट भी होता है।
- टेस्ट के असामान्य होने पर उपचार की पड़ती है आवश्यकता।
गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान गर्भवती महिला को कई तरह के टेस्ट कराने पड़ते हैं। तमाम तरह के टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर माँ और बच्चे की स्थितियों की जांच करते हैं और ये सुनिश्चित करने की कोशिश करते हैं कि सब कुछ सामान्य है या नहीं!
प्रेगनेंसी के समय होने वाले कुछ टेस्ट माँ के शरीर की जांच करने में मददगार होते हैं तो कुछ टेस्ट से बच्चे के विकास और स्थिति का पता लगाया जाता है।
ऐसे ही तमाम टेस्ट में से एक है ग्लूकोज टॉलेरेंस टेस्ट, जो प्रेगनेंसी के 24वें-28वें हफ्ते FBS क्या है? के बीच किया जाता है। आइए आपको विस्तार से ये समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस टेस्ट का मतलब क्या है और क्यों पड़ती है इसकी आवश्यकता।
ग्लूकोज़ टॉलेरेंस टेस्ट क्या है?
What is a glucose tolerance test? in hindi
Glucose tolerance test kya hota in hindi
ग्लूकोज़ टॉलेरेंस टेस्ट यह मापता (measure) है कि आपके FBS क्या है? शरीर की कोशिकाएं (cells) विशिष्ट मात्रा में चीनी का सेवन करने के बाद ग्लूकोज़ को अब्जॉर्ब करने में कितनी सक्षम है।
प्रेगनेंसी के दौरान आमतौर पर, गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes - एक प्रकार का डायबिटीज़ जो प्रेगनेंसी के समय विकसित होता है) का पता लगाने के लिए ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है।
गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes), माँ के साथ-साथ शिशु के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है। यूँ तो गर्भवती महिलाओं में गर्भावधि मधुमेह की पहचान करने के लिए कई परीक्षण किए जाते हैं।
इनमें पहला है ग्लूकोज चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट (glucose challenge screening test)। यह एक प्रारंभिक स्क्रीनिंग टेस्ट होता है, जो 26-28वें हफ्ते के बीच में किया जाता है।
महिला के स्क्रीनिंग टेस्ट के FBS क्या है? पॉज़िटिव आने पर दूसरा परीक्षण किया जाता है। दूसरा परीक्षण ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट है।
यह परीक्षण यह सुनिश्चित करता है FBS क्या है? कि शरीर ग्लूकोज़ (एक प्रकार की चीनी) का प्रभावी रूप से उपयोग कर रहा है या नहीं यानि महिला गर्भकालीन मधुमेह की शिकार है या नहीं।
ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट क्या है?
What is the glucose challenge screening test? in hindi
Glucose challenge screening test kya hai in hindi
ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के पहले आपको किसी खास तैयारी की ज़रूरत नहीं होती है।
टेस्ट के दौरान, सबसे पहले प्रेग्नेंट महिला का ब्लड सैम्पल लिया जायेगा और फिर बाद में महिला को ग्लूकोज़ सौल्युशन (glucose solution) पीने के लिए दिया जाएगा।
इसके लगभग एक घंटे के बाद ब्लड सैंपल फिर से लिया जायेगा। दरअसल, ग्लूकोज़ सौल्युशन लेने के एक घंटे के अंदर ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
अगर आपके ग्लूकोज़ स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणाम आपके ब्लड में ग्लूकोज़ के बढ़े स्तर को दिखाते हैं, तो संभव है कि आपका शरीर अतिरिक्त ग्लूकोज़ को अब्जॉर्ब करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर रहा है।
ऐसी स्थिति में स्क्रीनिंग के परिणाम पॉज़िटिव आने पर डॉक्टर महिला को ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
गर्भवस्था के दौरान ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट कैसे किया जाता है?
How glucose tolerance test is done during pregnancy? in hindi
Garbhavastha ke dauran glucose tolerance test kaise kiya jata hai in hindi
ग्लूकोज़ टेस्ट की तैयारी के तौर पर आपको खाली पेट रहना होगा, इसलिए इस टेस्ट की सिफारिश सुबह-सुबह की जाती है।
ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट के दौरान सबसे पहले आपका ब्लड सैंपल लिया जायेगा और फिर उस सैंपल के माध्यम से आपके ब्लड में बेसलाइन ग्लूकोज़ के स्तर (baseline glucose level) का पता लगाया जाएगा।
इस टेस्ट को फास्टिंग ग्लूकोज़ टेस्ट (fasting glucose test/fasting blood sugar FBS) भी कहा जाता है।
ब्लड सैम्पल लेने के बाद आपको ग्लूकोज़ पीने के लिए दिया जाएगा, जैसे प्रारंभिक ग्लूकोज़ चैलेंज स्क्रीनिंग टेस्ट के दौरान दिया गया था।
इसके बाद अगले तीन घंटे तक हर घंटे आपका ब्लड सैम्पल लेकर टेस्ट किया जाएगा।