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शेयर बाजार में हेरफेर

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सेंसेक्स टुडेः लाल निशान पर खुला शेयर बाजार, इन्फोसिस के शेयर 14% नीचे

मंगलवार को शेयर बाजार के कारोबार की शुरुआत लाल निशान पर हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स शेयर बाजार में हेरफेर सेंसेक्स 65 अंक नीचे 39,233 अंक पर खुला और एनएसई का निफ्टी 4 अंक नीचे 11,657 पर खुला। शुरुआती कारोबार में इन्फोसिस के शेयर 10% नीचे देखे गए।

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सेंसेक्स के जिन शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है उनमें यस बैंक (7 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलिवर, पावर ग्रिड, टीसीएस और एचडीएफसी बैंक प्रमुख हैं। वहीं इन्फोसिस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एचसीएल टेक और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है।

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निफ्टी की बात करें तो इंडेक्स के टॉप गेनर्स में यस बैंक, टाइटन, पावर ग्रिड, बीपीसीएल, टीसीएस हैं। वहीं चॉप लूजर्स में इन्फोसिस(14.60%), टाटा मोटर्स, एचसीएल टेक, टाटा स्टील और टेक महिंद्रा प्रमुख हैं।

क्यों गिर रहे इन्फोसिस के शेयर

इन्फोसिस में कंपनी के पूर्व सीईओ विशाल सिक्का तथा फाउंडर नारायणमूर्ति के बीच विवाद किसी तरह शांत होने के बाद कंपनी एक बार फिर भारी मुश्किलों में फंसती दिख रही है। कंपनी के कुछ अज्ञात कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि इन्फोसिस अपनी आय और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए अपने बही-खातों में हेरफेर कर रही है। इस वजह से कंपनी के शेयरधारकों में निराशा है, जिसका असर शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग पर दिखाई दे रहा है।

बीपते सप्ताह कैसा रहा शेयर बाजार में हेरफेर बाजार का हाल

बीते शुक्रवार को बैंकिंग एवं ऑटोमोबाइल शेयरों में तेजी से शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुआ था। बीएसई सेंसेक्स 246.32 अंक (0.63%) उछलकर 39,298.38 पर बंद हुआ। वहीं NSE का निफ्टी 75.50 अंकों (0.65%) की तेजी के शेयर बाजार में हेरफेर साथ 11,661.85 पर बंद हुआ था।

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Who Are Stock Market Participants? कौन हैं शेयर बाजार के प्रतिभागी ?

कौन हैं शेयर बाजार के प्रतिभागी ?

हालांकि स्टॉक मार्केट में कई प्रतिभागी हैं लेकिन उच्च स्तर पर, हमें उनमें से 4 के बारे में जानना चाहिए।
स्टॉक मार्केट उन बाजारों और एक्सचेंजों के संग्रह को संदर्भित करता है जहां सार्वजनिक रूप से आयोजित कंपनियों, बांडों और प्रतिभूतियों के अन्य वर्गों के इक्विटी या स्टॉक जारी करना और उनका व्यापार होता है।

नियामक (Regulator) एक नियामक या नियामक प्राधिकरण विभिन्न कानूनों में संशोधन और अनुमोदन करता है, यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी दलाल / कंपनी धोखाधड़ी की गतिविधियों में लिप्त न हो। सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) मूल रूप से भारतीय शेयर बाजार का नियामक है। इसके अलावा सेबी को भारत की सबसे सख्त और कुशल नियामक संस्था के रूप में जाना जाता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भारत में प्रतिभूति बाजार के लिए नियामक है। यह वर्ष 1988 में स्थापित किया गया था और 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम, 1992 के माध्यम से वैधानिक शक्तियां दी गई थीं।

दलाल (Stock Broker) – स्टॉक ब्रोकर सेबी द्वारा लाइसेंस प्राप्त हैं और स्टॉक एक्सचेंज में व्यापार के हकदार हैं। वे शेयर बाजार में विक्रेताओं और खरीदारों के बीच बिचौलियों या एजेंटों के रूप में कार्य करते हैं। ब्रोकर और डीलर प्रतिभूतियों के खरीदारों और विक्रेताओं के बीच ट्रेडों को संभालने के लिए शुल्क लेते हैं। एक ब्रोकर-डीलर अपने ग्राहक से प्रतिभूतियों को खरीद सकता है जो अपनी सूची से अपने ग्राहक को बेच रहा है या बेच रहा है जो खरीद रहा है। यहाँ एनएसई में ग्राहकों की संख्या के आधार पर भारत में शीर्ष 10 दलाल (Stock Broker) हैं

स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) – स्टॉक एक्सचेंज एक संगठित बाज़ार या सुविधा है जो खरीदारों और विक्रेताओं को एक साथ लाता है और स्टॉक की बिक्री और खरीद की सुविधा प्रदान करता है।

स्टॉक / सिक्योरिटीज एक्सचेंज बाजार हैं जहां प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यापारिक लेनदेन एक कुशल, व्यवस्थित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से किए जाते हैं। यह उन नियमों और विनियमों को लागू करता है जो इसकी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों और व्यापारिक प्रतिभागियों को सख्ती से पालन करना चाहिए।

भारतीय शेयर बाजार में अधिकांश कारोबार अपने दो स्टॉक एक्सचेंजों: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर होता है। बीएसई 1875 से अस्तित्व में है। दूसरी ओर, एनएसई 1992 में स्थापित किया गया था और 1994 में व्यापार शुरू किया था। हालांकि, दोनों एक्सचेंज एक ही व्यापार तंत्र, व्यापारिक घंटे, निपटान प्रक्रिया आदि का पालन करते हैं।

निवेशक (Investor) – निवेशक, जिन्हें शेयरधारक या शेयरधारकों के रूप में भी जाना जाता है, वे हैं जो सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी के स्टॉक के मालिक हैं। उन्हें निष्पक्ष और समान उपचार का अधिकार, वोट देने का अधिकार और संबंधित अधिकारों का उपयोग करने और स्टॉकहोल्डर्स के कारण लाभांश और अन्य लाभ प्राप्त करने का अधिकार जैसे कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं। उन्हें खुदरा या संस्थागत, और घरेलू या विदेशी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

निवेशक नियमित लोग हैं जो विभिन्न कंपनियों के शेयर खरीदते / बेचते हैं। एक निवेशक एक व्यक्ति है जो शेयर खरीदता है और उन्हें लंबे समय तक रखता है (अर्थात 1 वर्ष)। एक व्यापारी वह होता है जो शेयरों को अल्पावधि के लिए खरीदता है और रखता है (अर्थात

घरेलू संस्थान – ये भारत में स्थित बड़े कॉर्पोरेट संस्थान हैं। एक उत्कृष्ट उदाहरण भारत का एलआईसी होगा।

घरेलू एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) – इस श्रेणी में विशिष्ट प्रतिभागी म्यूचुअल फंड कंपनियां जैसे एसबीआई म्यूचुअल फंड, डीएसपी ब्लैक रॉक, फिडेलिटी इन्वेस्टमेंट, एचडीएफसी एएमसी आदि होंगे।

विदेशी संस्थागत निवेशक – गैर-भारतीय कॉर्पोरेट संस्थाएँ। ये विदेशी संपत्ति प्रबंधन कंपनियां, हेज फंड और अन्य निवेशक हो सकते हैं

शेयर बाजारों को किसी ऐसी संस्था की आवश्यकता होती है जो बाजार के नियमों (आमतौर पर विनियमन और अनुपालन के रूप में संदर्भित) को निर्धारित कर सके और यह सुनिश्चित कर सके कि लोग इन नियमों और अनुपालन का पालन करते हैं जिससे बाजार शेयर बाजार में हेरफेर सभी के लिए एक स्तर का खेल मैदान बन जाता है।

भारत में शेयर बाजार नियामक को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कहा जाता है जिसे अक्सर सेबी कहा जाता है। सेबी का उद्देश्य स्टॉक एक्सचेंजों के विकास को बढ़ावा देना, खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा करना, बाजार सहभागियों और वित्तीय मध्यस्थों की गतिविधियों को विनियमित करना है। सामान्य तौर पर, सेबी सुनिश्चित करता है:

स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई और शेयर बाजार में हेरफेर एनएसई) अपने कारोबार का निष्पक्ष रूप से संचालन करता है
स्टॉकब्रोकर और सब-ब्रोकर अपने व्यवसाय का निष्पक्ष रूप से संचालन करते हैं
प्रतिभागी अनुचित व्यवहार में शामिल नहीं होते हैं
कॉरपोरेट का उपयोग स्वयं को लाभ पहुंचाने के लिए बाजारों का उपयोग नहीं करना है (उदाहरण – सत्यम कंप्यूटर)
छोटे खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा की जाती है
विशाल नकदी ढेर वाले बड़े निवेशकों को बाजारों में हेरफेर नहीं करना चाहिए
तथा बाजारों का समग्र विकास

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य

दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी शेयर बाजार में हेरफेर शेयर बाजार में हेरफेर स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) क्या है ?

एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का इतिहास

1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक शेयर बाजार में हेरफेर प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति शेयर बाजार में हेरफेर ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य

एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।

  1. सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
  2. सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
  3. शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
  4. ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
  5. प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य

दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।

अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।

जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।

जब निवेशक का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा हो जाता है तो निवेशक के डीमैट अकाउंट में खरीद आर्डर या बेच आर्डर में स्वतः ही देखने लगता है। इस तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों के शेयर के लेन देन को पारदर्शी बनता है। डीमैट अकाउंट किसी भी स्टॉक ब्रोकर के द्वारा ओपन किया जा सकता है जो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान करता है। जो ट्रेडिंग सिस्टम में ऑर्डर देते हैं। एनएसई द्वारा घोषित छुट्टियों को छोड़कर, एक्सचेंज मार्केट सप्ताह में पांच दिन सोमवार से शुक्रवार तक उपलब्ध रहता है।

दोस्तों, हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के बारें में विस्तार से समझा। अब आप समझ गए है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज स्थापना प्रतिभूति बाज़ार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाने के लिए किया गया, जिससे सभी निवेशक विश्वास के साथ प्रतिभूति बाज़ार में निवेश कर सके। अगर आप भी शेयर मार्किट में निवेश करने के लिए सोच रहे है और आपको शेयर बाज़ार के बारें में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप सेबी से पंजीकृत निवेश सलाहकार की सहायता ले सकते है यह आपको सही शेयर खरीदने में सहायता करेगा।

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सेंसेक्स टुडेः लाल निशान पर खुला शेयर बाजार, इन्फोसिस के शेयर 14% नीचे

मंगलवार को शेयर बाजार के कारोबार की शुरुआत लाल निशान पर हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 65 अंक नीचे 39,233 अंक पर खुला और एनएसई का निफ्टी 4 अंक नीचे 11,657 पर खुला। शुरुआती कारोबार में इन्फोसिस के शेयर 10% नीचे देखे गए।

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सेंसेक्स के जिन शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है उनमें यस बैंक (7 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलिवर, पावर ग्रिड, टीसीएस और एचडीएफसी बैंक प्रमुख हैं। वहीं इन्फोसिस, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एचसीएल टेक और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है।

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निफ्टी की बात करें तो इंडेक्स के टॉप गेनर्स में यस बैंक, टाइटन, पावर ग्रिड, बीपीसीएल, टीसीएस हैं। वहीं चॉप लूजर्स में इन्फोसिस(14.60%), टाटा मोटर्स, एचसीएल टेक, टाटा स्टील और शेयर बाजार में हेरफेर टेक महिंद्रा प्रमुख हैं।

क्यों गिर रहे इन्फोसिस के शेयर

इन्फोसिस में कंपनी के पूर्व सीईओ विशाल सिक्का तथा फाउंडर नारायणमूर्ति के बीच विवाद किसी तरह शांत होने के बाद कंपनी एक बार फिर भारी मुश्किलों में फंसती दिख रही है। कंपनी के कुछ अज्ञात कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि इन्फोसिस अपनी आय और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए अपने बही-खातों में हेरफेर कर रही है। इस वजह से कंपनी के शेयरधारकों में निराशा है, जिसका असर शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग पर दिखाई दे रहा है।

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बीते शुक्रवार को बैंकिंग एवं ऑटोमोबाइल शेयरों में तेजी से शेयर बाजार तेजी के साथ बंद हुआ था। बीएसई सेंसेक्स 246.32 अंक (0.63%) उछलकर 39,298.38 पर बंद हुआ। वहीं NSE का निफ्टी 75.50 अंकों (0.65%) की तेजी के साथ 11,661.85 पर बंद हुआ था।

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